Pt. Praveen Gaur

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*क्रोध के 2⃣ मिनट*रोज़ाना नई रोचक शिक्षाप्रद प्रेरक कहानियां प्रसंग पढ़ने के लिए लिंक से ग्रुप ज्वाइन करें 👉https://what...
19/03/2024

*क्रोध के 2⃣ मिनट*

रोज़ाना नई रोचक शिक्षाप्रद प्रेरक कहानियां प्रसंग पढ़ने के लिए लिंक से ग्रुप ज्वाइन करें 👉
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एक युवक ने विवाह के दो साल बाद परदेस जाकर व्यापार करने की इच्छा पिता से कही ।

पिता ने स्वीकृति दी तो वह अपनी गर्भवती पत्नी को माँ-बाप के जिम्मे छोड़कर व्यापार करने चला गया।
परदेश में मेहनत से बहुत धन कमाया और वह धनी सेठ बन गया ।

सत्रह वर्ष धन कमाने में बीत गए तो सन्तुष्टि हुई और वापस घर लौटने की इच्छा हुई। पत्नी को पत्र लिखकर आने की सूचना दी और जहाज में बैठ गया।
उसे जहाज में एक व्यक्ति मिला जो दुखी
मन से बैठा था ।
सेठ ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो
उसने बताया कि - इस देश में ज्ञान की कोई कद्र नही है ।
मैं यहाँ ज्ञान के सूत्र बेचने आया था पर
कोई लेने को तैयार नहीं है ।

सेठ ने सोचा 'इस देश में मैने बहुत धन कमाया है, और यह मेरी कर्मभूमि है,
इसका मान रखना चाहिए !'
उसने ज्ञान के सूत्र खरीदने की इच्छा जताई ।

उस व्यक्ति ने कहा- मेरे हर ज्ञान सूत्र की कीमत 500 स्वर्ण मुद्राएं है ।
सेठ को सौदा तो महंगा लग रहा था..
लेकिन कर्मभूमि का मान रखने के लिए
500 स्वर्ण मुद्राएं दे दी ।

व्यक्ति ने ज्ञान का पहला सूत्र दिया-
कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट
रूककर सोच लेना।
सेठ ने सूत्र अपनी किताब में लिख लिया ।

कई दिनों की यात्रा के बाद रात्रि के समय
सेठ अपने नगर को पहुँचा ।
उसने सोचा इतने सालों बाद घर लौटा हूँ तो क्यों न चुपके से बिना खबर दिए सीधे
पत्नी के पास पहुँच कर उसे आश्चर्य उपहार दूँ ।

घर के द्वारपालों को मौन रहने का इशारा
करके सीधे अपने पत्नी के कक्ष में गया
तो वहाँ का नजारा देखकर उसके पांवों के
नीचे की जमीन खिसक गई।
पलंग पर उसकी पत्नी के पास एक
युवक सोया हुआ था ।

अत्यंत क्रोध में सोचने लगा कि मैं परदेस में भी इसकी चिंता करता रहा और ये यहां अन्य पुरुष के साथ है ।

दोनों को जिन्दा नही छोड़ूगाँ। क्रोध में तलवार निकाल ली।

वार करने ही जा रहा था कि उतने में ही
उसे 500 स्वर्ण मुद्राओं से प्राप्त ज्ञान सूत्र
याद आया- कि कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट सोच लेना ।

सोचने के लिए रूका। तलवार पीछे खींची तो एक बर्तन से टकरा गई ।

बर्तन गिरा तो पत्नी की नींद खुल गई।
जैसे ही उसकी नजर अपने पति पर पड़ी
वह ख़ुश हो गई और बोली- आपके बिना जीवन सूना सूना था ।
इन्तजार में इतने वर्ष कैसे निकाले यह मैं ही जानती हूँ ।

सेठ तो पलंग पर सोए पुरुष को देखकर कुपित था।
पत्नी ने युवक को उठने के लिए कहा - बेटा जाग तेरे पिता आए हैं ।

युवक उठकर जैसे ही पिता को प्रणाम
करने झुका माथे की पगड़ी गिर गई ।उसके लम्बे बाल बिखर गए ।

सेठ की पत्नी ने कहा- *स्वामी ये आपकी बेटी है। पिता के बिना इसके मान को कोई आंच न आए इसलिए मैंने इसे बचपन से ही पुत्र के समान ही पालन पोषण और संस्कार दिए हैं।*

यह सुनकर सेठ की आँखों से अश्रुधारा बह निकली ।
पत्नी और बेटी को गले लगाकर सोचने लगा कि यदि आज मैने उस ज्ञानसूत्र को नहीं अपनाया होता तो जल्दबाजी में कितना अनर्थ हो जाता ।
मेरे ही हाथों मेरा निर्दोष परिवार खत्म हो जाता ।

ज्ञान का यह सूत्र उस दिन तो मुझे महंगा लग रहा था लेकिन ऐसे सूत्र के लिए तो 500 स्वर्ण मुद्राएं बहुत कम हैं ।
_*'ज्ञान तो अनमोल है '*_

इस कहानी का सार यह है कि जीवन के दो मिनट, जो दुःखों से बचाकर सुख की बरसात कर सकते हैं । वे हैं - *'क्रोध छोड़कर सोचने के दो मिनट'*

_इस कहानी को आगे जरूर भेजे क्योंकि आपका इस मैसेज को आगे भेजने में लगा एक मिनट किसी व्यक्ति को उसके क्रोध पर अंकुश रखने के लिए प्रेरित कर सकता है ।_

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*_ऐस्ट्रो प्रवीन गौड़_*
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13/06/2023
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05/03/2023

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ऐस्ट्रो_प्रवीन_गौड टोने टोटके : होली के 17 सरल उपाय , होली की रात कोई एक जरुर आजमाएं #होली #होली_गाना #2023 ...

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04/03/2023

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ऐस्ट्रो_प्रवीन_गौड इन 4 राशियों पर हमेशा रहती है शनिदेव की कृपा, इनके जीवन में कभी नहीं आता कोई कष्ट। ...

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03/03/2023

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होली के बाद बनेगा गजलक्ष्मी राजयोग, शनि की साढ़े साती होगी खत्म, इन राशियों के आएंगे अच्छे दिन ...

*ग़जब का रिश्ता परिवार - मोबाइल-मानवता*   *मैं बिस्तर पर से उठा, अचानक छाती में दर्द होने लगा। मुझे हार्ट की तकलीफ तो नही...
05/01/2023

*ग़जब का रिश्ता परिवार - मोबाइल-मानवता*

*मैं बिस्तर पर से उठा, अचानक छाती में दर्द होने लगा। मुझे हार्ट की तकलीफ तो नहीं है? ऐसे विचारों के साथ मैं आगे वाली बैठक के कमरे में गया। मैंने देखा कि मेरा पूरा परिवार मोबाइल में व्यस्त था।*

*मैंने पत्नी को देखकर कहा- "मेरी छाती में आज रोज से कुछ ज़्यादा दर्द हो रहा है, डाॅक्टर को दिखा कर आता हूँ।"*

*"हाँ मगर सँभलकर जाना, काम हो तो फोन करना" मोबाइल में देखते-देखते ही पत्नी बोलीं।*

*मैं एक्टिवा की चाबी लेकर पार्किंग में पहुँचा, पसीना मुझे बहुत आ रहा था, ऐक्टिवा स्टार्ट नहीं हो रही थी।*

*ऐसे वक्त्त हमारे घर का काम करने वाला ध्रुव साईकिल लेकर आया, साईकिल को ताला लगाते ही, उसने मुझे सामने खड़ा देखा। "क्यों सा'ब ऐक्टिवा चालू नहीं हो रही है?*

*मैंने कहा- "नहीं..!!"*

*आपकी तबीयत ठीक नहीं लगती सा'ब, इतना पसीना क्यों आ रहा है?*

*सा'ब इस हालत में स्कूटी को किक नहीं मारते, मैं किक मार कर चालू कर देता हूँ। ध्रुव ने एक ही किक मारकर ऐक्टिवा चालू कर दिया, साथ ही पूछा- "साब अकेले जा रहे हो?"*

*मैंने कहा- "हाँ"*

*उसने कहा- ऐसी हालत में अकेले नहीं जाते, चलिए मेरे पीछे बैठ जाइये।*

*मैंने कहा- तुम्हें एक्टिवा चलानी आती है?*

*"सा'ब गाड़ी का भी लाइसेंस है, चिंता छोड़कर बैठ जाओ" पास ही एक अस्पताल में हम पहुँचे। ध्रुव दौड़कर अंदर गया और व्हील चेयर लेकर बाहर आया।*

*"सा'ब अब चलना नहीं, इस कुर्सी पर बैठ जाओ"।*

*ध्रुव के मोबाइल पर लगातार घंटियां बजती रहीं, मैं समझ गया था। फ्लैट में से सबके फोन आते होंगे कि अब तक क्यों नहीं आया?*

*ध्रुव ने आखिर थक कर किसी को कह दिया कि आज नहीं आ सकता।*

*ध्रुव डाॅक्टर के जैसे ही व्यवहार कर रहा था, उसे बगैर बताये ही मालूम हो गया था कि सा'ब को हार्ट की तकलीफ है। लिफ्ट में से व्हील चेयर ICU की तरफ लेकर गया।*

*डाॅक्टरों की टीम तो तैयार ही थी, मेरी तकलीफ सुनकर। सब टेस्ट शीघ्र ही किये।*

*डाॅक्टर ने कहा- "आप समय पर पहुँच गये हो, इसमें भी आपने व्हील चेयर का उपयोग किया, वह आपके लिए बहुत फायदेमन्द रहा।"*

*अब किसी की राह देखना आपके लिए बहुत ही हानिकारक है। इसलिए बिना देर किए हमें हार्ट का ऑपरेशन करके आपके ब्लोकेज जल्द ही दूर करने होंगे। इस फार्म पर आप के स्वजन के हस्ताक्षर की ज़रूरत है। डाॅक्टर ने ध्रुव की ओर देखा।*

*मैंने कहा- "बेटे, दस्तखत करने आते हैं?"*
*उसने कहा- "सा'ब इतनी बड़ी जिम्मेदारी मुझ पर न डालो।"*

*"बेटे तुम्हारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। तुम्हारे साथ भले ही लहू का सम्बन्ध नहीं है, फिर भी बगैर कहे तुमने अपनी जिम्मेदारी पूरी की। वह जिम्मेदारी हकीकत में मेरे परिवार की थी। एक और जिम्मेदारी पूरी कर दो बेटा। मैं नीचे सही करके लिख दूँगा कि मुझे कुछ भी होगा तो जिम्मेदारी मेरी है। ध्रुव ने सिर्फ मेरे कहने पर ही हस्ताक्षर किये हैं", बस अब... .."और हाँ घर फोन लगा कर खबर कर दो"।*

*बस, उसी समय मेरे सामने मेरी पत्नी का फोन ध्रुव के मोबाइल पर आया। वह शांति से फोन सुनने लगा।*

*थोड़ी देर के बाद ध्रुव बोला- "मैडम, आपको पगार काटने का हो तो काटना, निकालने का हो तो निकाल देना मगर अभी अस्पताल में ऑपरेशन शुरु होने के पहले पहुँच जाओ। हाँ मैडम, मैं सा'ब को अस्पताल लेकर आया हूँ, डाक्टर ने ऑपरेशन की तैयारी कर ली है और राह देखने की कोई जरूरत नहीं है"।*

*मैंने कहा- "बेटा घर से फोन था?"*

*"हाँ सा'ब।"*

*मैंने मन में पत्नी के बारे में सोचा, तुम किसकी पगार काटने की बात कर रही हो और किसको निकालने की बात कर रही हो? आँखों में आँसू के साथ ध्रुव के कन्धे पर हाथ रखकर मैं बोला- "बेटा चिंता नहीं करते।"*

*"मैं एक संस्था में सेवायें देता हूँ, वे बुज़ुर्ग लोगों को सहारा देते हैं, वहां तुम जैसे ही व्यक्तियों की ज़रूरत है।"*

*"तुम्हारा काम बरतन कपड़े धोने का नहीं है, तुम्हारा काम तो समाज सेवा का है, बेटा पगार मिलेगा। इसलिए चिंता बिल्कुल भी मत करना।"*

*ऑपरेशन के बाद मैं होश में आया, मेरे सामने मेरा पूरा परिवार नतमस्तक खड़ा था। मैं आँखों में आँसू लिये बोला- "ध्रुव कहाँ है?"*
*

*पत्नी बोली- "वो अभी ही छुट्टी लेकर गाँव चला गया। कह रहा था कि उसके पिताजी हार्ट अटैक से गुज़र गये है,*

*15 दिन के बाद फिर आयेगा।" अब मुझे समझ में आया कि उसको मेरे अन्दर उसका बाप दिख रहा होगा।*

*हे प्रभु, मुझे बचाकर आपने उसके बाप को उठा लिया?*

*पूरा परिवार हाथ जोड़कर, मूक, नतमस्तक माफी माँग रहा था।*

*एक मोबाइल की लत (व्यसन) एक व्यक्ति को अपने दिल से कितना दूर लेकर जाती है, वह परिवार देख रहा था। यही नहीं मोबाइल आज घर-घर कलह का कारण भी बन गया है। बहू छोटी-छोटी बातें तत्काल अपने माँ-बाप को बताती है और माँ की सलाह पर ससुराल पक्ष के लोगों से व्यवहार करती है, जिसके परिणाम स्वरूप वह बीस-बीस साल में भी ससुराल*

*पक्ष के लोगों से अपनत्व नहीं जोड़ पाती। डाॅक्टर ने आकर कहा- "सबसे पहले यह बताइये ध्रुव भाई आप के क्या लगते हैं?"*

*मैंने कहा- "डाॅक्टर साहब, कुछ सम्बन्धों के नाम या गहराई तक न जायें तो ही बेहतर होगा, उससे सम्बन्ध की गरिमा बनी रहेगी, बस मैं इतना ही कहूँगा कि वो आपात स्थिति में मेरे लिए फरिश्ता बन कर आया था।"*

*पिन्टू बोला- "हमको माफ़ कर दो पापा, जो फर्ज़ हमारा था, वह ध्रुव ने पूरा किया, यह हमारे लिए शर्मनाक है। अब से ऐसी भूल भविष्य में कभी भी नहीं होगी पापा।"*

*"बेटा, जवाबदारी और नसीहत (सलाह) लोगों को देने के लिये ही होती है। जब लेने की घड़ी आये, तब लोग बग़लें झाँकते हैं या ऊपर नीचे हो जाते हैं।*

*अब रही मोबाइल की बात...बेटे, एक निर्जीव खिलौने ने जीवित खिलौने को गुलाम बनाकर रख दिया है। अब समय आ गया है कि उसका मर्यादित उपयोग करना है।नहीं तो....*

*परिवार समाज और राष्ट्र को उसके गम्भीर परिणाम भुगतने पडेंगे और उसकी कीमत चुकाने के लिये तैयार रहना पड़ेगा।"*

*अतः बेटे और बेटियों को बड़ा अधिकारी या व्यापारी बनाने की जगह एक अच्छा इन्सान बनायें।*

*मंगलमय प्रभात*
*प्रणाम*

.सुदामा के चावलों में दखल न थी- प्रेम थामालिनी कुब्जा की कोई शक्ल न थी- प्रेम थाधन्ना की पूजा में कोई अक्ल न थी -प्रेम थ...
03/08/2022

.सुदामा के चावलों में दखल न थी- प्रेम था
मालिनी कुब्जा की कोई शक्ल न थी- प्रेम था
धन्ना की पूजा में कोई अक्ल न थी -प्रेम था
मीरा के कीर्तन में कोई नकल न थी-प्रेम था
कौन से हीरे जड़े थे नरसी की खड़ताल में
क्या बांधकर लाया था निर्धन, फ़टे हुए रुमाल में
वन में जाकर भी खाया द्रौपदी के थाल में
नित नित माखन लुटा गोपियों के जाल में
जिसके जूठे बेर खाए उसकी क्या बिसात थी
विदुरानी के छिलकों मेंभी, प्रेम की ही तो बात थी।

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