Dr. Ashok Vij

Dr. Ashok Vij दिल के जो अल्फ़ाज़ दिल तक पहुँचते हैं वह?

25/01/2025

भूख
कभी अच्छी तो
कभी बुरी भी होती है ।
धन की ,मन की
अथवा तन की हो ,
तो जूनून बन जाती है
अवचेतन में बस जाए
तो शैतान बना जाती है ।
आदमी की ऐसी भूख
खा जाती है समझ ,सामाजिकता
और संतोष का आभास ।
प्रत्येक गलत कार्य को
सही सिद्ध करने का
वह करता है प्रयास।
भूख अनिवार्य है
तो भूख हो ज्ञान की,
सत्य के अन्वेषण की ,
परम-ब्रह्म के ध्यान की ।
भूख हो सत्कर्म की ,
सत्संग की,परोपकार की ,
भूख हो संवेदना की ,
करुणा की , सद्व्यवहार की ।
करबद्ध करते हैं रब से यही पुकार
सद्गुणों की भूख अब बनी रहे बरकरार।

#अशोकविज
25/1/25

Work on yourself everyday...little by little, chip away, until your true self is revealed.अपने व्यक्तित्व को तराशो दिन प...
13/01/2025

Work on yourself everyday...little by little, chip away, until your true self is revealed.

अपने व्यक्तित्व को तराशो
दिन प्रतिदिन
नए आयाम रचो
स्व का उत्थान ही ध्येय हो ।

29/12/2024
09/12/2024

कुछ तो है हमारे बीच
जो टूटकर भी नहीं टूटता
प्रेम किस तरह का है यह
जो रूठ कर भी नहीं रूठता
महक बनकर बस गए हो
मेरी रूह की सांसों में तुम
बंधन ऐसा है अपना
जो छूटकर भी नहीं छूटता ।


09/12/24

अंधेरे पोषक हैंधोखा,फरेब और झूठ के ।विश्वास उजाला है जो चीरता है अँधेरों को ।आओ दीप जलाएँपरस्पर विश्वास और विवेक का ,हरा...
04/12/2024

अंधेरे पोषक हैं
धोखा,फरेब और झूठ के ।
विश्वास उजाला है
जो चीरता है अँधेरों को ।
आओ दीप जलाएँ
परस्पर विश्वास और विवेक का ,
हरा,भगवा,सफेद और नीला
सभी रंगों के मिश्रण से
इंद्रधनुष का निर्माण करें ।
जाति,धर्म,और रंग का
कोई बंटवारा फिर कभी न हो।

अशोकविज

27/11/2024

अपनी आँखों की ज़मीन को
सूखने न देना कभी ।
इस ज़मीन में मैंने
अनगिनत ख्वाबों के बीज बोए हैं ।
किसी फ़क़ीर ने कहा है
इन ख्वाबों के दरख्तों पर
हकीकत के फल ज़रूर लगेंगे ।

भाषा वह जो सही बोले हिंदी भाषा है जिसकी बिंदी भी बोलेहिंदी दिवस की बधाई
14/09/2024

भाषा वह जो सही बोले
हिंदी भाषा है जिसकी बिंदी भी बोले

हिंदी दिवस की बधाई

अपेक्षाओं का अंबार लगा हैअधूरे सपनों के खाली खाके हैंआकाश में उदासियों के मेघ मंडरा रहे हैंवर्षा की आस में धरा का कलेजा ...
10/08/2024

अपेक्षाओं का
अंबार लगा है
अधूरे सपनों के खाली खाके हैं
आकाश में उदासियों के
मेघ मंडरा रहे हैं
वर्षा की आस में
धरा का कलेजा फटा हुआ है
उम्मीदों के खेत
सूखाग्रस्त घोषित होने की कगार पर हैं
चातक भी पुकार कर थक चुका है
घने अंधेरों में
उजाले की किरण चाहने वाले
सहरा में पानी के स्रोत ढूंढ रहे हैं
गुलाब के आशिक
इंतज़ार में कैक्टस हो गए ।

#अशोकविज
#कैक्टस

शुद्ध प्रेमबस प्रेम !!!
12/07/2024

शुद्ध प्रेम
बस प्रेम !!!

07/07/2024

जानते हो
मेरे लिए तुम्हारा क्या महत्व है ।
तुम मेरा ठहराव हो
मेरी स्थिरता हो ।
कुछ पा लेने
और सब कुछ पा लेने
के बीच का ठहराव ।
कुछ पल खर्च हो भी जाएँ
तो गम नहीं ।
लक्ष्य तक पहुंचना महत्वपूर्ण है।
और मुझे विश्वास है
हम अवश्य सफल होंगे ।

#अशोकविज
8/7/24

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