04/05/2024
यह पड़ा है जमीनी विवाद, छल, कपट, षड्यंत्र, कूटनीति, राजनीति, नेतागिरी, हुस्न, शबाब, जवानी, धन, दौलत, शौहरत, बेईमानी, नफरत,अभिमान, ईर्ष्या लड़ाई, झगडे सबका यही हाल होना है फिर घमंड किस चीज का समझ से परे है..!
राजा हो या रंक सबकी औकात सिर्फ एक लोटा राख ही तो है अपनी अपनी समझ समझ की बात
है..!!
जलती देखी एक चिता और उसमे फटता इक कपाल।
उस कपाल के संग फटी षड्यंत्र की सारी झूठी चाल।।
छल कपट फूटकर बिखर गए जलता देखा सारा अभिमान।
न दिखी नीतियां धन दौलत न दिखे ख्वाब के भव्य मकान।।
जल गई तरुणता , सुंदरता , जल गए दिखावे जीवन के।
जल गई बेईमानी की हुई जल गए इरादे छल के मन के।।
नहीं राजनीति आई न कूटनीति से वो जलती आग बुझी।
इक गज की छोटी जमीन पर जमींदार की चिता सजी।।
जल रही थी नफरत, नेतागिरी, नारे, झगड़े और हर खिताब।
ईर्ष्या के पल सब राख हुए , खोया जिसमें सब बल प्रताप।।
हरी हर के हर एक जन से प्रेम करो,हर एक में हरी हर देखो
समय रहते समझ लीजिए क्योंकि यही कड़वा सच है ………..