Advance Ayurved

Advance Ayurved आयुर्वेद, योग, एवं स्वास्थ्य सम्बंधित जानकारी एवं घरेलू चिकित्सा हेतु जुड़े रहें, आप हमसे अपने स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं के बारे में भी सलाह ले सकते हैं।

अगर मूत्रत्याग करते समय किसी प्रकार का कष्ट हो रहा है तो मिश्री के साथ यवक्षार या फिर गुड़ के साथ थोड़ा गर्म दूध लें यह मू...
21/09/2025

अगर मूत्रत्याग करते समय किसी प्रकार का कष्ट हो रहा है तो मिश्री के साथ यवक्षार या फिर गुड़ के साथ थोड़ा गर्म दूध लें यह मूत्रकृच्छता में फायदेमंद होता है। यह वातज प्रकार के या अश्मरी के कारण होने वाले मूत्रत्याग के दर्द में उपयोगी है।

21/09/2025

त्रिकटु चूर्ण एवं हरीतिकी 3:1 के अनुपात में लेकर गुड़ मिलाकर की चासनी बनाएं यह खांसी में तुरंत आराम देता है। तथा भूख भी बढ़ाता है।

14/09/2025
 #अवसाद( ) तेजी से बढ़ता हुआ एक मानसिक असंतुलनआज के भौतिक एवं आर्थिक युग मे मनुष्य शारीरक एवं मानसिक स्वास्थ्य को बहुत पी...
13/09/2025

#अवसाद( ) तेजी से बढ़ता हुआ एक मानसिक असंतुलन
आज के भौतिक एवं आर्थिक युग मे मनुष्य शारीरक एवं मानसिक स्वास्थ्य को बहुत पीछे छोड़ चुका है दिनचर्या अस्त व्यस्त है, औऱ जो थोड़े सजग लोग हैं वो केवल शारिरिक स्वास्थ की तरफ ही ध्यान देते हैं मानसिक स्वास्थ्य को वो लोग भी बहुत दूर छोड़ आये हैं। मानसिक संतुष्टि बहुत ही कम लोगों के पास है औऱ यकीन मानिए कि अगर आप मानसिक रूप से सन्तुष्ट हैं तो आप ही सबसे ज्यादा सुखी इंसान हैं
अगर आप मानसिक रूप से स्वस्थ नही हैं तो ये आपके शारीरिक स्वास्थ्य के लिये तो हानिकारक है ही साथ ही साथ ये आपके आसपास के समाज मे भी नकारात्मक संदेश देता है
अगर कोई व्यक्ति थोड़ा सा भी अवसाद ग्रस्त है , या किसी प्रकार की चिंता में है या तनाव युक्त जीवन मे है तो उसका सीधा असर उसके शारीरक स्वास्थ्य पर पड़ता है जिसका सबसे पहले प्रत्यक्ष रूप से असर आपके पाचन तंत्र पर आता है औऱ साथ ही साथ ये ह्रदय रोग, डायबटीज , अनिद्रा आदि रोगों को जन्म देता है। औऱ इन रोगों के प्रति व्यक्ति चिंतित तो होता है औऱ उसके उपचार के प्रति सजग भी रहता है पर मानसिक स्वास्थ्य की तरफ उसका ध्यान तब भी नही जाता जब तक कि मानसिक अस्वस्थता के लक्षण स्पष्ट रूप से न दिखने लगें।
आजकल मानसिक अस्वस्थता में अवसाद ( depression) बहुतायात से देखा जाता है व्यक्ति को पता भी नही चलता औऱ वह धीरे धीरे डिप्रेशन का शिकार होता जाता है (silent killer depression) अवसाद एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति स्वयं को लाचार बेबस असफल औऱ अकेला महसूस करता है। उस व्यक्ति-विशेष के लिए सुख, शांति, सफलता , पद , प्रतिष्ठा का कोई मतलब नही रह जाता है उसके मन मे घोर निराशा, अशांति होती है औऱ व्यक्ति को तनाव भी अधिक रहता है औऱ कभी कभी तो यह रोग इतना गंभीर होता जाता है कि व्यक्ति आत्महत्या जैसे गम्भीर कदम तक उठा लेता है यह एक प्रकार depressive disorder है इसमे व्यक्ति को भूख कम लगना, नींद न आना एवं वजन में कमी हो जाना प्रमुख है इस डिसऑर्डर में व्यक्ति का activation level कम हो जाता है यह depressive disorder दो प्रकार का हो सकता है
1 dysthymic disorder
2 major depressive disorder
Dysthymic disorder में mood depression कई सालों तक चलता रहता है इस प्रकार के disorder में व्यक्ति बीच बीच मे सामान्य प्रतीत होता है
Major depressive disorder में व्यक्ति प्रत्येक चीज में अपनी अभिरुचि खो देता है, स्पष्ट रूप से सोचने की क्षमता का भी ह्रास हो जाता है इसमे suicidal tendency अधिक देखने को मिलती है
इसमे अब सवाल ये उठता है कि व्यक्ति अवसाद जैसी स्थिति में जाता क्यों है

अवसाद क्यों?....

अधिकतर यह अवस्था व्यक्ति के प्रेम संबंध को लेकर गंभीर होती है। किसी भी व्यक्ति के जीवन में किसी के प्रति बहुत अधिक लगाव इसका प्रमुख कारण हो सकता है। अवसाद के भौतिक कारण भी अनेक होते हैं। इनमें आनुवांशिकता, हार्मोनल डिसबैलेंस , मौसम, लगातार तनाव एवं चिंता , लंबे समय तक किसी बीमारी से ग्रस्त रहना , किसी भी नशे की आदत होना , अप्रिय स्थितियों में लंबे समय तक रहना, आदि प्रमुख हैं। मनोविश्लेषकों के अनुसार अवसाद के कई कारण हो सकते हैं। यह मुख्यतः किसी की व्यक्तिगत सोच पर निर्भर करता है। इसके अलावा अवसाद की मुख्य वजह जैविक, आनुवांशिक और मनोसामाजिक होती है । साथ ही साथ शरीर के neurochemical factors (norepinephrine व seretonin ) में परिवर्तन होना अवसाद का प्रमुख कारण है

प्रमुख लक्षण-

व्यक्ति के जीवन मे जो दुखद घटनाएं हुई हैं उन्हें याद करते रहना।
हमेशा उदास रहना ,
एकांत में रहना खालीपन महसूस करना,
नींद में कठिनाई, एक बार नींद खुल जाने पर पुनः नींद का नही आना, इसके विपरीत कई लोगों को बहुत ही ज्यादा नींद आना।
घोर निराशावादी हो जाने के कारण उसे किसी भी कार्य मे उत्साह नही रहता , साधारण क्रियाओं में भी interest नही रहता।
जो घटना उसके बस में नही उनके लिये खुद को जिम्मेदार मानना ।
हमेशा थकान ,कमजोरी या अन्य कोई शारीरिक समस्या का बना रहना ,
भूख कम लगना, वजन का लगातर कम होते जाना ।
Digestive problem ( जैसे पेट दर्द, भूख न लगना) रहना औऱ जांच कराने पर कोई किसी प्रकार की विकृति का न पाया जाना।
अकेलापन अच्छा लगना ,
समाज से दूर रहना ,
किसी काम मे मन न लगना,
एकाग्रता में कठिनाई
मृत्यु या आत्महत्या का बार बार मन मे विचार आना
ये कुछ प्रमुख लक्षण हैं जो अवसाद ग्रस्त रोगी में मिलते हैं ,

अब आजकल तेजी से बदलती दुनिया का मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत गहरा असर पड़ रहा है इसलिए आप अपने मानसिक स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें अपने दोस्तों का परिवार वालो का साथ दे साथ ले , खुश रहें, संतुष्ट रहें, ईश्वर में आस्था बनाएं रखें।

कुछ सामान्य दिनचर्या है उसे जरूर अपनाएं रखें
जैसे कि
सुबह टहलना
योगासन करना
दोस्तों के साथ बात करना,
परिवार को समय देना
नियमित दिनचर्या रखना
पर्याप्त निद्रा लेना
मनपसंद संगीत सुनना
अपने आप को व्यस्त रखना
आसपस के वातवारण को सुखद रखना
अच्छा आहार ग्रहण करना ये सब करें
इसके बाद भी अगर आपको निद्रा, चिंता, अवसाद, जैसी कोई समस्या है तो कुछ आयुर्वेद औषधि हैं जिन्हें आप किसी आयुर्वेद डॉक्टर की सलाह से ले सकते हैं, औऱ इनका उपयोग आप रोज कर सकते हैं बिना किसी दुष्प्रभाव के ।
धन्यवाद.....

डॉ पंकज श्रीवास्तव ( आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी )
B.A.M.S., M.D, PGD in Clinical Panchakarm

पिछली पोस्ट में हमने आपको बताया कि अधिक जल पीने से क्या क्या नुकसान हो सकते हैं, इस पोस्ट में हम आपको बता रहे हैं कि ठंड...
13/09/2025

पिछली पोस्ट में हमने आपको बताया कि अधिक जल पीने से क्या क्या नुकसान हो सकते हैं, इस पोस्ट में हम आपको बता रहे हैं कि ठंडे एवं गर्म जल को किन स्थितियों में पीना चाहिए औऱ कौन सी ऐसी स्थितियां हैं जहाँ गर्म एवं ठंडा जल नही पीना चाहिए।

शीतल जल पान-

जिस व्यक्ति को बेहोशी आ रही हो, जिस व्यक्ति में पित्त बढ़ने के लक्षण आ रहे हो, जिस व्यक्ति को दाह हो रहा हो, उष्णता महसूस हो रही हो, मदात्यय रोग से प्रभावित ( अधिक मद्यपान) ,जिसे भ्रम हो रहा हो, जो थका हुआ हो, अधिक चलने से जिसको थकान हुई हो, जिसे वमन हो रहा हो, ऊर्ध्व स्त्रोतों से रक्त आ रहा हो, इस प्रकार के लक्षण यदि किसी व्यक्ति में उपस्थित हो तो उसे शीतल जल पीना चाहिए।

उष्ण जल पान-

यह जल जठराग्नि को प्रदीप्त करता है , आमदोष का पाचक है, गले के लिये हितकर है, मूत्राशय का शोधक है, तथा लघु होता है।

उष्ण जल पीने की स्थितियां- नवीन ज्वर में, प्रतिश्याय में, पार्श्वशूल की स्थिति में, विरेचन हुआ हो जिसको, आधमान की स्थिति में ( पेट फूलना) , अफरा की स्थिति में, कफज एवं वात रोगों में , अरुचि ( भोजन करने की इच्छा न होना) में, गुल्म व्याधि में, खांसी में, घृत आदि पिया हो, आमवात व्याधि में ( रह्युमेटोइड अर्थेरिटिस)

इसके अलावा - शीत जल से स्नान करने पर रक्तपित्त की शांति होती है, उष्ण जल से स्नान करने पर बल बढ़ता है एवं कफ तथा वात का नाश होता है, ( उष्ण जल से अधोकाय स्नान पर बल बढ़ता है, शिर पर से स्नान करने पर बालों व नेत्रों को हानि पहुँचती है

अगर हम अपनी दैनिक दिनचर्या में कुछ आयुर्वेद के बताए हुए नियमों का पालन कर लेते हैं तो हम बहुत सी व्याधियों से बचे रहते हैं। इसलिए हमें आयुर्वेद में बताये सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।

इस प्रकार की आयुर्वेद एवं स्वास्थ्य सम्बंधित प्रमाणिक शास्त्र आधारित जानकारी प्राप्त करने के लिये हमारे page Advance Ayurved को फॉलो करें ।
धन्यवाद.....

डॉ पंकज श्रीवास्तव ( आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी)
B.A.M.S., M.D., PGD in Clinical Panchakarama

11/09/2025

पिपल्ली चूर्ण को शहद के साथ खाने पर श्वास कष्टता ( दमा) में आराम मिलता है।

जल- मानव जीवन के लिये सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक कारक है। जल जो मनुष्य के लिये बहुत सहजता से उपलब्ध रहा है। जल जिस...
11/09/2025

जल- मानव जीवन के लिये सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक कारक है। जल जो मनुष्य के लिये बहुत सहजता से उपलब्ध रहा है। जल जिसके बिना मानव जीवन की कल्पना नही की जा सकती। जल सामान्य होते हुये भी बहुत विशेष होता है। हम सब दैनिक जीवन मे जल का उपयोग विभिन्न तरीके से करते हैं जिसमे से जल को पीने रूप में उपयोग करना भी शामिल है। जल को पीने के रूप में भी जनसामान्य अलग अलग प्रकार से धारणा बना रखी है। कोई कहता है बहुत ज्यादा मात्रा में जल पीना चाहिए, कोई गर्म जल पीने को ज्यादा अच्छा बताता है कोई ठंडे जल के लिये प्यासा है, किसी का सुबह खाली पेट जल पीने का सिद्धांत हैं।

पर क्या आप जानते हैं इस प्रकार जल पीना बहुत से रोगों , या शारीरिक स्थितियों में मना है , पानी पीने की मात्रा एवं गर्म - ठंडे पानी पीने की वजह से भी शरीर में विभिन्न प्रकार की व्याधियां या शारिरिक परेशानी भी उत्पन्न हो सकती है। इस प्रकार की कुछ स्थितियां आयुर्वेद अनुसार मैं इस लेख में बता रहा हूँ, जिससे आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान औऱ अच्छी तरह से रख सकें।

जल पीने की मात्रा - यह किसी मापन में फिट नही बैठ सकता कि दिन भर में 4 गिलास पानी या 8 या 12 गिलास या फिर 2 लीटर तीन लीटर कितना पीना चाहिए यह मापन नही हो सकता। जैसे कि कोई धूप में कार्य कर रहा, कोई स्पोर्टमैंन है, कोई सुबह टहल कर आ रहा या रनिंग करके आ रहा तो उसे पानी प्यास ज्यादा लगेगी उसकी मात्रा ज्यादा होगी, कोई दिनभर AC में बैठा है, या आराम कर रहा उसे कम पानी की जरूरत होगी।
सबका शरीर अलग अलग है वर्क अलग है पानी इतना होना चाहिये कि शरीर हाइड्रेट रहे अर्थात शरीर मे पामी की कमी न हो, अगर आप दिन में तीन बार मूत्र त्याग के लिये जा रहे , त्वचा में सिकुड़न नही है तो आप के शरीर मे पानी पर्याप्त है। जबर्दस्ती ज्यादा पानी पीने की आवश्यकता नही।

अधिक जल पीने से नुकसान- अधिक जल पीने से आमदोष की वृद्धि होती है , जिसके कारण जठराग्नि मंद पड़ जाती है , जिसके कारण अजीर्ण हो सकता है उससे ज्वर की उत्पत्ति हो सकती है । अग्निमांद्य होने से अम्लपित्त ( एसिडिटी) की शिकायत हो सकती है।

इसके अलावा पांडु रोग, गुल्म रोग, अतिसार, शोथ , उदर रोग, अर्श, ग्रहणी, मंदाग्नि आदि रोगों में कम जल पीना चाहिए ।

अगली पोस्ट में हम ठंडे पानी औऱ गर्म पानी पीने की स्थितियां एवं किसमे निषेध है वो बताएंगे............ Continue

डॉ पंकज श्रीवास्तव ( आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी)
B.A.M.S., MD, PGD in Clinical Panchkarma

09/09/2025

लौंग औऱ हरीतकी ( हरड़) को पानी मे उबाल कर फिर उसमे सैन्धव नमक मिलाकर पीने से अजीर्ण रोग शीघ्र नष्ट होता है एवं विरेचन भी हो जाता है।

अगर चक्कर आने के साथ साथ बार बार नींद टूटने की समस्या है औऱ साथ मे अन्य किसी प्रकार की शारिरिक परेशानी नही है तो, प्रवाल...
08/09/2025

अगर चक्कर आने के साथ साथ बार बार नींद टूटने की समस्या है औऱ साथ मे अन्य किसी प्रकार की शारिरिक परेशानी नही है तो, प्रवाल पिष्टी को आमलकी रसायन और ब्राह्मी चूर्ण सुबह के समय मख्खन के साथ खाने पर आराम मिलेगा।

उष्णोदक (गर्म पानी) के गुण व उपयोग का तरीका अधिकतर आमजन गर्म पानी का मतलब एक बार पानी  गर्म करके पीने को मानते हैं जबकि ...
07/09/2025

उष्णोदक (गर्म पानी) के गुण व उपयोग का तरीका

अधिकतर आमजन गर्म पानी का मतलब एक बार पानी गर्म करके पीने को मानते हैं जबकि उष्णोदक की विधि अलग है जो यहां बताई जा रही है

संदर्भ- योगरत्नाकर ज्वर चिकित्सा

उष्णोदक लक्षण-
जब जल को उबालते समय जल वेग रहित हो जाये, फेन रहित हो जाये, तथा आधा शेष रह जाये उसे उष्णोदक कहते हैं।

उष्णोदक के गुण-
कफ व मेद नाशक, वात को शमन करने वाला , आमदोष नाशक, अग्निदीपक ,मूत्राशय का शोधक , ज्वर नाशक, श्वास व कास नाशक, एवं हमेशा पथ्य होता है

उष्णोदक का विभिन्न प्रकार से उपयोग-

जल पकाते समय उसका 1/4 भाग नष्ट होने तक गर्म किया जाये तो यह वात नाशक होता है।
जल पकाते समय उसका 1/2 भाग कम हो जाने तक गर्म किया जाए तो इस प्रकार का उष्णोदक पित्तनाशक होता है।
और जब 3/4 जल शेष बचे तो इस प्रकार का जल कफ नाशक, अग्नि दीपक, पाचक, तथा लघु होता है, यह ज्वर रोग का नाशक होता है ।

ऋतु अनुसार- शरद ऋतु में अष्टमांश उबाल आने तक, हेमंत ऋतु में चतुर्थांश, शिशिर बसंत एवं ग्रीष्म ऋतु में आधा उबाल आने तक का जल ग्रहण करना चाहिए।

अजीर्ण में रात्रि के समय पिया हुआ उष्णोदक अजीर्ण को शीघ्र नष्ट कर देता है
पकाकर ठंडा किया हुआ जल त्रिदोषनाशक होता है

व्याधि में उष्णोदक का विधान- नवीन ज्वर, प्रतिश्याय, पार्श्वशूल , गलग्रह, पेट साफ करने हेतु उपयोगी, अरुचि, गुल्म, विद्रधि, घृत आदि पीने के बाद उष्णजल का पान करना चाहिए।

यहाँ पर केवल सादा जल को उबालकर एक निश्चित भाग शेष बचने पर पीने का विधान बताया गया है एवं इसी में अगर व्याधि अनुसार औषधि मिला उबाल कर पिया जाए तो उसमे विशेष लाभ होता है पर किस औषधि को मिलाना है इसका विचार आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से करना चाहिए।

दिन में पका कर ठंडा किया हुआ जल रात्रि में ग्रहण नही करना चाहिए एवं रात्रि में गर्म करके ठंडा किया हुआ जल दिन में नही पीना चाहिए।

डॉ पंकज श्रीवास्तव ( आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी)
B.A.M.S., M.D., PGD in Clinical panchakarama

07/09/2025

जन सामान्य हेतु जानकारी

आजकल सोशल मीडिया पर या फिर अन्य किसी प्रचार के माध्यम से या फिर अपने जान पहचान वालों के माध्यम से किसी बीमारी या किसी लक्षण का कोई न कोई नुख्सा या योग आपको भी बताया गया होगा।

एक ऐसा ही मुझे देखने को मिला कि ये नुख्सा कैसे भी घुटने का दर्द हो उसे ठीक कर देगा।

अब आपकी जानकारी के लिये-

घुटने के दर्द के बहुत से कारण होते हैं , जैसे रह्युमेटोइड अर्थराइटिस, ऑस्टियोअर्थेरिटिस, गाउटी अर्थेरिटिस, इफेक्टिव अर्थेरिटिस, सोरियाटिक अर्थेरिटिस, किस प्रकार अर्थेरिटिस में कौन सी औषधि लाभ देगी यह एक चिकित्सक ही निर्धारित कर सकता है। अब अगर उस नुख्से की बात करें औऱ उस पोस्ट अनुसार यह माने कि यह सभी मे कार्य करेगा तो इसे एक उदाहरण से समझते हैं

जैसे गाउटी अर्थेरिटिस यूरिक एसिड बढ़ने की वजह से है अगर आयुर्वेद से देखा जाए तो यह वात व रक्त के की दुष्टि के कारण होता है। उस पोस्ट में जो योग बताया गया था वो न तो यूरिक एसिड कम करता है, और न ही वात व रक्त को शुद्ध करता है। तो फिर कैसे यह सभी मे समान कार्य कर सकता है।

हां वो योग हीलिंग प्रक्रिया को बढ़ा सकता था, वात को कम कर सकता था, और बोन के डीजनरेशन को रोकने में सहायक हो सकता था इसलिए उसका उपयोग ऑस्टियो अर्थेरिटिस अर्थात सन्धिवात पर बहुत हद तक हो सकता था और यह समस्या अधिकतर ओल्ड एज में या फिर ज्यादा चलने फिरने वालों में, एथलीट में, ज्यादा देर तक खड़े रहने वालों में हो सकती है तो इस स्थिति में वो योग लाभ देता।

इस प्रकार के नुख्से आम जनता उपयोग करती रहती है औऱ अपनी बीमारी को बढ़ाती रहती है।

इसलिए किसी भी बीमारी में कोई नुख्सा, घरेलू उपचार आयुर्वेद या एलोपैथिक चिकित्सा लेनी है तो पहले रोग के कारण तक जाएं फिर उस रोग का निदान ( डायग्नोस) करें उसके बाद किसी दवा नुख्सा योग जो भी है उसका उपयोग करें।

धन्यवाद

डॉ पंकज श्रीवास्तव ( चिकित्सा अधिकारी)
B.A.M.S., M.D., PGD in Clinical Panchakarma

31/08/2024

गाय के दूध की विशिष्टता-
गाय का दूध जीवन शक्ति को प्रदान करने वाला होता है
यह याददाश्त बढ़ाने वाला , शरीर मे ताकत देने वाला होता है, त्वचा में चमक लाने वाला होता है।
साथ ही थकावट, चक्कर, मद, पुराना बुखार, ज्यादा प्यास लगना आदि लक्षणों को दूर करने में सहायक होता है

डॉ. पंकज श्रीवास्तव
B.A.M.S., M.D., PGD in clinical panchkarma

Address

Bhander

Opening Hours

Monday 1pm - 8pm
Tuesday 1pm - 8pm
Wednesday 1pm - 8pm
Thursday 1pm - 8pm
Friday 1pm - 8pm
Saturday 1pm - 8pm

Telephone

+919752270453

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Advance Ayurved posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram