In the Kartavyam Foundation Center, individuals are freed from drug addiction
and the victim is mentally strengthened, also strengthened by meditation, yoga, meditation, high level counseling, workout, Shirodhara and many other ways. "शराब से मुक्ति दिला रहा : कर्तव्यम्"
भोपाल! नशा आज समाज में एक ऐसी बीमारी की तरह फ़ैल रहा है जो तेज़ी से समाज के हर तबके को अपनी चपेट में लेता जा रहा है, फिर चाहे वो रोजी-रोटी के लिए जूझता समाज का निम्न-तबका हो या फिर समाज का वो हिस्सा जो खुद को सबसे उच्च-स्तर का होने का दावा करता है. नशा आज तेज़ी से हमारे समाज के उन युवाओं के भविष्य को अपना निवाला बनाता जा रहा है जिनसे हम भारत के आने वाले कल के निर्माण की उम्मीद लगाये बैठे है.
जाने कितने परिवार ऐसे हैं जो नशे की वजह से रोज़ बर्बाद हो रहे है और टूट रहे. प्रतिदिन जाने कितने बच्चे अनाथ हो रहे है और हर रोज़ जाने कितने माँ-बाप अपने जीवन के सहारे को खो रहे है. "रोज़ कोरोना से भी ज्यादा जानें ले रही है शराब"
जैसा कि हम जानते है कि भारत में कोरोना से अब तक औसतन 1.49 लाख मौतें हुई है लेकिन आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि “टाइम्स ऑफ़ इंडिया” के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष 2 लाख 60 हज़ार लोगों की मौत शराब की वजह से होती है, जो कि कोरोना के मुकाबले में लगभग दोगुना है. लेकिन यह बहुत दुखद है कि शराब से बचने की जागरूकता शायद कोरोना की तुलना में 1 प्रतिशत भी नहीं है. "कर्तव्यम् में छूट जाता है नशा"
कर्तव्यम् फाउंडेशन एक ऐसी संस्था जो नशे की बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों के लिए एक वरदान साबित हो रही है. कर्तव्यम् पुनर्जीवन केंद्र में ऐसे व्यक्तियों को ना सिर्फ नशे की लत से मुक्ति दिलाई जाती है बल्कि यह भी देखा जाता है कि कर्तव्यम् से बाहर निकलने के बाद वो लोग दोबारा नशे की तरफ जाने का प्रयास ना करें. यहाँ वो अपने जैसे कई सारे मित्रों के साथ मिल कर नशे के प्रति अपनी इस लड़ाई को संभव बना पाते हैं.
कर्तव्यम् में पीड़ित व्यक्ति को ध्यान, योग, मैडिटेशन, उच्चस्तरीय काउंसलिंग, कसरत, शिरोधारा तथा कई अन्य तरीकों द्वारा मानसिक रूप से शुद्ध व मज़बूत बनाया जाता है, साथ ही उनके जीवन को एक ऐसी सकारात्मक दिनचर्या में ढाल दिया जाता है जिसकी आदत हो जाने के बाद पीड़ित दोबारा किसी नकारात्मकता की तरफ जाने का विचार भी ना करे. "परिवार का महत्त्व समझाया जाता है"
कर्तव्यम् में व्यक्ति को यह समझाया जाता है कि वो यहाँ इसलिए नहीं लाया गया है कि उसका परिवार उस से परेशान है, बल्कि वो यहाँ इसलिए है क्योंकि उसका परिवार उस से बहुत प्यार करता है व किसी भी कीमत पर उसको खोना नहीं चाहता. उसको समझाया जाता है कि उसका जीवन उसके माँ-बाप, पत्नी व बच्चों के लिए कितना महत्वपूर्ण है और अगर वह खुद को शराब से नहीं बचा पाया तो उसके परिवार को किन तकलीफों से गुज़ारना पढ़ सकता है. "व्यापार करना सिखाया जाता है"
कर्तव्यम् का एक उद्देश्य यह भी है कि 90 दिन बाद कर्तव्यम् से निकलने वाला हर व्यक्ति सिर्फ नशा-मुक्त ही ना हो बल्कि खुद अपने पैरों पर खड़े होने लायक भी बन सके. इसके लिए कर्तव्यम् में स्पेशल बिज़नस सेशन लिए जाते हैं जिसमें अलग-अलग प्रकार के बिज़नस प्लान पर चर्चा की जाती है. सही तरीके से व्यापार शुरू करने तथा उसको ठीक से संचालित कर पाने की ट्रेनिंग दी जाती है. जिन व्यक्तियों के पास खुद की कोई व्यापार-योजना नहीं होती उनके लिए नयी योजनायें बनाने में उनकी सहायता की जाती है तथा यहाँ आने वाले हर व्यक्ति को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग भी दी जाती है. "मात्र 90 दिनों में छूट जाता है नशा"
नशे से पीड़ित व्यक्ति को मात्र 90 दिनों के लिए कर्तव्यम् में रखा जाता है. कर्तव्यम् के मुख्य संचालक श्री संदीप सागर का कहना है कि शुरू के 10 दिन मुश्किल होते हैं क्योंकि इस समय शराबी के नशे की तलब अपने चरम पर होती है. लेकिन उसके बाद उसका दिमाग यह स्वीकार कर लेता है कि अब उसको यहाँ नशा नहीं मिलने वाला है और उसको उस अनुशासित जीवन की आदत डालना होगी जो उसको यहाँ सिखाया जाता है. और वही अनुशासन उसके आने वाले भविष्य का मूल आधार बन पाता है. "मशरूम वर्ल्ड आयुर्वेद करता है संचालित"
कर्तव्यम् फाउंडेशन मुख्यतः “मशरूम वर्ल्ड आयुर्वेद” की ही एक सामाजिक पहल है व इसको मशरूम वर्ल्ड द्वारा ही संचालित किया जाता है. “मशरूम वर्ल्ड आयुर्वेद” भारत में मशरूम उत्पाद बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी है व विगत 13 वर्षों से मशरूम के क्षेत्र में कार्यरत है.
मशरूम वर्ल्ड का नाम देश के उन प्रमुख्य ISO प्रमाणित संस्थानों में लिया जाता है जिसने मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दे कर अब तक देश के हजारों बेरोजगारों को अपने पैरों पर खड़ा करने में मदद की है. आज मशरूम वर्ल्ड द्वारा तैयार मशरूम के उत्पाद सम्पूर्ण भारत में उपयोग किये जाते है.