22/07/2023
🏥श्री श्याम आई हॉस्पिटल🏥
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बारिश के बाद बीमारियों का बढ़ना नई बात नहीं है। इन मौसमी बीमारियों की चपेट में ज्यादातर लोग आते हैं। मूसलाधार बारिश के बाद उमस भरी गर्मी झेल रहे लोगों की मुसीबत आई फ्लू ने बढ़ा दी है। डॉक्टर के पास लगी लंबी कतारों में बच्चों की तादाद ज्यादा है। स्कूलों से भी नोटिस जारी करके आंखों का ख्याल रखने की हिदायत दी जा रही है।
आंखों में जलन-खुजली है तो समझिए आई फ्लू
आई फ्लू एक बीमारी है जो आंखों को बेहद तकलीफ देती है। इसे वायरल कंजक्टिविटी कहते हैं। यह कॉमन इन्फेक्शन है, जिसकी चपेट में कभी न कभी हर इंसान आता है। आई फ्लू होने पर आंखों में जलन और खुजली होने लगती है। यह बीमारी सर्दियों और बारिश के मौसम में ज्यादा फैलती है और तेजी से फैल सकती है। आई फ्लू होने के दूसरे कारण भी हैं जैसे-कॉस्मेटिक या कॉन्टेक्ट लेंस।
बहुत ज्यादा इन्फेक्शन फैलने की वजह से यह आंखों के आगे एक पतली सी झिल्ली में पहुंच जाता है। जिसकी वजह से आंखों में खुजली की शिकायत होती है। साथ ही आंखों में सूजन आ जाती है। बर्दाश्त न कर पाने वाला दर्द होता है। हालांकि, आई फ्लू की चपेट में हर उम्र के लोग आते हैं, लेकिन बच्चों को यह अपनी गिरफ्त में जल्दी लेता है। कभी-कभी आई फ्लू इन्फेक्शन का कारण धूल-मिट्टी भी हो सकता है। यह इन्फेक्शन एक आंख से शुरू होकर दूसरी आंख तक फिर एक इंसान से दूसरे इंसान तक पहुंचता है। इन्फेक्शन में आंखों का रंग पीला होने के बाद धीरे-धीरे लाल होने लगता है।
आई फ्लू इन्फेक्शन फैलने की वजह
यह इन्फेक्शन वायरस और बैक्टीरिया से फैलता है। इस परेशानी की वजह हीमोफिलस बैक्टीरिया है। यह बैक्टीरिया कनेक्टिविटी सेक्शुअल रिलेशन से भी फैलता है। कभी-कभी डिलीवरी के दौरान मां बैक्टीरिया या वायरस की चपेट में आ जाती है जिससे होने वाले बच्चे पर भी इसका असर देखा जा सकता है।
नवजात शिशु में डिलीवरी के 5 से 12 दिनों तक ही यह बैक्टीरियल कंजक्टिविटी यानी आई फ्लू नजर आता है। नवजात शिशुओं में भी आई-फ्लू इन्फेक्शन का कारण यही बैक्टीरिया होते हैं। जिसमें बच्चे की आंख गुलाबी होकर उसमें जलन होने लगती है या आंसू बहते हैं।
कितने तरह के होते हैं आई फ्लू
नॉर्मल आई फ्लूः इसमें आंखों के अंदर सफेद हिस्से पर छोटे-छोटे खून के धब्बे दिखाई देते हैं। आंखों में हमेशा पानी रहता है।
बैक्टीरियल कंजक्टिविटी: इसे आंख आना भी कहते हैं। इसमें आंखों से पीले और हरे रंग का चिपचिपा पानी निकलता है। सुबह उठने पर पलकें आपस में चिपक जाती है। ये बच्चों में ज्यादा तेजी से फैलता है।
वायरल कंजक्टिविटी : इसकी शुरुआत हवा में फैले वायरस की वजह से होता है। इसमें खांसी जुकाम, दोनों आंखों में लाली और सूजन की शिकायत होती है। इस इन्फेक्शन का असर बड़े लोगों पर ज्यादा होता है। 65 से 90 फीसदी आई फ्लू इन्फेक्शन की वजह एडिनोवायरस ही होता है।
एलर्जिक कंजक्टिविटी : इस स्थिति में आंखों का रंग गुलाबी, खुजली होना और आंख से पानी गिरने की परेशानी होती है।
गोनोकोकल कंजक्टिविटी : इसे नीसेरिया गोनोरिया कहते हैं, जो बहुत ही दुर्लभ है। यह इन्फेक्शन नवजात शिशुओं और सेक्शुअल रिलेशनशिप के दौरान हो सकता है। इसकी भी शुरुआत आंखों में लाली, खुजली और सूजन से होती है।