Veda Satvaa

Veda Satvaa The Veda satvaa was established in year 1999, Provides Piles and constipation herbal powder in Gujarat and at your door step

The Veda Satva was established in year 2000, To Provides Piles and constipation herbal Powder in Gujarat.

27/08/2025
Greetings from veda satvaa
30/07/2025

Greetings from veda satvaa

अपने पेट को साफ रखना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे **पाचन तंत्र सही रहता है**, शरीर को पोषण अच्छे से मिलता है, **रोग-प्रतिर...
27/07/2025

अपने पेट को साफ रखना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे **पाचन तंत्र सही रहता है**, शरीर को पोषण अच्छे से मिलता है, **रोग-प्रतिरोधक क्षमता (immunity) मजबूत होती है**, त्वचा और मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है[2][4]. पेट साफ न रखने पर कब्ज, गैस, पेट फूलना, त्वचा की समस्या, मोटापा और अन्य बीमारियाँ हो सकती हैं[2][4].

मुख्य फायदे:
- **पाचन सुधरता है**: पेट साफ होने से खाना अच्छे से पचता है[2].
- **बीमारियाँ कम होती हैं**: 70% immunity पेट पर निर्भर करती है[2].
- **त्वचा में निखार आता है**: पेट साफ रहने से मुहांसे और रैशेज कम होते हैं[2].
- **मूड और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहते हैं**: पेट और दिमाग का सीधा संबंध है[2].
- **मेटाबोलिज्म तेज होता है**: पेट ठीक रहे तो वजन नियंत्रित रहता है[2].

पेट साफ रखने के तरीके:
- फाइबर युक्त आहार लें (फल, सब्ज़ियां, साबुत अनाज)[3][4][5].
- पर्याप्त पानी पिएँ (8-10 गिलास रोज़)[2][4].
- गर्म पानी व नींबू/शहद सुबह लें[2][4].
- दही, लस्सी, प्रोबायोटिक चीजें खाएं[2][3].
- नियमित व्यायाम व योग करें[2][4].
- समय पर शौच जाएं और तनाव न लें

इसलिए, **स्वस्थ रहने और बीमारियों से बचने के लिए पेट को साफ और स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है

बवासीर (पाइल्स) के दौरान कुछ महत्वपूर्ण सावधानियाँ रखना जरूरी है ताकि समस्या ना बढ़े और राहत मिल सके:फाइबर युक्त आहार ले...
26/07/2025

बवासीर (पाइल्स) के दौरान कुछ महत्वपूर्ण सावधानियाँ रखना जरूरी है ताकि समस्या ना बढ़े और राहत मिल सके:

फाइबर युक्त आहार लें: अधिक मात्रा में फल, हरी सब्ज़ियाँ, साबुत अनाज, ब्राउन राइस, और दालें अपने दैनिक आहार में शामिल करें। इससे कब्ज़ दूर रहता है और मल त्याग आसान होता है.

पर्याप्त पानी पिएं: दिनभर खूब पानी और दूसरे तरल पदार्थ (जैसे छाछ) पीते रहें ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे और मल मुलायम बना रहे.

मसालेदार, तली-भुनी, और तेल-युक्त चीजें न खाएं: बाहर का खाना, ज्यादा तेल-मसाले, मिर्च, और जंक फूड से परहेज रखें, इनसे बवासीर बढ़ सकती है.

ज्यादा जोर न लगाएं: शौच के दौरान मल त्यागते समय ज्यादा जोर लगाना नुकसानदेह है। टॉयलेट पर ज्यादा देर तक न बैठें.

नियमित व्यायाम करें: हल्का व्यायाम या पैदल चलना फायदेमंद है, इससे पाचन सही रहता है और कब्ज नियंत्रण में रहता है.

लंबे समय तक बैठना टालें: खासकर एक ही जगह पर बहुत देर तक न बैठें ताकि गुदा क्षेत्र पर दबाव न बढ़े.

शरीर की सफाई रखें: गुदा क्षेत्र की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें, हल्के गुनगुने पानी से धोएं और सूखा रखें.

गैस बनने वाले खाद्य पदार्थ सीमित करें: जैसे आलू, फूलगोभी, मटर, छोले, और राजमा अगर ज्यादा समस्या होती है, तो सीमित मात्रा में ही खाएं.

डॉक्टर से सलाह जरूर लें: अगर समस्या बढ़ रही है, खून आ रहा है या दर्द अधिक है तो डॉक्टर से संपर्क करें.

औषधीय क्रीम/मलहम का इस्तेमाल करें: डॉक्टर द्वारा बताई गई क्रीम या मरहम से खुजली व जलन कम हो सकती है.

इन सावधानियों को अपनाने से बवासीर की परेशानी काफी हद तक नियंत्रित की जा सकती है, लेकिन अगर समस्या गंभीर हो जाए तो चिकित्सीय सलाह जरूरी है

बवासीर के लक्षण और जोखिम किन कारणों से बढ़ सकते हैं # # बवासीर (पाइल्स) के लक्षण- **मल त्याग के दौरान दर्द या जलन**- गुद...
25/07/2025

बवासीर के लक्षण और जोखिम किन कारणों से बढ़ सकते हैं

# # बवासीर (पाइल्स) के लक्षण

- **मल त्याग के दौरान दर्द या जलन**
- गुदा के आस-पास कठोर या सूजी हुई गांठ महसूस होना
- मल या टॉयलेट पेपर में चमकीला लाल खून दिखना
- गुदा के आसपास खुजली, जलन और सूजन
- मल त्याग के बाद पेट पूरी तरह साफ न होने का अहसास
- बार-बार मल त्यागने की इच्छा, लेकिन मल न निकलना
- मल त्याग के समय बलगम (म्यूकस) का आना
- गंभीर मामलों में बवासीर गुदा से बाहर भी आ सकती है (प्रोलैप्स)
[1][2][3][4]

# # बवासीर के जोखिम बढ़ाने वाले प्रमुख कारण

- **कब्ज या पुराने दस्त**: कब्ज के कारण मल कठोर हो जाता है और शौच के समय जोर लगाना पड़ता है, जिससे गुदा की नसों पर दबाव बढ़ता है। पुराने दस्त भी बार-बार शौच के लिए जोर लगाने की समस्या बढ़ाते हैं[1][5][6].
- **मल त्याग के दौरान बार-बार और अधिक जोर लगाना**
- **लंबे समय तक शौचालय पर बैठना**
- **कम फाइबर वाला आहार**: रेशे की कमी वाला भोजन मल को कठोर बनाता है[1][7].
- **मोटापा**: अधिक वजन होने से पेट और मलाशय की नसों पर दबाव बढ़ता है[1][8].
- **गर्भावस्था**: गर्भाशय के बढ़ने और हार्मोनल बदलाव से दबाव बढ़ता है, जिससे बवासीर का जोखिम बढ़ जाता है[1].
- **शारीरिक गतिविधि की कमी**: निष्क्रिय और बहुत अधिक बैठे रहने की जीवनशैली[1][8][9].
- **आनुवांशिकता/पारिवारिक इतिहास**: यदि परिवार में किसी को बवासीर है, तो इस रोग का जोखिम बढ़ जाता है[8][9].
- **भारी वजन उठाना**: बार-बार भारी वजन उठाने से भी दबाव बढ़ता है[5][10].
- **बुढ़ापा/आयु बढ़ना**: उम्र के साथ बवासीर का खतरा बढ़ता है[9][7].
- **गुदा मैथुन** और किसी तरह की गुदा में चोट[7][5].
- **क्रॉनिक खांसी** या श्रोणि क्षेत्र में लंबे समय तक तनाव[9].

# # जोखिम कम करने के लिए सुझाव

- फाइबर युक्त संतुलित आहार लें
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं
- शारीरिक रूप से सक्रिय रहें
- मल त्याग के समय गैरज़रूरी जोर न लगाएं
- लंबे समय तक बैठने से बचें
- स्वस्थ वजन बनाए रखें
- घरेलू उपचार और आरंभिक देखभाल के लिए डॉक्टर से समय पर परामर्श लें

इन लक्षणों में यदि कोई भी समस्या गंभीर या लगातार हो तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है।

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