
28/03/2025
#पुत्रजीवा – संतान सुख प्रदान करने वाली चमत्कारी औषधि
पुत्रजीवा एक अद्भुत आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसे संतान प्राप्ति में कारगर माना जाता है। इसे कुमार जीवा, जियापोता, महापुत्र, पुत्रजीनवा आदि नामों से भी जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, इसके बीज और पत्तों में गर्भधारण को बढ़ावा देने वाले औषधीय गुण होते हैं, जो संतानहीन महिलाओं को संतान सुख प्राप्त करने में मदद करते हैं।
✅ औषधीय गुण और लाभ
गर्भधारण में सहायक: पुत्रजीवा के बीज वीर्यवर्धक, गर्भदायक और वात-कफ को दूर करने वाले होते हैं।
गर्भपात रोकने में प्रभावी: बार-बार गर्भपात होने वाली महिलाओं के लिए यह औषधि रामबाण सिद्ध होती है।
कम मात्रा में माहवारी की समस्या में उपयोगी: जो महिलाएं अनियमित या कम मासिक स्राव के कारण गर्भधारण नहीं कर पातीं, उनके लिए पुत्रजीवा का सेवन लाभकारी होता है।
माला पहनने का महत्व: आयुर्वेद के अनुसार, यदि संतानहीन महिला पुत्रजीवा के बीजों की माला पहनती है, तो गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
⚡ गर्भधारण के लिए विशेष प्रयोग विधि
पुत्रजीवा की जड़ को दूध में पीसकर पीने से गर्भ ठहरने में सहायता मिलती है।
शिवलिंगी बीज और पुत्रजीवा बीज को 2-2 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ नियमित रूप से सेवन करने पर गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
इस औषधि का सेवन करते समय तेल, खटाई, मिर्च-मसाले और गरम पदार्थों से बचना आवश्यक है, ताकि इसका प्रभाव पूरी तरह से हो।
🔥 गर्भधारण में कारगर "गर्भधारक योग"
आयुर्वेद में "गर्भधारक योग" नामक औषधि का उल्लेख है, जो गर्भधारण में सहायता करती है। यह योग विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए प्रभावी है, जो गर्भाशय और डिंबवाहिनी नलिकाओं में समस्या के कारण गर्भधारण नहीं कर पातीं।
🌿 गर्भधारक योग की निर्माण विधि:
घटक द्रव्य:
रस सिंदूर – 10 ग्राम
जायफल – 10 ग्राम
सावित्री – 10 ग्राम
लौंग – 10 ग्राम
कर्पूर – 10 ग्राम
केसर – 10 ग्राम
रुद्रवंती – 10 ग्राम
पुत्रजीवक – 10 ग्राम
शिवलिंगी – 10 ग्राम
शतावरी – 250 ग्राम
बनाने की विधि:
शतावरी को छोड़कर सभी घटकों का बारीक चूर्ण बना लें।
शतावरी का काढ़ा (क्वाथ) तैयार करें और इसे इतना उबालें कि 100 ग्राम रह जाए।
अब इसमें घटक द्रव्यों का चूर्ण मिलाकर अच्छी तरह घोटाई करें।
मिश्रण से 100-100 मिलीग्राम की गोलियां बना लें।
सेवन विधि:
मासिक धर्म के चौथे दिन से दिन में दो बार 2-2 गोली दूध के साथ लें।
अगले मासिक धर्म तक इसे बंद रखें।
मासिक धर्म के चौथे दिन से पुनः सेवन शुरू करें।
लगातार तीन मासिक धर्म तक इस योग का सेवन करने से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
⚠️ महत्वपूर्ण तथ्य:
पुत्रजीवा का नाम यह संकेत नहीं देता कि इससे पुत्र ही पैदा होगा। यह केवल एक संतानोत्पत्ति में सहायक औषधि है, जिससे पुत्र या पुत्री दोनों की संभावना होती है।
आयुर्वेद में कई औषधियों के नाम प्रतीकात्मक होते हैं, जैसे अश्वगंधा का अर्थ घोड़ा उत्पन्न करना नहीं है, बल्कि यह घोड़े जैसी ताकत प्रदान करती है।
🌿 निष्कर्ष:
पुत्रजीवा आयुर्वेद में संतानहीनता को दूर करने के लिए चमत्कारी औषधि मानी जाती है। यह न सिर्फ गर्भधारण में सहायक है, बल्कि बार-बार गर्भपात, मासिक धर्म की अनियमितता और गर्भाशय संबंधी विकारों में भी प्रभावी है। योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से इसका सेवन करने से निसंतान दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है।