Pt. Omkar Mishra

Pt. Omkar Mishra ज्योतिष विज्ञान रहस्य और आध्यात्म ।
प्रमुख- सर्वज्ञ एस्ट्रोलॉजी

17/09/2025

श्लोक:
"गणितेषु प्रवीणो यः शब्दशास्त्रे कृतज्ञमः। न्यायविद् बुद्धिमान देशदिक्कालक्षोे जितेन्द्रियः।। ऊहोपोह-पटु होरा स्कंध श्रवण सम्मतः। मैत्रेय सत्यतां यानि तस्य वाक्यं न संशयः।।"
अर्थ:
एक कुशल ज्योतिषी को गणित, शब्द शास्त्र, न्याय, बुद्धि और देश-काल का ज्ञाता होना चाहिए। उस पर संशय नहीं करना चाहिए।

 #धर्म, कर्म कांड एवं  #ज्योतिष मतभेद विशेष*:-भारत मे धर्म की विवेचना और शास्त्रों के आधार पर पंचाँग और धर्म निर्णय का आ...
11/09/2025

#धर्म, कर्म कांड एवं #ज्योतिष मतभेद विशेष*:-
भारत मे धर्म की विवेचना और शास्त्रों के आधार पर पंचाँग और धर्म निर्णय का आधार पृथ्वी की जलवायु प्रस्थिति पर आधारित होती हैं।
अब विचार आता हैं :-
#आदिशंकराचार्य जी को पूरा भारत धर्म स्तम्भ मानता था और मानता रहेगा। फिर भी उन्होंने 4 मठ स्थापित क्यों किये।

*क्यों कि ज्योतिष शास्त्र वेदो के #नेत्र कहे गये हैं। नेत्र का कारक ग्रह सूर्य और चंद्र होता हैं।
*ये हम भी जानते ही है। परन्तु सूर्य से भी ज्याता चंद्र का बल नेत्रों को अधिक प्रदान किया गया हैं और ज्योतिष मे #चंद्र ग्रह को सबसे अधिक महत्व दिया गया हैं।
*ज्योतिष मे स्थान बल की महत्वतः चंद्र से भी अधिक दी गयी हैं जिसको ज्योतिष मे #लग्न बल का महत्व प्रदान किया गया हैं।
अतः चंद्र और लग्न ( मन और शरीर / जल और भूमि ) का महत्व दिया गया जिसके बिना ज्योतिष मे अन्य ग्रह अपने कार्य और फल प्रदान करने मे असमर्थ हो जाते हैं।

#विषय से दूर न जाते हुए विषय पर आता हूं -

भारत मे पंचाँग, महूर्त, धर्म नीति, कर्मकाण्ड का विषय बहुत भिन्न हैं।जिसे समझने का प्रयास व्यक्ति करना तो चाहता हैं पर मानना नहीं चाहता। क्यों कि अधूरी जानकारी घाटक होती हैं जो मारक समान होती हैं।

#भारतवर्ष मे धर्मनीति कर्मकाण्ड का ज्योतिषी गणित पृथ्वी पर बहते जल के अनुसार फलती फूलती हैं,जिसे लोग रीती भी बोलते हैं। या कुछ लोग परम्परा भी बोलते हैं।ज़ब भी लोक रीती और परम्परा का कोई उलंघन करता हैं तब धर्म मे विस्मतः आती हैं। वो भी तब ज़ब दूसरी भूमि और जल को अन्य स्थान पर थोपा जाता हैं।

#भारतवर्ष मे पंचाँग महूर्त, त्यौहार और कर्मकाण्ड आदि का मुख्य कारण नदियों कि दिशा से भी चलता हैं।

#नदियों_की_दिशा और धर्म रीवाजो / नीति / कर्मकाण्ड मे मतभेद:-
1:- उत्तर से पूर्व
2:- उत्तर से पश्चिम
3:- पूर्व से पश्चिम
4:- उत्तर से दक्षिण
5:- पूर्व से दक्षिण

ज़ब जल का प्रवाह एक दिशा मे नहीं हैं तो सभी पंचाँग/परम्परा /लोक रीती एक कैसे हो सकती हैं, इसी कारण लोग एक दूसरे पर ऊँगली उठाते हैं। और सही दोनों ही होते हैं।

ज्योतिष, कर्म कांड, धर्म सब एक होते हुए भी भूमि जल प्रवाह दिशा की भिन्नतः होती हैं।

अतः किसी विशेष कार्य के लिए अपने परोहित, ज्योतिषी, कुल गुरु से विचार विमस अवश्य करे।

धन्यवाद
🌹🙏🌹
#ज्योतिष_विद्यार्थी
Omkar Mishra
#सर्वज्ञ_एस्ट्रोलॉजी

07/09/2025
 #श्राद्ध_तर्पणहिन्दू धर्म की एक पवित्र परंपरा है, जो पितरों (पूर्वजों) की आत्मा की शांति, तृप्ति और कृपा प्राप्त करने क...
03/09/2025

#श्राद्ध_तर्पण
हिन्दू धर्म की एक पवित्र परंपरा है, जो पितरों (पूर्वजों) की आत्मा की शांति, तृप्ति और कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है। यह विशेष रूप से पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) के दौरान किया जाता है। यदि आप घर पर तर्पण करना चाहते हैं, तो नीचे इसकी सरल विधि दी गई है:

मुख्य संकल्प एक है 'अमुक गोत्र, अस्मत् पितृ (या पितामह/प्रपितामह), अमुक नाम (या देवी), ### रूप, तृप्यताम् इदम तिलोदकं/गंगाजलं वा, तस्मै स्वधा नमः'. यह विधि सूर्योदय से पहले स्नान करके, दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके और तिल, जौ आदि मिलाकर जल अर्पित करने के साथ की जाती है।

📌 #श्राद्ध तर्पण करने की सरल विधि (घर पर)

*आवश्यक सामग्री:*

1:-कुशा घास

2:-काले तिल

3:- जल (पवित्र जल, गंगाजल उत्तम)

4:-ताम्र पात्र/पीतल/ कांसा लोटा, थाली

5:- आसन (कुशा का आसन हो तो अच्छा)

6:-सफेद वस्त्र (श्राद्धकर्ता को पहनना चाहिए)

7:- जौ

8:-कुछ स्थानों पर अक्षत (चावल) और पुष्प भी रखे जाते हैं।

#तर्पण_की_विधि

✅समय :- मुख्यतः #वृश्चिक लग्न मे होता हैं क्योंकि इस समय दिन के लगभग 11 से 1 बजे के मध्य का समय होता हैं। जो दक्षिण दिशा हैं,दक्षिण दिशा ही पितृ देवताओं कि दिशा होती हैं।
अगर समय का किसी कारण आभाव हैं तो #तुला लग्न समय लगभग दिन के 9 बजे के बाद ही कर सकते हैं।
परन्तु सबसे उत्तम #अभिजीत महूर्त* का समय उत्तम दिया गया हैं।

*1. तैयारी:*

पितृ पक्ष के दौरान सुबह स्नान करके साफ वस्त्र पहनें. दक्षिण दिशा में मुँह करके बैठें और दाहिना घुटना जमीन पर टिकाएं।

*2. जल तैयार करें:*

लोटे में गंगाजल, कच्चा दूध, जौ, काले तिल, सफेद फूल और थोड़ा पानी डालें.।

*3. जल अर्पित करें:*

दोनों हाथों में जल भरकर, सीधे हाथ के अंगूठे से छूआकर, दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके जल अर्पित करें. यह प्रक्रिया 3,5,7,11 बार दोहराएं।

*4. मंत्र का उच्चारण:*

हर बार जल अर्पित करते समय मंत्र पढ़ें:

पिता के लिए: "*अमुक गोत्र, अस्मत् पिता अमुक नाम, वसु रूप, तृप्यताम् इदम तिलोदकं/गंगाजलं वा, तस्मै स्वधा नमः".*

दादाजी के लिए: "*अमुक गोत्र, अस्मत् पितामह अमुक नाम, रुद्र रूप, तृप्यताम् इदम तिलोदकं/गंगाजलं वा, तस्मै स्वधा नमः".*

दादी के लिए: " *अमुक गोत्रा, अस्मत पितामही अमुकी देवी, रुद्र रूप, तृप्यताम् इदम तिलोदकं/गंगाजलं वा, तस्मै स्वधा नमः".*

*या*

नीचे दिए गए मंत्रों का उच्चारण करें:

"ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः।"
"ॐ मातामहाय स्वधा नमः।"
"ॐ प्रपितामहाय स्वधा नमः।"

5. समर्पण:

सभी तर्पण के बाद, हाथ जोड़कर भगवान का स्मरण करते हुए करें: "अनेन यथाशक्ति कृतेन पित्री तर्पणान कर्मणा भगवान् पितृस्वरूपी जनार्दनवासुदेवः प्रीयताम् न मम।".

6.विशेष :- तर्पण के बाद पुनः स्नान करे।

7.भोजन (श्राद्ध भोजन):

ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन करवाएं।

सम्भव हो तो कौआ, कुत्ते, और गाय को भोजन देना चाहिए।

8. दक्षिणा और आशीर्वाद:

यदि ब्राह्मण उपस्थित हों, तो उन्हें भोजन और दक्षिणा दें।

उनसे पितरों की आत्मा की शांति हेतु आशीर्वाद प्राप्त करें।

🪔 महत्वपूर्ण बातें:

तर्पण करते समय मन शांत और एकाग्र रखें।

पितरों के नाम स्मरण करते हुए श्रद्धा से करें।

तर्पण पूर्णिमा से अमावस्या तक प्रतिदिन करे।

अगर तिथि ज्ञात हो तो अमुक श्राद्ध उसी तिथि पर भोजन ब्राह्मण को कराये अन्यथा अमावस्या को पूर्ण करे।

ः_शिवाय
#ओमकार_मिश्रा
#सर्वज्ञ_एस्ट्रोलॉजी

03/09/2025

#ज्योतिषीय_दृष्टि_से_श्राद्ध_पक्ष_का_महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितृपक्ष केवल पितरों की तृप्ति का ही समय नहीं है, बल्कि यह पितृदोष निवारण का भी सबसे श्रेष्ठ अवसर है।

जिन जातकों की जन्म कुंडली में पितृदोष होता है, उनके जीवन में बार-बार बाधाएँ, संतान सुख में कमी, आर्थिक कठिनाई और पारिवारिक समस्याएँ देखी जाती हैं।

पितृदोष का कारण यह माना जाता है कि पूर्वजों की आत्मा असंतुष्ट है या उनके श्राद्ध कर्म ठीक से नहीं किए गए हैं।

इस दोष का निवारण श्राद्ध पक्ष में विशेष पूजन, तर्पण और पिंडदान द्वारा किया जा सकता है।

🌹🙏🌹

ॐ नमः शिवाय 🌹🙏🌹
03/09/2025

ॐ नमः शिवाय
🌹🙏🌹

 #क्या_है_मंगल_दोषजब मंगल ग्रह कुंडली के 1st, 2nd, 4th, 7th, 8th या 12th भाव में स्थित हो, तो मंगलिक दोष बनता है। यह दोष...
29/08/2025

#क्या_है_मंगल_दोष

जब मंगल ग्रह कुंडली के 1st, 2nd, 4th, 7th, 8th या 12th भाव में स्थित हो, तो मंगलिक दोष बनता है। यह दोष वैवाहिक जीवन में संघर्ष, कलह या स्वास्थ्य संबंधी बाधाओं का सूचक माना जाता है।

🔓 मंगल दोष भंग होने की मुख्य स्थितियाँ (भंग नियम)

नीचे वे मुख्य स्थितियाँ हैं जब मंगल दोष स्वतः समाप्त (भंग) हो जाता है:

1. दोनों पति-पत्नी मंगलिक हों

अगर वर और वधू दोनों की कुंडली में मंगल दोष है, तो उनका प्रभाव एक-दूसरे को काट देता है, और दोष निष्क्रिय हो जाता है।

2. मंगल उच्च राशि में हो

अगर मंगल मकर राशि में हो, जहां वह उच्च का होता है, तो मंगल का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।

3. मंगल अपनी स्वराशि में हो

मंगल अगर मेष या वृश्चिक राशि में स्थित हो (जो उसकी स्वयं की राशियाँ हैं), तो भी दोष का प्रभाव कमजोर हो जाता है।

4. मंगल गुरु या चंद्रमा की दृष्टि में हो

यदि मंगल पर गुरु (बृहस्पति) या चंद्रमा की दृष्टि हो, तो वह शुभ फल देने लगता है, और दोष भंग हो जाता है।

5. मंगल केंद्र या त्रिकोण में शुभ ग्रहों के साथ हो

अगर मंगल केंद्र (1st, 4th, 7th, 10th) या त्रिकोण (1st, 5th, 9th) स्थानों में शुभ ग्रहों (जैसे बृहस्पति, शुक्र, बुध) के साथ हो, तो दोष कम हो सकता है।

6. चंद्र कुंडली में दोष न हो

अगर केवल लग्न कुंडली में मंगल दोष है लेकिन चंद्र कुंडली में नहीं है, तो दोष कम प्रभावी माना जाता है।

7. कुंडली मिलान में गुण अच्छे हों

अगर वर-वधू की गुण मिलान में 28 से अधिक गुण मिलते हैं, तो मंगल दोष का प्रभाव बहुत कम हो जाता है।

🕉 मंगल दोष निवारण के उपाय (यदि भंग नहीं हो रहा हो)

यदि मंगल दोष भंग नहीं हो रहा है, तो नीचे दिए उपाय किए जा सकते हैं:

हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करें

मंगलवार व्रत रखें

मंगल ग्रह के बीज मंत्र का जाप करें:
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
(जप संख्या: 108 बार प्रति दिन, कम से कम 40 दिन)

मंगल यंत्र धारण करें

मंगलिक व्यक्ति पहले पीपल या केले से विवाह करें (कथित "वटविवाह")

हनुमान मंदिर में मंगलवार को चोला चढ़ाएं

28/08/2025

फ्री ज्योतिष सेशन - लग्न लग्नेश के भाव स्थान रहस्य महत्व
Thursday 28 Aug • 7:30 – 8:30 pm
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Video call link:

 #भविष्यवाणी 3 वर्ष पूर्व की गयी प्रधानमंत्री पद में बदलाब की भविष्यवाणी का विडिओ यानि नया प्रधानमंत्री भारत को मिलेगा क...
01/04/2025

#भविष्यवाणी
3 वर्ष पूर्व की गयी प्रधानमंत्री पद में बदलाब की भविष्यवाणी का विडिओ यानि नया प्रधानमंत्री भारत को मिलेगा की भविष्यवाणी

"केतु"का समीक्षा(मोक्ष) सिद्धान्त गुरु-शिष्य अनुसार।शिशु का माँ के गर्भ में किस माह में आत्मा का प्रवेश होता है..,2024 क...

13/02/2025

🌹ॐ 🌹
सूर्य चले शनि मिलन को देने कर्मफल लाभ I
लाभ व्यय वहीखाता खुलेगा गुप्तचर राहू मिलन के बाद II
🙏

धन्यवाद रजनीश जी
08/01/2025

धन्यवाद रजनीश जी

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