22/04/2023
स्वतंत्रता आंदोलन और स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर की हमारी 75 वर्षों यात्रा, सामान्य भारतीयों की मेहनत, नवाचार और उद्यम का प्रतिबिंब है। भूत हो या वर्तमान, देश हो या विदेश, ज्ञान और विज्ञान से समृद्ध भारत ने उत्तर पूर्व से लेकर काबुल कंधार तक, हिमालय से हिन्द महासागर तक और मंगल से लेकर चंद्रमा तक अपनी पताका फहराई है। हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं यानी आज़ादी की ऊर्जा का अमृत; स्वतंत्रता संग्राम के योद्धाओं की प्रेरणाओं का अमृत; नए विचारों और प्रतिज्ञाओं का अमृत; और आत्मानिर्भरता का अमृत।
इसी क्रम में क्रंतितीर्थ राष्ट्र जागरण का पर्व है। यह एक शृंखला मात्र नहीं बल्कि एक अभियान है उन बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने का जिन्होंने अनेक कष्ट सहे, अपना जीवन, अपना सर्वस्व देश की स्वतंत्रता के लिए, स्वराज की, स्वधर्म की भावना के लिए समर्पित कर दिया, फिर भी वे इतिहास के पृष्ठों में अनाम रह गए, अल्पज्ञात रह गए। आज तक इतिहास के अध्ययन में हर बार यह बात सामने आई कि भारत लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा और परतंत्रता की बेड़ियों को हम 1947 में तोड़ सके।
परंतु इस बात को समझना भी आवश्यक है कि भारत में राजनीतिक और आर्थिक रूप से अंग्रेजों का नियंत्रण तो रहा पर इस राष्ट्र की आत्मा ने कभी परतंत्रता को नहीं स्वीकारा। भारत के संतों, दार्शनिकों और ज्ञानियों का सर्वथा यह मत रहा है कि शरीर को बांधा जा सकता है पर आत्मा को नहीं। यह बात भारत और उपनिवेशी ताकतों के संदर्भ में भी खरी उतरती है। यूरोपीय शक्तियों को हर ओर से चुनौतियां मिलती रही। ऐसा एक भी दशक नहीं रहा जबकि विभिन्न यूरोपीय शक्तियों को संगठित और सशक्त प्रतिरोध का सामना न करना पड़ा हो। ऐतिहासिक साक्ष्य इस बात को प्रमाणित करते हैं कि भारत के वीरों ने हर दिशा और दशक में विदेशी ताकतों से लोहा लिया और अत्याचारी औपनिवेशिक शासन के दांत खट्टे किये। यही कारण है कि स्वतंत्रता संग्राम निरंतर रूप से चलता रहा और अंततः राजनितिक और प्रशासनिक रूप से अंग्रेजों को 1947 में भारतीय उपमहाद्वीप से निकाल बाहर करने की प्रक्रिया संपन्न हुई। आज जब पूरा देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो ये अवसर हैं उन सभी नायकों को स्मरण करने का जो इतने वर्षों में छूट गए, इतिहास के पन्नों में कहीं दब गए।
क्रंतितीर्थ इस क्रांतिधरा के उन सभी अनाम अज्ञात बलिदानियों को कृतज्ञ भारतवासियों की ओर से वंदन की श्रंखला है। सेंटर फॉर एडवांसड रिसर्च ऑन डेवलपमेंट एंड चेंज, विकास और परिवर्तन के अध्ययन में कई शोध एवं प्रज्ञात्मक कार्यक्रम करता आया है। स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर हमारी यात्रा का अध्ययन आज हम सभी के लिए सर्वोपरि है। अलगाव, अविश्वास, विषमता एवं विद्वेष को हटा के राष्ट्र की एकात्मता, अखंडता, सुरक्षा, सुव्यवस्था, समृद्धि तथा शांति की ओर अग्रसर होना सही मायने में बलिदानियों को श्रद्धांजलि होगी। क्रंतितीर्थ की इस भावना को प्रसारित करने का यह एक निमित्त मात्र है।