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                                            INDEPENDENCE DAY 2025 JAI HIND
स्वतंत्रता सिर्फ़ गुलामी से मुक्ति नहीं है,
यह मन के बंधनों से आज़ादी भी है।
ईर्ष्या, क्रोध, भेदभाव, नकारात्मकता, भय, लालच, अहंकार –
ये भी अदृश्य जंजीरें हैं, जो हमें भीतर से कैद करती हैं।
जब हम दूसरों की सफलता में खुशी ढूँढते हैं,
अपने क्रोध को करुणा में बदलते हैं,
भेदभाव की जगह समानता को अपनाते हैं,
तभी हम असली आज़ादी महसूस करते हैं।
जैसा कि कवि हरिवंश राय बच्चन ने कहा था –
"मुक्ति तभी, जब मन का भय भी टूटे,
मुक्ति तभी, जब अपने भीतर की जंजीरें भी टूटें।"
आओ, इस स्वतंत्रता दिवस पर सिर्फ़ देश की ही नहीं,
अपने मन, विचार और आत्मा की भी मुक्ति का संकल्प लें।
यही है सच्ची स्वतंत्रता। 🇮🇳
   #स्वतंत्रता  #सच्चीआजादी    
 #मनकीमुक्ति      
     
     
     
                     
VANDE MATARAM
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