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“बार-बार सर्दी-जुकाम से परेशान? अपनाएं ये आयुर्वेदिक इलाज!”सर्दी-जुकाम - 🔍 कारण (आयुर्वेद अनुसार): • वात व कफ दोष का असं...
24/07/2025

“बार-बार सर्दी-जुकाम से परेशान? अपनाएं ये आयुर्वेदिक इलाज!”

सर्दी-जुकाम -
🔍 कारण (आयुर्वेद अनुसार):
• वात व कफ दोष का असंतुलन
• ठंडी हवा, बारिश, बासी खाना, फास्ट फूड
• कमज़ोर इम्युनिटी

⚠️ लक्षण:
• नाक बहना या बंद होना
• छींकें आना
• शरीर भारी लगना
• गले में खराश
• हल्का बुखार

🧪 आयुर्वेदिक उपचार:

औषधि सेवन विधि

सितोपलादि चूर्ण :-
1 चम्मच शहद में मिलाकर दिन में 2 बार

तुलसी अर्क / तुलसी का काढ़ा :-
सुबह-शाम गर्म पीना

गिलोय सत्व या गिलोय घनवटी :-
1-1 गोली सुबह-शाम गर्म पानी से

अदरक-शहद :-
1/2 चम्मच अदरक का रस + 1 चम्मच शहद

🥗 परहेज:-
• दही, केला, ठंडी चीजें न लें
• ठंडे पानी से स्नान न करें
• अधिक बोलने से बचें

#सर्दी #खांसी #आयुर्वेदिकइलाज #आयुर्वेद #सर्दीखांसी

यह पौधा पेट की लटकती चर्बी, सड़े हुए दाँत, गठिया, आस्थमा, बवासीर, मोटापा, गंजापन, किडनी आदि 20 रोगों के लिए किसी वरदान स...
23/05/2022

यह पौधा पेट की लटकती चर्बी, सड़े हुए दाँत, गठिया, आस्थमा, बवासीर, मोटापा, गंजापन, किडनी आदि 20 रोगों के लिए किसी वरदान से कम नही

आज हम आपको ऐसे पौधे के बारे में बताएँगे जिसका तना, पत्ती, बीज, फूल, और जड़ पौधे का हर हिस्सा औषधि है, इस पौधे को अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree), लटजीरा कहते है। अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree) का पौधा भारत के सभी सूखे क्षेत्रों में उत्पन्न होता है यह गांवों में अधिक मिलता है खेतों के आसपास घास के साथ आमतौर पाया जाता है इसे बोलचाल की भाषा में आंधीझाड़ा या चिरचिटा (Chaff Tree) भी कहते हैं-अपामार्ग की ऊंचाई लगभग 60 से 120 सेमी होती है आमतौर पर लाल और सफेद दो प्रकार के अपामार्ग देखने को मिलते हैं-सफेद अपामार्ग के डंठल व पत्ते हरे रंग के, भूरे और सफेद रंग के दाग युक्त होते हैं इसके अलावा फल चपटे होते हैं जबकि लाल अपामार्ग (RedChaff Tree) का डंठल लाल रंग का और पत्तों पर लाल-लाल रंग के दाग होते हैं।

इस पर बीज नुकीले कांटे के समान लगते है इसके फल चपटे और कुछ गोल होते हैं दोनों प्रकार के अपामार्ग के गुणों में समानता होती है फिर भी सफेद अपामार्ग(White chaff tree) श्रेष्ठ माना जाता है इनके पत्ते गोलाई लिए हुए 1 से 5 इंच लंबे होते हैं चौड़ाई आधे इंच से ढाई इंच तक होती है- पुष्प मंजरी की लंबाई लगभग एक फुट होती है, जिस पर फूल लगते हैं, फल शीतकाल में लगते हैं और गर्मी में पककर सूख जाते हैं इनमें से चावल के दानों के समान बीज निकलते हैं इसका पौधा वर्षा ऋतु में पैदा होकर गर्मी में सूख जाता है।

अपामार्ग तीखा, कडुवा तथा प्रकृति में गर्म होता है। यह पाचनशक्तिवर्द्धक, दस्तावर (दस्त लाने वाला), रुचिकारक, दर्द-निवारक, विष, कृमि व पथरी नाशक, रक्तशोधक (खून को साफ करने वाला), बुखारनाशक, श्वास रोग नाशक, भूख को नियंत्रित करने वाला होता है तथा सुखपूर्वक प्रसव हेतु एवं गर्भधारण में उपयोगी है।
चिरचिटा या अपामार्ग (Chaff Tree) के 20 अद्भुत फ़ायदे :
1. गठिया रोग :

अपामार्ग (चिचड़ा) के पत्ते को पीसकर, गर्म करके गठिया में बांधने से दर्द व सूजन दूर होती है।

2. पित्त की पथरी :

पित्त की पथरी में चिरचिटा की जड़ आधा से 10 ग्राम कालीमिर्च के साथ या जड़ का काढ़ा कालीमिर्च के साथ 15 ग्राम से 50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से पूरा लाभ होता है। काढ़ा अगर गर्म-गर्म ही खायें तो लाभ होगा।

3. यकृत का बढ़ना :

अपामार्ग का क्षार मठ्ठे के साथ एक चुटकी की मात्रा से बच्चे को देने से बच्चे की यकृत रोग के मिट जाते हैं।

4. लकवा :

एक ग्राम कालीमिर्च के साथ चिरचिटा की जड़ को दूध में पीसकर नाक में टपकाने से लकवा या पक्षाघात ठीक हो जाता है।

5. पेट का बढ़ा होना या लटकना :

चिरचिटा (अपामार्ग) की जड़ 5 ग्राम से लेकर 10 ग्राम या जड़ का काढ़ा 15 ग्राम से 50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम कालीमिर्च के साथ खाना खाने से पहले पीने से आमाशय का ढीलापन में कमी आकर पेट का आकार कम हो जाता है।

6. बवासीर :

अपामार्ग की 6 पत्तियां, कालीमिर्च 5 पीस को जल के साथ पीस छानकर सुबह-शाम सेवन करने से बवासीर में लाभ हो जाता है और उसमें बहने वाला रक्त रुक जाता है।
खूनी बवासीर पर अपामार्ग की 10 से 20 ग्राम जड़ को चावल के पानी के साथ पीस-छानकर 2 चम्मच शहद मिलाकर पिलाना गुणकारी हैं।

7. मोटापा :

अधिक भोजन करने के कारण जिनका वजन बढ़ रहा हो, उन्हें भूख कम करने के लिए अपामार्ग के बीजों को चावलों के समान भात या खीर बनाकर नियमित सेवन करना चाहिए। इसके प्रयोग से शरीर की चर्बी धीरे-धीरे घटने भी लगेगी।

8. कमजोरी :

अपामार्ग के बीजों को भूनकर इसमें बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर पीस लें। 1 कप दूध के साथ 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करने से शरीर में पुष्टता आती है।

9. सिर में दर्द :

अपामार्ग की जड़ को पानी में घिसकर बनाए लेप को मस्तक पर लगाने से सिर दर्द दूर होता है।

10. संतान प्राप्ति :

अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ मासिक-स्राव के बाद नियमित रूप से 21 दिन तक सेवन करने से गर्मधारण होता है। दूसरे प्रयोग के रूप में ताजे पत्तों के 2 चम्मच रस को 1 कप दूध के साथ मासिक-स्राव के बाद नियमित सेवन से भी गर्भ स्थिति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

11. मलेरिया :

अपामार्ग के पत्ते और कालीमिर्च बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें, फिर इसमें थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर मटर के दानों के बराबर की गोलियां तैयार कर लें। जब मलेरिया फैल रहा हो, उन दिनों एक-एक गोली सुबह-शाम भोजन के बाद नियमित रूप से सेवन करने से इस ज्वर का शरीर पर आक्रमण नहीं होगा। इन गोलियों का दो-चार दिन सेवन पर्याप्त होता है।

12. गंजापन :

सरसों के तेल में अपामार्ग के पत्तों को जलाकर मसल लें और मलहम बना लें। इसे गंजे स्थानों पर नियमित रूप से लेप करते रहने से पुन: बाल उगने की संभावना होगी।

13. दांतों का दर्द और गुहा या खाँच (cavity) :

इसके 2-3 पत्तों के रस में रूई का फोया बनाकर दांतों में लगाने से दांतों के दर्द में लाभ पहुंचता है तथा पुरानी से पुरानी गुहा या खाँच को भरने में मदद करता है।

14. खुजली :

अपामार्ग के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फूल और फल) को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार करें और इससे स्नान करें। नियमित रूप से स्नान करते रहने से कुछ ही दिनों cavity में खुजली दूर जाएगी।

15. आधाशीशी या आधे सिर में दर्द :

इसके बीजों के चूर्ण को सूंघने मात्र से ही आधाशीशी, मस्तक की जड़ता में आराम मिलता है। इस चूर्ण को सुंघाने से मस्तक के अंदर जमा हुआ कफ पतला होकर नाक के द्वारा निकल जाता है और वहां पर पैदा हुए कीड़े भी झड़ जाते हैं।

16. ब्रोंकाइटिस :

जीर्ण कफ विकारों और वायु प्रणाली दोषों में अपामार्ग (चिरचिटा) की क्षार, पिप्पली, अतीस, कुपील, घी और शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से वायु प्रणाली शोथ (ब्रोंकाइटिस) में पूर्ण लाभ मिलता है।

17. खांसी :

खांसी बार-बार परेशान करती हो, कफ निकलने में कष्ट हो, कफ गाढ़ा व लेसदार हो गया हो, इस अवस्था में या न्यूमोनिया की अवस्था में आधा ग्राम अपामार्ग क्षार व आधा ग्राम शर्करा दोनों को 30 मिलीलीटर गर्म पानी में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से 7 दिन में बहुत ही लाभ होता है।

18. गुर्दे का दर्द :

अपामार्ग (चिरचिटा) की 5-10 ग्राम ताजी जड़ को पानी में घोलकर पिलाने से बड़ा लाभ होता है। यह औषधि मूत्राशय की पथरी को टुकड़े-टुकड़े करके निकाल देती है। गुर्दे के दर्द के लिए यह प्रधान औषधि है।

19. गुर्दे के रोग :

5 ग्राम से 10 ग्राम चिरचिटा की जड़ का काढ़ा 1 से 50 ग्राम सुबह-शाम मुलेठी, गोखरू और पाठा के साथ खाने से गुर्दे की पथरी खत्म हो जाती है । या 2 ग्राम अपामार्ग (चिरचिटा) की जड़ को पानी के साथ पीस लें। इसे प्रतिदिन पानी के साथ सुबह-शाम पीने से पथरी रोग ठीक होता है।

20. दमा या अस्थमा :

चिरचिटा की जड़ को किसी लकड़ी की सहायता से खोद लेना चाहिए। ध्यान रहे कि जड़ में लोहा नहीं छूना चाहिए। इसे सुखाकर पीस लेते हैं। यह चूर्ण लगभग एक ग्राम की मात्रा में लेकर शहद के साथ खाएं इससे श्वास रोग दूर हो जाता है।
अपामार्ग (चिरचिटा) का क्षार 0.24 ग्राम की मात्रा में पान में रखकर खाने अथवा 1 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से छाती पर जमा कफ छूटकर श्वास रोग नष्ट हो जाता है।

पैरो में सुजन के कारन, लक्षण और उपचारअकसर अपने देश में लोग पैरों की सूजन और चकत्तेदार काले निशान व दर्द से पीड़ित रहते ह...
14/08/2021

पैरो में सुजन के कारन, लक्षण और उपचार

अकसर अपने देश में लोग पैरों की सूजन और चकत्तेदार काले निशान व दर्द से पीड़ित रहते हैं। यह शिकायत प्राय: बनी रहती है कि सुबह के वक्त पैरों में सूजन नहीं के बराबर रहती है, पर शाम होते-होते वहां सूजन हो जाती है। विशेषकर यह अवस्था अधेड़ उम्र की महिलाएं व अत्यधिक वजन लिए हुए गृहिणियों में पायी जाती हैं। इस अवस्था को मेडिकल भाषा में सीवीआई कहते हैं। अगर यह काले निशान आने पर सही इलाज नहीं कराया गया तो इनकी परिणित धीरे-धीरे घाव के रूप में दिखने लगती है।

अचानक आई सूजन

जीवन शैली में बदलाव, न चलने की आदत व ऑफिस में कम्प्यूटर के सामने घंटों बैठे रहने की मजबूरी, पैरों के लिए बड़ी घातक साबित हो रही है। इस तरह के लोगों के पैरों की नसों (वेन्स) में खून के कतरों के जमा होने का खतरा हमेशा मंडराता रहता है। नसों में खून का जमाव होने की अवस्था को मेडिकल भाषा में डीप वेन थोम्बोसिस (डीवीटी) कहते हैं। यह डीवीटी की अवस्था मरीज की जान को खतरे में डाल देती है। अगर समय रहते किसी वैस्क्युलर सर्जन से इलाज न कराया गया तो टांगों में जमे हुए खून के कतरे टूट जाते हैं और स्वतंत्र हो करके ऊपर दिल की ओर चढ़ जाते हैं। वहां से आगे जाकर फेफड़े की रक्त नली को जाम कर देते हैं। इस घटना को पल्मोनरी एम्बोलिज्म कहते हैं। यह अवस्था जानलेवा हो सकती हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि पैरों में अचानक आई सूजन जान जाने का सबब बन सकती है।

अन्य कारण

वेन्स की बीमारी के अलावा पैरों में सूजन के कई अन्य कारण भी होते हैं जैसे फील पांव यानी एलिफैन्टियेंसिस, गुर्दे व दिल का रोग, ब्लडप्रेशर की दवा का सेवन (’एम्लोडिपिन’ इत्यादि)। फील पांव का रोग अकसर नमी या तराई वाले इलाकों में ज्यादा पाया जाता हैं, जहां मच्छरों की बहुतायत होती हैं। सूजन के कारणों का निदान करने पर ही सूजन से छुटकारा मिल पाता है।

इलाज न करवाने का नतीजा

अगर पैरों की सूजन को ऐसे ही छोड़ दिया जाये तो इसके दो दुष्परिणाम होते हैं। एक तो उभरी हुई नसें फूलते- फूलते अन्त में फट जाती हैं और रक्त स्रव यानी ब्लीडिंग आरम्भ हो जाती है। कभी-कभी बहुत ज्यादा खून बहने के कारण अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ जाती है। दूसरा नुकसान यह होता है कि पैरों में खुजली शुरू होती हैं। खुजाने के बाद उससे पीले रंग का खून का सत रिसने लगता हैं और पैरों में एक्जि़मा पैदा हो जाता है जो अन्तत: गन्दे, गीले व लाइलाज़ घाव के रूप में परिवर्तित हो जाता हैं। इसलिये पैरों की सूजन को गम्भीरता से लें।

सूजन होने पर

पैरों में अचानक आई सूजन या स्थाई सूजन होने पर ऐसे अस्पताल में जायें जहां पर वैस्क्युलर सर्जरी का महकमा हो और वैस्क्युलर सर्जन की चौबीस घंटे की उपलब्धता हो। अस्पताल जाने से पहले सुनिश्चित कर लें कि वहां एंजियोग्राफी की सुविधा जरूर हो। साथ ही, आधुनिकतम जांच जैसे एमआरआई, फेफड़ों का परफ्यूजन स्केन, डॉप्लर स्टडी व वेनोग्राफी की सुविधाएं हों।

पैरों में स्थाई सूजन

विवाहेतर संबंध की पक्षध लेकिन दैहिक संबंधों के प्यार हो सकता है। बिना के भी कोई हमारे परिवा हो सकता है, जिसके परिवार भावनात्मक सके। खैर, ये निजी सकते हैं, लेकिन जो किया, वह जस्टीफाइ दूसरे ब्याह स् बीवी की संतान के देश में रहते हैं, वह अब भी औसतन संरचना के लिए परिवार सीमित में आमिर की ज्यादा लगी। पाने की जिद अपने बच्चे कोख से ब् जिससे अ उनके पति हैं। अपनी किसी मर्दवादी का जा पिता जन् व्य् ठ पैरों में स्थाई सूजन अगर पैरों में बराबर सूजन बनी रहती है और सुबह व शाम सूजन में कोई खास बदलाव नहीं आता तो इसके दो कारण होते हैं। एक तो गंदा खून ऊपर दिल की ओर ठीक से नहीं पहुंचता है, जिससे पैरों में ऑक्सीजन रहित गंदे खून का जमाव होना शुरू हो जाता है। सुबह के वक्त सूजन थोड़ा हल्का मालूम पड़ता है लेकिन शाम तक अपनी पुरानी अवस्था में लौट आता है। दूसरा कारण पैरों की अन्दरूनी वेन्स में रुकावट हो जाना है। इस रुकावट का ज्यादातर कारण शुरुआती दिनों में पर्याप्त इलाज के अभाव में खून के कतरे स्थाई रूप से पैरों की अन्दरूनी शिराओं (डीप वेन्स) में जमा हो जाना है। इसके चलते पैरों में एकत्र हुए गंदे खून के लिए ऊपर चढ़ने का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। इन सबका मिलाजुला असर पैरों में स्थाई सूजन के रूप में परिणत हो जाता है। इस अवस्था को मेडिकल भाषा में पीटीएस यानी पोस्ट थौम्बॉटिक सिन्ड्रोम कहते हैं। इसलिए आपको चाहिए कि जब कभी पैरों के वेन्स में खून के कतरों के जमाव का अंदेशा हो तो बगैर देर किये किसी वैस्क्युलर सर्जन से परामर्श लें और उनकी निगरानी में प्रभावी इलाज करायें।

सूजन व नीली नसें

जब कोई भी व्यक्ति सुबह नियमित रूप से नहीं टहलता है या उसकी पैदल चलने व व्यायाम करने की आदत अब तक बनी ही नहीं है, तो पैरों का ड्रेनेज सिस्टम बाधित हो जाता है और वेन्स के अन्दर स्थित कपाट यानी दरवाजे नार्मल तरीके से अपना काम नहीं कर पाते। इससे पैरों में गंदा खून एकत्रित होने लगता है और निर्धारित सीमा के बाद त्वचा के नीचे स्थित ऊपरी सतह की वेन्स यानी शिराएं, अत्यधिक खून के जमाव के कारण फूलनी शुरू हो जाती हैं। इन फूली हुई नसों को वेरीकोस वेन्स कहते हैं। ये फूली वेन्स केचुएं या मकड़ी के जाले की तरह त्वचा पर उभर आती हैं। अगर आपने आरामतलबी की दिनर्चया अपना ली तो ‘करेला नीम पर चढ़ने’ वाली कहावत लागू हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप ये फूली हुई नसें साइज में और बड़ी हो जाती हैं।

इलाज की विधाएं

अगर पै एक तो ब्लीडिंग में भर्ती शुरू पैरों पिइलाज की विधाएं अगर पैर की सूजन अचानक आई होती है तो खून के कतरों को घोलने के लिए विशेष किस्म की दवाइयां खून की नली के जरिये दी जाती हैं। इसके लिए अस्पताल में आधुनिक आईसीयू की सुविधाएं होनी आवश्यक हैं। पैरों की सूजन वाले ज्यादातर मरीजों में ऑपरेशन की जरूरत कम पड़ती है, पर विशेष दवाइयों और अन्य बिना ऑपरेशन वाली खास तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। मरीज को नियमित दवा, व्यायाम, व अन्य जरूरी सलाह का कड़ाई से पालन करना पड़ता है। आज के दौर में पैरों की सूजन के लिए लेजर तकनीक व आरएफए तकनीक का इस्तेमाल करना होता हैं, जिसमें खाल पर कोई कट नहीं लगाना पड़ता और मरीज अगले दिन ही काम पर वापस आ सकता है। पैरों की सूजन में लापरवाही न बरतें।

आयुर्वेद के अनुसार दूध को संपूर्ण आहार माना जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि अगर किसी वजह से आपका मील मिस हो जाता ...
25/06/2021

आयुर्वेद के अनुसार दूध को संपूर्ण आहार माना जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि अगर किसी वजह से आपका मील मिस हो जाता है, तो एक गिलास दूध पीकर आप उसकी पूर्ति कर सकते हैं। दिन की बजाय रात में दूध पीने को सबसे फायदेमंद माना जाता है।

कृपया पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे ताकि सभी को फायदा हो सके।मोटे से मोटा चश्मा उतार देगा ये देसी नुस्खे वो भी बिना...
11/03/2021

कृपया पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे ताकि सभी को फायदा हो सके।

मोटे से मोटा चश्मा उतार देगा ये देसी नुस्खे वो भी बिना साइड इफेक्ट-

पानी के अंदर पैदा होने वाले सिंघाड़े के फायदे जानकर हो जाएंगे हैरान पानी में उगने वाला सिंघाड़ा एक फल है. इसे कई तरह से ...
23/10/2020

पानी के अंदर पैदा होने वाले सिंघाड़े के फायदे जानकर हो जाएंगे हैरान

पानी में उगने वाला सिंघाड़ा एक फल है. इसे कई तरह से खाया जाता है. कई लोग इसे खच्चा खाना पसंद करते हैं, कई लोग इसे उबाल कर कुछ लोग इसकी सब्जी बहुत शौंक से खाते, तो वहीं मीठे के शौकीन इसका हलवा बनाते हैं. सिंघाड़ा व्रत में भी खाया जाता है. इसका आटा नवरात्रि के व्रत में लोग बहुत चाह से खाते हैं. सिंघाड़ा खाने में जितना टेस्टी लगता है उतना ही ये पौष्टिक भी होता है. इतना ही नहीं, यह कई बीमारियों में भी फायदेमंद साबित होता है. सिंघाड़े में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी व सी, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस जैसे मिनरल्स, रायबोफ्लेबिन जैसे तत्व पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं. आयुर्वेद में कहा गया है कि सिंघाड़े में भैंस के दूध की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक खनिज लवण और क्षार तत्व पाए जाते हैं. आप भी जानिए सिंघाड़े के फायदे...

1. अस्थमा के मरीजों के लिए सिंघाड़ा बहुत फायदेमंद होता है. सिंघाड़े को नियमित रूप से खाने से सांस संबधी समस्याओं से भी आराम मिलता है.

2. सिंघाड़ा बवासीर जैसी मुश्किल समस्याओं से भी निजात दिलाने में कारगर साबित होता है.

3. सिंघाड़ा खाने से फटी एड़ि‍यां भी ठीक हो जाती हैं. इसके अलावा शरीर में किसी भी स्थान पर दर्द या सूजन होने पर इसका लेप बनाकर लगाने से बहुत फायदा होता है.

4. इसमें कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसे खाने से हड्ड‍ियां और दांत दोनों ही मजबूत रहते हैं. साथ ही यह आंखों के लिए भी फायदेमंद है.

5. प्रेग्नेंसी में सिंघाड़ा खाने से मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं. इससे गर्भपात का खतरा भी कम होता है. इसके अलावा सिंघाड़ा खाने से पीरियड्स की समस्याएं भी ठीक होती हैं.

6. सिंघाड़े का सेवन रक्त संबंधी समस्याओं को भी ठीक करता है. साथ ही मूत्र संबंधी रोगों के उपचार के लिए सिंघाड़े का प्रयोग बहुत फायदेमंद है. दस्त होने पर भी सिंघाड़े का सेवन रामबाण उपाय है.

7. सिंघाड़ा शरीर को ऊर्जा देता है, इसलिए इसे व्रत के खाने में शामिल किया जाता है. इसमें आयोडीन भी पाया जाता है, जो गले संबंधी रोगों से रक्षा करता है और थाइरॉइड ग्रंथि को सुचारू रूप से काम करने के लिए प्रेरित करता है.

यह पौधा पेट की लटकती चर्बी, सड़े हुए दाँत, गठिया, आस्थमा, बवासीर, मोटापा, गंजापन, किडनी आदि 20 रोगों के लिए किसी वरदान स...
23/10/2020

यह पौधा पेट की लटकती चर्बी, सड़े हुए दाँत, गठिया, आस्थमा, बवासीर, मोटापा, गंजापन, किडनी आदि 20 रोगों के लिए किसी वरदान से कम नही

आज हम आपको ऐसे पौधे के बारे में बताएँगे जिसका तना, पत्ती, बीज, फूल, और जड़ पौधे का हर हिस्सा औषधि है, इस पौधे को अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree) कहते है। अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree) का पौधा भारत के सभी सूखे क्षेत्रों में उत्पन्न होता है यह गांवों में अधिक मिलता है खेतों के आसपास घास के साथ आमतौर पाया जाता है इसे बोलचाल की भाषा में आंधीझाड़ा या चिरचिटा (Chaff Tree) भी कहते हैं-अपामार्ग की ऊंचाई लगभग 60 से 120 सेमी होती है आमतौर पर लाल और सफेद दो प्रकार के अपामार्ग देखने को मिलते हैं-सफेद अपामार्ग के डंठल व पत्ते हरे रंग के, भूरे और सफेद रंग के दाग युक्त होते हैं इसके अलावा फल चपटे होते हैं जबकि लाल अपामार्ग (RedChaff Tree) का डंठल लाल रंग का और पत्तों पर लाल-लाल रंग के दाग होते हैं।

इस पर बीज नुकीले कांटे के समान लगते है इसके फल चपटे और कुछ गोल होते हैं दोनों प्रकार के अपामार्ग के गुणों में समानता होती है फिर भी सफेद अपामार्ग(White chaff tree) श्रेष्ठ माना जाता है इनके पत्ते गोलाई लिए हुए 1 से 5 इंच लंबे होते हैं चौड़ाई आधे इंच से ढाई इंच तक होती है- पुष्प मंजरी की लंबाई लगभग एक फुट होती है, जिस पर फूल लगते हैं, फल शीतकाल में लगते हैं और गर्मी में पककर सूख जाते हैं इनमें से चावल के दानों के समान बीज निकलते हैं इसका पौधा वर्षा ऋतु में पैदा होकर गर्मी में सूख जाता है।

अपामार्ग तीखा, कडुवा तथा प्रकृति में गर्म होता है। यह पाचनशक्तिवर्द्धक, दस्तावर (दस्त लाने वाला), रुचिकारक, दर्द-निवारक, विष, कृमि व पथरी नाशक, रक्तशोधक (खून को साफ करने वाला), बुखारनाशक, श्वास रोग नाशक, भूख को नियंत्रित करने वाला होता है तथा सुखपूर्वक प्रसव हेतु एवं गर्भधारण में उपयोगी है।
चिरचिटा या अपामार्ग (Chaff Tree) के 20 अद्भुत फ़ायदे :
1. गठिया रोग :

अपामार्ग (चिचड़ा) के पत्ते को पीसकर, गर्म करके गठिया में बांधने से दर्द व सूजन दूर होती है।

2. पित्त की पथरी :

पित्त की पथरी में चिरचिटा की (आधा से 1 ग्राम कालीमिर्च चूर्ण के साथ ) जड़ का काढ़ा 50 ml की मात्रा में सुबह-शाम पीने से पूरा लाभ होता है। काढ़ा अगर गर्म-गर्म ही पिये तो लाभ होगा।

3. यकृत का बढ़ना :

अपामार्ग का क्षार मठ्ठे के साथ एक चुटकी की मात्रा से बच्चे को देने से बच्चे की यकृत रोग के मिट जाते हैं।

4. लकवा :

एक ग्राम कालीमिर्च के साथ चिरचिटा की जड़ को दूध में पीसकर नाक में टपकाने से लकवा या पक्षाघात ठीक हो जाता है।

5. पेट का बढ़ा होना या लटकना :

चिरचिटा (अपामार्ग) की जड़ 5 ग्राम से लेकर 10 ग्राम या जड़ का काढ़ा 15 ग्राम से 50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम कालीमिर्च के साथ खाना खाने से पहले पीने से आमाशय का ढीलापन में कमी आकर पेट का आकार कम हो जाता है।

6. बवासीर :

अपामार्ग की 6 पत्तियां, कालीमिर्च 5 पीस को जल के साथ पीस छानकर सुबह-शाम सेवन करने से बवासीर में लाभ हो जाता है और उसमें बहने वाला रक्त रुक जाता है।
खूनी बवासीर पर अपामार्ग की 10 से 20 ग्राम जड़ को चावल के पानी के साथ पीस-छानकर 2 चम्मच शहद मिलाकर पिलाना गुणकारी हैं।

7. मोटापा :

अधिक भोजन करने के कारण जिनका वजन बढ़ रहा हो, उन्हें भूख कम करने के लिए अपामार्ग के बीजों को चावलों के समान भात या खीर बनाकर नियमित सेवन करना चाहिए। इसके प्रयोग से शरीर की चर्बी धीरे-धीरे घटने भी लगेगी।

8. कमजोरी :

अपामार्ग के बीजों को भूनकर इसमें बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर पीस लें। 1 कप दूध के साथ 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करने से शरीर में पुष्टता आती है।

9. सिर में दर्द :

अपामार्ग की जड़ को पानी में घिसकर बनाए लेप को मस्तक पर लगाने से सिर दर्द दूर होता है।

10. संतान प्राप्ति :

अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ मासिक-स्राव के बाद नियमित रूप से 21 दिन तक सेवन करने से गर्मधारण होता है। दूसरे प्रयोग के रूप में ताजे पत्तों के 2 चम्मच रस को 1 कप दूध के साथ मासिक-स्राव के बाद नियमित सेवन से भी गर्भ स्थिति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

11. मलेरिया :

अपामार्ग के पत्ते और कालीमिर्च बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें, फिर इसमें थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर मटर के दानों के बराबर की गोलियां तैयार कर लें। जब मलेरिया फैल रहा हो, उन दिनों एक-एक गोली सुबह-शाम भोजन के बाद नियमित रूप से सेवन करने से इस ज्वर का शरीर पर आक्रमण नहीं होगा। इन गोलियों का दो-चार दिन सेवन पर्याप्त होता है।

12. गंजापन :

सरसों के तेल में अपामार्ग के पत्तों को जलाकर मसल लें और मलहम बना लें। इसे गंजे स्थानों पर नियमित रूप से लेप करते रहने से पुन: बाल उगने की संभावना होगी।

13. दांतों का दर्द और गुहा या खाँच (cavity) :

इसके 2-3 पत्तों के रस में रूई का फोया बनाकर दांतों में लगाने से दांतों के दर्द में लाभ पहुंचता है तथा पुरानी से पुरानी गुहा या खाँच को भरने में मदद करता है।

14. खुजली :

अपामार्ग के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फूल और फल) को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार करें और इससे स्नान करें। नियमित रूप से स्नान करते रहने से कुछ ही दिनों cavity में खुजली दूर जाएगी।

15. आधाशीशी या आधे सिर में दर्द :

इसके बीजों के चूर्ण को सूंघने मात्र से ही आधाशीशी, मस्तक की जड़ता में आराम मिलता है। इस चूर्ण को सुंघाने से मस्तक के अंदर जमा हुआ कफ पतला होकर नाक के द्वारा निकल जाता है और वहां पर पैदा हुए कीड़े भी झड़ जाते हैं।

16. ब्रोंकाइटिस :

जीर्ण कफ विकारों और वायु प्रणाली दोषों में अपामार्ग (चिरचिटा) की क्षार, पिप्पली, अतीस, कुपील, घी और शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से वायु प्रणाली शोथ (ब्रोंकाइटिस) में पूर्ण लाभ मिलता है।

17. खांसी :

खांसी बार-बार परेशान करती हो, कफ निकलने में कष्ट हो, कफ गाढ़ा व लेसदार हो गया हो, इस अवस्था में या न्यूमोनिया की अवस्था में आधा ग्राम अपामार्ग क्षार व आधा ग्राम शर्करा दोनों को 30 मिलीलीटर गर्म पानी में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से 7 दिन में बहुत ही लाभ होता है।

18. गुर्दे का दर्द :

अपामार्ग (चिरचिटा) की 5-10 ग्राम ताजी जड़ को पानी में घोलकर पिलाने से बड़ा लाभ होता है। यह औषधि मूत्राशय की पथरी को टुकड़े-टुकड़े करके निकाल देती है। गुर्दे के दर्द के लिए यह प्रधान औषधि है।

19. गुर्दे के रोग :

5 ग्राम से 10 ग्राम चिरचिटा की जड़ का काढ़ा 1 से 50 ग्राम सुबह-शाम मुलेठी, गोखरू और पाठा के साथ खाने से गुर्दे की पथरी खत्म हो जाती है । या 2 ग्राम अपामार्ग (चिरचिटा) की जड़ को पानी के साथ पीस लें। इसे प्रतिदिन पानी के साथ सुबह-शाम पीने से पथरी रोग ठीक होता है।

20. दमा या अस्थमा :

चिरचिटा की जड़ को किसी लकड़ी की सहायता से खोद लेना चाहिए। ध्यान रहे कि जड़ में लोहा नहीं छूना चाहिए। इसे सुखाकर पीस लेते हैं। यह चूर्ण लगभग एक ग्राम की मात्रा में लेकर शहद के साथ खाएं इससे श्वास रोग दूर हो जाता है।
अपामार्ग (चिरचिटा) का क्षार 0.24 ग्राम की मात्रा में पान में रखकर खाने अथवा 1 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से छाती पर जमा कफ छूटकर श्वास रोग नष्ट हो जाता ह

कटी प्याज के नुकसान        जरूर पढ़ेमानो या ना मानो यह पूर्णतया सत्य है।देर से कटी प्याज का कभी उपयोग ना करें।प्याज हमेशा...
25/07/2020

कटी प्याज के नुकसान
जरूर पढ़े

मानो या ना मानो यह पूर्णतया सत्य है।देर से कटी प्याज का कभी उपयोग ना करें।प्याज हमेशा तुरंत काट कर खाएं।
कटी रखी प्याज दस मिनिट में अपने आस पास के सारे कीटाणु अवसोशित कर लेती है।
यह वेज्ञानिक तौर पर सिद्ध हो चुका है।
जब भी किसी मौसमी बीमारी का प्रकोप फैले घर में सुबह शाम हर कमरें में प्याज काट कर रख दें।
बाद में उसे फैंक दें।सुरक्षित बने रहेंगें।

*"प्याज "के संबध में महत्वपूर्ण जानकारी -अवश्य पढ़े*

सन 1919 में फ्लू से चार करोड़ लोग मारे जा चुके थे तब एक डॉक्टर कई किसानों से उनके घर इस प्रत्याशा में मिला कि वो कैसे इन किसानों को इस महामारी से लड़ने में सहायता कर सकता है। बहुत सारे किसान इस फ्लू से ग्रसित थे और उनमें से बहुत से मारे जा चुके थे।

डॉक्टर जब इनमें से एक किसान के संपर्क में आया तो उसे ये जान कर बहुत आश्चर्य हुआ जब उसे ये ज्ञात हुआ कि सारे गाँव के फ्लू से ग्रसितहोने के बावजूद ये किसान परिवार बिलकुल बिलकुल स्वस्थ्य था तब डॉक्टर को ये जानने की इच्छा जागी कि ऐसा इस किसान के परिवार ने सारे गाँव से हटकर क्या किया कि वो
*इस भंयकर महामारी में भी स्वस्थ्य थे। तब किसान की पत्नी ने उन्हें बताया कि उसने अपने मकान के दोनों कमरों में एक प्लेट में छिली हुई प्याज रख दी थी तब डॉक्टर ने प्लेट में रखी इन प्याज को माइक्रोस्कोप से देखा तो उसे इस प्याज में उस घातक फ्लू के बैक्टेरिया मिले जो संभवतया इन प्याज द्वारा अवशोषित कर लिए गए थे और शायद यही कारण था कि इतनी बड़ी महामारी में ये परिवार बिलकुल स्वस्थ्य क्योंकि फ्लू के वायरस इन प्याज द्वारा सोख लिए गए थे।*

जब मैंने अपने एक मित्र जो अमेरिका में रहते थे और मुझे हमेशा स्वास्थ्य संबधी मुद्दों पर बेहद ज्ञानवर्धक जानकारी भेजते रहते हैं

तब उन्होंने प्याज के संबध में बेहद महत्वपूर्ण जानकारी/अनुभव मुझे भेजा । उनकी इस बेहद रोचक कहानी के लिए धन्यवाद।
क्योंकि मुझे इस किसान वाली कहानी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

*जब मैं न्यूमोनिया से ग्रसित था और कहने की आवश्यकता नहीं थी कि मैं बहुत कमज़ोर महसूस कर रहा था तब मैंने एक लेख पढ़ा था जिसमें ये बताया गया था कि प्याज को बीच से काटकर रात में न्यूमोनिया से ग्रस्त मरीज़ के कमरे में एक जार में रख दिया गया था और सुबह यह देख कर बेहद आश्चर्य हुआ कि प्याज सुबह कीटाणुओं की वज़ह से बिलकुल काली हो गई थी*
*तब मैंने भी अपने कमरे में वैसे ही किया और देखा अगले दिन प्याज बिलकुल काली होकर खराब हो चुकी थी और मैं काफी स्वस्थ्य महसूस कर रहा था।*

कई बार हम पेट की बीमारी से दो चार होते है तब हम इस बात से अनजान रहते है कि इस बीमारी के लिए किसे दोषी ठहराया जाए। तब नि :संदेह प्याज को इस बीमारी के लिए दोषी ठहराया जा सकता है ,

*प्याज बैक्टेरिया को अवशोषित कर लेती है यही कारण है कि अपने इस गुण के कारण प्याज हमें ठण्ड और फ्लू से बचाती है*
*अत :वे प्याज बिलकुल नहीं खाना चाहिए जो बहुत देर पहले काटी गई हो और प्लेट में रखी गई हों। ये जान लें कि "काट कर रखी गई प्याज बहुत विषाक्त होती हैं "*

जब कभी भी फ़ूड पॉइसनिंग के केस अस्पताल में आते हैं तो सबसे पहले इस बात की जानकारी ली जाती कि मरीज़ ने अंतिम बार प्याज कब खाई थी. और वे प्याज कहाँ से आई थीं ,(खासकर सलाद में )

*तब इस बीमारी के लिए या तो प्याज दोषी हैं या काफी देर पहले कटे हुए
"आलू "*

*प्याज बैक्टेरिया के लिए "चुंबक "की तरह काम करती हैं खासकर कच्ची प्याज।*

*आप कभी भी थोड़ी सी भी कटी हुई प्याज को देर तक रखने की गलती न करे ये बेहद खतरनाक हैं*

*यहाँ तक कि किसी बंद थैली में इसे रेफ्रिजरेटर में रखना भी सुरक्षित नहीं है।*

प्याज ज़रा सी काट देने पर ये बैक्टेरिया से ग्रसित हो सकती है और आपके लिए खतरनाक हो सकती है। यदि आप कटी हुई प्याज को सब्ज़ी बनाने के लिए उपयोग कर रहें हो
तब तो ये ठीक है मगर यदि आप कटी हुई प्याज अपनी ब्रेड पर रख कर खा रहें है तो ये बेहद खतरनाक है ऐसी स्थिति में आप मुसीबत को न्योता दे रहें हैं। याद रखे कटी हुई प्याज और कटे हुए आलू की नमी बैक्टेरिया को तेज़ी से पनपने में बेहद सहायक होता है। कुत्तों को कभी भी प्याज नहीं खिलाना चाहिए क्योंकि प्याज को उनका पेट का मेटाबोलिज़ कभी भी नहीं पचाता। -

*कृपया ध्यान रखे कि "प्याज को काट कर अगले दिन सब्ज़ी बनाने के लिए नहीं रखना चाहिए क्योंकि ये बहुत खतरनाक है यहाँ तक कि कटी हुई प्याज एक रात में बहुत विषाक्त हो जाती है क्योंकि ये टॉक्सिक बैक्टेरिया बनाती है जो पेट खराब करने के लिए पर्याप्त रहता है "*

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भारत में सभी जगह पाई जाने वाली सबसे बहुमूल्य जड़ी-बूटियों में से एक नीम का नाम आयुर्वेद में प्रमुख रूप से लिया जाता है। ...
25/07/2020

भारत में सभी जगह पाई जाने वाली सबसे बहुमूल्य जड़ी-बूटियों में से एक नीम का नाम आयुर्वेद में प्रमुख रूप से लिया जाता है।
1. नीम के पेड़ से आने वाली हवा स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है।
2. नीम की पत्तियों के अर्क का इस्तेमाल शामक औषधि के रूप में किया जा सकता है।
3. नीम की पत्तियाँ गंभीर बीमारियों जैसे कि एनाल्जेसिक, उच्च रक्तचाप और मिर्गी को ठीक कर सकती हैं।
4. टूथपेस्ट में भी नीम की पत्तियों का उपयोग किया जा रहा है.!!

आज का विषय हैं ..यूरिक एसिड.....साथियो खून में ओर शरीर मे यूरिया की मात्रा अधिक होने पर यूरिक एसिड बढ़ जाता है जिससे काम ...
25/07/2020

आज का विषय हैं ..यूरिक एसिड.....
साथियो खून में ओर शरीर मे यूरिया की मात्रा अधिक होने पर यूरिक एसिड बढ़ जाता है जिससे काम करने में परेशानी होती है, शरीर के किसी भाग में सूजन हो जाती हैं।
मेरे एक मित्र हैं उनकी मम्मी के भी इससे काफी प्रॉब्लम थी, अनुभूत प्रयोग था उन्हें बता दिया सिर्फ 5 दिन किया और आज स्वस्थ हैं,
ओर भी सेकड़ो जनों पर आजमाया गया,
शरीर मे जब भी यूरिक एसिड बढ़ जाये तो मूत्रल पदार्थो या जड़ी बुटियो का सेवन करना चाहिए,
प्रयोग.......कटेरी के पंचांगों (पत्ते,फल,फूल,जड़,तना)का रस खाली पेट 5 दिन सेवन कर ले,यूरिक एसिड की समस्या जड़ से समाप्त हो जाएगी,अगर पंचांग का रस नही निकाल पाए तो केवल पत्तो का रस ही निकाल कर सेवन कर ले,
कटेरी पर काटे होते हैं सो तोड़ते समय सावधानी से तोड़े,पानी खूब पिये......
मात्र एक दिन के प्रयोग से ही फर्क महसूस हो जाएगा...

असम में एक व्यक्ति ने एक गाय खरीदी, और उसी रात से उसके घर के आसपास रहने वाले कुत्तों ने प्रतिदिन रात को बेतहाशा भौंकना श...
14/07/2020

असम में एक व्यक्ति ने एक गाय खरीदी, और उसी रात से उसके घर के आसपास रहने वाले कुत्तों ने प्रतिदिन रात को बेतहाशा भौंकना शुरू कर दिया,

यह लगातार कई रातों को हुआ, जिसके बाद घर के मालिक ने सीसीटीवी लगाया, और फिर रात को पुनः कुत्ते वैसे ही भौंके और अगले दिन जब सीसीटीवी की फुटेज देखी तो वह यह देखकर आश्चर्यचकित रह गया कि रात को एक तेंदुआ गाय के पास आया और उसके समीप बैठ गया और गाय भी उसे दुलारने लगी, प्रतिदिन रात को तेंदुआ आता और गाय के पास बैठ जाता और सुबह होने से पूर्व वापस चला जाता।

अब गाय के पिछले मालिक से इस विषय मे पूछताछ की गई तब पता चला कि इस तेंदुए की माँ की मौत तब हुई थी जब यह तेंदुआ मात्र 20 दिन का शावक था और तब इसी गाय ने उसे अपना दूध पिलाया था।

शावक बड़ा हुआ तो तब उसे निकट के जंगल में छोड़ दिया गया लेकिन, पूरी तरह से विकसित वह तेंदुआ अब भी हर रात आता और गाय के साथ समय बिताता ।

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