All Deases Treatment by Homeopathy

All Deases Treatment by Homeopathy all disease completely cure by homeopathy

31/08/2025

कफ शरीर की संरचना को नियंत्रित करने वाले दोषों में से एक है। यह शरीर में मांसपेशियों, वसा और हड्डियों का निर्माण करने वाली कोशिकाओं को एक साथ रखने वाला प्रमुख तत्व है। कफ दोष से प्रभावित व्यक्ति आमतौर पर मजबूत शरीर और सहनशक्ति वाला होता है और उसे अच्छी पाचन शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हालाँकि कफ दोष से प्रभावित लोगों को सक्रिय माना जाता है, लेकिन शरीर में कफ के असंतुलन की स्थिति में उन्हें वजन बढ़ना, शरीर में तरल पदार्थ जमा होना, एलर्जी और थकान जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। शरीर में कफ का असंतुलन मधुमेह, अवसाद, अस्थमा और अत्यधिक नींद जैसी बीमारियों का कारण भी बन सकता है।

कफ असंतुलन के कारण:
शरीर में कफ की वृद्धि की ओर संकेत करने वाले संकेतों में शामिल हैं:

जड़ता
सुस्ती
आलस्य
अत्यधिक नींद
कब्ज़
अपर्याप्त भूख
जी मिचलाना
अत्यधिक लार आना
दस्त
अपच
मुँह में मीठा स्वाद
कफ दोष को संतुलित कैसे करें:
कफ प्रकृति वाले लोग आमतौर पर स्नेही, प्रेमपूर्ण और विचारशील होते हैं। लेकिन जब उनका कफ असंतुलित हो जाता है, तो वे काफी ज़िद्दी और अविवेकी हो सकते हैं। शरीर से विषाक्त पदार्थों और तनाव को बाहर निकालने के लिए, निम्नलिखित चीज़ों को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए।

नयापन तलाशें:
कफ आमतौर पर ठंडे, भारी और सघन गुणों से जुड़ा होता है, इसलिए किसी चीज़ में रुचि और रुचि बनाए रखने के लिए उन्हें निरंतर उत्तेजना की आवश्यकता होती है। अपनी दिनचर्या में बदलाव लाकर और लगातार नई चीज़ें अपनाकर आप आवश्यक उत्तेजना और उत्साह प्राप्त कर सकते हैं। कफ को कम करने के तरीके के बारे में जानें!
व्यायाम:
किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि शरीर के लिए अच्छी होती है। योग , टहलना, दौड़ना, तैरना आदि न केवल आपके शरीर को फिट रखने में मदद करते हैं, बल्कि आपके मल त्याग को नियमित करके और पेट को साफ़ रखकर शरीर से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद करते हैं। यह सहनशक्ति बढ़ाने और आपको मज़बूत बनाए रखने में भी मदद करता है।
गर्म रहें:
कफ दोष वाले लोग आमतौर पर ठंडी और नम जगहों के प्रति संवेदनशील होते हैं। इसलिए उन्हें गर्म रहने की सलाह दी जाती है। हीट पैड का इस्तेमाल या गर्म कपड़े पहनने से आपको काफी फायदा हो सकता है।
कफ दोष दूर करने के लिए डिटॉक्सीफाई करें:
क्या आप सोच रहे हैं कि कफ दोष को कैसे संतुलित किया जाए? डिटॉक्सीफिकेशन डाइट अपनाएँ। इसे हफ़्ते में एक बार करने से शरीर से मुक्त कणों को बाहर निकालने और पाचन तंत्र से किसी भी तरह की जकड़न को दूर करने में मदद मिल सकती है। आंतों में अपशिष्ट जमा होने से पेट की बीमारियाँ, अपच, एसिडिटी और गैस जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। अपच से बचने के लिए, तरल और फलों पर आधारित आहार शरीर की रुकावटों को दूर करने और आपके पाचन तंत्र और आंत को स्वस्थ और साफ़ रखने में मदद करेगा।
गर्म पदार्थों का सेवन करें:
अगर आपको कफ दोष को संतुलित करने के सवाल का जवाब चाहिए, तो अपने दैनिक आहार में गर्म पदार्थों को शामिल करना शुरू करें। हर्बल चाय और सूप जैसे गर्म पेय और दालचीनी, लौंग, अदरक जैसे मसाले कफ को उत्तेजित रखते हैं।
आयुर्वेदिक नेति-पात्र करें:
नाक साफ़ करने से फेफड़ों और श्वसन तंत्र में किसी भी प्रकार की जकड़न दूर करने में मदद मिलती है। इसे हर सुबह करने से कफ दोष को संतुलित करने में मदद मिल सकती है।

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24/08/2025

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24/08/2025

Hecla Lava Homoeopathic Medicine

मुख्य श्रोत

यह दवा आइसलैंड के माउंट Hecla ज्वालामुखी की राख (lava) से तैयार की जाती है।

प्रमुख लक्षण (Symptoms)

1. हड्डियों की बीमारियाँ

हड्डियों में सूजन (Osteitis)
हड्डियों में दर्द, खासकर जब दबाएँ
बोन ट्यूमर या हड्डियों के आसपास की वृद्धि
हड्डी की चोट के बाद तकलीफ़

2. दाँत और जबड़े की समस्याएँ
दाँत निकलने में दर्द (Teething trouble)
दाँतों की जड़ (roots) में सूजन
जबड़े (jaw) में दर्द और सूजन

3. ग्लैंड्स और टिश्यू
ग्रंथियों (glands) में सूजन और कठोरता
लंबे समय तक बनी रहने वाली सूजन

पोटेंसी (Potency)
प्रायः 3X, 6X, 30C में प्रयोग होती है।
Chronic (पुरानी) बीमारियों में अक्सर 30C या 200

13/08/2025

आर्टिमिसिया वल्गैरिस (Artemisia Vulgaris) Homoeopathic medicine

एक तरह के पौधे की ताजी जड़ या सोर से टिंचर तैयार होता है
1-साधारणतः मिर्गी के समान आक्षेप, बचपन में किसी बीमारी के साथ आक्षेप या चिहुकबाई ( convulsion ), युवती स्त्रियों की मिर्गी, डर से या अन्य किसी तरह की प्रबल उत्तेजना ,अनेक प्रकार के स्नायविक रोगों में इसका उपयोग होता है।

2-चोट – चोट लगते ही बहुत से लोग पहले आर्निका प्रयोग करते हैं। आर्टिमिसिया सिर्फ आँख में चोट लगने की और उससे उत्पन्न उपसर्गों की बढ़िया दवा है। इसका लगाने और खाने दोनों तरह से प्रयोग होता है। बाहरी प्रयोग के लिए 1 औंस डिस्टिल्ड वाटर में मूल-अर्क की 20-25 बून्द ( इसी हिसाब से ) मिला लेना चाहिए।

3-मिर्गी ( epilepsy ) – आर्टिमिसिया दवा पहले-पहल डॉ बोरिक से ली गई थी। होम्योपैथिक पद्धति से स्वस्थ शरीर पर परीक्षा नहीं हुई है। उपर्युक्त डॉक्टरों का कहना है – जिन युवती स्त्रियों के मासिक ऋतुस्राव नियमित समय पर नहीं होता उनको तथा जिन्हे पहली बार ऋतु-स्राव होने की उम्र में मिर्गी हो जाती है उनके लिए यह ज्यादा फायदेमंद है। इसके फिट का दौरा ( आक्षेप ) इतना जल्दी-जल्दी होता है कि रोगी को होश में आने का मौका ही नहीं मिलता। हिस्टेरो-एपिलेप्सी में टैरेंटुला हिस्पैनिया लाभदायक है।

क्रम – 30, 200 शक्ति

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31/07/2025

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31/07/2025

एबिस कैनाडैंसिस (ABIES CANADENSIS-PINUS CANADENSIS) Homoeopathic medicine

1- एबिस कैनाडैंसिस औषधि श्लैष्मिक झिल्लियों को प्रभावित करती है और आमाशय के रोग से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने में लाभदायक होती है। यह आंतों के रोगों को ठीक करने में बहुत ही सहायक औषधि है। कुपोषण तथा कमजोरी को दूर करने में यह बहुत उपयोगी है।

2- जिन रोगियों को सांस लेने में परेशानी होती है और हर समय लेटे रहने का मन करता है, त्वचा ठण्डी तथा चिपचिपी रहती है तथा हाथ ठण्डे पड़ जाते हैं और शरीर में अधिक कमजोरी महसूस होती है और जिसका दायां फेफड़ा व यकृत कठोर महसूस होता हैl

4-भूख अधिक लगने के साथ यकृत की क्रिया कमजोर हो जाना :- रोगी को पेट में खरोचने जैसी भूख अर्थात तेज भूख लगती है। खुरचन के कारण रोगी भूख से ज्यादा खाना खा जाता है, रोगी इतना अधिक खा लेता है कि उसे पता ही नहीं लगता कि उसने कितना खाया है, अधिक खाना खाने के कारण रोगी का पेट फूल जाता है जिसके कारण हृदय पर दबाव पड़ता है और हृदय की गति तेज होने लगती है। इससे हृदय की धड़कन बढ़ जाती है। इन लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एबिस कैनाडैंसिस औषधि प्रयोग करना चाहिए।

5-शरीर में अधिक कमजोरी महसूस होना तथा हर समय लेटे रहने की इच्छा करना - रोगी को अपने शरीर में बहुत अधिक कमजोरी महसूस होने लगती है, हर समय लेटे रहने का मन करता है और शरीर में सुस्ती होने लगती है। ऐसे लक्षण खान-पान में पौष्टिकता की कमी के कारण होता है l

6-रोगी को गाजर, शलजम तथा अचार खाने की इच्छा अधिक होती है, मोटा अन्न खाने की इच्छा भी बहुत अधिक होती है। रोगी को बहुत अधिक ठण्ड लगती है, शरीर में कमजोरी बहुत अधिक महसूस होती है, भूख तेज लगती है, चटनी तथा अचार खाने की इच्छा अधिक होती है।

7-दायें कन्धे के ब्लड (स्केपुला) में दर्द होना :- यदि किसी रोगी के दायें कन्धे में दर्द हो रहा हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए एबिस कैनाडैंसिस औषधि बहुत उपयोगी है।

8-ज्वर (बुखार) से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को बुखार कंपकंपी के साथ होता है, खून बर्फ के समान ठण्डा महसूस हो रहा हो, ठण्ड पीठ पर ऊपर से नीचे की ओर महसूस हो रही हो, ऐसा लग रहो हो कि हड्डी के जोड़ों के बीच ठण्डा पानी रख दिया गया हो तथा त्वचा चिपचिपी व लेसदार हो जाती है और रात को पसीना अधिक निकल रहा हो तो रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एबिस कैनाडैंसिस औषधि बहुत उपयोगी है।

मात्रा :-
एबिस कैनाडैंसिस औषधि की 30 व 200 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए।

28/04/2025

Homeopathic Remedies for OCD are
Some of the homeopathic medicine that have been found to be useful in treating the symptoms of OCD include:
.shukla
Argentum Nitricum: This remedy is for individuals, suffering from anxiety and compulsive behavior, where they feel compelled to do something or get something done, fast.
Syphilinum: Obsessive patients with ideas about dirt and cleanliness, constantly washing their hands or afraid of contamination.
Lachesis: Obsessive patients with extreme or vivid ideas of suspicion; even absurd reactions, primarily emotional.
Arsenicum Album: Excessive fear of germs and infection on the part of patients with too much cleaning and disinfecting.
Thuja Occidentalis: It is helpful for those individuals suffering from compulsive, repetitive rituals and the fear that something bad is going to happen if the person does not perform their rituals

24/03/2025

किसी किसी की हड्डियां असामान्य रूप से बढ़ जाता है। यह समस्या उन जगहों पर होती है जहां हड्डियां आपस में मिलती है यानी ज्वाइंट में बनने वाले उभार के पास कभी कभी हड्डी बढ़ जाती है। मेडिकल भाषा में इसे बोन स्पर या ओस्टियोफाइट्स कहा जाता है।

हड्डी बढ़ने पर आमतौर पर कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन जब रगड़ की वजह से हड्डियों में दबाव बढ़ता है तब अकड़न महसूस होती है, वहां दर्द होता है । हड्डी में किसी तरह की खराबी आती है जिसे हड्डी खुद ही रिपेयर करती है। इस दौरान बार-बार कैल्शियम जमा होता है जिसकी वजह से हड्डी बढ़ती है। अगर आप सर्जरी कराते हैं तो ऐसा देखा जाता है की कुछ समय बाद कही और जगह का हड्डी बढ़ रहा है। ऐसे में हड्डी बढ़ने का टेन्डेन्सी को भी ठीक करना जरुरी है। मैं आज आपको होम्योपैथिक दवा बताऊंगा जिससे हड्डी बढ़ने की समस्या ठीक हो जायेगा।

अगर किसी भी कारण से हड्डियों का असम-विकास हो, वे बढ़ जायें । तो ऐसे में Calcarea Flour 1m शकित की 2 बून्द हफ्ते में एक बार लेना है साथ में Calcarea Flour 6x की 4 गोली सुबह और शाम लेते रहना है।

अगर सिर या जबड़े की हड्डी बहुत बढ़ जाए। तो ऐसे में हेक्ला लावा 6x को 3 से 4 महीने लेना है। साथ में Calcarea Flour 1m की 2 बून्द 10 दिन में 1 बार ले लें।

अगर शरीर की लम्बी हड्डियाँ बहुत बढ़ने लगें तो ऐसे में फ़ॉसफ़ोरस 30 रोजाना एक बार लेना है, साथ में Calcarea Flour 1m की 2 बून्द 10 दिन में 1 बार ले लें।

अगर सिफ़िलिस के दोष के कारण हड्डियों का असम-विकास हो, तो ऑरम मेट 30 शक्ति रोजाना शुरू और शाम लेना है। साथ में Calcarea Flour 1m की 2 बून्द 10 दिन में 1 बार ले लें।

अगर कलाई की हड्डी बढ़ गई है तो ऐसे में Ruta 200 शक्ति की 2 बून्द रोजाना एक बार, साथ में Calcarea Flour 1m की 2 बून्द 10 दिन में 1 बार ले लें। .shukla

26/02/2025

नेट्रम सल्फ्यूरिकम Natrum Sulphuricum

परिचय-

नेट्रम सल्फ्यूरिकम औषधि उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती है जिनका रोग मौसम बदलने से बढ़ जाता है। इसके अलावा जो लोग समुद्र की हवा बर्दाश्त नहीं कर पाते उनके लिए भी ये औषधि लाभकारी है।

विभिन्न रोगों के लक्षणों में नेट्रम सल्फ्यूरिकम औषधि से होने वाले लाभ-

सिर से सम्बंधित लक्षण- रोगी के सिर के पीछे के हिस्से में बहुत तेजी से दर्द होने पर, कानों में इस प्रकार का दर्द होना जैसे कि किसी ने कोई नुकीली सी चीज चुभा दी हो, सिर का घूमता हुआ सा महसूस होना, खांसी होने पर रोगी को ऐसा लगता है जैसे कि उसका सिर फटने वाला है, कपाल का बहुत ज्यादा गर्म सा लगना, दाईं कनपटी में बहुत तेज दर्द लेकिन उसके होने से पहले आमाशय में जलन पैदा होना, सिर पर गिरने या दूसरे किसी प्रकार की चोट लग जाने के कारण होने वाली दिमागी परेशानिया आदि सिर के रोगों के लक्षणों के आधार पर रोगी को अगर नेट्रम सल्फ्यूरिकम औषधि दी जाए तो ये उसके लिए बहुत ही उपयोगी साबित होती है।

कान से सम्बंधित लक्षण- कान के रोग के लक्षणों में रोगी के कान में बहुत तेजी से दर्द होता है, उसको लगता है कि कान को अन्दर से खोदा जा रहा है, आर्द्र (गर्म) मौसम में कान के अन्दर सुई चुभने जैसा दर्द होना में रोगी को नेट्रम सल्फ्यूरिकम औषधि देने से लाभ होता है।

नाक से सम्बंधित लक्षण- रोगी को ठण्ड लग जाने के कारण उसकी नाक में से पीले रंग का, गाढ़ा और नमकीन सा श्लेष्मा निकलना, सर्दी-जुकाम होना, नाक में से खून का आना, झझैरिकाशोथ (एथोमाइडीटिस) आदि लक्षणों में रोगी को नेट्रम सल्फ्यूरिकम औषधि का सेवन कराने से लाभ होता है।

आंखों से सम्बंधित लक्षण- आंखों के अन्दर के सफेद भाग का पीला हो जाना तथा रोगी के रोशनी में आते ही आंखों का बंद हो जाना जैसे आंखों के रोगों के लक्षणों में रोगी को सल्फ्यूरिकम औषधि देने से लाभ होता है।

मुंह से सम्बंधित लक्षण- मुंह का स्वाद बिल्कुल खराब हो जाना, मुंह के अन्दर तालु पर छाले से निकलना, मुंह के अन्दर से सफेद, गाढ़ा, लेसदार, चिपचिपा सा बलगम आना आदि मुंह के रोगों के लक्षणों में रोगी को नेट्रम सल्फ्यूरिकम औषधि का सेवन कराना काफी लाभदायक रहता है।

आमाशय से सम्बंधित लक्षण- रोगी को खट्टी उल्टी होना, पेट का फूल जाना, रोगी की जीभ पर कत्थई रंग की कड़वे स्वाद वाली परत का जम जाना, जीभ का पीला हो जाना, रोगी को हर समय ठण्डा पानी पीने का मन करता रहता है, गर्मी के कारण होने वाली उल्टी, पेट में गैस बनने के कारण सीने में जलन महसूस होना जैसे लक्षणों में अगर रोगी को नेट्रम सल्फ्यूरिकम औषधि दी जाए तो ये उसके लिए काफी लाभकारी सिद्ध होती है।

पेट से सम्बंधित लक्षण- रोगी को मल के साथ आंव के जैसा पदार्थ आना, जिगर में जलन होना, रोगी को पीलिया होना, गर्मी के कारण उल्टी होना, जिगर को छूते ही दर्द सा होना, ज्यादा टाईट कपड़े पहने नहीं जाते, बाईं तरफ लेटने पर दर्द का ज्यादा होना, पेट का फूल जाना, पेट और मलद्वार में बहुत तेजी से जलन का होना, मल का तेजी से आना, मल का पानी जैसा पीले रंग में आना, गंदी गैस छोड़ते समय मल का आ जाना, नमीदार मौसम के बाद सुबह के समय तरल मल का आना जैसे लक्षणों के आधार पर रोगी को नेट्रम सल्फ्यूरिकम औषधि का सेवन कराने से लाभ मिलता है।

स्त्री रोगों से सम्बंधित लक्षण- मासिकस्राव के समय नाक में से खून का आना जो तीखा और बहुत ज्यादा मात्रा में आता है, मासिकस्राव के दौरान आहारनली में जलन होना, परिसर्पीय योनि में सूजन आना, स्त्रियों में पुरुषों को होने वाले सुजाक रोग की ही तरह योनि में से हरा-पीला सा पानी आना, योनि में से पानी आने के साथ गले की खराश होने जैसे लक्षणों में रोगी को नेट्रम सल्फ्यूरिकम औषधि देने से लाभ होता है।

मूत्र (पेशाब) से सम्बंधित लक्षण- रोगी को बार-बार और ज्यादा मात्रा में पेशाब आता है, जिसके कारण रात को उठकर कई बार पेशाब करना पड़ता है, पेशाब के साथ चीनी का आना, पेशाब के साथ ज्यादा मात्रा में स्राव का आना, पेशाब में ईंट के चूरे जैसा तलछट का आना, पेशाब के साथ पित्त का आना जैसे लक्षणों में रोगी को नेट्रम सल्फ्यूरिकम औषधि का सेवन कराना लाभकारी रहता है।

सांस से सम्बंधित लक्षण- रोगी को सांस लेने में परेशानी होना खासकर के आर्द्र (गर्म) नमीदार मौसम में, खांसी इतनी जोर से उठती है कि रोगी को हाथों से छाती को थामना पड़ता है, रोगी को दमे का दौरा सुबह 4 से 5 बजे के बीच में उठने के साथ छाती में गड़गड़ाहट होना, रोगी को खांसी होने के साथ हरे रंग का बलगम निकलता है, रोगी को गहरी लंबी सांस लेनी पड़ती है, रोगी को रात को सोते समय इतनी तेज खांसी होती है कि उसे उठकर बैठना पड़ता है, हर बार ताजी ठण्डी हवा लगने से दमे का दौरा उठता है, इन सारे लक्षणों में रोगी को नेट्रम सल्फ्यूरिकम औषधि का सेवन कराना काफी लाभकारी रहता है।

पीठ से सम्बंधित लक्षण- रोगी को कपड़े उतारते समय पीठ में खुजली होने लगती है, गर्दन के पीछे के हिस्से और दिमाग के हिस्से में बहुत तेजी से उठने वाला दर्द, स्कंध-फलकों (स्केप्युलाद्ध के बीच किसी चीज के चुभने जैसा दर्द होना, मेरुतानिकाशोथ (स्पीनल मेनीन्गिटीस) पीठ का आकार धनुष के जैसा हो जाना (ओपीस्थोटोनोसद्ध आदि पीठ के रोगों के लक्षणों में रोगी को नेट्रम सल्फ्यूरिकम औषधि का सेवन कराना काफी उपयोगी साबित होता है।

शरीर के बाहरी अंगों से सम्बंधित लक्षण- रोगी की कक्षा-ग्रंथियों में सूजन का आना, नाखूनों की जड़ के चारों तरफ जलन सी होना, पैरों के तलुओं में जलन महसूस होना, पैरों में पानी भर जाना, पैरों की उंगलियों के बीच में खुजली होना, गठिया का दर्द जो गर्म या ठण्डे मौसम में ज्यादा होता है, शरीर के अंगों में दर्द होने के कारण रोगी को बार-बार अपने बैठने की जगह बदलनी पड़ती है, शरीर पर कटे-फटे सी जख्म पैदा होना, नितंब के जोड़ों में दर्द होना, घुटनों का कठोर हो जाना जैसे लक्षणों में नेट्रम सल्फ्यूरिकम औषधि का सेवन लाभकारी रहता है।

चर्म (त्वचा) से सम्बंधित लक्षण- रोगी को सर्दी वाले मौसम में एक्जिमा से पानी निकलता है, रोगी जब कपड़े उतारता है तो उसे खुजली चालू हो जाती है, रोगी के पूरे शरीर में सुर्ख मस्से से निकल जाते हैं, इन सारे लक्षणों के आधार पर रोगी को नेट्रम सल्फ्यूरिकम औषधि का सेवन कराने से लाभ मिलता है।
पुरुष से सम्बंधित लक्षण- रोगी को सूजाक रोग होने के कारण पीले हरे रंग का स्राव का आना, रोगी को स्राव गाढ़ा और दर्द के साथ आता है, शाम के समय रोगी की यौन उत्तेजना तेज होने के कारण उसकी संभोग करने की इच्छा तेज हो जाती है। इस तरह के पुरुष रोगों के लक्षणों में रोगी को नेट्रम सल्फ्यूरिकम औषधि देने से आराम मिलता है।

वृद्धि-
ठण्ड लगने के कारण, पानी वाले या सीलन वाले स्थान में रहने से, पीठ के बल लेटने से, बाईं करवट लेटने से, किसी तरह ही हरकत करने से और सुबह के समय रोग बढ़ जाता है।

शमन- दबाने से, स्थान बदलने से, गर्म मौसम में रोग कम हो जाता है
पूरक-
आर्स, थूजा
तुलना-नेट्रम फ्यूरिकम औषधि की तुलना नेट्रम सिक्सनेट, मलेरिया ऑफिसिनैलिस, नेट्रम कोलीनिकम, मोमोर्डिका, पुल्मोबुल्पिस, पियूमस बोल्डस, नेट्रम आयोडेटम, नेट्रम हाइपोसल्फ, सल्फ, थूजा, मर्क्यू और सिटलिगि से की जा सकती है।
मात्रा- रोगी को सल्फ्यूरिकम औषधि की 1x से 12x शक्ति के विचूर्ण देने से लाभ होता है।

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09/02/2025

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04/07/2024

पीरियड्स की परेशानियों का होम्योपैथिक ईलाज

क़ोक़्क़लस–इंडिका (COCCULAS–INDICA 200) : पेट के निचले हिस्से में अत्यधिक दर्द व ऐंठन होना। पीरियड्स के समय बहुत कमजोरी लगना, कब्ज रहना, गर्दन के पिछले हिस्से में दर्द रहना, चक्कर आना, कमर दर्द होना। पीरियड्स में काले रंग का खून निकलता है।

केमोमिला (CHAMOMILA 200) : पीरियड्स मे बहुत दर्द होता है। रोगी बहुत ही चिड़चिड़ी हो जाती हैं, बहुत ज्यादा क्रोध आता हैं।

कोलोफायलाम(CAULOPHYLUM 30) : पीरियड्स में अत्यधिक दर्द होना, पीरियड्स शुरू होने के पहले पेट के निचले हिस्से में ऐंठन होती है। कमर में दर्द होता है। कभी-कभी पित्त की उल्टी भी हो जाती है।

सिमिसीफुगा (CIMICIFUGA 200) : कमर में अत्यधिक दर्द होना। ज्यादा ब्लीडिंग होने पर ज्यादा दर्द होना। हाथ-पैरों में दर्द होना।

पल्‍सटिला (PULSATILLA 30) : इसे महिलाओं की औषधि भी कहते हैं। पीरियड्स रुक जाने पर या अनियमित होने पर होने वाली तकलीफ में उपयोगी हैं। रोगी को पूरे महीने यही लगता है कि उसका पीरियड आने वाला है। छोटी-छोटी बातों पर रोना आता है। दर्द अपना स्थान बदलते रहता है, कभी पेट में दर्द होता है, तो कभी कमर में तो, कभी जांघो में दर्द होता है।

जेल्सीमियम (GELSIMIUM 30) : हाथ-पैरों में कंपन हो, चक्कर आये, सुस्ती रहे, थकान रहे, सोते रहने का मन हो, ब्लड-प्रेशर कम हो जाए तो ये उपयोगी है।
Dr.Shukla
मेग–फॉस (MAG-PHOS 6X) : पीरियड्स के दर्द में सिकाई करने पर आराम लगे। दर्द चारों तरफ फैलता हुआ लगे। पीरियड्स समय से पहले आए, शरीर में सूजन आ जाए, पेट दर्द में आगे झुकने पर दर्द कम लगे, पेट फूला हुआ लगे तो ये उपयोगी है।

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