29/07/2024
Paralysis/लकवा
हमारा दिमाग दो तरह से काम करता है
(1) Sensory nervous system
(2) Motor nervous system
जब यह दोनों System काम करना बंद कर दें तो उसे Paralysis/ लकवा बोलते हैं लकवा मांसपेशियों का रोग है, जब शरीर के किसी एक हिस्से की मासपेशियां काम करना बंद कर देती हैं, तो उसे लकवा मार दिया कहते हैं। लकवे के दौरान लकवा पीड़ित व्यक्ति शरीर की एक या उससे अधिक मांसपेशियों को हिला नहीं पाता। लकवा शरीर के किसी एक हिस्से में हो सकता है या पुरे शरीर में भी हो सकता है। इसमें शरीर के लकवा पीड़ित हिस्से और मस्तिष्क में ठीक से संचार नहीं होता। लकवा होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे की खराब खानपान, बदलता खानपान इत्यादि।
Paralysis/लकवा के प्रकार क्या हैं?
Paralysis या लकवा का एक या उससे ज़्यादा हिस्से प्रभावित हो सकते हैं। लकवा से शरीर का कितना हिस्सा प्रभावित होता है , इससे लकवा के प्रकार बनाये गए हैं।
Monoplegia लकवा शरीर के किसी एक हिस्से को प्रभावित करता है। इसमें ज़्यादातर एक बाह प्रभावित हो सकती है। मोनोप्लेजिक लकवा या मोनोप्लेजिया कई कारणों से हो सकता है जैसे की सेरिब्रल पाल्सी, स्ट्रोक ज़्यादातर लोकलाइज़्ड स्ट्रोक।
Hemiplegia लकवा में शरीर का एक तरफ का पूरा हिस्सा प्रभावित होता है। इसमें एक तरफ का हाथ, पैर, कंधा सीना , चेहरा , पैर प्रभावित होते हैं। यह ब्रेन के एक हिस्से को नुकसान होने की वजह से हो एकता है, आमतोर पर प्रभावित दिमाग का हिस्से शरीर के दूसरी साइड को कंट्रोल करता है। यह ब्रेन स्ट्रोक , ट्यूमर इत्यादि की वजह से हो सकता है।
Paraplegia इस प्रकार के लकवा में दोनों पैर और धड़ का निचला हिस्सा प्रभावित होता है।
Quadriplegia or Tetraplegia यह गर्दन के नीचे का लकवा है, इसे Tetraplegia भी कहा जाता है। इसमें शरीर के दोनों हाथ दोनों पैर धड़ प्रभावित होता है। यह ज़्यादातर तब होता है जब आपकी रीढ़ की हड्डी में चोट लगे।
Bell's palsy यह शरीर में आम तोर पर चेहरे का लकवा होता है। इसमें चेहरे की मासपेशियां प्रभावित होती हैं। इसके लक्षण मेह टेढ़ा होना है जिसके कारण खाना खाने में तकलीफ हो सकती है।
लकवा के लक्षण
लकवा के लक्षण आम तोर पर पहचाने नहीं जाते। लकवा में मरीज को लकवा ग्रस्त हिस्सा मह्सूस होना बंद हो जाता है। लकवा से उस हिस्से की मांसपेशियों में नियंत्रण नहीं रहता। लकवा शरीर के किसी एक या एक से ज़्यादा हिस्से में भी हो सकता है। लकवा होने के दौरान कुछ लक्षण देखे जा सकते हैं जैसे की -
शरीर का हिस्सा सुन्न होना या शरीर का संतुलन बिगड़ना।
सर में दर्द होना, यह दर्द काफी तेज़ भी हो सकता है। (Headache)
अक्सर साँस लेने में भी कठिनाई हो सकती है। (Breathing difficulty)
मुँह से खुद ब खुद लार गिरना।
बोलने, समझने, सोचने, लिखने पढ़ने में कठिनाई हो सकती है।
मूत्राशय या आंतो पर नियंत्रण में कमी होना।
व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आना। (Behavioural changes)
(Hearing and speech deficit)
(Nausea and vomiting)
बेचैन होना (anxiousness)
प्रभावित हिस्से में दर्द होना। (pain in affected area)
लकवा होने के कारण
लकवा होने के कई कारण हो सकते हैं, लकवा शरीर के किसी भी एक हिस्से या एक से ज़्यादा हिस्से को प्रभावित कर सकता है। इसके कुछ कारण निचे लिखे हैं:
रीढ़ की हड्डी में चोट (spinal injury) - रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से शरीर की किसी हिस्से और ब्रेन की बीच Signal पहुंचाने में दिक्कत या रुकावट आ सकती है , जिसके कारण लकवा हो सकता है। चोट लगने का स्थान और उसकी गंभीरता से यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है की शरीर का कितना हिस्सा प्रभावित होगा।
कुछ प्रकार की बीमारिया - कुछ नसों की बीमारियां या कुछ और स्तिथियाँ जो नस या मांसपेशियों को नुकसान पहुचाये , उससे भी लकवा हो सकता है। जैसे की पोलियो , सेरिब्रल पाल्सी , या कुछ प्रकार के मस्कुलर डिस्ट्रोफिक सिंड्रोम।
Stroke जब ब्रेन के किसी हिस्से में ब्लड सप्लाई कुछ समय के लिए नहीं पहुंच पाता हो वह उस ब्रेन के हिस्से को नुक्सान पंहुचा सकता है जिसके कारण लकवा हो सकता है। भारत में लकवा का सबसे आम कारण स्ट्रोक है।
मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस (Multiple sclerosis)- यह एक प्रकार की Autoimmune बीमारी है। इसके कारण लकवा और अन्य काफी समस्याएं हो सकती हैं।
Poliomyelitis
Peripheral neuropathy
Trauma
Cerebral palsy
Spina bifida
Hypokalemia
Parkinsonism
लकवा की डायग्नोसिस/निदान
कुछ टेस्ट या परीक्षणों से लकवा के कारण का पता लगाया जा सकता है
Blood test- लकवा के लक्षणों का पता लगाने में मदद करता है जैसे की सूजन, Autoimmune diseases)इत्यादि।
Biopsy से कई प्रकार की बीमारियों का पता लगाया जा सकता है जैसे की Muscular dystrophy या
Neuromuscular diseases इस प्रोसेस में माइक्रोस्कोप की सहायता से मांसपेशियों का एक छोटा हिस्सा निकाल कर उसे स्टडी किया जा सके।
Imaging tests कई प्रकार की imaging तकनीक जैसे की X-Ray , पेट PET scan,MRI scan इत्यादि से भी लकवा के कारणों का पता लगाया जा सकता है।
लकवा अक्सर परमानेंट होता है पर कुछ ट्रीटमेंट्स से लकवा के लक्षण को बढ़ने से रोका जा सकता है और कुछ प्रकार में कुछ हद तक कम भी किया जा सकता है।
Physiotherapy से मांसपेशियों में ताकत में सुधर हो सकता है अगर नियमित रूप से की जाये तो।
लकवा के शुरुआती लक्षण क्या होते हैं?
लकवे के कुछ शुरुवाती लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं
जुबान तुतलाना, (slurred speech)
हाथ में झुनझुनी, (vibrations in hand)
मुंह टेढ़ा होना । (deviated mouth)
इन लक्षो के अल्वा भी कुछ लक्षण हो सकते हैं जैसे की
बार-बार चक्कर आना, (frequent fainting)
डबल विज़न या दोहरा दिखना, (double vision)
चलने में संतुलन बिगड़ना (trouble walking)
यदि आपको इनमे से कुछ नजर आता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
पैरालिसिस अटैक से पहले क्या होता है?
लकवा के पहले से शरीर में आम तोर पर कोई लक्षण नज़र नहीं आते। बहुत कम मामलों में इसका पहले से पता लगाया जा सकता है। यह बहुत जल्दी होता है, मरीज कुछ समझ पाए या स्थिति को संभाल पाए उससे पहले लकवा अटैक आ चूका होता है। लकवा का पहले से पता नहीं चल पाता है लेकिन जिन लोगों को पहले भी लकवा आता है उन्हें सावधान रहना चाहिए।
लकवा का पता कैसे लगाया जाता है?
लकवा के कुछ लक्षण हो सकते हैं जिससे पता लगाया जा सकता है जैसे की
बोलने में दिक्कत होना (Difficulty in Talking)
शरीर के एक हिस्से में कमजोरी होना (Weakness)
लकवा से बचने के लिए क्या खाना चाहिए?
लकवा के मरीज खानपान में ऐसी चीज़ों का सेवन करें जिनमें पोटैशियम भरपूर मात्रा में मौजूद होता है। खाने में फल, सब्जियों और दूध के उत्पादों का सेवन करें। कई फल जैसे केला, एप्रिकोट, संतरा, सेब का सेवन करन चाहिए । सब्जियों में आलू, शकरकंद, स्पालक , टमाटर का सेवन करें। ऐसा खाना खाये जिसमे में पोटैशियम भरपूर मात्रा में हो।
लकवा का इलाज
कुछ होमियोपैथीक दवा
(Homoeopathic Medicine)
अपना अनुभव (Experience)
आप लोगों से Share कर रहे हैं
(1) Causticum
(2) Arnica Mon
(3) Gelsemium
(3) Plambum Met
(4) Hypericum
(5)Argentum Nit
यह कुछ होमियोपैथीक दवा है जो लक्षणों के आधार पर और डॉक्टर के सलाह से दें
(Self Treatment) नहीं करें क्योंकि हर एक Patient का लक्षण अलग होता है लक्षण के आधार पर दवा बदल जात है
Dr.H.M.Monibullah