25/01/2025
भूख
कभी अच्छी तो
कभी बुरी भी होती है ।
धन की ,मन की
अथवा तन की हो ,
तो जूनून बन जाती है
अवचेतन में बस जाए
तो शैतान बना जाती है ।
आदमी की ऐसी भूख
खा जाती है समझ ,सामाजिकता
और संतोष का आभास ।
प्रत्येक गलत कार्य को
सही सिद्ध करने का
वह करता है प्रयास।
भूख अनिवार्य है
तो भूख हो ज्ञान की,
सत्य के अन्वेषण की ,
परम-ब्रह्म के ध्यान की ।
भूख हो सत्कर्म की ,
सत्संग की,परोपकार की ,
भूख हो संवेदना की ,
करुणा की , सद्व्यवहार की ।
करबद्ध करते हैं रब से यही पुकार
सद्गुणों की भूख अब बनी रहे बरकरार।
#अशोकविज
25/1/25