Chakrasan... Baga beach,Goa
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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक बधाई...
शवासन: उत्तानं शववत भूमौ शयनं तु शवासनं l
शवासनं श्रमहरं चित्तविश्रांतिकारणम ll
अर्थ : मृतक के समान अपने पूरे शरीर को ढीला
करके लेट जाएं l यह श्रम को दूर करने और
चित्त को संतोष देने वाला है l
लाभ : यह उच्च रक्तचाप, हृदय रोग एवं insomnia
के लिए उपचारात्मक लाभ देता है l
उन्माद, भय एवं दुर्बलता दूर कर यह
थकावट से मुक्ति देता है l
मनोकायिक संस्थान को विश्रांति देता है,
तनाव जन्य रोगों का निवारण होता है l
मन के प्रति सजगता बढ़ती है, प्रत्याहार की
अवस्था आती है l
स्थूलं ज्योतिस्थासूक्ष्मम् ध्यानस्य त्रिविधं विदु: ।
स्थूलं मुर्तिमयं प्रोक्तम् ज्योतिस्तेजोमयं तथा ।
सूक्ष्ममं, विंदूमयम् ब्रह्म कुण्डली परदेवता। ।।
मनुष्य संरचना के तीन मुख्य तत्त्व होते हैं- शरीर, मन और आत्मा । इन तीनों में अलग- अलग ध्यान की स्तिथि का अनुभव होता है । ध्यान की स्तिथि में अनुभव को आगे बढ़ाने के लिए जब हम शारीरिक प्रक्रिया अपनाते हैं तो उसे "स्थूल" ध्यान कहते हैं, मन के स्तर पर यह"ज्योति ध्यान" कहलाता है और आत्मा के अनुभव को प्राप्त करने की प्रक्रिया "सूक्ष्म ध्यान" कहलाती है.... इसी ध्यान में कुंडलिनी शक्ति का चिंतन किया जाता है।
यह सूत्र नेति क्रिया है, जिसे रबर ट्यूब के साथ करने से रबर नेति कहा जाता है।
लाभ- साइनस ग्रंथि की सूजन कम होती है, नाक की बढ़ी हुई हड्डी कम होती है, राइनाइटिस में राहत मिलती है।