01/10/2024
*प्राणायाम की विधि एवं लाभ..*
*✍️*DR R C SHUKLA
Director :-Sakshi Naturopathy centre
9811202544*
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प्राणायाम (प्राण + आयाम) का अर्थ है "प्राण (जीवन ऊर्जा) का विस्तार या नियंत्रण"। यह योग का एक महत्वपूर्ण अंग है और इसे आयुर्वेद में स्वास्थ्य और मानसिक शांति बनाए रखने के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है। प्राणायाम श्वसन क्रिया को नियंत्रित करने की कला है, जिसमें विशेष प्रकार की श्वास लेने और छोड़ने की तकनीकें शामिल हैं। इसका अभ्यास करने से प्राण ऊर्जा को शरीर में संतुलित किया जा सकता है, जिससे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
*प्राणायाम के मुख्य प्रकार..*
*1. अनुलोम-विलोम (वैकल्पिक नासिका श्वास).....*
विधि...
आरामदायक स्थिति में बैठकर एक नाक से श्वास लें और दूसरी से श्वास छोड़ें, फिर क्रम उल्टा करें।
लाभ....
यह मन को शांत करता है, तनाव को कम करता है, और वात, पित्त, कफ दोषों को संतुलित करता है।
*2. भ्रामरी प्राणायाम....*
विधि.....
गहरी श्वास लें और श्वास छोड़ते समय मधुमक्खी की भनभनाहट जैसी आवाज करें। कानों को अंगूठों से और आंखों को उंगलियों से ढकें।
लाभ....
यह तनाव, चिंता, अनिद्रा, और मानसिक थकान को दूर करता है, साथ ही मन को शांत रखता है।
*3. कपालभाति प्राणायाम....*
विधि....
तेज गति से श्वास छोड़ें और पेट को अंदर की ओर खींचें। श्वास स्वाभाविक रूप से अंदर जाती है।
लाभ....
यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है, पाचन क्रिया को सुधारता है, और वजन कम करने में मदद करता है।
*4. भस्त्रिका प्राणायाम....*
विधि...
गहरी और तीव्र गति से श्वास लें और छोड़ें। यह श्वास प्रक्रिया जल्दी और जोर से की जाती है।
लाभ....
यह शरीर को ऊर्जावान बनाता है, ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाता है, और श्वसन प्रणाली को मजबूत बनाता है।
*5. उज्जायी प्राणायाम..*
विधि....
गले से हल्की आवाज़ निकालते हुए धीरे-धीरे श्वास लें और श्वास छोड़ें।
*लाभ....*
यह मानसिक और शारीरिक तनाव को कम करता है, थायरॉइड समस्याओं में लाभकारी है, और ध्यान की स्थिति को गहरा करता है।
*6. शीतली प्राणायाम*
*विधि..*
जीभ को नली की तरह बनाकर मुंह से श्वास लें और नाक से श्वास छोड़ें।
*लाभ..*
यह शरीर को ठंडक प्रदान करता है, पित्त दोष को संतुलित करता है, और मानसिक शांति लाता है।
*✍️ Dr R C SHUKLA
9811202544
*प्राणायाम के लाभ..*
◼️1. श्वसन तंत्र में सुधार...
प्राणायाम फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है और श्वसन तंत्र को मजबूत करता है।
◼️2. मानसिक शांति....
यह तनाव, चिंता, और क्रोध को कम करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।
◼️3. रक्त परिसंचरण में सुधार....
प्राणायाम रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाकर रक्त परिसंचरण को सुधारता है।
◼️4. प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि....
नियमित अभ्यास से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे शरीर बीमारियों से लड़ने में सक्षम होता है।
◼️5. दोष संतुलन....
विभिन्न प्राणायाम तकनीकें तीन दोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करने में मदद करती हैं।
◼️6. चेतना में वृद्धि.....
प्राणायाम मन को ध्यान के लिए तैयार करता है, जिससे आत्म-साक्षात्कार और चेतना में वृद्धि होती है।
▪️▪️प्राणायाम का अभ्यास कैसे करें.....
▪️1. प्राणायाम का अभ्यास सुबह खाली पेट करें, या भोजन के चार घंटे बाद।
▪️2. किसी शांत और साफ वातावरण में बैठें, जहां ताजी हवा हो।
▪️3. आरामदायक स्थिति में बैठकर रीढ़ को सीधा रखें।
▪️4. मन को शांत करें और पूरे ध्यान के साथ श्वास लें और छोड़ें।
▪️5. शुरुआत में कुछ मिनट ही करें, और फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।
▪️▪️सावधानियाँ....
▪️1. उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, या कोई अन्य गंभीर समस्या होने पर किसी विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही प्राणायाम का अभ्यास करें।
▪️2. प्राणायाम का अभ्यास धीरे-धीरे और संयम से करें। इसे जोर से या बहुत अधिक बल के साथ न करें।
▪️3. गर्भवती महिलाएं और बच्चों को कुछ प्रकार के प्राणायाम से बचना चाहिए।
प्राणायाम एक सरल, लेकिन अत्यधिक प्रभावी तकनीक है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संतुलित करने में मदद करती है। इसे नियमित रूप से करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं।
*आयुर्वेद अपनाएं स्वस्थ जीवन पायें*