Aajeevan Arogya Speciality Homoeopathic and Aesthetic Clinic

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Aajeevan Arogya Speciality Homoeopathic and Aesthetic Clinic clinic open every day from 4 to 8 pm except saturday

05/01/2023

बड़ी शिकायत थी तुझसे ऐ ज़िन्दगी लेकिन जब ये मंजर देखा तो सारी शिकायत छोड़ दी हमने...💔😭

16/10/2022

Reality of World Hunger Index.

07/10/2022

The cancer wards on Mumbai’s footpaths…

Here’s a picture of belief. And hope. The belief that he can be healed has brought this poor man from God knows where to the Tata Memorial Hospital in Mumbai looking for a cure to his cancer. And hope in this premier institute that offers free treatment has kept him alive. He has nowhere to go. The hospital is overflowing with underprivileged patients and packed like a cricket stadium on a World Cup final. So after his daily session of radiation or chemotherapy, like hundreds of others with cancer who have come from across India and even neighbouring countries, he goes to sleep on the footpath outside the hospital. The battle against the killer disease is long and exhausting. And the hospital cannot accommodate everyone. Entire families are living outdoors in this fashion. It is like one large, bustling cancer ward in the open. I don’t know what they do in the monsoon. Walking around this depressing scene, I realized that how they were living didn’t matter to these poor, homeless people. They were being treated free. That mattered more than anything else. It’s heart-wrenching.
The more up close and personal I get with illness, the more I wonder why our elections are fought on promises of mandir and masjid, job reservation and quota. The urgent need of the country is advanced and affordable healthcare. Which no government thinks about. The terminally ill today, you think they are worrying about where to worship tomorrow? Or what government job their caste certificate will bring the day after? And whether Narendra Modi will become Prime Minister or Rahul Gandhi? I don’t think so. Tomorrow is not promised to anybody. Least of all the poor who have cancer and have no money and influence. Without these, they are at the mercy of their God. And that’s not a reassuring thought because if their God really cared, then they would not have cancer in the first place. Nor their children. You don’t know what heartache is until you have seen these painfully ill children with cancer sitting on the footpaths with dead expressions, no hair and eyebrows and sparkle in their eyes, and without their youthful exuberance. The day you’ve got a problem with your fancy car, your gym membership, your apartment in upmarket Mumbai, your high-end phone, your summer vacation abroad, your investments in cash and kind, take a walk outside the Tata Memorial Hospital. It will give you a reality check. Maybe even a new look at your life.

26/09/2022

#हमीरपुर जिले के #बदनपुर गांव की #फूलमती बुंदेलखंड की धरती पर वह कर रही हैं, जिसे देखकर पुरुष भी दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। इतनी पढ़ी लिखी तो हैं नहीं कि पायलट बन सकें, लेकिन ऊपर वाले ने बाजुओं में वो ताकत जरूर दी है कि अपने पौरुष से सम्मानपूर्वक परिवार का पालन-पोषण कर सकें।
पति नशेबाज व अकर्मण्य निकला तो वह प्रतिदिन हमीरपुर से बदनपुर के बीच रिक्शा चलाकर सवारियां ढोती हैं।और अपने बच्चो का पालन पोषण करती है

फूलमती देवी उन महिलाओं के लिए भी प्रेरणाश्रोत है जो अपने पति की नशे की आदत से तंग आकर गलत कदम उठा लेती है

प्रणाम "इस महान महिला " को जो मेहनत करके पैसा कमा रही है। ईश्वर इन पर जल्दी कृपा करे ......!!
Anand Mahindra

18/09/2022
13/09/2022

#हथोड़े से सारे #दांत तोड़े,

उनके नाखून खींच लिए,

सभी हड्डियों तोड़ी,

अंतिम संस्कार न करके
पार्थिव शरीर को खाड़ी में फेंका!

ऐसे दधीचि जैसा क्रांतिकारी कौन था?

इतनी यातनाएं सहने के बाद भी जिसने अपने अंतिम सन्देश में कहा:-
"मौत मेरे दरवाजे पर दस्तक दे रही है, केवल मेरा एक सुनहरा सपना है-स्वतंत्र भारत का सपना .... कभी भी चटगांव क्रांति को मत भूलना ...अपने दिल में देशभक्तों के नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखना जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता की वेदी पर अपना जीवन बलिदान किया है।"

वो थे मास्टर_सूर्यसेन...

जिन्होंने इंडियन_रिपब्लिक_आर्मी की स्थापना की,

जो चटगांव की क्रांति के नायक थे,

जिन्होंने अंग्रेजो के शस्त्रागार को लूट कर चटगांव में अंग्रेजी शासन को समाप्त किया और 1930 में तिरंगा फहराया....

ऐसी महान आत्मा को नमन🙏🚩

07/09/2022

किसी दिन सुबह उठकर एक बार इसका जायज़ा लीजियेगा कि कितने घरों में अगली पीढ़ी के बच्चे रह रहे हैं? कितने बाहर निकलकर नोएडा, गुड़गांव, पूना, बेंगलुरु, चंडीगढ़,बॉम्बे, कलकत्ता, मद्रास, हैदराबाद, बड़ौदा जैसे बड़े शहरों में जाकर बस गये हैं?
कल आप एक बार उन गली मोहल्लों से पैदल निकलिएगा जहां से आप बचपन में स्कूल जाते समय या दोस्तों के संग मस्ती करते हुए निकलते थे।
तिरछी नज़रों से झांकिए.. हर घर की ओर आपको एक चुपचाप सी सुनसानियत मिलेगी, न कोई आवाज़, न बच्चों का शोर, बस किसी किसी घर के बाहर या खिड़की में आते जाते लोगों को ताकते बूढ़े जरूर मिल जायेंगे।
आखिर इन सूने होते घरों और खाली होते मुहल्लों के कारण क्या हैं ?
भौतिकवादी युग में हर व्यक्ति चाहता है कि उसके एक बच्चा और ज्यादा से ज्यादा दो बच्चे हों और बेहतर से बेहतर पढ़ें लिखें।
उनको लगता है या फिर दूसरे लोग उसको ऐसा महसूस कराने लगते हैं कि छोटे शहर या कस्बे में पढ़ने से उनके बच्चे का कैरियर खराब हो जायेगा या फिर बच्चा बिगड़ जायेगा। बस यहीं से बच्चे निकल जाते हैं बड़े शहरों के होस्टलों में।
अब भले ही दिल्ली और उस छोटे शहर में उसी क्लास का सिलेबस और किताबें वही हों मगर मानसिक दबाव सा आ जाता है बड़े शहर में पढ़ने भेजने का।
हालांकि इतना बाहर भेजने पर भी मुश्किल से 1% बच्चे IIT, PMT या CLAT वगैरह में निकाल पाते हैं...। फिर वही मां बाप बाकी बच्चों का पेमेंट सीट पर इंजीनियरिंग, मेडिकल या फिर बिज़नेस मैनेजमेंट में दाखिला कराते हैं।
4 साल बाहर पढ़ते पढ़ते बच्चे बड़े शहरों के माहौल में रच बस जाते हैं। फिर वहीं नौकरी ढूंढ लेते हैं । सहपाठियों से शादी भी कर लेते हैं।आपको तो शादी के लिए हां करना ही है ,अपनी इज्जत बचानी है तो, अन्यथा शादी वह करेंगे ही अपने इच्छित साथी से।
अब त्यौहारों पर घर आते हैं माँ बाप के पास सिर्फ रस्म अदायगी हेतु।
माँ बाप भी सभी को अपने बच्चों के बारे में गर्व से बताते हैं । दो तीन साल तक उनके पैकेज के बारे में बताते हैं। एक साल, दो साल, कुछ साल बीत गये । मां बाप बूढ़े हो रहे हैं । बच्चों ने लोन लेकर बड़े शहरों में फ्लैट ले लिये हैं।
अब अपना फ्लैट है तो त्योहारों पर भी जाना बंद।
अब तो कोई जरूरी शादी ब्याह में ही आते जाते हैं। अब शादी ब्याह तो बेंकट हाल में होते हैं तो मुहल्ले में और घर जाने की भी ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है। होटल में ही रह लेते हैं।
हाँ शादी ब्याह में कोई मुहल्ले वाला पूछ भी ले कि भाई अब कम आते जाते हो तो छोटे शहर, छोटे माहौल और बच्चों की पढ़ाई का उलाहना देकर बोल देते हैं कि अब यहां रखा ही क्या है?
खैर, बेटे बहुओं के साथ फ्लैट में शहर में रहने लगे हैं । अब फ्लैट में तो इतनी जगह होती नहीं कि बूढ़े खांसते बीमार माँ बाप को साथ में रखा जाये। बेचारे पड़े रहते हैं अपने बनाये या पैतृक मकानों में।
कोई बच्चा बागवान पिक्चर की तरह मां बाप को आधा - आधा रखने को भी तैयार नहीं।
अब साहब, घर खाली खाली, मकान खाली खाली और धीरे धीरे मुहल्ला खाली हो रहा है। अब ऐसे में छोटे शहरों में कुकुरमुत्तों की तरह उग आये "प्रॉपर्टी डीलरों" की गिद्ध जैसी निगाह इन खाली होते मकानों पर पड़ती है । वो इन बच्चों को घुमा फिरा कर उनके मकान के रेट समझाने शुरू करते हैं । उनको गणित समझाते हैं कि कैसे घर बेचकर फ्लैट का लोन खत्म किया जा सकता है । एक प्लाट भी लिया जा सकता है।
साथ ही ये किसी बड़े लाला को इन खाली होते मकानों में मार्केट और गोदामों का सुनहरा भविष्य दिखाने लगते हैं।
बाबू जी और अम्मा जी को भी बेटे बहू के साथ बड़े शहर में रहकर आराम से मज़ा लेने के सपने दिखाकर मकान बेचने को तैयार कर लेते हैं।
आप स्वयं खुद अपने ऐसे पड़ोसी के मकान पर नज़र रखते हैं । खरीद कर डाल देते हैं कि कब मार्केट बनाएंगे या गोदाम, जबकि आपका खुद का बेटा छोड़कर पूना की IT कंपनी में काम कर रहा है इसलिए आप खुद भी इसमें नहीं बस पायेंगे।
हर दूसरा घर, हर तीसरा परिवार सभी के बच्चे बाहर निकल गये हैं।
वही बड़े शहर में मकान ले लिया है, बच्चे पढ़ रहे हैं,अब वो वापस नहीं आयेंगे। छोटे शहर में रखा ही क्या है । इंग्लिश मीडियम स्कूल नहीं है, हॉबी क्लासेज नहीं है, IIT/PMT की कोचिंग नहीं है, मॉल नहीं है, माहौल नहीं है, कुछ नहीं है साहब, आखिर इनके बिना जीवन कैसे चलेगा?

भाईसाब ये खाली होते मकान, ये सूने होते मुहल्ले, इन्हें सिर्फ प्रोपेर्टी की नज़र से मत देखिए, बल्कि जीवन की खोती जीवंतता की नज़र से देखिए। आप पड़ोसी विहीन हो रहे हैं। आप वीरान हो रहे हैं।
आज गांव सूने हो चुके हैं
शहर कराह रहे हैं |
सूने घर आज भी राह देखते हैं.. वो बंद दरवाजे बुलाते हैं पर कोई नहीं आता...!!!!!
अज्ञात

Address

Bansi Road , Bargadwa , ( Badewan Over Bridge Say 500 Agay)
Basti
272001

Opening Hours

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Tuesday 4pm - 8pm
Wednesday 4pm - 8pm
Thursday 4pm - 8pm
Friday 4pm - 8pm
Sunday 4pm - 8pm

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