Aman Ayurved

Aman Ayurved मैं “वैद्य अमन चीमा” पुराने, जटिल रोग और गुप्त रोगों का इलाज आयुर्वेदिक पद्धति से करता हुं।

28/12/2024

★ श्री अमनामृत सागर -अनुभूत नुस्खे -भाग -39

•शराब की लत छुड़ाने के घरेलू नुस्खे•

★पारस पीपल का अर्क खाने के बाद दिन में तीन बार लेने से फायदा होता है।

★सेब का रस बार बार पीने से और भोजन के साथ सेब खाने से भी शराब कि आदत छुट जाती है!

यदि उबले हुए सेबों को दिन में तीन बार खिलाया जाए, तो कुछ ही दिनों में शराब पीने कि लत छुट जाती है!

★500 ग्राम नई देसी अजवाइन को पीसकर उसे 7 लीटर पानी में दो दिन के लिए भिगो दें! फिर धीमी आंच पर इतना पकाएं कि पानी लगभग 2 लीटर रह जाए!
ठंडा होने पर छान कर बोतल में भर दें! शराब कि तलब लगने पर 5 चम्मच कि मात्रा में पीते रहने से भी शराब पीने कि आदत छुट जाती है!

★शराब छुड़ाने में एक दवा ऐकेम्प्रोसेट ईजाद हुई है! इसे अब तक दस लाख से ज्यादा लोगों ने इस्तिमाल किया है और बेहतर परिणाम मिले हैं! इस दवा को फ्रांस में लें स्थित ‘लिफा एस.ए कम्पनी ने बनाया है! फिलहाल ये दवा एशिया, यूरोप, दक्षिणी अमेरिका आदि के देशों में आसानी से उपलब्ध है!

★SPIRTAS GLANDIUM QUERCUS . यह वही दवा है जिसका प्रचार कर-करके तमाम दवाखानों ने करोड़ो रुपए कमा लिए हैं ।

हम जब शराबी की आदत छूट जाती है तो उसे दो माह तक सुबह शाम दो-दो चम्मच गुलकन्द(प्रवाल मिश्रित) खिलाते हैं और इसके बीस मिनट बा्द दो चम्मच अश्वगंधारिष्ट,बलारिष्ट + भृंगराजासव बराबर पानी के साथ देते हैं । इससे उसका खोया स्वास्थ्य वापस आ जाता है ।

आप भी इसी तरह से अपनी टूटती हुई कसमों से बच सकते हैं और यदि नियमित रूप से प्राणायाम करते हैं तो फिर तो सोने पे सुहागा जैसी बात है ।

★शिमला मिर्च(कैप्सिकम) जो कि मोटी-मोटी होती हैं व खाने में तीखी नहीं होती व सब्जी बनाने में प्रयोग करी जाती हैं ,ले लीजिए और उनका जूसर से रस निकाल लीजिए व इस रस का सेवन दिन में दो बार आधा कप नाश्ते या भोजन के बाद करें । आप चमत्कारिक रूप से पाएंगे कि आपकी शराब की तलब अपने आप घटने लगी है और एक दिन आप खुद ही पीने से इंकार कर देते हैं चाहे कोई कितना भी दबाव क्यों न डाले । ये दोनो उपाय सन्यासियों के आजमाए हुए हैं जोकि लोगों की शराब छुड़ाने के प्रसिद्ध रहे हैं। आप यकीन मानिये कि इन सरल से उपायों से चालाक किस्म के लोग मजबूर शराबियों की आदत छुड़ाने की दवा के रूप में देकर लाखों रुपए कमाते हैं।‌

शराब छुड़ाने के लिए हमारा स्पैशल कोर्स ( आयुर्वेदिक दवा )
6000/- Monthly.

अफीम ,चिट्ठा, स्मैक छुड़वाने के लिए ( आयुर्वेदिक दवा ) 14000/- monthly

★Disclaimer 👇🏻
👉🏾 आपसे एक जरुरी बात :- नशा किसी भी तरह का हो , चाहे सिगरेट, बीड़ी, तम्बाकू,गांजा,अफीम,शराब, स्मैक, हीरोइन आदि। जिन्होंने भूतकाल में सेवन किया हो , या दवा के साथ सेवन कर रहा हो , छोड़ न रहा हो , तो चाहे लाखों की दवा खा लें। कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

आयुर्वेद क्या !! हर पैथी की दवा के साथ डाक्टर/वैद्य के बताए अनुसार , अगर रोगी पथ्य-अपथ्य का पालन करता है।‌या ( खासकर गुप्त रोग, पुरुष स्त्री रोगों में ) दवा के सेवन में कम से कम 40 दिन सं+भो+ग से दूरी बनाकर रखता है। ऐसे मरीज पर दवा जादू की तरह काम करती है।

जो रोगी आहार -विहार, पथ्य-परहेज नहीं करता। कृपा करके वो दवा न ही खाएं तो बेहतर होगा। अपना मेहनत से कमाया गया पैसा और समय बर्बाद न करें। जब नशे और बदपरहेजियों से मन भर जाएं तो फिर हमारी दवा का सेवन करें और आयुर्वेद का चमत्कार देखें। नहीं तो वैद्य और आयुर्वेद को कोसने का कोई मतलब नहीं है। ऐसा हर रोग , हर मरीज के ऊपर लागू होता है।

हम जो नुस्खे लिखते है , कृपया किसी कुशल आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से ही इस्तेमाल करें। या हमसे आप परामर्श करके इस्तेमाल कर सकते हैं। परामर्श के लिए कृपया WhatsApp पर ही text message या Audio recording भेजें। जो आपके पास रिपोर्ट, test है। भेजें। जीभ , नाखुन, चेहरा की फोटो जरुर भेजें। अपनी दिनचर्या साथ में लिखें। धन्यवाद

मिलते हैं ऐसी है नयी जानकारी के साथ, रब्ब राखा 🙏🏻

👉🏾जटिल, पुराने रोगों के लिए संपर्क करें।
PCOD,Cyst,Cancer,Blood Cancer, Immunity Power,Fibroid, infertility, Gall stone, Hernia,Sperm, नामर्दी, शीघ्रपतन, थाइराइड, मधुमेह, cerebral palsy, muscular dystrophy,Cancer, Breast Cancer, AIDS, psoriasis,अस्थमा, पुराना नजला, किडनी,Liver,Heart,Brain etc. सभी Problems का आयुर्वेदिक दवा से इलाज करवाने के लिए जरूर संपर्क करें।‌

★सदैव आपका अपना शुभचिंतक ★
•वैद्य अमनदीप सिंह चीमा
•अमनदीप आयुर्वेदा,144205, पंजाब
•Call & WhatsApp 099151 36138

© मेरे लेख Copy न करें।

24/12/2024

★ श्री अमनामृत सागर -भाग-38

*जलोदर ( पेट में पानी भर जाना ) Ascites*

यह एक पेट का रोग है । पेट में सूजन आ जाती है । पेट में पानी इक्ट्ठा हो जाता है । इसे जलोदर Ascites रोग के नाम से जाना जाता है । पेट में पानी भरने से पेट का अगला हिस्सा बढ़ने लगता है । पेट दोनों तरह और नीचे की तरफ फूलता जाता है । चपटा दिखने लगता है । ऐसी अवस्था में श्वास कष्ट ,प्यास ,दिल धड़कना, पेशाब की कमी, कब्ज, रोगी को हिलने - जुलने से पेट में से पानी की आवाज मालुम होती है । रोगी को बेचैनी, नित्यक्रियाएं करने पर कष्ट होता है । यह रोग का इलाज हो जाता है । अत: आप बिल्कुल भी परेशान न हो ।

गुर्दों के रोग,प्लीहा, फुफ्फुस,हृदय रोग,स्वरयंत्र रोग,ज्वर, रक्तवाहिनीयें की बिमारी के कारण यह रोग हो जाया करता है । रोगी का जीना - मुशकिल हो जाता है । आधुनिक विज्ञान के डाक्टर रोगी के पेट से पानी निकाल देते है । लेकिन पानी फिर भर जाता है । इसलिए आप रोग को जड़ मूल से नष्ट करने के लिए आयुर्वेद का सहारा ले सकते है। मैं यहाँ घरेलु और आयुर्वेदिक चिकित्सा लिख रहा हुँ , कृप्या ध्यान दें । अपने आस पास किसी को यह समस्या देखें तो आप उनको यह इलाज जरूर बताएं । फ्री का ज्ञान समझकर आप अनदेखा न करें । नीचे लिखे नुस्खों पर ध्यान दें ।

* जलोदर ( पेट में पानी भर जाने की चिकित्सा )*
1.
जलोदरारि रस,
पुनर्नवादि मंडूर,
ताप्यादि लौह
6-6 ग्राम लेकर कसकर घुटाई करके
30 पुड़िया बना लें ।
या कैप्सूल भर लें।
सुबह-शाम 1-1 पुड़िया
साथ में दो-दो गोली आरोग्यवर्धिनी वटी लें।

दशमूल क्वाथ,कुमारी-आसव
को समभाग मात्रा में मिलाकर रख लें ,
इस मिश्रण से 4-4 चम्मच दवा पानी में मिलाकर रोगी को दें ।

रात को सोते समय साथ एक चम्मच नारायण चूर्ण दें ।

2. { पुनर्नवा क्षार, अपामार्ग क्षार,मूली क्षार ,यव क्षार , गोक्षुर क्षार, वासा क्षार ( सभी में से कोई दो लें ) },
कलमी शोरा ,
शुद्ध नवसादर या जौहर ,
हजरूलयहूद भस्म

प्रत्येक का समभाग मात्रा में मिलाकर बनाया हुआ मिश्रण 2-2ग्राम की मात्रा में पुनर्नवारिष्ट के साथ दें ।

1 और 2 नंबर नुस्खे में से कोई एक ही दें।

अगर रोगी का मूत्र अम्ल युक्त हो ,एलब्यूम युक्त हो तो यह 2 नंबर नुस्खा अति लाभकारी है । गोमूत्र अर्क , मकोय अर्क भी 25-25ml पानी में मिलाकर रोगी को दें ।

*घरेलु चिकित्सा*
१.अजवायन को बछड़े के मूत्र में भिगोकर सुखाया चूर्ण 3-3ग्राम रोगी को दें ।

२.बेलपत्र का ताजा रस २ तोला से ४ तोला तक छोटी पीपल का एक चुटकी चूर्ण मिलाकर सेवन करवाएं ।

३.एक बैंगन लेकर उसमें छेद करके “डन्डा नौशादर” भरकर रात को औंस में रख दें । सुबह इसे निचोडकर रस निकालकर इसकी 5-10 बूंद बताशे में डालकर रोगी को पिलाएं । यह रोगी को मूत्र के रास्ते पानी निकालने में मदद करेगा।

*विशेष नोट*
इस रोग में पेट साफ होना जरूरी है । लवण और जल का कम सेवन करें । गोदुग्ध, अजा दुग्ध,ज्यादा प्यास होने पर डाभ का पानी ही दें या अर्क मकोय पानी की जगह। पेट सफाई के लिए एरण्ड तैल गर्म जल या गाय के गर्म दूध में डालकर पिलाएं ।

नोट:- किसी भी दवा का सेवन करने से पहले अपने कुशल वैद्य की सलाह जरूर लें।

*लेखक
सदैव आपका अपना शुभचिन्तक,
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा,
अमनदीप आयुर्वेदा, 144205 पंजाब
Call & WhatsApp 9915136138*

22/12/2024

★स्वर्ण भस्म -भाग -62
*A**l Fistula भगंदर ( अति पीढ़ादायक रोग )*

~~~मेरी अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सा~~~

मेरे पास कई रोगी आप्रेशन, क्षार सूत्र करवाने के बाद भी इस रोग से पीढ़ित होकर आते है । जो कि हमारी आयुर्वेदिक चिकित्सा से ठीक होते है । भगंदर गुदा क्षेत्र का एक रोग है जिसमें रोगी के गुदा द्वार के करीब फोड़ा या फुंसी निकल आती है, ये फुंसी पाइप की तरह मार्ग बनाती है और मलाशय तक जाती है।

अगर चिकित्सा की भाषा में कहें तो बवासीर रोग के अधिक पुराना होने पर वो ही भगंदर का रूप ले लेता है, इसलिए बवासीर का समय पर इलाज करवा लें।

वही अगर आपने भगंदर को भी नजरअंदाज कर दिया तो ये कैंसर ( रिक्टम कैंसर ) तक का रूप ले लेता है। भगंदर रोग जानलेवा भी सिद्ध हो सकता है।

प्राचीन शल्य चिकित्सा ने भगंदर को उन 8 रोगों में शामिल किया है जो बहुत मुश्किल से ठीक होते है, इन रोगों को अष्ट महागद कहा जाता है।

भगंदर नाड़ी रोग है और इस रोग को आधुनिक युग की जीवनशैली की देन माना जाता है और सोचने वाली बात ये है कि इसकी जानकारी होते हुए भी कोई अपनी जीवनशैली बदलना ही नहीं चाहता।

इस रोग में गुदा के पास दाने निकल जाते है, फिर वे फुट जाते है। अगर भगंदर रोग अपने घातक रूप में आ जाए तो वे हड्डियों में भी सुराख कर देता है, जिसके बाद उसमें से पीव निकलने लगती है और फिर रोगी के लिए मुशकिलें खड़ी हो जाती है ।

कई रोगियो के पखाना बैठते समय पस की पिचकारियाँ निकलती है । दर्द बना रहता है । उठना बैठना अति मुशकिल हो जाता है । असह दर्द से रोगी का जीना मुशकिल हो जाता है । सही इलाज न मिलने पर रोगी का जीवन खतरे में पढ़ जाता है ।

मैं आपको यहाँ अपनी अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सा बता रहा हुँ , जिससे आज तक सैकड़ों रोगी ठीक हुए । निम्नलिखित नुस्खें से रोग दुबारा नही होता ।

*भगंदर नाशक मेरी अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सा*

~~~नुस्खा इस प्रकार है~~~
★भगंदर हर योग★

रस माणिक - 3 ग्राम,
कचनार गुगल - 36 ग्राम,
पुनर्नवादि मंडूर- 18 ग्राम,
सप्तविशती गुगल- 18 ग्राम,
प्रवाल पिष्टी - 6 ग्राम,
व्याधिहरण रसायन-3 ग्राम,
स्वर्णमाक्षिक भस्म-3 ग्राम,
स्वर्ण भस्म 250 मि.ग्रा,
हीरक ( वज्र ) भस्म 250mg,
मोती पिष्टी -6 ग्राम,
रस कपूर - 6 ग्राम

*बनाने का तरीका*
१. सबसे पहले रस माणिक को न घिसने वाले खरल में डालकर इतना रगडें कि चमक रहत होकर मैदा जैसे बारीक हो जाएं । फिर निकाल कर अलग रख लें ।

२.रस कपूर को अच्छी तरह कसकर घुटाई करके बारीक कर लें । इसे निकाल कर अलग रख लें।

३. फिर व्याधिहरण रसायन को अच्छी तरह खरल करके बारीक कर लें । इसे भी निकाल कर अलग कर लें ।

४. फिर कचनार गुग्गुल, सप्तविशती गुग्गुल बारीक कर लें , इसे आप Grinder में भी Grind कर सकते है । थोड़ा - थोड़ा रूककर Grind करें ताकि Jug गर्म न हो। फिर जब पूरी तरह मैंदे की तरह बारीक हो जाएं तो इसमें
( १. रस माणिक, २.रस कपूर , व्याधिहरण रसायन मिला दें । ) स्वर्ण भस्म, प्रवाल पिष्टी, स्वर्णमाक्षिक भस्म मिला दें ।

५.जब सभी दवाएं एकजान हो जाएं तो इसकी आप रोग और रोगी अनुसार मात्रावत पुड़िया बना लें ।
किसी साफ हवाबंद डिब्बे में संभालकर रख लें।

*खाने का तरीका*
सुबह-दोपहर-शाम खाने के आधे घंटे बाद , 1-1-1पुड़िया शहद से चाटकर ,

साथ में चोबचिन्यादि चूर्ण ,आरोग्यवर्धिनी वटी लें।‌

कब्ज़ होने पर
रात को त्रिफला चूर्ण 1चम्मच या एरण्ड तैल 20ml गर्म जल से लें । हफ्ते में दो बार

*लगाने के लिए*
सुबह-शाम नीम के पत्तों के उबालें हुए पानी से गुदा को धोकर “जात्यादि तैल” 100ml + नीम का तैल 50ml को मिलाकर बना मिश्रण से रूई को गीला करके गुदा में प्रविष्ट करें । रूई पर धागा लपेट लें । प्रविष्ट करते समय थोड़ा धागा बाहर रखें ताकि रूई को आसानी से निकाला जा सके । सुबह वाला शाम को निकाल दें , शाम वाला सुबह को ।

*परहेज*
मेदा,बेसन,गुड़,तैल,खटाई,मिठाई,आचार,चाय,काफी,मीट,अंडा,शराब,बासी भोजन। हल्का सुपाचय भोजन ही लें ।

*जरूरी नोट*
जो नुस्खा आपको बताया है , यह मेरा 100% सफल नुस्खा है । आप अगर आयुर्वेद के जानकर है तो ही यह खुद तैयार करें । इसमें कुछ दवाए ऐसी है जिसके कारण इसको बहुत सावधानी से बनाया जाता है । अगर आपको दवा की पूरी जानकारी नही है तो आप किसी नजदीकी अनुभवी भरोसे योग वैद्य जी से यह नुस्खा तैयार करवाकर प्रयोग करें ।

मुझसे बना बनाया भी मंगवा सकते है। आपको लाभ मिलेगा । फ्री का ज्ञान समझ अनदेखा न करें । बहुत ऐसे लोग है जो पूरा ज्ञान नही देते , कुछ न कुछ नुस्खें की हाथ पैर रख लेते है । मैं पूरी इमानदारी से बता रहा हुँ ।

WhatsApp & Facebook पर आप भी शेयर करके लोगों का भला करें। मुझे दुआ में जरूर याद रखना। चलता हुँ ...... रब्ब राखा .....

बनी हुई दवा मेरे पास उपलब्ध है ।‌ मंगवाने के लिए Whatsapp कीजिए।

लेखक
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा ,
अमन आयुर्वेद 144205 , पंजाब
Calling & WhatsApp 9915136138

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16/12/2024

★श्री अमनामृत सागर -अनुभूत नुस्खे -37

•ताकत के लिए - लहसुन का पाक •

शीतकाल में पोष्टिक आहार के रूप में बाजीकारक योग का सेवन करना , विवाहित पुरुषों के लिए यौन शक्तिदायक तो होता ही है साथ ही शरीर की सप्त धातुओं को पुष्ट और सबल करके शरीर को सुडौल और बलवान बनाने वाला भी होता है l उनमें से एक पाक लहसुन पाक भी है l

बनाने की विधि :-
लहसुन की 100 ग्राम कलियोँ को , इनका छिलका अलग करके , काट कर छोटे-छोटे टुकड़े कर लें l एक लीटर दूध में एक गिलास पानी डालकर , ये सभी टुकड़े डाल दें और गरम होने के लिए रख दें l उबल जाने पर जब दूध गाढ़ा हो जाये और मावा जैसा बन जाये तब उतार कर ठंडा कर लें और मिक्सी में पीसकर लुगदी बना लें l एक कढाई में थोडा सा शुद्ध देशी घी गरम करके इस लुगदी को डाल दें और धीमी ( मंदी ) आंच पर पकाएं l जब लाल हो जाये तब इसे उतार लें यदि घी बच जाए तो अलग कर लें l अब इसमें आवश्यक मात्रा में शक्कर की चाशनी तैयार करें l

भुनी हुई लुगदी और जावित्री 10 ग्राम , लौंग 10 ग्राम ,जायफल 5 ग्राम ,दालचीनी 20 ग्राम , और सौंठ 10 ग्राम --इन सबको बारीक़ पीसकर चाशनी में डाल दें और भली-भांति मिला लें और थाली में फैला कर जमा लें, यही लहसुन पाक है l

लाभ और प्रयोग विधि :-
यह पाक सुबह शाम ( रात को सोने से पहले ) एक-एक चम्मच की मात्रा में , मिश्री मिले हुए हलके गरम दूध के साथ सेवन करना चाहिए l

इसके सेवन से जोड़ो का दर्द ,
(सन्धिवात ),सायटिका , हिचकी , श्वास , सिर दर्द,अपस्मार , गुल्म , उदर रोग ,प्लीहा , कृमि , शोथ , अग्निमान्ध , पक्षाघात , खांसी, शूल , आदि अनेक रोगों को दूर कर रोगी को निरोगी बनाने में सहायक होता है तथा स्नायविक संस्थान की कमजोरी व शिथिलता दूर करके बल प्रदान करता है l ऐसे रोगों से ग्रस्त रोगी के अलावा यह पाक प्रौढ़ एवम वृद्ध स्त्री पुरुषों के लिए शीतकाल में सेवन योग्य उत्तम योग है।
कफ वात रोगियों के लिए वरदान ।

Note:- गर्मी/पित्त के शिकार,पैपटिक अल्सर,हाईपर एसिडिटी के रोगी चिकित्सक की देख-रेख में ही प्रयोग करें।

★Disclaimer 👇🏻
👉🏾 आपसे एक जरुरी बात :- नशा किसी भी तरह का हो , चाहे सिगरेट, बीड़ी, तम्बाकू,गांजा,अफीम,शराब, स्मैक, हीरोइन आदि। जिन्होंने भूतकाल में सेवन किया हो , या दवा के साथ सेवन कर रहा हो , छोड़ न रहा हो , तो चाहे लाखों की दवा खा लें। कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

आयुर्वेद क्या !! हर पैथी की दवा के साथ डाक्टर/वैद्य के बताए अनुसार , अगर रोगी पथ्य-अपथ्य का पालन करता है।‌या ( खासकर गुप्त रोग, पुरुष स्त्री रोगों में ) दवा के सेवन में कम से कम 40 दिन सं+भो+ग से दूरी बनाकर रखता है। ऐसे मरीज पर दवा जादू की तरह काम करती है।

जो रोगी आहार -विहार, पथ्य-परहेज नहीं करता। कृपा करके वो दवा न ही खाएं तो बेहतर होगा। अपना मेहनत से कमाया गया पैसा और समय बर्बाद न करें। जब नशे और बदपरहेजियों से मन भर जाएं तो फिर हमारी दवा का सेवन करें और आयुर्वेद का चमत्कार देखें। नहीं तो वैद्य और आयुर्वेद को कोसने का कोई मतलब नहीं है। ऐसा हर रोग , हर मरीज के ऊपर लागू होता है।

हम जो नुस्खे लिखते है , कृपया किसी कुशल आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से ही इस्तेमाल करें। या हमसे आप परामर्श करके इस्तेमाल कर सकते हैं। परामर्श के लिए कृपया WhatsApp पर ही text message या Audio recording भेजें। जो आपके पास रिपोर्ट, test है। भेजें। जीभ , नाखुन, चेहरा की फोटो जरुर भेजें। अपनी दिनचर्या साथ में लिखें। धन्यवाद

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★श्री अमनामृत सागर -अनुभूत नुस्खे -36Mumps गलदण्ड रोग इसे कंठमाला , गलसूआ भी बोलते है । गलदण्ड एक संक्रामक है, विषाणु जन...
13/12/2024

★श्री अमनामृत सागर -अनुभूत नुस्खे -36

Mumps गलदण्ड रोग
इसे कंठमाला , गलसूआ भी बोलते है ।

गलदण्ड एक संक्रामक है, विषाणु जनित रोग है।इस रोग में मुंह की लार ग्रंथियों में सूजन आ जाती है । जिसके कारण जबड़े का हिस्सा बहुत सूजा हुआ दिखता है। इसका खतरा वयस्कों में अधिक होता है और इसके कारण पुरुषों में अनुर्वरता हो सकती है। यह रोग बलगम और लार के जरिये फैलता है। इस रोग में नाक, मुंह और गले में विषाणु के कारण कफ, पास में बैठकर बातचीत करने और छींकने के द्वारा यह दूसरों को संक्रमित कर सकता है। अगर आप Mumps के रोगी के बर्तन साझा करते है तो आपको यह रोग हो सकता है। इसी तरह, अगर आपको यह रोग है तो आपके द्वारा स्पर्श की गई चीज़ें बाद में स्पर्श करने से दूसरे को भी यह रोग हो सकता है।

इस रोग का पहले या दूसरे हफ्ते पता चल जाता है । पहले इस रोग के रोगी की लार ग्रंथियों में संक्रमण के कारण जबड़े के आसपास का हिस्सा सूजा दिखता है।
रोगी को हल्का बुखार रहता है ।
सिरदर्द बना रहता है ।
रोगी हरपल थकान या आलस महसूस करता है ।
रोगी को भूख की कमी हो जाती है ।
रोगी की मांसपेशियों में दर्द रहता है । कानों के पास दर्द ,चबाने और निगलनें में बहुत समस्या आती है ।
वयस्क पुरुषों के इस विषाणु के कारण उनके वृषण भी प्रभावित हो सकते हैं और उनमें सूजन हो सकती है। इस विषाणु संक्रमण के कारण एनसेफलाइटिस (मस्तिष्क में होने वाली जलन), मेनिनजाइटिस, बहरापन, महिलाओं में, अंडकोष में जलन (इसे ऊफॉराइटिस कहते हैं) और मैस्टाइटिस भी हो सकती है ।

इलाज :-
इसमें बर्फ की सिकाई या गर्दन व सूजे हिस्सों पर गर्म सिकाई, दर्द निवारक दवाएं, विशेष भोजन जो जबड़ों पर ज़्यादा ज़ोर न डाले, वही दें । खिचडी ,दलिया दे सकते है । सूप बहुत अच्छा है । लहसुन की पेस्ट या सोंठ की पेस्ट बनाकर लेप करें।
फिटकरी भस्म -टंकण भस्म ½-½ ग्राम गर्म जल से ग्रहण करें । आशातीत लाभ होगा।

*मेरी आयुर्वेदिक अनूभूत चिकित्सा*

गण्डमाला कंडन रस-3ग्राम
ताप्यादि लोह-3ग्राम
खदिरादि वटी-3ग्राम
गंधक रसायन -2 ग्राम,
कचनार गुगल- 5ग्राम
त्रिभुवनकीर्ति रस-2 ग्राम
लक्षमी विलास रस नारदीय -2 ग्राम
प्रवाल पिष्टी -2 ग्राम

यह सब दवा किसी अच्छी कंपनी की लेकर अच्छी तरह कसकर घुटाई करके पुड़िया बना लें ।

सुबह-दोपहर-शाम शहद से चटवाएं । ऊपर से गुनगुना पानी पिएं । 7से 15 दिन में रोग जड़ से नष्ट हो जाएगा।

2-3खुराक में रिजल्ट मिल जाता है। आप यह दवा प्रयोग करें, शेयर भी करें । बस दुआ में जरूर याद रखना । . फ्री का ज्ञान समझकर Ignore मत करना । रब्ब राखा ....

★Disclaimer 👇🏻
👉🏾 आपसे एक जरुरी बात :- नशा किसी भी तरह का हो , चाहे सिगरेट, बीड़ी, तम्बाकू,गांजा,अफीम,शराब, स्मैक, हीरोइन आदि। जिन्होंने भूतकाल में सेवन किया हो , या दवा के साथ सेवन कर रहा हो , छोड़ न रहा हो , तो चाहे लाखों की दवा खा लें। कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

आयुर्वेद क्या !! हर पैथी की दवा के साथ डाक्टर/वैद्य के बताए अनुसार , अगर रोगी पथ्य-अपथ्य का पालन करता है।‌या ( खासकर गुप्त रोग, पुरुष स्त्री रोगों में ) दवा के सेवन में कम से कम 40 दिन सं+भो+ग से दूरी बनाकर रखता है। ऐसे मरीज पर दवा जादू की तरह काम करती है।

जो रोगी आहार -विहार, पथ्य-परहेज नहीं करता। कृपा करके वो दवा न ही खाएं तो बेहतर होगा। अपना मेहनत से कमाया गया पैसा और समय बर्बाद न करें। जब नशे और बदपरहेजियों से मन भर जाएं तो फिर हमारी दवा का सेवन करें और आयुर्वेद का चमत्कार देखें। नहीं तो वैद्य और आयुर्वेद को कोसने का कोई मतलब नहीं है। ऐसा हर रोग , हर मरीज के ऊपर लागू होता है।

हम जो नुस्खे लिखते है , कृपया किसी कुशल आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से ही इस्तेमाल करें। या हमसे आप परामर्श करके इस्तेमाल कर सकते हैं। परामर्श के लिए कृपया WhatsApp पर ही text message या Audio recording भेजें। जो आपके पास रिपोर्ट, test है। भेजें। जीभ , नाखुन, चेहरा की फोटो जरुर भेजें। अपनी दिनचर्या साथ में लिखें। धन्यवाद

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12/12/2024

★ स्वर्ण भस्म -भाग-61

•पेट के गंभीर रोग और पेट का कैंसर में अनुभूत नुस्खा•

*Hematemesis ( खून की उल्टी होना )*

यह रोग बहुत ही गंभीर रोग है । इसके कई कारण हो सकते है । जिनका निदान करके चिकित्सा करनी चाहिए।

~~~मुख्य कारण~~~
पेट में कोई गांठ, अलसर, अन्ननली में जख्म , दर्दों की दवा का ज्यादा सेवन , कैंसर ,जिगर का बढ़ जाना, किसी तरह की चोट ,पेट में अमलपित्त का बढ़ जाना ,पेट में गर्मी ज्यादा होना ।

इसकी जांच के लिए आप Endoscopy करवा कर देख सकते है । इस रोग के कारण बहुत लोग डर जाते है । अत: डरने की कोई जरूरत नही । मैं अपने रोगियो पर जो नुस्खा अपनाता हुँ ,वो यहाँ नीचे लिख रहा हुँ , आप यह नुस्खा बनाकर या किसी आयुर्वेद के अनुभवी से बनवाकर प्रयोग करें । यहाँ बढ़े-बढ़े डाक्टर हाथ खड़े कर दें , वहाँ यह नुस्खा रामबाण की तरह कार्य करता है । मैंने दर्जुनों ऐसे रोगी ठीक किए है , जिन्हो को बढ़े-बढ़े नामी डाक्टरो ने जवाब दे दिया था । नुस्खा लिख रहा हुँ , गौर करें । यह नुस्खा किसी भी कारण उल्टी आ रही हो , सब ठीक करेंगा , पेट के जख्म , अलसर , कैंसर ,गांठ आदि सब पर काम करता है ।

~~~मेरी अनुभूत चिकित्सा~~~
सूतशेखर रस गोल्ड - 10ग्राम
यकृत प्लीहारि लौह - 10ग्राम
लोकनाथ रस - 5ग्राम
पुनर्नवादि मंडूर- 15ग्राम
कामदोधा रस मुक्ता- 10ग्राम
मुक्ता पिष्टी - 3ग्राम
रजत भस्म -2ग्राम
तृणकांतमणि पिष्टी-10ग्राम
पन्ना पिष्टी -5ग्राम
प्रवाल पिष्टी - 10ग्राम
गिलोय सत् - 15ग्राम
सितोपलादि चूर्ण- 20ग्राम

ऊपर लिखी सब चीजें आप किसी अच्छी कंपनी की खरीदकर , कसकर घुटाई करके पुड़िया बराबर मात्रा में बांध लें । सुबह-दोपहर-शाम 1-1-1पुड़िया मलाई से चाटकर ऊपर से दूध की लस्सी पीएं ।

परहेज :- जो परहेज बताएं है ,सखती से पालन करें । जैसे:-गर्म मसाले, तेज नमक,मिर्च,आचार,चाय,काफी,मीट,
शराब,अंडा,मछली,खट्टा,बेसन,मेदा न लें । हल्का सुपाचय भोजन ही लें। फल ,जूस , दूध लें ।

नोट:- दूध की लस्सी बनाने का तरीका यह है कि आधा पानी आधा दूध दोनो मिला लें । यही दूध की लस्सी है । कच्चा दूध मिल जाए तो सबसे अच्छा , नही तो उबला भी चलेगा । ..... रब्ब राखा ........

★Disclaimer 👇🏻
👉🏾 आपसे एक जरुरी बात :- नशा किसी भी तरह का हो , चाहे सिगरेट, बीड़ी, तम्बाकू,गांजा,अफीम,शराब, स्मैक, हीरोइन आदि। जिन्होंने भूतकाल में सेवन किया हो , या दवा के साथ सेवन कर रहा हो , छोड़ न रहा हो , तो चाहे लाखों की दवा खा लें। कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

आयुर्वेद क्या !! हर पैथी की दवा के साथ डाक्टर/वैद्य के बताए अनुसार , अगर रोगी पथ्य-अपथ्य का पालन करता है।‌या ( खासकर गुप्त रोग, पुरुष स्त्री रोगों में ) दवा के सेवन में कम से कम 40 दिन सं+भो+ग से दूरी बनाकर रखता है। ऐसे मरीज पर दवा जादू की तरह काम करती है।

जो रोगी आहार -विहार, पथ्य-परहेज नहीं करता। कृपा करके वो दवा न ही खाएं तो बेहतर होगा। अपना मेहनत से कमाया गया पैसा और समय बर्बाद न करें। जब नशे और बदपरहेजियों से मन भर जाएं तो फिर हमारी दवा का सेवन करें और आयुर्वेद का चमत्कार देखें। नहीं तो वैद्य और आयुर्वेद को कोसने का कोई मतलब नहीं है। ऐसा हर रोग , हर मरीज के ऊपर लागू होता है।

हम जो नुस्खे लिखते है , कृपया किसी कुशल आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से ही इस्तेमाल करें। या हमसे आप परामर्श करके इस्तेमाल कर सकते हैं। परामर्श के लिए कृपया WhatsApp पर ही text message या Audio recording भेजें। जो आपके पास रिपोर्ट, test है। भेजें। जीभ , नाखुन, चेहरा की फोटो जरुर भेजें। अपनी दिनचर्या साथ में लिखें। धन्यवाद

मिलते हैं ऐसी है नयी जानकारी के साथ, रब्ब राखा 🙏🏻

👉🏾जटिल, पुराने रोगों के लिए संपर्क करें।
PCOD,Cyst,Cancer,Blood Cancer, Immunity Power,Fibroid, infertility, Gall stone, Hernia,Sperm, नामर्दी, शीघ्रपतन, थाइराइड, मधुमेह, cerebral palsy, muscular dystrophy,Cancer, Breast Cancer, AIDS, psoriasis,अस्थमा, पुराना नजला, किडनी,Liver,Heart,Brain etc. सभी Problems का आयुर्वेदिक दवा से इलाज करवाने के लिए जरूर संपर्क करें।‌

★सदैव आपका अपना शुभचिंतक ★
•वैद्य अमनदीप सिंह चीमा
•अमन आयुर्वेद,144205, पंजाब
•Call & WhatsApp 099151 36138

© मेरे लेख Copy न करें।

10/12/2024

★श्री अमनामृत सागर -अनुभूत नुस्खे -35

•Sinusitis साइनोसाइटिस की आयुर्वेदिक चिकित्सा•

इस रोग से बहुत लोग दु:खी है । जानकारी के अभाव में लोग कैमीकल वाली दवाईयाँ खाते रहते है, लेकिन कोई सही इलाज नही मिल पाता ।
अआप घबराएं नही , आयुर्वेद में इसकी सफल चिकित्सा है । मैं आपके लिए अच्छी आयुर्वेदिक चिकित्सा लिखूंगा जो आपको कैमीकल वाली दवाओं से बचाएगी और जो साथ में गिफ्ट में रोग मिलते है उनसे भी बचाव होगा ।
आयुर्वेद अनुसार यह नजला-जुकाम है जो साइनस के affect होने से होता है। साइनस (Sinus) हवा से भरी खोखली छोटी-छोटी गुहा रूपी structures हैं, जो nose के आसपास चेहरे व सिर की bones के inside होते हैं तथा nose के inside खुलते है। जैसे both side face की bones में maxileri साइनस, nose के ऊपर head में frontal साइनस, eyes के पास ethmoid साइनस तथा
inside part में बीचोबीच mind से सटा sfenoid साइनस।
Sinusitis साइनस व आइटिस से मिलकर बना शब्द है, जिसका मतलब है साइनस के inside swelling आना। बहुत लोगों को इस problem में साइनस के साथ nose भी affect होती है इसलिए इसके लिए rainosities word का use भी किया जाता है। Related साइनस से nose के inside खुलने वाला austriyo छिद्र close हो जाता है। इसके अंदर बने mucus के मार्ग में बाधा start होने से कई समस्याएं पनपने लगती हैं। सब से ज्यादा maxileri साइनस (Sinus), फिर ethmoid साइनस, फिर frontal व सबसे कम sfenoid साइनस affect होते हैं। सभी साइनस एक साथ affect होने पर इस stage को pain sinusitis कहा जाता है। यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करने वाली एक साधारण समस्या है। हर साल प्रत्येक दस में तीन लोग इस रोग से पीड़ित हो जाते हैं। लगभग 15% में साइनस की समस्या पुरानी रहती है। 4 हफ्तों से कम समस्या रहने पर नई व 3 माह से अधिक रहने पर chronic Sinusitis कहलाती है।

कारण: – इस रोग के मुख्य कारण में नाक व साइनस में सूजन तथा एलर्जी बने रहना है। नाक के अंदर कई समस्याएं इसका कारण बन सकती हैं। जैसे हड्डी का टेढ़ापन। deviated nasal septum, terminates का बढ़ना, adenoids tissue बढ़ना, pollips का बनना आदि। 20% में maxileri साइनसाइटिस का कारण दांतो की समस्या होती है। बढ़ता प्रदूषण, गंदे पानी में swimming करना भी इसका कारण बन सकता है। लम्बे समय तक allergy रहने पर साइनस के inside की mucosa झिल्ली फूलकर रसोली (गांठ) जैसा आकार ले लेती है। इनको pollips कहते हैं। virus, bacteria के अलावा fungus भी साइनस infection का कारण होते हैं।

लक्षण: –सिर दर्द, भारीपन व संबंधित साइनस की जगह पर stress महसूस होता है। साइनस का दर्द आगे झुकने पर प्राय: बढ़ जाता है। बुखार, कमजोरी, सूंघने की शक्ति में कमी, सांस में बदबू आना। जैसे लक्षण हो सकते हैं। इंफेक्शन रिसाव के नाक के पीछे से throught में post nasal drip के रूप में टपकने से गला damage रहता है। खांसी बनी रह सकती है। nose से ear को जाने वाली Eustachian tube के प्रभावित होने पर ear में infection, भारीपन व hearing में problem हो सकती हैं। इलाज न होने पर आँखें और दिमाग की नजदीकी के कारण इन हिस्सों के प्रभावित होने की आशंका रहती है। इससे ओर vital cellulite, मेनिन्जाइटिस, cavernous साइनस thrombosis जैसी जटिल situation हो सकती है।

जांच व उपचार: Nasal endoscopy द्वारा nose व साइनस को दूरबीन की मदद से पर्दे पर देखा जाता है। C.T.scan से सभी साइनस की real situation व अन्य important structure के बारे में जानकारी मिल जाती है। antibiotics, anti allergic anti clock spray के प्रयोग से ज़्यादातर लोगों में इस समस्या को ठीक किया जा सकता है। Steam का परयोग भी लाभकारी होता है। बार-बार लंबे समय तक साइनस infection का कारण यदि हड्डी का टेढ़ापन, pollip या बढ़े हुए adenoids हैं तो इन्हे ठीक करना भी जरूरी होता है। Allopathic डाकटर जब रोग पकड़ में न आए तो surgery के लिए बोल देते है। इसे fuctional endoscopic साइनस surgery कहते हैं। इसमें बिना बाहरी चीर-फाड़ के दूरबीन की मदद से नाक के अन्दर साइनसेज के Austina को खोल दिया जाता है, जिससे mucus का रास्ता सुचारु हो जाता है अन्य technique balloon sinoplasty है, जिसमें पतले लचीले balloon को फूलकर साइनस के खोल को चौड़ा किया जाता है।

मेरे पास बहुत मरीज आप्रेशन करवा कर भी जब ठीक नही होते तो इलाज के लिए आते है । आयुर्वेद चिकित्सा करवाने के बाद उन्हे कभी किसी तरह की समस्या नही आती । अपना जीवन साधारण मनुष्य की तरह बिताते है ।

आपकी सेवा में कुछ उपाय बता रहा हुँ .... कुशल आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श करके प्रयोग करें ।

Sinusitis साइनोसाइटिस का मेरा आयुर्वेदिक अनुभूत इलाज:-

नुस्खा नं:1
100ग्राम देशी हल्दी को देशी घी में भूनकर ठंडा होने के बाद ,उसमें 200ग्राम त्रिफला , 50ग्राम सफेद मिर्च , दालचीनी 50ग्राम , छोटी इलाची बीज 5ग्राम कूट पीसकर,छानकर सबको मिलाकर रख लें ।
सुबह-शाम 1-1चम्मच चूर्ण गर्म पानी या दूध से लें ।

नुस्खा नं:2
महालक्षमी विलास रस 1गोली ,
पुनर्नवादि मंडूर 2गोली ,
अरोग्यावर्धनी वटी 1गोली
चयवनप्राश 20ग्राम
सुबह खाली पेट चाटकर, थोड़ा गर्म पानी या चाय पी लें ।

नुस्खा नं:3
नवजीवन रस 5ग्राम
टंकण भस्म 10ग्राम
महालक्षमी विलास रस 6ग्राम
पुनर्नवादि मंडूर 15ग्राम
गोदंती भस्म 10ग्राम
ताप्यादि लोह नं१ - 5ग्राम
मधुयष्ठी चूर्ण 20ग्राम

सबको मिलाकर 60पुडिया बना लें । सुबह-शाम शहद से एक-एक पुडियाँ चाटकर ऊपर से कनकासव 2-2चम्मच गर्म पानी में मिलाकर खाने के १ घंटे बाद लें ।

नुस्खा नं:4
मेरा बेसन वाला नुस्खा , जो पहले लिख चुका हुँ । रात का खाना छोड़कर , बनाकर खाएं । साथ में नाक में किसी भी कंपनी ( वैद्यनाथ,डाबर , पतंजली ) का Shadbindu oil रात को सोते समय सिर टेढ़ा करके नाक में चार-चार बूंद डालें । 10 मिनट तक पूरा सिर टेढ़ा करके रखें ।
1 घंटे तक पहले और बाद में कोई भी तरल ठंडी चीज न लें ।
आप यह दवाओ का प्रयोग करके सदा के लिए इस रोग के लिए छुटकारा पा सकते है ।

जरूरी सूचना :- नुस्खा नं:2 और नुस्खा नं:3 में से कोई एक ही इस्तेमाल करें । बाकी सारे इस्तेमाल करने है । यानि Total तीन नुस्खें इस्तेमाल करने है ।

आयुर्वेद के ऐसे और नुस्खों की जानकारी के लिए हमें follow जरूर करें, Post शेयर करें। स्वर्ण योगों की जानकारी के लिए स्वर्ण भस्म श्रृंखला पढ़ें और अनुभूत नुस्खों के लिए श्री अमनामृत सागर -अनुभूत नुस्खे श्रृंखला के सभी भाग पढ़ते रहिए। धन्यवाद 🙏🏻

★Disclaimer 👇🏻
👉🏾 आपसे एक जरुरी बात :- नशा किसी भी तरह का हो , चाहे सिगरेट, बीड़ी, तम्बाकू,गांजा,अफीम,शराब, स्मैक, हीरोइन आदि। जिन्होंने भूतकाल में सेवन किया हो , या दवा के साथ सेवन कर रहा हो , छोड़ न रहा हो , तो चाहे लाखों की दवा खा लें। कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

आयुर्वेद क्या !! हर पैथी की दवा के साथ डाक्टर/वैद्य के बताए अनुसार , अगर रोगी पथ्य-अपथ्य का पालन करता है।‌या ( खासकर गुप्त रोग, पुरुष स्त्री रोगों में ) दवा के सेवन में कम से कम 40 दिन सं+भो+ग से दूरी बनाकर रखता है। ऐसे मरीज पर दवा जादू की तरह काम करती है।

जो रोगी आहार -विहार, पथ्य-परहेज नहीं करता। कृपा करके वो दवा न ही खाएं तो बेहतर होगा। अपना मेहनत से कमाया गया पैसा और समय बर्बाद न करें। जब नशे और बदपरहेजियों से मन भर जाएं तो फिर हमारी दवा का सेवन करें और आयुर्वेद का चमत्कार देखें। नहीं तो वैद्य और आयुर्वेद को कोसने का कोई मतलब नहीं है। ऐसा हर रोग , हर मरीज के ऊपर लागू होता है।

हम जो नुस्खे लिखते है , कृपया किसी कुशल आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से ही इस्तेमाल करें। या हमसे आप परामर्श करके इस्तेमाल कर सकते हैं। परामर्श के लिए कृपया WhatsApp पर ही text message या Audio recording भेजें। जो आपके पास रिपोर्ट, test है। भेजें। जीभ , नाखुन, चेहरा की फोटो जरुर भेजें। अपनी दिनचर्या साथ में लिखें। धन्यवाद

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PCOD,Cyst,Cancer,Blood Cancer, Immunity Power,Fibroid, infertility, Gall stone, Hernia,Sperm, नामर्दी, शीघ्रपतन, थाइराइड, मधुमेह, cerebral palsy, muscular dystrophy,Cancer, Breast Cancer, AIDS, psoriasis,अस्थमा, पुराना नजला, किडनी,Liver,Heart,Brain etc. सभी Problems का आयुर्वेदिक दवा से इलाज करवाने के लिए जरूर संपर्क करें।‌

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09/12/2024

Heart Attack, paralysis Alert
जिनका बी.पी हाई रहता है। खून गाढ़ा है या lipid profile में खराबी है, वो ठंड और ठंडे पानी से बचें
‌ ™

05/12/2024

★स्वर्ण भस्म - भाग-60

“Migraine / माइग्रेन / आधा-शीशी”

~मेरा अनुभूत प्रयोग ~

शिर शूलादिवज्र रस 10 ग्राम,
गोदंती भस्म 10 ग्राम,
प्रवाल पिष्टी 5 ग्राम,
महा लक्षमी विलास रस 5 ग्राम,
सूत शेखर रस वृहत 5 ग्राम

पहले सूतशेखर रस वृहत,महालक्ष्मी विलास रस , शिरशूलादिवज्र रस अच्छी तरह चिकने खरल में पीस लें , फिर गोदंती , प्रवाल पिष्टी मिलाकर, एक घंटा खूब खरल करके 45 पुड़िया बना लें। एक एक पुड़िया सुबह दोपहर शाम यानि रोज तीन पुड़िया शहद से चाटकर ऊपर से दूध पीएं ।

नाक में रात को रोगन बादाम 4 बूंद + रोगन खसखस 1 बूंद डालें . रोज सिर टेढा करके।

★Disclaimer 👇🏻
👉🏾 आपसे एक जरुरी बात :- नशा किसी भी तरह का हो , चाहे सिगरेट, बीड़ी, तम्बाकू,गांजा,अफीम,शराब, स्मैक, हीरोइन आदि। जिन्होंने भूतकाल में सेवन किया हो , या दवा के साथ सेवन कर रहा हो , छोड़ न रहा हो , तो चाहे लाखों की दवा खा लें। कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

आयुर्वेद क्या !! हर पैथी की दवा के साथ डाक्टर/वैद्य के बताए अनुसार , अगर रोगी पथ्य-अपथ्य का पालन करता है।‌या ( खासकर गुप्त रोग, पुरुष स्त्री रोगों में ) दवा के सेवन में कम से कम 40 दिन सं+भो+ग से दूरी बनाकर रखता है। ऐसे मरीज पर दवा जादू की तरह काम करती है।

जो रोगी आहार -विहार, पथ्य-परहेज नहीं करता। कृपा करके वो दवा न ही खाएं तो बेहतर होगा। अपना मेहनत से कमाया गया पैसा और समय बर्बाद न करें। जब नशे और बदपरहेजियों से मन भर जाएं तो फिर हमारी दवा का सेवन करें और आयुर्वेद का चमत्कार देखें। नहीं तो वैद्य और आयुर्वेद को कोसने का कोई मतलब नहीं है। ऐसा हर रोग , हर मरीज के ऊपर लागू होता है।

हम जो नुस्खे लिखते है , कृपया किसी कुशल आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से ही इस्तेमाल करें। या हमसे आप परामर्श करके इस्तेमाल कर सकते हैं। परामर्श के लिए कृपया WhatsApp पर ही text message या Audio recording भेजें। जो आपके पास रिपोर्ट, test है। भेजें। जीभ , नाखुन, चेहरा की फोटो जरुर भेजें। अपनी दिनचर्या साथ में लिखें। धन्यवाद

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👉🏾जटिल, पुराने रोगों के लिए संपर्क करें।
PCOD,Cyst,Cancer,Blood Cancer, Immunity Power,Fibroid, infertility, Gall stone, Hernia,Sperm, नामर्दी, शीघ्रपतन, थाइराइड, मधुमेह, cerebral palsy, muscular dystrophy,Cancer, Breast Cancer, AIDS, psoriasis,अस्थमा, पुराना नजला, किडनी,Liver,Heart,Brain etc. सभी Problems का आयुर्वेदिक दवा से इलाज करवाने के लिए जरूर संपर्क करें।‌

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