हिन्दू पंचांग और सनातन धर्म

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हिन्दू पंचांग और सनातन धर्म वैदिक हिंदू पंचांग और सनातन धर्म से जुड़ी जानकारियां

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞🌤️  *दिनांक - 19 सितम्बर 2025*🌤️ *दिन -  शुक्रवार*🌤️ *विक्रम संवत 2082*🌤️ *शक संवत -1947*🌤️ *अयन -...
18/09/2025

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक - 19 सितम्बर 2025*
🌤️ *दिन - शुक्रवार*
🌤️ *विक्रम संवत 2082*
🌤️ *शक संवत -1947*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️ *मास - आश्विन (गुजरात-महाराष्ट्र भाद्रपद)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - त्रयोदशी रात्रि 11:36 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
🌤️ *नक्षत्र - अश्लेशा सुबह 07:05 तक तत्पश्चात मघा*
🌤️ *योग - सिद्ध रात्रि 08:41 तक तत्पश्चात साध्य*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 11:01 से दोपहर 12:32 तक*
🌤️ *सूर्योदय - 06:27* (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार)
🌤️ *सूर्यास्त - 06:36*
👉 *दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - त्रयोदशी का श्राद्ध,मघा श्राद्ध,प्रदोष व्रत,मासिक शिवरात्रि*

🌟 * * 🌟

✅ * :* 40 years to 65 years 364 days
✅ * :* 10 or 12 years ( )

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- 15th year → 25%
- 20th year → 25%
- 25th year → 25%
- 27th year → 25%
👉 Total *100% * 🎉

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- Starting from 20
- Increasing with time (up to 65 +)
- ( )

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💥 *विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞


🌷 *चतुर्दशी तिथि पर न करें श्राद्ध* 🌷
➡ *20 सितम्बर 2025 शनिवार को आग - दुर्घटना - अस्त्र - शस्त्र - अपमृत्यु से मृतक का श्राद्ध*
🙏🏻 *हिंदू धर्म के अनुसार, श्राद्ध पक्ष में परिजनों की मृत्यु तिथि के अनुसार ही श्राद्ध करने का विधान है । महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया है कि इस तिथि पर केवल उन परिजनों का ही श्राद्ध करना चाहिए, जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो।*
💥 *इस तिथि पर अकाल मृत्यु (हत्या, दुर्घटना, आत्महत्या आदि) से मरे पितरों का श्राद्ध करने का ही महत्व है। इस तिथि पर स्वाभाविक रूप से मृत परिजनों का श्राद्ध करने से श्राद्ध करने वाले को अनेक प्रकार की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उन परिजनों का श्राद्ध सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन करना श्रेष्ठ रहता है।*
🙏🏻 *महाभारत के अनुसार पर्व अनुसार पितरों की मृत्यु स्वाभाविक रुप से हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर करने से श्राद्धकर्ता विवादों में घिर जाता हैं। उन्हें शीघ्र ही लड़ाई में जाना पड़ता है। जवानी में उनके घर के सदस्यों की मृत्यु हो सकती है।*
🙏🏻 *चतुर्दशी श्राद्ध के संबंध में ऐसा वर्णन कूर्मपुराण में भी मिलता है कि चतुर्दशी को श्राद्ध करने से अयोग्य संतान होती है।*
🙏🏻 *याज्ञवल्क्यस्मृति के अनुसार, भी चतुर्दशी तिथि को श्राद्ध नहीं करना चाहिए। इस दिन श्राद्ध करने वाला विवादों में फस सकता है।*
🙏🏻 *चतुर्दशी तिथि पर अकाल (हत्या), आत्महत्या (दुर्घटना), रुप से मृत परिजनों का श्राद्ध करने का विधान है।*
🙏🏻 *जिन पितरों की अकाल मृत्यु हुई हो व उनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करने से वे प्रसन्न होते हैं।*
🌞 ~ *वैदिक पंचांग* ~ 🌞

🌷 *सर्व पितृ अमावस्या* 🌷
➡ *21 सितम्बर 2025 रविवार को सर्व पितृ अमावस्या है।*
🙏🏻 *जिन्होंने हमें पाला-पोसा, बड़ा किया, पढ़ाया-लिखाया, हममें भक्ति, ज्ञान एवं धर्म के संस्कारों का सिंचन किया उनका श्रद्धापूर्वक स्मरण करके उन्हें तर्पण-श्राद्ध से प्रसन्न करने के दिन ही हैं श्राद्धपक्ष।*
🙏🏻 *जिस प्रकार चारागाह में सैंकड़ों गौओं में छिपी हुई अपनी माँ को बछड़ा ढूँढ लेता है उसी प्रकार श्राद्धकर्म में दिए गये पदार्थ को मंत्र वहाँ पर पहुँचा देता है जहाँ लक्षित जीव अवस्थित रहता है।*
🙏🏻 *पितरों के नाम, गोत्र और मंत्र श्राद्ध में दिये गये अन्न को उसके पास ले जाते हैं, चाहे वे सैंकड़ों योनियों में क्यों न गये हों। श्राद्ध के अन्नादि से उनकी तृप्ति होती है। परमेष्ठी ब्रह्मा ने इसी प्रकार के श्राद्ध की मर्यादा स्थिर की है।"*
🙏🏻 *सर्व पितृ अमावस्या को पितर भूमि पर आते हैं । उस दिन अवश्य श्राद्ध करना चहिये।*
🙏🏻 *उस दिन श्राद्ध नही करते हैं तो पितर नाराज होकर चले जाते हैं ।*
🙏🏻 *आप यदि उस दिन श्राद्ध करने में सक्षम् नही हैं तो उस दिन तांबे के लोटे में जल भरकर के भगवदगीता के सातवें अध्याय का पाठ करें और मंत्र "ॐ नमो भगवते वासुदेव"एवं " ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधा देव्यै स्वाहा" की 1-1 माला करके सूर्यनारायण भगवान को जल का अर्घ्य दें ।*
🙏🏻 *और सूर्य भगवान को बगल ऊँची करके बोले की मैं अपने पितरों को प्रणाम करता हूँ।*
🙏🏻 *वे मेरी भक्ति से ही तृप्तिलाभ करें। मैंने अपनी दोनों बाहें आकाश में उठा रखी हैं।और जिनका श्राद्ध किया जाये उन माता, पिता, पति, पत्नी, संबंधी आदि का स्मरण करके उन्हें याद दिलायें किः "आप देह नहीं हो। आपकी देह तो समाप्त हो चुकी है, किंतु आप विद्यमान हो।*
🙏🏻 *आप अगर आत्मा हो.. शाश्वत हो... चैतन्य हो। अपने शाश्वत स्वरूप को निहार कर हे पितृ आत्माओं ! आप भी परमात्ममय हो जाओ। हे पितरात्माओं ! हे पुण्यात्माओं !अपने परमात्म-स्वभाव का स्मऱण करके जन्म मृत्यु के चक्र से सदा-सदा के लिए मुक्त हो जाओ। हे पितृ आत्माओ !*
🙏🏻 *आपको हमारा प्रणाम है। हम भी नश्वर देह के मोह से सावधान होकर अपने शाश्वत् परमात्म-स्वभाव में जल्दी जागें.... परमात्मा एवं परमात्म-प्राप्त महापुरुषों के आशीर्वाद आप पर हम पर बरसते रहें.... ॐ....ॐ.....ॐ...." पितृपक्ष के विषय में शास्त्रों में बताया गया है कि इन दिनों मनुष्य को अपना आचरण शुद्ध और सात्विक रखना चाहिए। इसलिए भोजन में मांस-मछली, मदिरा और तामसिक पदार्थों से परहेज रखना चाहिए।*
🙏🏻 *क्योंकि आप जो भोजन करते हैं उनमें से एक अंश पितरों को भी प्राप्त होता है। इन दिनों मन और भावनाओं पर नियंत्रण रखने का प्रयास करें और काम-वासना से बचें।*
👉🏻 *ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि जिनके पितर नाराज हो जाते हैं उनकी ग्रह दशा अच्छी भी हो तब भी उनके जीवन में हर पल परेशानी बनी रहती है।*
👉🏻 *श्राद्ध पक्ष में सयंम-नियम पालन करें, नहीं तो पितर देंगे शाप...*
👉🏻 *श्राद्ध पक्ष में गाय को गुड़ के साथ रोटी खिलाएं और कुत्ते, बिल्ली और कौओं को भी आहार दें। इससे पितरों का आशीर्वाद आप पर बना रहेगा।*

*🔱🚩🇮🇳 आर्यावर्त भरतखण्ड 🇮🇳🚩🔱*

🌞 ~ *वैदिक पंचांग* ~ 🌞
🙏🏻🌷🌻🌹🍀🌺🌸🍁💐🙏🏻

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞🌤️  *दिनांक - 18 सितम्बर 2025*🌤️ *दिन -  गुरूवार*🌤️ *विक्रम संवत 2082*🌤️ *शक संवत -1947*🌤️ *अयन - ...
17/09/2025

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक - 18 सितम्बर 2025*
🌤️ *दिन - गुरूवार*
🌤️ *विक्रम संवत 2082*
🌤️ *शक संवत -1947*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️ *मास - आश्विन (गुजरात-महाराष्ट्र भाद्रपद)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - द्वादशी रात्रि 11:24 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
🌤️ *नक्षत्र - पुष्य सुबह 06:32 तक तत्पश्चात अश्लेशा*
🌤️ *योग - शिव रात्रि 09:37 तक तत्पश्चात सिद्ध*
🌤️ *राहुकाल - दोपहर 02:04 से शाम 03:36 तक*
🌤️ *सूर्योदय - 06:27* (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार)
🌤️ *सूर्यास्त - 06:37*
👉 *दिशाशूल - दक्षिण दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - द्वादशी का श्राद्ध,सन्यासी-यति-वैष्णवों का श्राद्ध,गुरुपुष्यामृत योग (सूर्योदय से सुबह 06:32 तक )*
💥 *विशेष - द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।*

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✅ * :* 40 years to 65 years 364 days
✅ * :* 10 or 12 years ( )

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- Starting from 20
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*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞

🌷 *कर्ज-मुक्ति के लिए मासिक शिवरात्रि* 🌷
👉🏻 *19 सितम्बर 2025 शुक्रवार को मासिक शिवरात्रि है।*
🙏🏻 *हर मासिक शिवरात्रि को सूर्यास्‍त के समय घर में बैठकर अपने गुरुदेव का स्मरण करके शिवजी का स्मरण करते- करते ये 17 मंत्र बोलें, जिनके सिर पर कर्जा ज्यादा हो, वो शिवजी के मंदिर में जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्र बोले।इससे कर्जा से मुक्ति मिलेगी*
🌷 *1).ॐ शिवाय नम:*
🌷 *2).ॐ सर्वात्मने नम:*
🌷 *3).ॐ त्रिनेत्राय नम:*
🌷 *4).ॐ हराय नम:*
🌷 *5).ॐ इन्द्र्मुखाय नम:*
🌷 *6).ॐ श्रीकंठाय नम:*
🌷 *7).ॐ सद्योजाताय नम:*
🌷 *8).ॐ वामदेवाय नम:*
🌷 *9).ॐ अघोरह्र्द्याय नम:*
🌷 *10).ॐ तत्पुरुषाय नम:*
🌷 *11).ॐ ईशानाय नम:*
🌷 *12).ॐ अनंतधर्माय नम:*
🌷 *13).ॐ ज्ञानभूताय नम:*
🌷 *14). ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:*
🌷 *15).ॐ प्रधानाय नम:*
🌷 *16).ॐ व्योमात्मने नम:*
🌷 *17).ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नम:*
🙏🏻 *आर्थिक परेशानी से बचने हेतु* 🙏🏻
👉🏻 *हर महीने में शिवरात्रि (मासिक शिवरात्रि - कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी) को आती है | तो उस दिन जिसके घर में आर्थिक कष्ट रहते हैं वो शाम के समय या संध्या के समय जप-प्रार्थना करें एवं शिवमंदिर में दीप-दान करें ।*
👉🏻 *और रात को जब 12 बज जायें तो थोड़ी देर जाग कर जप और एक श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें।तो आर्थिक परेशानी दूर हो जायेगी।*
🙏🏻 *प्रति वर्ष में एक महाशिवरात्रि आती है और हर महीने में एक मासिक शिवरात्रि आती है। उस दिन शाम को बराबर सूर्यास्त हो रहा हो उस समय एक दिया पर पाँच लंबी बत्तियाँ अलग-अलग उस एक में हो शिवलिंग के आगे जला के रखना |बैठ कर भगवान शिवजी के नाम का जप करना प्रार्थना करना, | इससे व्यक्ति के सिर पे कर्जा हो तो जल्दी उतरता है, आर्थिक परेशानियाँ दूर होती है ।*

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *प्रदोष व्रत* 🌷
🙏🏻 *हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महिने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस बार 19 सितम्बर, शुक्रवार को प्रदोष व्रत है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। प्रदोष पर व्रत व पूजा कैसे करें और इस दिन क्या उपाय करने से आपका भाग्योदय हो सकता है, जानिए…*
👉🏻 *ऐसे करें व्रत व पूजा*
🙏🏻 *- प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं।*
🙏🏻 *- इसके बाद बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।*
🙏🏻 *- पूरे दिन निराहार (संभव न हो तो एक समय फलाहार) कर सकते हैं) रहें और शाम को दुबारा इसी तरह से शिव परिवार की पूजा करें।*
🙏🏻 *- भगवान शिवजी को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं।*
🙏🏻 *- भगवान शिवजी की आरती करें। भगवान को प्रसाद चढ़ाएं और उसीसे अपना व्रत भी तोड़ें।उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।*
👉🏻 *ये उपाय करें*
*सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद तांबे के लोटे से सूर्यदेव को अर्ध्य देें। पानी में आकड़े के फूल जरूर मिलाएं। आंकड़े के फूल भगवान शिवजी को विशेष प्रिय हैं । ये उपाय करने से सूर्यदेव सहित भगवान शिवजी की कृपा भी बनी रहती है और भाग्योदय भी हो सकता है।*

🔱🚩🇮🇳 *आर्यावर्त भरतखण्ड* 🇮🇳🚩🔱

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞🌤️  *दिनांक - 17 सितम्बर 2025*🌤️ *दिन -  बुधवार*🌤️ *विक्रम संवत 2082*🌤️ *शक संवत -1947*🌤️ *अयन - द...
16/09/2025

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक - 17 सितम्बर 2025*
🌤️ *दिन - बुधवार*
🌤️ *विक्रम संवत 2082*
🌤️ *शक संवत -1947*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️ *मास - आश्विन (गुजरात-महाराष्ट्र भाद्रपद)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - एकादशी रात्रि 11:39 तक तत्पश्चात द्वादशी*
🌤️ *नक्षत्र - पुनर्वसु सुबह 06:26 तक तत्पश्चात पुष्य*
🌤️ *योग - परिघ रात्रि 10:55 तक तत्पश्चात शिव*
🌤️ *राहुकाल - दोपहर 12:33 से दोपहर 02:05 तक*
🌤️ *सूर्योदय - 06:27* (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार)
🌤️ *सूर्यास्त - 06:38*
👉 *दिशाशूल - उत्तर दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - इन्द्रिरा एकादशी,एकादशी का श्राद्ध,विश्वकर्मा पूजा,षडशीति-कन्या संक्रांति (पुण्यकाल:सूर्योदय से दोपहर 12:21 तक)*
💥 *विशेष - *हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l

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✅ * :* 40 years to 65 years 364 days
✅ * :* 10 or 12 years ( )

💰 * :*
- 15th year → 25%
- 20th year → 25%
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👉 Total *100% * 🎉

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- Starting from 20
- Increasing with time (up to 65 +)
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https://youtu.be/yk2uv-rGtQ4?si=zohwA-c6EL03pjPv राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
💥 *आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
💥 *एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।*
💥 *एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।*
💥 *जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।*
🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞

🌷 *इंदिरा एकादशी* 🌷
➡️ *17 सितम्बर 2025 बुधवार को इंदिरा एकादशी है।*
🙏🏻 *इंदिरा एकादशी व्रत से बड़े – बड़े पापों का नाश हो जाता है | यह नीच योनियों में पड़े हुए पितरों को भी सद्गति देनेवाली है | इसका माहात्म्य पढ़ने-सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है | - पद्म पुराण*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *पुष्य नक्षत्र योग* 🌷
➡ *18 सितम्बर 2025 गुरुवार को सूर्योदय से सुबह 06:32 तक गुरुपुष्यामृत योग है ।*
🙏🏻 *१०८ मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो २७ नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु ब्रहस्पति | पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है | उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये | ब्रहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोले –*
*ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |...... ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |*

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में* 🌷
🌳 *बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें |*

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *गुरुपुष्यामृत योग* 🌷
🙏🏻 *‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है | पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं | ‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य: |’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है | पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है |*
🙏🏻 *इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं | (शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)*

*🔱🚩🇮🇳 आर्यावर्त भरतखण्ड 🇮🇳🚩🔱*

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞🌤️  *दिनांक - 16 सितम्बर 2025*🌤️ *दिन -  मंगलवार*🌤️ *विक्रम संवत 2082*🌤️ *शक संवत -1947*🌤️ *अयन - ...
15/09/2025

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक - 16 सितम्बर 2025*
🌤️ *दिन - मंगलवार*
🌤️ *विक्रम संवत 2082*
🌤️ *शक संवत -1947*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️ *मास - आश्विन (गुजरात-महाराष्ट्र भाद्रपद)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - दशमी रात्रि 12:21 तक तत्पश्चात एकादशी*
🌤️ *नक्षत्र - आर्द्रा सुबह 06:46 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
🌤️ *योग - वरीयान रात्रि 12:34 तक तत्पश्चात परिघ*
🌤️ *राहुकाल - शाम 03:37 से शाम 05:09 तक*
🌤️ *सूर्योदय - 06:27* (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार )
🌤️ *सूर्यास्त - 06:39*
👉 *दिशाशूल - उत्तर दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - दशमी का श्राद्ध*

🌟 * * 🌟

✅ * :* 40 years to 65 years 364 days
✅ * :* 10 or 12 years ( )

💰 * :*
- 15th year → 25%
- 20th year → 25%
- 25th year → 25%
- 27th year → 25%
👉 Total *100% * 🎉

🛡 * :*
- Starting from 20
- Increasing with time (up to 65 +)
- ( )

⚡ * :*
✔ 100%
✔ Lifetime
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🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞

🌷 *षडशीति संक्रान्ती* 🌷
👉 *17 सितम्बर 2025 बुधवार को षडशीति संक्रान्ती है ।*
🙏 *पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर 12:21 तक… जप,तप,ध्यान और सेवा का पूण्य 86000 गुना है !!!*
🙏 *इस दिन करोड़ काम छोड़कर अधिक से अधिक समय जप – ध्यान, प्रार्थना में लगायें।*
🙏 *षडशीति संक्रांति में किये गए जप ध्यान का फल ८६००० गुना होता है – (पद्म पुराण )*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *एकादशी व्रत के लाभ* 🌷
➡️ *16 सितम्बर 2025 मंगलवार को रात्रि 12:21 से 27 सितम्बर, बुधवार को रात्रि 11:39 तक (यानी 17 सितम्बर, बुधवार को पूरा दिन) एकादशी है।*
💥 *विशेष - 17 सितम्बर, बुधवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखे।*
🙏🏻 *जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
🙏🏻 *जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
🙏🏻 *एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
🙏🏻 *धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*
🙏🏻 *कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*
🙏🏻 *परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *एकादशी के दिन करने योग्य* 🌷
🙏🏻 *एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें ..विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l*

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *एकादशी के दिन ये सावधानी रहे* 🌷
🙏🏻 *महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो चावल खाता है... तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है...ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में डोंगरे जी महाराज ने कहा*

🔱🚩🇮🇳 *आर्यावर्त भरतखण्ड* 🇮🇳🚩🔱

🌞 *~ वैदिक पंचाग ~* 🌞

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞 🌤️  *दिनांक - 15 सितम्बर 2025*🌤️ *दिन -  सोमवार*🌤️ *विक्रम संवत 2082*🌤️ *शक संवत -1947*🌤️ *अयन - ...
14/09/2025

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक - 15 सितम्बर 2025*
🌤️ *दिन - सोमवार*
🌤️ *विक्रम संवत 2082*
🌤️ *शक संवत -1947*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️ *मास - आश्विन (गुजरात-महाराष्ट्र भाद्रपद)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - नवमी 16 सितम्बर रात्रि 01:31 तक तत्पश्चात दशमी*
🌤️ *नक्षत्र - मृगशिरा सुबह 07:31 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
🌤️ *योग - व्यतीपात 16 सितम्बर रात्रि 02:34 तक तत्पश्चात वरीयान*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 07:58 से सुबह 09:30 तक*
🌤️ *सूर्योदय - 06:26* (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार)
🌤️ *सूर्यास्त - 06:40*
👉 *दिशाशूल - पूर्व दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - नवमी का श्राद्ध,सौभाग्यवती का श्राद्ध,व्यतीपात योग (प्रातः 04:55 से मध्यरात्रि 02:34 तक)*

🌟 * * 🌟

✅ * :* 40 years to 65 years 364 days
✅ * :* 10 or 12 years ( )

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- 15th year → 25%
- 20th year → 25%
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👉 Total *100% * 🎉

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- Starting from 20
- Increasing with time (up to 65 +)
- ( )

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💥 *विशेष - नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞

🌷 *इससे आपका मन लगने लगेगा* 🌷
➡ *यदि दुकान अथवा व्यवसाय-स्थल पर आपका मन नहीं लगता है तो इसके लिए आप जिस स्थान पर बैठते हैं वहाँ थोडा-सा कपूर जलायें, अपनी पसंद के पुष्प रखें और स्वस्तिक या ॐकार को अपलक नेत्रों से देखते हुए कम-से-कम ५ – ७ बार ॐकार का दीर्घ उच्चारण करें |*
➡ *अपने पीछे दीवार पर ऊपर ऐसा चित्र लगायें जिसमें प्राकृतिक सौंदर्य हो, ऊँचे –ऊँचे पहाड़ हों परंतु वे नुकीले न हों और न ही उस चित्र में जल हो अथवा यथायोग्य किसी स्थान पर आत्मज्ञानी महापुरुषों, देवी-देवताओं के चित्र लगायें | इससे आपका मन लगने लगेगा |*

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *पितृ पक्ष* 🌷
🙏🏻 *अभी पितृ पक्ष चल रहा है | अपने घर के लोग जो गुजर गये हैं | उनकी आत्मा को शांति देने के लिए इतना जरूर करें कि अब सर्व पितृ अमावस्या आयेगी, (21 सितम्बर 2025 रविवार को ) उस दिन गीता का 7 अध्याय पाठ करें, सूर्य भगवान के सामने जल और अन्न ले जाकर प्रार्थना करें कि: "हे सूर्यदेव, यमराज आपके पुत्र हैं, हमारे घर के जो भी गुजर गये उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें, आज के गीता के पाठ का पुण्य उनके लिए दीजिये" पितृ गण राजी होंगे, घर में अच्छी संतान जन्म लेगी यह सर्व पितृ अमावस्या के दिन जरूर करें।*

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *उन्नतिकारक कुंजियाँ* 🌷
👉🏻 *हल्का भोजन करने से शरीर में स्थूलता कम होती है, मन भी सूक्ष्म होता है | सूक्ष्म मन प्रसन्नता का द्योतक है |*
👉🏻 *भृकुटी में तिलक करने से ज्ञानशक्ति का विकास होता है |*

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🙏🏻🌷🌸🌼💐☘🌹🌻🌺🙏

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13/09/2025

Big shout out to my newest top fans! 💎 Amol Khatri, Shreya Jaiswal, Sanjay Sharma Sanju, अरविन्द जायसवाल, Lakshman Singh, Kamal Sharma

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🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞 🌤️  *दिनांक - 14 सितम्बर 2025*🌤️ *दिन -  रविवार*🌤️ *विक्रम संवत 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 20...
13/09/2025

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक - 14 सितम्बर 2025*
🌤️ *दिन - रविवार*
🌤️ *विक्रम संवत 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)*
🌤️ *शक संवत -1947*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️ *मास - आश्विन (गुजरात-महाराष्ट्र भाद्रपद)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - अष्टमी 15 सितम्बर रात्रि 03:06 तक तत्पश्चात नवमी*
🌤️ *नक्षत्र - रोहिणी सुबह 08:41 तक तत्पश्चात मृगशिरा*
🌤️ *योग - बज्र सुबह 07:35 तक तत्पश्चात सिद्धि*
🌤️ *राहुकाल - शाम 05:10 से शाम 06:43 तक*
🌤️ *सूर्योदय - 06:26* (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार)
🌤️ *सूर्यास्त - 06:41*
👉 *दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - अष्टमी का श्राद्ध,महालक्ष्मी व्रत समाप्त राष्ट्रीय हिन्दी दिवस*

🌟 * * 🌟

✅ * :* 40 years to 65 years 364 days
✅ * :* 10 or 12 years ( )

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- 15th year → 25%
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👉 Total *100% * 🎉

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- Starting from 20
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💥 *विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है (ब्रह्मवैवर्त पुराण ब्रह्म खण्ड: 27,29,34)*
🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞

🌷 *व्यतिपात योग* 🌷
➡️ *15 सितम्बर 2025 सोमवार को प्रातः 04:55 से मध्यरात्रि 02:34 (यानि 16 सितम्बर 02:34 AM) तक व्यतिपात योग है।*
🙏🏻 *व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।*
🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞

👉🏻 *पित्र अमावस्या तक इसका पठन एवं श्रवण जरूर करे*⤵️

🌷 *अश्विन माह* 🌷
🙏🏻 *अश्विन हिन्दू धर्म का सप्तम महिना है। अश्विन नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने के कारण इसका नाम अश्विन पड़ा (अश्विनीनक्षत्रयुक्ता पौर्णमासी यत्र मासे सः)। आश्विन मास का संबंध अश्विनौ से है जो सूर्य के दो पुत्र हैं और देवताओं के चिकित्सक हैं। इस मास का एक नाम क्वार भी है। (उत्तर भारत हिन्दू पंचांग के अनुसार) से अश्विन का आरम्भ हो चुका है। (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अभी भाद्रपद मास चल रहा है) ।*
🙏🏻 *महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार “तथैवाश्वयुजं मासमेकभक्तेन यः क्षिपेत्। प्रज्ञावान्वाहनाढ्यश्च बहुपुत्रश्च जायते।।” जो अश्विन मास को एक समय भोजन करके बिताता है, वह पवित्र, नाना प्रकार के वाहनों से सम्पन्न तथा अनेक पुत्रों से युक्त होता है ।*
🌷 *आश्विने भौमावास्याम जायते खलु पार्वती। विविध विपदाम धनक्षयं पापाचारम वर्धते।।*
🙏🏻 *महाभारत अनुशासन पर्व के अनुसार जो अश्विन मास में ब्राह्माणों को घृत दान करता है, उस पर दैव वैद्य अश्विनीकुमार प्रसन्न होकर उसे रूप प्रदान करते हैं ।*
🙏🏻 *शिवपुराण के अनुसार अश्विन में धान्य दान करने से अन्न तथा धन की वृद्धि होती है।*
🙏🏻 *अग्निपुराण के अनुसार अश्विन के महिने में गोरस- गाय का घी, दूध और दही तथा अन्न देनेवाला सब रोगों से छुटकारा पा जाता है |*
🌷 *आश्विने कृष्णपक्षे तु षष्ठ्यां भौमेऽथ रोहिणी । व्यतीपातस्तदा षष्ठी कपिलानन्तपुण्यदा ।।*
🙏🏻 *अश्विन महिने के कृष्णपक्ष की षष्ठी के दिन मंगलवार, रोहिणी नक्षत्र और व्यतिपात हो तो वह अनंत पुण्य देने वाला कपिला षष्टी योग कहा जाता है। यह योग बहुत दुर्लभ है।*
🙏🏻 *शिवपुराण के अनुसार सती ने अश्विन मास में नंदा (प्रतिपदा, षष्ठी और एकादशी) तिथियों में भक्तिपूर्वक गुड़, भात और नमक चढाकर भगवान शिवका पूजन किया और उन्हें नमस्कार करके उसी नियम के साथ उस मास को व्यतीत किया |*
🙏🏻 *अश्विन कृष्णपक्ष को पितृपक्ष महालय के नाम से जाना जाता है जिसमें पितृ ऋण से मुक्त होने तथा पितरों को तृप्त करने के उद्देश्य से श्राद्ध किया जाता है।*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *श्राद्धकर्म* 🌷
🙏🏻 *अगर श्राद्धकर्म करने के लिए आपके पास बिल्कुल भी धन नहीं है तो आपको उधार मांगकर धन लेना चाहिए और श्राद्ध करना चाहिए। अगर आपको कोई उधार नहीं दे रहा तो पितरों के उद्देश्य से पृथ्वी पर भक्ति विनम्र भाव से सात आठ तिलों से जलाञ्जलि ही दे दें। अगर यह भी संभव नहीं तो कहीं से चारा लाकर गौ को खिला दें। और अगर इतना भी संभव नहीं तो अपनी बगल दिखाते हुए सूर्य तथा दिक्पालों से कहें :*
🌷 *"न मेऽस्ति वित्तं न धनं चान्यच्छ्राद्धोपयोग्यं स्वपितॄन्‌नतोऽस्मि ।*
*तृप्यन्तु भत्त्या पितरो मयैतौ कृतौ भुजौ वर्त्मनि मारुतस्य ।।"*
➡ *'मेरे पास श्राद्धकर्म के योग्य न धन-संपति है और न कोई अन्य सामग्री। अत: मै अपने पितरों को प्रणाम करता हूँ। वे मेरी भक्ति से ही तृप्तिलाभ करे। मैंने अपनी दोनों भुजाएं आकाश में उठा रखी हैं ।*
💥 *ऐसा विवरण विष्णुपुराण तृतीयांश, अध्यायः 14 तथा वराहपुराण अध्याय 13 में मिलता है।*
🔱🚩🇮🇳 *आर्यावर्त भरतखण्ड* 🇮🇳🚩🔱

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🙏🏻🌷🌸🌼💐☘🌹🌻🌺🙏

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞 🌤️  *दिनांक - 13 सितम्बर 2025*🌤️ *दिन -  शनिवार*🌤️ *विक्रम संवत 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार)*🌤...
12/09/2025

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक - 13 सितम्बर 2025*
🌤️ *दिन - शनिवार*
🌤️ *विक्रम संवत 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार)*
🌤️ *शक संवत -1947*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️ *मास - आश्विन (गुजरात-महाराष्ट्र भाद्रपद)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - षष्ठी सुबह 07:23 तक तत्पश्चात सप्तमी*
🌤️ *नक्षत्र - कृत्तिका सुबह 10:11 तक तत्पश्चात रोहिणी*
🌤️ *योग - हर्षण सुबह 10:33 तक तत्पश्चात बज्र*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 09:30 से सुबह 11:02 तक*
🌤️ *सूर्योदय - 06:26* (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार)
🌤️ *सूर्यास्त - 06:42*
👉 *दिशाशूल - पूर्व दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - सप्तमी का श्राद्ध,सप्तमी क्षय तिथि*

🌟 * * 🌟

✅ * :* 40 years to 65 years 364 days
✅ * :* 10 or 12 years ( )

💰 * :*
- 15th year → 25%
- 20th year → 25%
- 25th year → 25%
- 27th year → 25%
👉 Total *100% * 🎉

🛡 * :*
- Starting from 20
- Increasing with time (up to 65 +)
- ( )

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✔ 100%
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🩺📈 * *
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📞 #9211991121

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💥 *विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞

🌷 *पितरों का उद्धार* 🌷
🙏🏻 *भगवान शिव अपने पुत्र से कहते हैं: कार्तिकेय ! संसार में विशेषतः कलियुग में वे ही मनुष्य धन्य हैं, जो सदा पितरों के उद्धार के लिये श्रीहरि का सेवन करते हैं । बेटा ! बहुत से पिण्ड देने और गया में श्राद्ध आदि करने की क्या आवश्यकता है। वे मनुष्य तो हरिभजन के ही प्रभाव से पितरों का नरक से उद्धार कर देते हैं। यदि पितरों के उद्देश्य से दूध आदि के द्वारा भगवान विष्णु को स्नान कराया जाय तो वे पितर स्वर्ग में पहुँचकर कोटि कल्पों तक देवताओं के साथ निवास करते हैं। - पद्मपुराण*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *श्राद्ध में क्या करें क्या ना करें* 🌷
🌷 *श्राद्ध एकान्त में ,गुप्तरुप से करना चाहिये, पिण्डदान पर दुष्ट मनुष्यों की दृष्टि पडने पर वह पितरों को नहीं पहुचँता, दूसरे की भूमि पर श्राद्ध नहीं करना चाहिये, जंगल, पर्वत, पुण्यतीर्थ और देवमंदिर ये दूसरे की भूमि में नही आते, इन पर किसी का स्वामित्व नहीं होता, श्राद्ध में पितरों की तृप्ति ब्राह्मणों के द्वारा ही होती है, श्राद्ध के अवसर पर ब्राह्मण को निमन्त्रित करना आवश्यक है, जो बिना ब्राह्मण के श्राद्ध करता है, उसके घर पितर भोजन नहीं करते तथा श्राप देकर लौट जाते हैं, ब्राह्मणहीन श्राद्ध करने से मनुष्य महापापी होता है | (पद्मपुराण, कूर्मपुराण, स्कन्दपुराण )*
🌷 *श्राद्ध के द्वारा प्रसन्न हुये पितृगण मनुष्यों को पुत्र, धन, आयु, आरोग्य, लौकिक सुख, मोक्ष आदि प्रदान करते हैं , श्राद्ध के योग्य समय हो या न हो, तीर्थ में पहुचते ही मनुष्य को सर्वदा स्नान, तर्पण और श्राद्ध करना चाहिये,*
*शुक्ल पक्ष की अपेक्षा कृष्ण पक्ष और पूर्वाह्न की अपेक्षा अपराह्ण श्राद्ध के लिये श्रेष्ठ माना जाता है | (पद्मपुराण, मनुस्मृति)*
🌷 *सायंकाल में श्राद्ध नहीं करना चाहिये, सायंकाल का समय राक्षसी बेला नाम से प्रसिद्ध है, चतुर्दशी को श्राद्ध करने से कुप्रजा (निन्दित सन्तान) पैदा होती है, परन्तु जिसके पितर युद्ध में शस्त्र से मारे गये हो, वे चतुर्दशी को श्राद्ध करने से प्रसन्न होते हैं, जो चतुर्दशी को श्राद्ध करने वाला स्वयं भी युद्ध का भागी होता है | (स्कन्दपुराण, कूर्मपुराण, महाभारत)*
🌷 *रात्रि में श्राद्ध नहीं करना चाहिये, उसे राक्षसी कहा गया है, दोनो संध्याओं में भी श्राद्ध नहीं करना चाहिये, दिन के आठवें भाग (महूर्त) में जब सूर्य का ताप घटने लगता है उस समय का नाम 'कुतप' है, उसमें पितरों के लिये दिया हुआ दान अक्षय होता है, कुतप, खड्गपात्र, कम्बल, चाँदी , कुश, तिल, गौ और दौहित्र ये आठो कुतप नाम से प्रसिद्ध है, श्राद्ध में तीन वस्तुएँ अत्यन्त पवित्र हैं, दौहित्र, कुतपकाल, तथा तिल, श्राद्ध में तीन वस्तुएँ अत्यन्त प्रशंसनीय हैं, बाहर और भीतर की शुद्धि, क्रोध न करना तथा जल्दबाजी न करना (मनुस्मृति, मत्स्यपुराण, पद्मपुराण, विष्णुपुराण)*

🔱🚩🇮🇳 *आर्यावर्त भरतखंड* 🇮🇳🚩🔱

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌼💐☘🌹🌻🌺🙏

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞🌤️  *दिनांक - 12 सितम्बर 2025*🌤️ *दिन -  शुक्रवार*🌤️ *विक्रम संवत 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2...
11/09/2025

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक - 12 सितम्बर 2025*
🌤️ *दिन - शुक्रवार*
🌤️ *विक्रम संवत 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)*
🌤️ *शक संवत -1947*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️ *मास - आश्विन (गुजरात-महाराष्ट्र भाद्रपद)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - पंचमी सुबह 09:58 तक तत्पश्चात षष्ठी*
🌤️ *नक्षत्र -भरणी सुबह 11:58 तक तत्पश्चात कृत्तिका*
🌤️ *योग - व्याघात दोपहर 01:44 तक तत्पश्चात हर्षण*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 11:02 से दोपहर 12:35 तक*
🌤️ *सूर्योदय - 06:26*
🌤️ *सूर्यास्त - 06:43*
👉 *दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - षष्ठी का श्राद्ध,कृत्तिका श्राद्ध*

🌟 *सुरक्षा भी, निवेश भी – एक स्मार्ट योजना आपके बेहतर भविष्य के लिए!*
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(यदि आपकी आयु *40 वर्ष से कम* है)
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🔹 पूरी अवधि के बाद लगभग 8% या उससे अधिक का रिटर्न
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🛡️ *"आपका कल सुरक्षित बनाना, आज से शुरू होता है!"*
🛡️ *"Secure tomorrow begins today!"*

💥 *विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞~*वैदिक पंचांग* 🌞

🌷 *श्राद्ध में क्या करें क्या ना करें* 🌷
🌷 *श्राद्ध एकान्त में ,गुप्तरुप से करना चाहिये, पिण्डदान पर दुष्ट मनुष्यों की दृष्टि पडने पर वह पितरों को नहीं पहुचँता, दूसरे की भूमि पर श्राद्ध नहीं करना चाहिये, जंगल, पर्वत, पुण्यतीर्थ और देवमंदिर ये दूसरे की भूमि में नही आते, इन पर किसी का स्वामित्व नहीं होता, श्राद्ध में पितरों की तृप्ति ब्राह्मणों के द्वारा ही होती है, श्राद्ध के अवसर पर ब्राह्मण को निमन्त्रित करना आवश्यक है, जो बिना ब्राह्मण के श्राद्ध करता है, उसके घर पितर भोजन नहीं करते तथा श्राप देकर लौट जाते हैं, ब्राह्मणहीन श्राद्ध करने से मनुष्य महापापी होता है | (पद्मपुराण, कूर्मपुराण, स्कन्दपुराण )*
🌷 *श्राद्ध के द्वारा प्रसन्न हुये पितृगण मनुष्यों को पुत्र, धन, आयु, आरोग्य, लौकिक सुख, मोक्ष आदि प्रदान करते हैं , श्राद्ध के योग्य समय हो या न हो, तीर्थ में पहुचते ही मनुष्य को सर्वदा स्नान, तर्पण और श्राद्ध करना चाहिये,*
*शुक्ल पक्ष की अपेक्षा कृष्ण पक्ष और पूर्वाह्न की अपेक्षा अपराह्ण श्राद्ध के लिये श्रेष्ठ माना जाता है | (पद्मपुराण, मनुस्मृति)*
🌷 *सायंकाल में श्राद्ध नहीं करना चाहिये, सायंकाल का समय राक्षसी बेला नाम से प्रसिद्ध है, चतुर्दशी को श्राद्ध करने से कुप्रजा (निन्दित सन्तान) पैदा होती है, परन्तु जिसके पितर युद्ध में शस्त्र से मारे गये हो, वे चतुर्दशी को श्राद्ध करने से प्रसन्न होते हैं, जो चतुर्दशी को श्राद्ध करने वाला स्वयं भी युद्ध का भागी होता है | (स्कन्दपुराण, कूर्मपुराण, महाभारत)*
🌷 *रात्रि में श्राद्ध नहीं करना चाहिये, उसे राक्षसी कहा गया है, दोनो संध्याओं में भी श्राद्ध नहीं करना चाहिये, दिन के आठवें भाग (महूर्त) में जब सूर्य का ताप घटने लगता है उस समय का नाम 'कुतप' है, उसमें पितरों के लिये दिया हुआ दान अक्षय होता है, कुतप, खड्गपात्र, कम्बल, चाँदी , कुश, तिल, गौ और दौहित्र ये आठो कुतप नाम से प्रसिद्ध है, श्राद्ध में तीन वस्तुएँ अत्यन्त पवित्र हैं, दौहित्र, कुतपकाल, तथा तिल, श्राद्ध में तीन वस्तुएँ अत्यन्त प्रशंसनीय हैं, बाहर और भीतर की शुद्धि, क्रोध न करना तथा जल्दबाजी न करना (मनुस्मृति, मत्स्यपुराण, पद्मपुराण, विष्णुपुराण)*

🔱🚩🇮🇳 *आर्यावर्त भरतखण्ड* 🇮🇳🚩🔱

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