03/09/2025
#श्राद्ध_तर्पण
हिन्दू धर्म की एक पवित्र परंपरा है, जो पितरों (पूर्वजों) की आत्मा की शांति, तृप्ति और कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है। यह विशेष रूप से पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) के दौरान किया जाता है। यदि आप घर पर तर्पण करना चाहते हैं, तो नीचे इसकी सरल विधि दी गई है:
मुख्य संकल्प एक है 'अमुक गोत्र, अस्मत् पितृ (या पितामह/प्रपितामह), अमुक नाम (या देवी), ### रूप, तृप्यताम् इदम तिलोदकं/गंगाजलं वा, तस्मै स्वधा नमः'. यह विधि सूर्योदय से पहले स्नान करके, दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके और तिल, जौ आदि मिलाकर जल अर्पित करने के साथ की जाती है।
📌 #श्राद्ध तर्पण करने की सरल विधि (घर पर)
*आवश्यक सामग्री:*
1:-कुशा घास
2:-काले तिल
3:- जल (पवित्र जल, गंगाजल उत्तम)
4:-ताम्र पात्र/पीतल/ कांसा लोटा, थाली
5:- आसन (कुशा का आसन हो तो अच्छा)
6:-सफेद वस्त्र (श्राद्धकर्ता को पहनना चाहिए)
7:- जौ
8:-कुछ स्थानों पर अक्षत (चावल) और पुष्प भी रखे जाते हैं।
#तर्पण_की_विधि
✅समय :- मुख्यतः #वृश्चिक लग्न मे होता हैं क्योंकि इस समय दिन के लगभग 11 से 1 बजे के मध्य का समय होता हैं। जो दक्षिण दिशा हैं,दक्षिण दिशा ही पितृ देवताओं कि दिशा होती हैं।
अगर समय का किसी कारण आभाव हैं तो #तुला लग्न समय लगभग दिन के 9 बजे के बाद ही कर सकते हैं।
परन्तु सबसे उत्तम #अभिजीत महूर्त* का समय उत्तम दिया गया हैं।
*1. तैयारी:*
पितृ पक्ष के दौरान सुबह स्नान करके साफ वस्त्र पहनें. दक्षिण दिशा में मुँह करके बैठें और दाहिना घुटना जमीन पर टिकाएं।
*2. जल तैयार करें:*
लोटे में गंगाजल, कच्चा दूध, जौ, काले तिल, सफेद फूल और थोड़ा पानी डालें.।
*3. जल अर्पित करें:*
दोनों हाथों में जल भरकर, सीधे हाथ के अंगूठे से छूआकर, दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके जल अर्पित करें. यह प्रक्रिया 3,5,7,11 बार दोहराएं।
*4. मंत्र का उच्चारण:*
हर बार जल अर्पित करते समय मंत्र पढ़ें:
पिता के लिए: "*अमुक गोत्र, अस्मत् पिता अमुक नाम, वसु रूप, तृप्यताम् इदम तिलोदकं/गंगाजलं वा, तस्मै स्वधा नमः".*
दादाजी के लिए: "*अमुक गोत्र, अस्मत् पितामह अमुक नाम, रुद्र रूप, तृप्यताम् इदम तिलोदकं/गंगाजलं वा, तस्मै स्वधा नमः".*
दादी के लिए: " *अमुक गोत्रा, अस्मत पितामही अमुकी देवी, रुद्र रूप, तृप्यताम् इदम तिलोदकं/गंगाजलं वा, तस्मै स्वधा नमः".*
*या*
नीचे दिए गए मंत्रों का उच्चारण करें:
"ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः।"
"ॐ मातामहाय स्वधा नमः।"
"ॐ प्रपितामहाय स्वधा नमः।"
5. समर्पण:
सभी तर्पण के बाद, हाथ जोड़कर भगवान का स्मरण करते हुए करें: "अनेन यथाशक्ति कृतेन पित्री तर्पणान कर्मणा भगवान् पितृस्वरूपी जनार्दनवासुदेवः प्रीयताम् न मम।".
6.विशेष :- तर्पण के बाद पुनः स्नान करे।
7.भोजन (श्राद्ध भोजन):
ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन करवाएं।
सम्भव हो तो कौआ, कुत्ते, और गाय को भोजन देना चाहिए।
8. दक्षिणा और आशीर्वाद:
यदि ब्राह्मण उपस्थित हों, तो उन्हें भोजन और दक्षिणा दें।
उनसे पितरों की आत्मा की शांति हेतु आशीर्वाद प्राप्त करें।
🪔 महत्वपूर्ण बातें:
तर्पण करते समय मन शांत और एकाग्र रखें।
पितरों के नाम स्मरण करते हुए श्रद्धा से करें।
तर्पण पूर्णिमा से अमावस्या तक प्रतिदिन करे।
अगर तिथि ज्ञात हो तो अमुक श्राद्ध उसी तिथि पर भोजन ब्राह्मण को कराये अन्यथा अमावस्या को पूर्ण करे।
ः_शिवाय
#ओमकार_मिश्रा
#सर्वज्ञ_एस्ट्रोलॉजी