
23/07/2025
लौंग: एक छोटी सी कली, बड़े-बड़े रोगों का इलाज!
"लवंगं वातकफघ्नं च दीपनं रुचिकारकम्।”
भारतीय मसालों की रसोई में मौजूद एक छोटा-सा तत्व लौंग (Laung), आयुर्वेद के अनुसार एक चमत्कारी औषधि है। लौंग केवल स्वादवर्धक नहीं बल्कि औषधीय गुणों की खान है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसे वात और कफ दोष नाशक माना गया है। इसकी तीक्ष्ण सुगंध, ऊष्ण प्रभाव और औषधीय तासीर शरीर की कई समस्याओं को मिटाने में सहायक है।
जुकाम और बंद नाक उपायः लौंग को तवे पर सेंक कर कपड़े में लपेटकर सूंचें। लाभः नाक खुलेगी, सिरदर्द में भी आराम मिलेगा। मुँह के छाले और गंध उपायः लौंग को पीसकर मिश्री के साथ मिलाकर छालों पर लगाएं। लाभः जलन शांत होती है और मुँह साफ रहता है। स्त्रियों की मासिक समस्याएं
संस्कृत नामः लवंग;
वैज्ञानिक नाम: Syzygium
aromaticum; कुल: Myrtaceae;
प्रभावः कफ-
वात शामक, अग्निदीपक, शूलहर, मुखशुद्धिकर, ज्वरहर
लौंग के आयुर्वेदिक गुणः
रसः कटु (तीखा), तिक्त (कसैला)
गुणः लघु, तीक्ष्ण, रुक्ष
वीर्यः उष्ण (गर्म)
विपाकः कटु (पचने के बाद भी तीखा प्रभाव देता है)
दोष प्रभावः कफ और वात को शांत करता है, पित्त को बढ़ा सकता है।
चरक संहिता और सुश्रुत संहिता दोनों में लौंग को वातनाशक और पाचनवर्धक कहा गया है।
लौंग के आयुर्वेदिक नुस्खेः
गले में खराश और कफ की समस्या उपायः एक लौंग को शहद के साथ चूसें।
उपाय: लौंग के तेल की 2 बूंदें रुई में डालकर दर्द वाले दांत पर रखें।
लाभः गैस, अपच और भूख की कमी में लाभ।
लाभः गला साफ होगा, बलगम ढीला पड़ेगा, खांसी में राहत। दांत का दर्द और दुर्गंध लाभः दर्द, सूजन, और सांस की बदबू में राहत। पाचन तंत्र को सुधारने वाला चूर्ण उपायः भुनी लौंग, काली मिर्च और सेंधा नमक मिलाकर चूर्ण बनाएं। सेवन विधिः भोजन के बाद 1 चुटकी लें।
उपायः लौंग, अदरक, दालचीनी का काढ़ा बनाएं। सेवन विधिः पीरियड्स के पहले 3 दिन तक दिन में दो बार पिएं। लाभः दर्द और ऐंठन में राहत। मानसिक तनाव और नींद न आना उपायः रात को दूध में लौंग का पाउडर डालकर पिएं। लाभः तनाव कम होगा, नींद अच्छी आएगी। त्वचा के फोड़े-फुंसियों पर प्रयोग उपायः लौंग पाउडर नारियल तेल में मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाएं। लाभः सूजन कम होगी, बैक्टीरिया खत्म होंगे। श्वास रोगों के लिए उपायः लौंग, तुलसी, काली मिर्च, शहद मिलाकर सेवन करें। लाभः अस्थमा, खांसी, सांस की तकलीफ में राहत।
लौंग से बने आयुर्वेदिक उत्पादः
लवंगादि वटीः मुख रोगों के लिए
दन्तमंजन चूर्णः दांत-मसूड़ों की देखभाल
लवंग तेलः दर्द और कीटाणुनाशक
सावधानियांः
अत्यधिक सेवन से पित्त बढ़ सकता है, सीने में जलन हो सकती है।
गर्भवती महिलाएं या हाई बीपी रोगी डॉक्टरी सलाह के बाद ही लें।
लौंग का तेल हमेशा डायल्यूट करके ही लगाएं।
निष्कर्षः
लौंग, एक अद्भुत प्राकृतिक औषधि है जो आपकी रसोई में पहले से मौजूद है। अगर सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो यह छोटी-सी कली कई बड़े रोगों को मात दे सकती है। लौंग का महत्व केवल रसोई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सम्पूर्ण आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली का हिस्सा है।