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कभी-कभी यूँ ही वो ख़त कोरा छोड़ देता है, वो मुझको नाराज़गी अपनी बेमिसाल भेजता है...🥀
05/07/2025

कभी-कभी यूँ ही वो ख़त कोरा छोड़ देता है, वो मुझको नाराज़गी अपनी बेमिसाल भेजता है...🥀

क्या ये भारत में भी होना चाहिए?
03/07/2025

क्या ये भारत में भी होना चाहिए?

03/07/2025

लड़का तनाव में हैं,हालातों से लड़ रहा हैं. यह किसी को मालूम नहीं.. लड़का दारू पीता हैं. नशे करता हैं यह सबको मालूम हैं !

वो सामने आए तो अजब तमाशा हुआ, हर शिकायत ने जैसे खुदखुशी कर ली...🥀
02/07/2025

वो सामने आए तो अजब तमाशा हुआ, हर शिकायत ने जैसे खुदखुशी कर ली...🥀

इतना मत तरसा की मुझें अपने फ़ैसले पर अफ़सोस हो,कल तु बात करना चाहे और हम ख़ामोश हो...🥀
02/07/2025

इतना मत तरसा की मुझें अपने फ़ैसले पर अफ़सोस हो,
कल तु बात करना चाहे और हम ख़ामोश हो...🥀

स्त्रियों के बिना तो पुरुषों की गालीयाँ भी अधूरी है ... ज़िंदगी क्या ख़ाक मुकम्मल होगी
01/07/2025

स्त्रियों के बिना तो पुरुषों की गालीयाँ भी अधूरी है ... ज़िंदगी क्या ख़ाक मुकम्मल होगी

24/06/2025

तौफिक बुर्का पहनकर नेहा को 5वीं मंजिल से दिया धक्का, दिल्ली में दिल दहला देने वाली वारदात

❤️ कहानी: सफ़र में तुम...दिल्ली स्टेशन की भीड़ में हर कोई कहीं ना कहीं पहुंचने की जल्दी में था। प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर खड़...
22/06/2025

❤️ कहानी: सफ़र में तुम...
दिल्ली स्टेशन की भीड़ में हर कोई कहीं ना कहीं पहुंचने की जल्दी में था। प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर खड़ा आरव अपने मोबाइल में घड़ी देखते हुए बोर हो रहा था। आज वो लखनऊ जा रहा था — काम से छुट्टी लेकर घर। लेकिन इस सफ़र में कुछ अलग था, एक अजीब सी बेचैनी, एक खालीपन।

शताब्दी एक्सप्रेस धीरे-धीरे स्टेशन पर लगी। आरव ने अपनी बर्थ ढूंढी — 17A। सामान रखते ही सामने की सीट पर उसकी नजर पड़ी। एक लड़की बैठी थी, गुलाबी सूट, खुले बाल, और हाथ में एक पुरानी डायरी। चेहरा शांत था, जैसे बारिश के बाद की मिट्टी की खुशबू।

"हाय," आरव ने हल्की मुस्कान के साथ कहा।

लड़की ने नजरें उठाईं और संकोच के साथ जवाब दिया, "हैलो।"

आरव अपनी सीट पर बैठ गया लेकिन उसकी नजरें बार-बार उस डायरी की ओर जा रही थीं।

कुछ देर की चुप्पी के बाद लड़की ने ही बात शुरू की,
"आपको डायरी लिखने का शौक है?"

आरव थोड़ा चौंका, "नहीं, लेकिन पढ़ने का शौक है… और अब जानने का भी कि तुम क्या लिख रही हो।"

लड़की मुस्कराई।
"मैं सफ़र में लिखना पसंद करती हूं। जब ट्रेन चलती है, लगता है जैसे मेरे एहसास भी चलने लगते हैं।"

आरव ने दिलचस्पी से पूछा, "और आज क्या लिख रही हो?"

लड़की ने धीमे से कहा,
"शायद उस अनजाने लड़के के बारे में, जो मेरी सीट के सामने बैठा है… और बड़ी सच्चाई से मुस्करा रहा है।"

आरव थोड़ी देर तक उसे देखता रहा। पहली बार किसी ने उसे ऐसे देखा था — जैसे वो सच में दिखना चाहता है।

उनके बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। पसंदीदा किताबें, अधूरी कविताएं, चाय की बातें, अकेलेपन की आदतें… सबकुछ। ऐसा लग रहा था जैसे वो सालों से एक-दूसरे को जानते हों।

ट्रेन अब कानपुर पहुंची थी। रात की हल्की ठंडक और स्टेशन की पीली रौशनी ने उस पल को और खास बना दिया था।

आरव ने पूछा,
"तुम्हें ये स्टेशन इतना क्यों पसंद है?"

"बचपन में यहीं से नानी के घर जाया करती थी। हर बार सोचती थी कि कोई सफ़र ऐसा होगा, जो यहीं से शुरू होकर कभी खत्म न हो…" — लड़की ने कहा।

आरव ने उसे थोड़ी देर देखा और धीरे से कहा,
"तो फिर चलो, इस बार वही सफ़र शुरू करते हैं।"

लड़की ने कुछ नहीं कहा, बस एक लंबी सांस ली और सिर आरव के कंधे पर रख दिया। उस क्षण में न कोई शब्द थे, न वादा, लेकिन एक एहसास था — बेहद सच्चा।

जब ट्रेन लखनऊ पहुंची, लोग अपने-अपने बैग लेकर बाहर निकल रहे थे, लेकिन आरव और वो लड़की अभी भी बैठे थे। जैसे उनकी मंज़िल ट्रेन से बाहर नहीं, एक-दूसरे के साथ थी।

आरव ने कहा,
"मैं तुम्हें एक हिस्सा बनाना चाहता हूं — अपनी डायरी का नहीं, ज़िंदगी का।"

लड़की ने उसकी आंखों में देखा और कहा,
"तो फिर पहला पन्ना आज ही लिख लो… नाम देना हो, तो लिख देना — ‘सफ़र में तुम…’"

💫
ये कहानी सिर्फ ट्रेन की यात्रा की नहीं, दो दिलों के सफ़र की शुरुआत की है।
कभी-कभी सबसे सुंदर रिश्ते वहीं बनते हैं जहां हम उन्हें ढूंढने नहीं जाते — बस एक अनजाना सफ़र, और एक मुस्कुराती हुई मंज़िल…

पकड़ कर नब्ज मेरी हकीम येबोला,,वो जिंदा है तुजमे.. तू मर चुकी है जिस पे...🥀
10/06/2025

पकड़ कर नब्ज मेरी हकीम ये
बोला,,
वो जिंदा है तुजमे.. तू मर चुकी है जिस पे...🥀

पुरुषों का अलग ही हिसाब है:शमशान से बिना रोए लौट आते हैं मगर प्रेमिका के विरह में रो पड़ते हैं!
04/06/2025

पुरुषों का अलग ही हिसाब है:
शमशान से बिना रोए लौट आते हैं मगर
प्रेमिका के विरह में रो पड़ते हैं!

अब आ भी जाओ, इतराओ मत..हम नहीं रह सकते आपके बिना, जताओ मत.. हां, हो गई गलती हमसे, अब माफ भी करदो..चुप रहकर, सताओ मत।
04/06/2025

अब आ भी जाओ, इतराओ मत..

हम नहीं रह सकते आपके बिना, जताओ मत.. हां, हो गई गलती हमसे, अब माफ भी करदो..

चुप रहकर, सताओ मत।

पसंदीदा लोग तकलीफ बहुत देते हैं...🥀
14/05/2025

पसंदीदा लोग तकलीफ बहुत देते हैं...🥀

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