Astro science -ज्योतिष विज्ञान

Astro science -ज्योतिष विज्ञान आध्यात्मिक तथा ज्योतिष के विशेष उपाय?

26/04/2023

शनि देव की साढ़े साती चल रही है,अथवा शनि संबंधित किसी समस्या से पीड़ित हो, वो बस ये अचूक दुर्लभ पाठ कर ले। सब बिगड़े काम बन जायेंगे।

।।जय श्री सीता राम।।

दशरथ कृत शनि स्तोत्र-

नमः कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।
नमः कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नमः ||1||

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भैयाकृते॥2॥

नमः पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नमः।
नमो दीर्घाय शुष्काय कलिदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥3॥

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नमः।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥4॥

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥5॥

अधोदृष्टेः नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।
नमो मन्दंगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥6॥

तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नमः ॥7॥

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥8॥

देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगाः।
त्वया विलोकिताः सर्वे नाशं यान्ति समूलतः ॥9॥

प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबलः ॥10॥

24/03/2023
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13/06/2022

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12/06/2022

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29/05/2022

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आइये जानते हैं कुछ विशेष अचूक उपाय कल  #शनिदेव का पावन प्रकटोत्सव है तथा सोमवती अमावस्या भी है!💐विशेष उपाय को जानने के ल...
29/05/2022

आइये जानते हैं कुछ विशेष अचूक उपाय कल #शनिदेव का पावन प्रकटोत्सव है तथा सोमवती अमावस्या भी है!💐

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धन्यवाद!

तुरीये दिनेशेऽतिशोभाधिकारी जनः सॅल्लभेद्विग्रहं बन्धुतोऽपि। प्रवासी विपक्षाहवे मानभङ्गं कदाचिन्न शान्तं भवेत्तस्य चेतः ॥...
26/05/2022

तुरीये दिनेशेऽतिशोभाधिकारी जनः सॅल्लभेद्विग्रहं बन्धुतोऽपि।
प्रवासी विपक्षाहवे मानभङ्गं कदाचिन्न शान्तं भवेत्तस्य चेतः ॥४॥
जिसके चतुर्थ भाव में सूर्य हों वह व्यक्ति सौन्दर्य प्रिय भाइयों से विवादग्रस्त, प्रवासी (परदेशी ) उसका जीवन लड़ाई-झगड़े में शत्रुओं से अपमानित होता है। उसे कहीं भी शान्ति नहीं मिलती है ॥४॥

सुतस्थानगे पूर्वजापत्यतापी कुशाग्रा मतिर्भास्करे मन्त्रविद्या।
रतिर्वंचनो संचकोऽपि प्रमादी मृतिः क्रोडरोगादिजा भावनीया॥५॥

जिसके पञ्चम भाव में सूर्य हो,वह प्रथम सन्तानका कष्ट (मृत्यु) तीक्ष्ण बुद्धि, मन्त्र विद्या का ज्ञाता, ठगने तथा संग्रह करने में चतुर तथा असावधान होता है। उसकी मृत्यु कलेजे के रोगों से होती है ॥५॥

रिपुध्वंसकृद्भास्करो यस्य षष्ठे तनोति व्ययं राजतो मित्रतो वा ।
कुले मातुरापच्चतुष्पादतो वा प्रयाणे निषादैविषादं करोति ॥६॥

जिस व्यक्ति की जन्मकुण्डली में षष्ठभाव में सूर्य हो, वह व्यक्ति शत्रुओं का नाश करने वाला, न्यायालय के कार्यों में तथा मित्रों के निमित्त धनव्यय करने वाला एवं यात्रा में निषाद ( वनवासी भील आदि ) जातियों से कष्ट पाता है ॥ ६॥

द्युनाथो यदा द्यूनजातो नरस्य प्रियातापनं पिण्डपीडा च चिन्ता।
भवेत्तुच्छलब्धिः क्रये विक्रयेऽपि प्रतिस्पर्धया नैति निद्रां कदाचित् ॥ ७॥

जिस व्यक्ति की कुण्डली में सप्तम भाव सूर्य हों उसे स्त्री कष्ट, शारीरिक पीड़ा, खरीद-बिक्री में स्वल्प लाभ होता है वह व्यक्ति प्रतिवादियों से ईर्ष्या के कारण सुखपूर्वक नहीं सोता है ॥७॥

क्रियालम्पटं त्वष्टमे कष्टभाजं विदेशीयदारान् भजेद्वाप्यवस्तु। बसुक्षीणता दस्युतो वा विलम्बाद्विपदुगुह्यतां भानुरुग्रां विधत्ते ॥ ८॥

जिसकी जन्म कुण्डली में अष्टम भाव में सूर्य हों, वह किपालम्पट (कामुक परस्त्रीगामी) दुःखी, दूसरे देश या जाति की स्त्री से सम्बन्ध करने वाला, सुरापी तथा मांसाहारी होता है। उसका घन डाकुओं के द्वारा हरण किया जाता गुहा रोग (बवासीर, सुजाक आदि) से उम्र कष्ट प्राप्त करता है ॥ ८॥

दिवानायके दुष्टता कोणयाते न चाप्नोति चिन्ताविरामोऽस्य चेतः।
तपश्चर्ययाऽनिच्छयापि प्रयाति क्रियातुङ्गतां तप्यते सोदरेण ॥९॥

जिसकी कुण्डली में नवमभाव में सूर्य हों, वह दुष्टता करता है। उसका चित्त चन्चल रहता है। तपस्या तथा धार्मिक कार्यों में न रहते हुये भी लोक में पूज्य होता है। सहोदर भाई से कष्ट पाता है, वह दाम्भिक असन्तुष्ट तथा अस्थिर चित्त का होता है ॥९॥

प्रयातोंऽशुमान् यस्य मेषू रणेऽस्य श्रमः सिद्धिदो राजतुल्यो नरस्य।
जनन्यास्तथा यातनामातनोति क्लमःसंक्रमेद्वल्लभैविप्रयोगः॥१०॥

जिसकी जन्म कुण्डली में जन्म लग्न से दशम भाव में सूर्य हों, उस व्यक्ति का उद्योग राजा की भाँति सफल होता है। उसकी योजनायें शीघ्र ही कार्यान्वित होती हैं। माता के द्वारा कष्ट मिलता है।अपने प्रियजनों से उसका वियोग होता है।जिससे उसे ग्लानि होती है।।

रवौ संलभेत् स्वं च लाभोपयाते नृपद्वारतो राजमुद्राधिकारात् ।
प्रतापानले शत्रवः सम्पतन्ति श्रियोऽनेकधा दुःखमङ्गोद्भवानाम् ।।११।।

जिसके एकादश भाव में सूर्य हों वह सरकारी अधिकार प्राप्त कर धनार्जन करता है। उसकी प्रतापाग्नि से शत्रु सन्यस्त रहते हैं। अनेक प्रकार से धनागम होता है । सन्तान के द्वारा उसे कष्ट होता है । ११॥

रविद्वादशे नेत्रदोषं करोति विपक्षाहवे जायतऽसौ जयश्रीः। स्थितिलब्धया लीयते देहदुःखं पितृव्यापदो हानिरध्वप्रदेशे ॥१२॥

जिसकी कुण्डली में द्वादश भाव में सूर्य हों उसे नेत्र विकार होता है। शत्रुत्रों से संघर्ष कार्य में विजय प्राप्ति होती है। लाभ की स्थिति बनी रहती है। शारीरिक कष्ट दूर होता है। चाचा की तरफ से आपत्ति रहती है। यात्रा करने पर रास्ते में धन हानि की सम्भावना रहती है ॥ १२॥

अब चंद्र के भावों पर जल्द ही विचार प्रस्तुत करेंगे....

॥ श्रीः ॥अथ तन्वादि द्वादशभावस्थ रविफलम्धने यस्य भानुः स भाग्याधिक: स्या                च्चतुष्पात्सुखं सद्व्यये स्वं च ...
26/05/2022

॥ श्रीः ॥
अथ तन्वादि द्वादशभावस्थ रविफलम्

धने यस्य भानुः स भाग्याधिक: स्या
च्चतुष्पात्सुखं सद्व्यये स्वं च याति ।
कुटुम्बे कलिर्जायया जायतेऽपि
क्रिया निष्फला याति लाभस्य हेतोः ॥२।।

जिस व्यक्ति के धनभाव में सूर्य स्थित हों वह भाग्यशाली होता है। उसे हाथी-घोड़े आदि चौपायों का सुख मिलता है। सत्कार्यों में धन व्यय होता है। परिवार में स्त्री के कारण कलह होता है। लाभ सम्बन्धी कार्यों में सभी प्रयत्न असफल होते हैं ॥२॥

तृतीये यदाहर्मणिर्जन्मकाले प्रतापाधिकं विक्रमं चातनोति।
तदा सोदरैस्तप्यते तीर्थचारी, सदारिक्षयः संगरेशं नरेशात् ॥ ३ ॥

जिसकी जन्मकुण्डली में तृतीय भाव में सूर्य हो तो वह प्रतापी, यशस्वी तथा बलवान होता है। भाइयों के द्वारा वह कष्ट पाता है तीर्थयात्रा करने वाला संग्राम में शत्रुओं को जीतने वाला तथा राजा के द्वार ठाभ पानेवाला होता है ॥३॥

26/05/2022

॥ श्रीः ॥

अथ तन्वादि द्वादशभावस्थ रविफलम्

तनुस्थो रविस्तुङ्गयष्टि विधत्ते मनः संतपेद्दारदायादवर्गात् । वपुः पीड्यते वातपित्तेन नित्यं स वै पर्यटन् ह्रासवृद्धि प्रयाति ॥१॥

◆यदि किसी की जन्म कुण्डली में लग्न में सूर्य स्थित हों तो वह उच्च कद का लम्बा शरीरवाला होता है। अपने स्त्री-पुत्र तथा परि वारवालों के कारण उसका मन सन्तप्त रहता है। इतस्ततः घूमते हुए, कभी हानि तथा कभी लाभ प्राप्त करता है। वात-पित्त रोगों से उसे कष्ट होता है ॥ १॥

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20/05/2022

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शुभरात्रि
17/05/2022

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