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Ambubachi Mela Kamakhya Diksha | 9380179145
02/05/2025

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Mahalaxmi Sadhana - Chaitra Navratri 30th March - 6th April चैत्र नवरात्रि में महालक्ष्मी साधना – असीम धन, समृद्धि और सौ...
22/03/2025

Mahalaxmi Sadhana - Chaitra Navratri 30th March - 6th April

चैत्र नवरात्रि में महालक्ष्मी साधना – असीम धन, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त करने का दिव्य मार्ग

🔱 महालक्ष्मी साधना से गरीबी और दरिद्रता का नाश करें, व्यापार में अपार वृद्धि करें और अपार धन-संपत्ति प्राप्त करें! 🔱

🔸 चैत्र नवरात्रि प्रारंभ – 30 मार्च 2025
🔸 चैत्र नवरात्रि समापन – 6 अप्रैल 2025

महालक्ष्मी जी केवल धन और वैभव की देवी ही नहीं हैं, बल्कि समस्त सौभाग्य, ऐश्वर्य और उन्नति की अधिष्ठात्री हैं। यदि जीवन में धन की कमी, व्यापार में हानि, नौकरी में अस्थिरता, कर्ज़ से मुक्ति, या घर में दरिद्रता हो, तो महालक्ष्मी साधना आपके जीवन को बदल सकती है।

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महालक्ष्मी का प्राकट्य और उनकी दिव्य कथा

महालक्ष्मी जी के प्राकट्य की कई पौराणिक कथाएँ हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। जब देवता और दानवों ने अमृत प्राप्त करने के लिए क्षीरसागर का मंथन किया, तब 14 रत्नों के साथ महालक्ष्मी जी प्रकट हुईं। वे कमल पर विराजमान थीं, उनके हाथों में अमृत, धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि का वरदान था। भगवान विष्णु ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया, और तभी से वे समस्त ब्रह्मांड की पालनहार बनीं।

एक अन्य कथा के अनुसार, महालक्ष्मी जी ने दानवों के राजा महिषासुर का संहार करने के लिए महिषासुरमर्दिनी का रूप धारण किया और देवताओं को विजय दिलाई।

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चैत्र नवरात्रि में महालक्ष्मी साधना की महिमा

चैत्र नवरात्रि देवी साधना का सर्वश्रेष्ठ काल है। इस पावन समय में महालक्ष्मी साधना करने से व्यक्ति को अष्टलक्ष्मी (धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतोषलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी, विजयलक्ष्मी और ऐश्वर्यलक्ष्मी) की कृपा सहज प्राप्त होती है।

महालक्ष्मी साधना विधि (30 मार्च से 6 अप्रैल तक करें)

🔹 महालक्ष्मी साधना के लिए आवश्यक सामग्री:
✅ लाल वस्त्र पहनें
✅ कमल पुष्प या गुलाब के फूल
✅ स्फटिक माला
✅ महालक्ष्मी यंत्र
✅ देशी घी का दीपक
✅ खीर या मिश्री का भोग

🔹 साधना की प्रक्रिया:
1️⃣ प्रतिदिन प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2️⃣ पूजन स्थान पर लाल कपड़ा बिछाकर महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करें।
3️⃣ महालक्ष्मी जी को गुलाब और कमल पुष्प अर्पित करें।
4️⃣ देशी घी का दीपक प्रज्वलित करें और 108 बार नीचे दिया गया महामंत्र जप करें:

📿 "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः" 📿

5️⃣ मंत्र जप के बाद महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ करें।
6️⃣ अंत में खीर या मिश्री का भोग अर्पित करें और माता से धन, समृद्धि और ऐश्वर्य का आशीर्वाद मांगें।

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महालक्ष्मी अष्टकम पाठ का महत्व

यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ करता है, तो उसका जीवन राजसी वैभव से भर जाता है। इसके नियमित पाठ से:
✅ अतीत के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
✅ गरीबी, दरिद्रता और कर्ज़ से मुक्ति मिलती है।
✅ व्यापार और धन में कई गुना वृद्धि होती है।
✅ जीवन में सौभाग्य, ऐश्वर्य और अन्न-धन की कभी कमी नहीं रहती।
✅ सभी प्रकार की आर्थिक बाधाओं का नाश होता है।

📖 महालक्ष्मी अष्टकम स्तोत्र:
"नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥"

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महालक्ष्मी हवन विधि (6 अप्रैल को करें)

🚩 समाप्ति दिवस पर विशेष हवन करें:
🪔 हवन सामग्री: गुग्गुल, कपूर, गूगल, गाय का घी, शुद्ध चावल, कमल गट्टा।
🪔 108 आहुति दें और प्रत्येक आहुति के साथ यह मंत्र बोलें:

"ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा।"

🪔 हवन के बाद कन्याओं और ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।

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भारत के प्रसिद्ध महालक्ष्मी मंदिर – जहाँ दर्शन अवश्य करें

🔱 श्री महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर (महाराष्ट्र) – देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक।
🔱 श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, दिल्ली – भव्य एवं दिव्य मंदिर।
🔱 पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल – असीम धन और ऐश्वर्य का केंद्र।
🔱 महालक्ष्मी मंदिर, मुंबई – व्यापारियों और उद्योगपतियों की श्रद्धा का केंद्र।
🔱 लक्ष्मी देवी मंदिर, गुजरात – प्राचीन और चमत्कारी मंदिर।

यदि कोई भक्त इन मंदिरों में चैत्र नवरात्रि के दौरान दर्शन करता है, तो उसे महालक्ष्मी जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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महालक्ष्मी दीक्षा – धन की चमत्कारी वृद्धि हेतु

यदि आप धन, ऐश्वर्य और व्यापार में असीम वृद्धि चाहते हैं और महालक्ष्मी साधना की पूर्ण दीक्षा लेना चाहते हैं, तो आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं।

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महालक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने जीवन को धन-समृद्धि से भरपूर बनाएं!

🔱 श्री महालक्ष्मी की जय! 🔱

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Kamakhya Sadhana - Chaitra Navratri 30th March - 6th April 🔱 माँ कामाख्या साधना - चैत्र नवरात्रि 2025 में महालाभ 🔱🕉️ चैत...
21/03/2025

Kamakhya Sadhana - Chaitra Navratri 30th March - 6th April

🔱 माँ कामाख्या साधना - चैत्र नवरात्रि 2025 में महालाभ 🔱

🕉️ चैत्र नवरात्रि प्रारंभ: 30 मार्च 2025
🕉️ चैत्र नवरात्रि समापन: 6 अप्रैल 2025

चैत्र नवरात्रि में माता कामाख्या की साधना विशेष रूप से सिद्धिदायक होती है। यह साधना उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है जो अपने जीवन से दुष्ट शक्तियों, अत्यधिक कठोर काले जादू, आर्थिक तंगी, एवं जीवन में आने वाले बड़े संकटों से मुक्ति चाहते हैं। माँ कामाख्या न केवल सभी बाधाओं को नष्ट करती हैं, बल्कि अपने भक्तों को असीमित धन, समृद्धि और सफलता भी प्रदान करती हैं।

🔻 माँ कामाख्या की उत्पत्ति कथा 🔻

माँ कामाख्या का स्थान तंत्र और सिद्धियों का परम केंद्र माना जाता है। पुराणों के अनुसार, जब माता सती ने योगबल से अपने शरीर का त्याग किया, तब भगवान शिव उनके शरीर को लेकर विलाप करने लगे। इस दौरान, भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए, जिससे उनका योनि भाग नीलांचल पर्वत (वर्तमान में कामाख्या शक्तिपीठ, असम) पर गिरा। यही स्थान माँ कामाख्या का सिद्ध स्थल बना, जहाँ हर वर्ष अंबुवाची मेला लगता है, जो देवी के रजस्वला होने का प्रतीक है।

माँ कामाख्या तंत्र मार्ग की अधिष्ठात्री देवी हैं। उनकी साधना करने से जीवन के सभी दुर्भाग्य समाप्त हो जाते हैं, अत्यंत गुप्त और प्रबल तंत्र प्रयोग निष्क्रिय हो जाते हैं, और साधक के जीवन में चमत्कारी बदलाव आता है।

🔥 माँ कामाख्या साधना विधि 🔥

चैत्र नवरात्रि में माँ कामाख्या की साधना करने से अत्यधिक तेजस्वी और प्रभावी फल प्राप्त होते हैं। साधना को पूर्ण रूप से गोपनीय रखते हुए किया जाना चाहिए।

🔹 साधना सामग्री:

लाल कपड़ा

सिंदूर

लाल फूल

गाय का घी

गुग्गुल धूप

कस्तूरी

कामाख्या यंत्र

शुद्ध घी का दीपक

11 या 21 नींबू

🔹 साधना स्थान:

किसी एकांत स्थान पर या घर में साफ स्थान पर आसन बिछाकर करें।

उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख रखें।

लाल आसन का प्रयोग करें।

🔹 मंत्र:
"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कामाख्यायै नमः"

🔹 मंत्र जप संख्या:

साधना के दौरान प्रतिदिन 108, 324 या 1008 बार इस मंत्र का जाप करें।

यदि संपूर्ण सिद्धि प्राप्त करनी हो, तो 1,25,000 मंत्र जपकर हवन करें।

🔹 हवन विधि:
साधना पूर्ण होने के बाद, आखिरी दिन हवन करना अत्यंत शुभ होता है। हवन में निम्नलिखित सामग्री डालें:

गाय का घी

गुग्गुल

काले तिल

लाल चंदन

शुद्ध शक्कर

108 आहुति "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कामाख्यायै नमः स्वाहा" मंत्र से दें।

⚡ माँ कामाख्या कवच – दिव्य रक्षण कवच ⚡

माँ कामाख्या कवच अत्यंत प्रभावी होता है। यह कवच किसी भी प्रकार के तंत्र प्रयोग, भयंकर काला जादू, शत्रु बाधा, और आर्थिक तंगी को समाप्त कर देता है। जो व्यक्ति इस कवच को धारण करता है, उसे किसी भी प्रकार के नकारात्मक प्रभाव का भय नहीं रहता।

🔹 कामाख्या कवच लाभ:
✅ किसी भी ऊपरी बाधा, टोटके और तंत्र प्रयोग से सुरक्षा
✅ धन, व्यापार और नौकरी में जबरदस्त वृद्धि
✅ शत्रुओं का नाश और कोर्ट-कचहरी में विजय
✅ घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह
✅ रोग-व्याधि और दरिद्रता का नाश

🌟 माँ कामाख्या साधना के प्रमुख लाभ 🌟

✔️ जीवन में स्थायी धन, ऐश्वर्य और अपार संपत्ति प्राप्त होती है।
✔️ किसी भी प्रकार के शत्रु द्वारा किए गए घातक तंत्र प्रयोग निष्फल हो जाते हैं।
✔️ रोजगार, व्यापार और कैरियर में अभूतपूर्व वृद्धि होती है।
✔️ वैवाहिक और पारिवारिक जीवन में सुख-शांति का संचार होता है।
✔️ संतान सुख, संतान रक्षा और वंश वृद्धि में लाभ मिलता है।
✔️ भयंकर से भयंकर काले जादू और टोटकों से छुटकारा मिलता है।
✔️ असाध्य रोगों से मुक्ति एवं दीर्घायु प्राप्त होती है।
✔️ साधक को अपार सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं।

📞 अगर आप माँ कामाख्या की दीक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, तो मुझसे संपर्क करें:
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🌺 इस चैत्र नवरात्रि में माँ कामाख्या की साधना कर अपने जीवन में सुख, समृद्धि और अपार शक्ति को आमंत्रित करें। माँ कामाख्या का आशीर्वाद आपको अपार सफलता, धन, और सभी प्रकार की रक्षा प्रदान करेगा।

🔱 जय माँ कामाख्या! 🔱

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Kalratri Durga Sadhana (Chaitra Navratri 30th March - 6th April)🔱 कालरात्रि दुर्गा साधना – चैतन्य जागरण और तंत्रिक सुरक्...
20/03/2025

Kalratri Durga Sadhana (Chaitra Navratri 30th March - 6th April)

🔱 कालरात्रि दुर्गा साधना – चैतन्य जागरण और तंत्रिक सुरक्षा का महामंत्र 🔱

🔺 चैत्र नवरात्रि 2025 का शुभ अवसर 🔺
इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से 6 अप्रैल 2025 तक रहेगी। इस दौरान माँ भगवती की उपासना अत्यंत शुभ फलदायी होती है, विशेष रूप से माँ कालरात्रि की साधना उन साधकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है जो तीव्र तांत्रिक सुरक्षा, उन्नति एवं आत्मिक जागरण चाहते हैं।

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🕉 माँ कालरात्रि की उत्पत्ति एवं स्वरूप 🕉

माँ कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत दिव्य और उग्र है। वे महाकाली, भद्रकाली, चामुंडा और महाप्रत्यक्ष प्रचंड शक्ति के रूप में पूजित हैं।

📖 पौराणिक कथा के अनुसार, जब असुरों का अत्याचार चरम पर था, तब माँ दुर्गा के क्रोध से माँ कालरात्रि प्रकट हुईं। उन्होंने दैत्यों का संहार किया और सृष्टि को मुक्त किया। उनकी उत्पत्ति के पीछे यह रहस्य है कि जब साधक को अपने आध्यात्मिक मार्ग में रुकावटें आती हैं, तब माँ कालरात्रि उनके मार्ग से समस्त नकारात्मक शक्तियों को हटा देती हैं।

💀 माँ का स्वरूप – माँ की त्वचा अंधकार के समान काली है, वे चार भुजाओं वाली हैं, जिनमें खड्ग और वज्र धारण करती हैं। उनकी तीसरी आँख से अग्नि प्रज्वलित होती है, जो सभी नकारात्मक शक्तियों को भस्म कर देती है।

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🕉 माँ कालरात्रि साधना के चमत्कारी लाभ 🕉

✔️ अत्यंत शक्तिशाली काला जादू, महाप्रत्यक्ष तंत्र प्रयोग, महाप्रतांगिरा प्रयोग एवं कृत्या प्रयोग भी निष्फल हो जाते हैं।
✔️ सभी प्रकार की अभिचार, बाधा, ग्रह दोष, ऊपरी बाधा, प्रेत-बाधा समाप्त हो जाती है।
✔️ साधक को अपराजेय शक्ति एवं अद्वितीय आत्मबल प्राप्त होता है।
✔️ तंत्र एवं सिद्धियों की राह में आने वाले सभी अवरोध हट जाते हैं।
✔️ जीवन में आर्थिक वृद्धि, व्यापार की उन्नति, ऋण मुक्ति और विजय प्राप्त होती है।

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🕉 कालरात्रि साधना विधि 🕉

🌙 तिथि: नवरात्रि के सप्तमी या अष्टमी तिथि पर मध्यरात्रि में करें।
📍 स्थान: एकांत, शिवालय, या सिद्ध स्थान में करें।
🔥 हवन विधि:

1. सबसे पहले गाय के घी का दीपक जलाएं।

2. माँ कालरात्रि की तस्वीर या प्रतिमा रखें।

3. लाल या काले रंग के वस्त्र पहनें।

4. 108 बार ॐ कालरात्र्यै नमः मंत्र का जप करें।

5. हवन सामग्री में काली तिल, गुग्गुल, लौंग, कपूर, शमी के पत्ते डालें।

6. हवन में 108 बार यह मंत्र आहुति दें:
"ॐ ह्रीं क्रीं कालरात्र्यै स्वाहा।"

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🕉 माँ कालरात्रि कवच के लाभ 🕉

माँ कालरात्रि कवच अत्यंत शक्तिशाली है। यह कवच धारक को महाप्रतांगिरा प्रयोग से भी सुरक्षित रखता है।
✔️ यदि किसी पर कृत्या प्रयोग या अघोर प्रयोग हुआ हो, तो यह कवच उसे निष्फल कर देता है।
✔️ जीवन में शत्रु बाधा, कोर्ट केस, मुकदमे में विजय प्राप्त होती है।
✔️ साधक को अखंड ऊर्जा और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।

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🔱 विशेष तांत्रिक दीक्षा अवसर 🔱

जो साधक माँ कालरात्रि की गुप्त तांत्रिक दीक्षा लेना चाहते हैं, वे मुझसे संपर्क कर सकते हैं।
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🙏 जय माँ कालरात्रि 🙏

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Sh*tala Ashtami / Jyanti 22nd March शीतला अष्टमी 2025: माता शीतला की कृपा प्राप्त करने का विशेष दिन🔱 शीतला अष्टमी (शीतला...
18/03/2025

Sh*tala Ashtami / Jyanti 22nd March

शीतला अष्टमी 2025: माता शीतला की कृपा प्राप्त करने का विशेष दिन

🔱 शीतला अष्टमी (शीतला जयंती) – 22 मार्च 2025, शनिवार 🔱

शीतला अष्टमी, जिसे शीतला जयंती भी कहा जाता है, एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत और पर्व है जो माता शीतला को समर्पित है। यह पर्व विशेष रूप से होली के बाद आने वाले कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माता शीतला की पूजा करने से समस्त रोगों से मुक्ति मिलती है, विशेष रूप से चेचक, त्वचा विकार, बुखार और संक्रामक रोगों से रक्षा होती है।

माता शीतला का दिव्य स्वरूप एवं उत्पत्ति कथा

माता शीतला देवी को हिंदू धर्म में रोगनाशिनी देवी के रूप में पूजा जाता है। स्कंद पुराण में वर्णन मिलता है कि माता शीतला ब्रह्मा जी के तेज से उत्पन्न हुई थीं। जब पृथ्वी पर संक्रामक रोगों का प्रकोप बढ़ा, तब ब्रह्मा जी ने माता शीतला को उत्पन्न किया और उन्हें यह वरदान दिया कि जो भक्त उनकी सच्चे मन से आराधना करेगा, वह रोगों से मुक्त रहेगा।

एक अन्य कथा के अनुसार, माता शीतला देवी भगवान शिव की शक्ति से प्रकट हुईं। एक बार देवी पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि क्या संसार में कोई ऐसी शक्ति है जो सभी जीवों को रोगों से मुक्त कर सके? तब भगवान शिव ने माता शीतला को प्रकट किया, जो अपने साथ अमृत कलश और झाड़ू लेकर आईं। अमृत कलश से वे रोगों को शांत करती हैं और झाड़ू से सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करती हैं।

माता शीतला के वाहन गधा को माना जाता है और वे अपने हाथों में झाड़ू, कलश, नीम की पत्तियां और दवाओं से भरा पात्र धारण करती हैं।

शीतला अष्टमी के व्रत एवं पूजा के लाभ

✅ माता शीतला की पूजा करने से चेचक, खसरा, त्वचा रोग, बुखार और अन्य संक्रामक बीमारियों से रक्षा होती है।
✅ इस दिन व्रत रखने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं।
✅ शीतला माता की कृपा से शीतलता, शांति और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
✅ व्यापार, धन, संतान सुख एवं समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

शीतला अष्टमी पूजा विधि

1️⃣ एक दिन पहले ही भोजन तैयार करें – इस दिन बासी भोजन (बासौड़ा) का विशेष महत्व है, अतः सप्तमी को ही भोजन बनाकर रखा जाता है।
2️⃣ सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
3️⃣ माता शीतला की प्रतिमा या चित्र के सामने कलश स्थापित करें और पूजन का संकल्प लें।
4️⃣ देवी को जल, रोली, अक्षत, हल्दी, चंदन, पुष्प एवं धूप-दीप अर्पित करें।
5️⃣ माता को बासी भोजन (बासौड़ा), दही, चावल, रोटी, गुड़, मीठा भात, बेसन के लड्डू, और ठंडा दूध अर्पित करें।
6️⃣ नीम के पत्तों और जल से घर में छिड़काव करें ताकि घर में शुद्धता और सकारात्मकता बनी रहे।
7️⃣ शीतला माता का विशेष मंत्र जपें:

॥ ॐ ह्रीं शीतलायै नमः ॥

या

"शीतलायै नमस्तुभ्यं निनाशयाम्यहं ज्वरम्।
विष्फोटकं च मे देवि ग्रहमारुचिकां तथा॥"

8️⃣ कथा श्रवण करें और माता की महिमा का गुणगान करें।
9️⃣ आरती करें और सभी परिवारजनों को माता का प्रसाद वितरित करें।
🔟 इस दिन अग्नि (चूल्हा) नहीं जलाया जाता, इसलिए ठंडा भोजन ग्रहण किया जाता है।

शीतला माता को प्रसन्न करने के लिए अर्पित किए जाने वाले प्रमुख पदार्थ

✅ बासी भोजन (बासौड़ा)
✅ दही-चावल
✅ बेसन के लड्डू
✅ ठंडा दूध
✅ गुड़ और मीठा भात
✅ नीम की पत्तियां
✅ हरी मूंग दाल

शीतला अष्टमी का आध्यात्मिक महत्व

माता शीतला केवल शारीरिक रोगों का ही नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक अशुद्धियों का भी नाश करती हैं। वे भक्तों को शीतलता, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं। उनकी उपासना से जीवन में संतुलन और सकारात्मकता आती है।

इस पावन अवसर पर माता शीतला का स्मरण कर हम अपने परिवार और समाज की खुशहाली के लिए प्रार्थना करें।

✨ "हे माता शीतला, अपने भक्तों की रक्षा करो और हमें आरोग्य, सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करो।" ✨

॥ जय माता शीतला ॥

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Mahavidya Matangi Jyanti 6th April 🔱 महाविद्या मातंगी जयंती – 6 अप्रैल 2025 🔱मातंगी महाविद्या दस महाविद्याओं में से एक ह...
17/03/2025

Mahavidya Matangi Jyanti 6th April

🔱 महाविद्या मातंगी जयंती – 6 अप्रैल 2025 🔱

मातंगी महाविद्या दस महाविद्याओं में से एक हैं और इन्हें वाणी, विद्या, कला, संगीत और तंत्र की देवी माना जाता है। इनका स्वरूप हरे रंग का होता है, और ये त्रिशूल, खड्ग तथा वीणा धारण करती हैं। इनका मुख्य उद्देश्य साधकों को वाणी सिद्धि, आकर्षण शक्ति, ज्ञान और तांत्रिक सिद्धियों से संपन्न करना है।

महाविद्या मातंगी की उत्पत्ति कथा

शास्त्रों के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी ने शिव-पार्वती से भोजन ग्रहण करने की इच्छा प्रकट की। माता पार्वती ने प्रेमपूर्वक भोजन बनाया, लेकिन भगवान शिव ने पार्वती जी की परीक्षा लेने के लिए उस भोजन को ग्रहण करने से मना कर दिया। माता पार्वती को क्रोध आया और उनके तेज से हरे रंग की एक देवी प्रकट हुईं – यही माता मातंगी हैं। इनके प्रकट होने से शिव ने माता पार्वती से क्षमा मांगी और भोजन स्वीकार किया। इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि माता मातंगी शक्ति और इच्छा की अधिष्ठात्री देवी हैं।

महाविद्या मातंगी साधना के लाभ

✅ वाणी में अद्भुत प्रभाव उत्पन्न होता है, जिससे जो कहा जाता है वह पूर्ण होने लगता है।
✅ आकर्षण, सम्मोहन और वशीकरण शक्ति प्राप्त होती है।
✅ उच्च बुद्धि, ज्ञान और विद्या प्राप्त होती है, जिससे किसी भी क्षेत्र में सफलता मिलती है।
✅ व्यापार, नौकरी और सामाजिक जीवन में उन्नति होती है।
✅ संगीत, कला, लेखन, गायन, और अभिव्यक्ति में सिद्धि प्राप्त होती है।
✅ दुर्भाग्य दूर होता है और सौभाग्य की वृद्धि होती है।

महाविद्या मातंगी साधना विधि

1️⃣ 6 अप्रैल महाविद्या मातंगी जयंती के शुभ दिन प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2️⃣ पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके माता मातंगी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
3️⃣ हरे रंग का वस्त्र पहनें और हरा आसन प्रयोग करें।
4️⃣ देवी को हरे फल, दूर्वा, हरी माला और मिठाई अर्पित करें।
5️⃣ धूप, दीप, पुष्प और नैवेद्य अर्पण करें।
6️⃣ फिर निम्न मातंगी महामंत्र का जाप करें –

॥ ऐं ह्रीं श्रीं मातंग्यै नमः ॥

जाप की संख्या – 108, 1008 या 5100 बार करें।
7️⃣ इस दिन विशेष रूप से माता का स्तोत्र, कवच या 1000 नामों का पाठ करना अत्यंत शुभ होता है।
8️⃣ साधना के बाद माता से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें और जरूरतमंदों को हरे रंग के वस्त्र व भोजन का दान करें।

महाविद्या मातंगी जयंती के दिन पूजन के लाभ

🔹 इस विशेष दिन पर माता की पूजा करने से तुरंत फल मिलता है।
🔹 वाणी में अद्भुत प्रभाव उत्पन्न होता है, जिससे किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
🔹 प्रेम संबंधों में सुधार, दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।
🔹 व्यापार, करियर और समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।
🔹 शत्रु नाश और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है।

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माँ मातंगी आप सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें!
जय मातंगी महाविद्या!

**raSadhana

Chaitra Navratri 30th March -6th April 🌺✨ चैत्र नवरात्रि 2025: शक्ति साधना का शुभ अवसर ✨🌺🔱 30 मार्च से 6 अप्रैल 2025 तक ...
15/03/2025

Chaitra Navratri 30th March -6th April

🌺✨ चैत्र नवरात्रि 2025: शक्ति साधना का शुभ अवसर ✨🌺

🔱 30 मार्च से 6 अप्रैल 2025 तक चैत्र नवरात्रि का पावन समय आ रहा है, जो साधना, उपासना और आत्मिक उत्थान के लिए अत्यंत शुभ होता है। इस समय देवी दुर्गा के नौ रूपों की साधना से अपार शक्ति, सिद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त की जा सकती है।

🔹 नवरात्रि और शक्ति साधना का महत्व
नवरात्रि में संपूर्ण ब्रह्मांड में देवी शक्ति की विशेष कृपा सक्रिय रहती है। यह समय न केवल भौतिक सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए, बल्कि आत्मिक जागरण और सिद्धियों के लिए भी अत्यंत लाभकारी होता है। तांत्रिक साधना की दृष्टि से यह नौ दिन दिव्य ऊर्जाओं को जागृत करने के लिए सर्वोत्तम हैं।

🔹 महाविद्या मातंगी साधना – अपार वाणी सिद्धि और आकर्षण शक्ति का मार्ग
इस चैत्र नवरात्रि में महाविद्या मातंगी साधना विशेष रूप से सिद्धिदायक होगी, क्योंकि 6 अप्रैल, राम नवमी के दिन महाविद्या मातंगी जयंती पड़ रही है। इस शुभ संयोग में उनकी साधना शीघ्र फलदायी होती है।

🔱 मातंगी साधना की प्रक्रिया

1️⃣ साधना स्थान: स्वच्छ और एकांत स्थान पर कुशासन या लाल कपड़ा बिछाकर बैठें।
2️⃣ दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करें।
3️⃣ आसन: पद्मासन या सुखासन में बैठें।
4️⃣ मूर्त या यंत्र स्थापना: माता मातंगी का चित्र या श्री मातंगी यंत्र स्थापित करें।
5️⃣ आवाहन मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं मातंग्यै फट् स्वाहा॥
इस मंत्र से देवी का आह्वान करें।
6️⃣ मुख्य मंत्र जप:
ॐ ह्रीं क्लीं हुं मातंग्यै फट् स्वाहा॥
इस मंत्र का 11, 21 या 51 माला जप करें।
7️⃣ सामग्री: हरे फूल, गंध, दीपक, फल, नारियल, पान-सुपारी अर्पित करें।
8️⃣ विशेष प्रयोग: यदि आप वाणी सिद्धि, आकर्षण शक्ति, विद्या या किसी विशेष अभिलाषा की सिद्धि चाहते हैं, तो हर रात 11 माला मंत्र जप करें।
9️⃣ हवन (वैकल्पिक): 10वें दिन 108 आहुतियों के साथ हवन करें।

📿 मातंगी साधना करने से व्यक्ति की वाणी में प्रभावशाली शक्ति आती है, आकर्षण बढ़ता है, सभी प्रकार की विद्या व कला में सिद्धि प्राप्त होती है और भौतिक व आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति होती है।

💠 महाविद्या मातंगी दीक्षा एवं मार्गदर्शन
इस शुभ अवसर पर महाविद्या मातंगी दीक्षा लेना अत्यंत फलदायी होगा। यदि आप मातंगी उपासना, सिद्धि या किसी विशेष साधना के लिए मार्गदर्शन और दीक्षा लेना चाहते हैं, तो मुझसे संपर्क कर सकते हैं।

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Chandan Grahan 14th March 202514 मार्च 2025 चंद्रग्रहण: एक शक्तिशाली साधना काल14 मार्च 2025 को एक विशेष चंद्रग्रहण पड़ र...
13/03/2025

Chandan Grahan 14th March 2025

14 मार्च 2025 चंद्रग्रहण: एक शक्तिशाली साधना काल

14 मार्च 2025 को एक विशेष चंद्रग्रहण पड़ रहा है, जो भारतीय समयानुसार सुबह 9:29 बजे शुरू होगा, दोपहर 12:29 बजे चरम पर रहेगा और दोपहर 3:29 बजे समाप्त होगा। यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा, इसलिए सूतक मान्य नहीं होगा। लेकिन साधकों के लिए यह एक अत्यंत शक्तिशाली समय है, विशेष रूप से होलिका दहन और होली के प्रभाव से यह ग्रहण और अधिक सिद्धिदायक बन जाता है।

चंद्रग्रहण में साधना का महत्व

ग्रहण काल में साधना करने से साधक को कई गुना अधिक लाभ प्राप्त होता है, क्योंकि इस दौरान अदृश्य शक्तियाँ अत्यंत सक्रिय होती हैं और आध्यात्मिक ऊर्जा तीव्र हो जाती है। इस समय की गई साधना शीघ्र फलदायी होती है और बाधाओं को दूर कर सकती है।

ग्रहण में की जाने वाली प्रमुख साधनाएँ

✅ मंत्र जप – विशेष रूप से चंद्र, महाविद्या, काली, तारा, त्रिपुरसुंदरी, महालक्ष्मी, श्री विद्या आदि की साधना।
✅ तंत्र एवं विशेष प्रयोग – ग्रहण काल में किए गए तांत्रिक अनुष्ठान, अभिचार कर्म, रक्षा कवच निर्माण, वशीकरण प्रयोग अत्यधिक प्रभावशाली होते हैं।
✅ अर्चना और यज्ञ – ग्रहण के दौरान हवन एवं विशेष पूजा करने से तत्काल फल की प्राप्ति होती है।
✅ चंद्र दोष निवारण – जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर है या चंद्र दोष है, वे इस समय विशेष उपाय कर सकते हैं।
✅ मनोकामना सिद्धि – इस अवधि में किया गया ध्यान और संकल्प शीघ्र पूरा होता है।

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Vashikaran in Holi (13-14 March)होली में वशीकरण: शक्ति, महत्व और अन्य विशेष अनुष्ठानहोली में वशीकरण क्यों विशेष होता है?...
11/03/2025

Vashikaran in Holi (13-14 March)

होली में वशीकरण: शक्ति, महत्व और अन्य विशेष अनुष्ठान

होली में वशीकरण क्यों विशेष होता है?
होली का पर्व केवल रंगों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक और तांत्रिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण समय होता है। होली की रात्रि को तंत्र शास्त्र में एक विशेष शक्ति वाली रात माना गया है, जब वशीकरण, सम्मोहन, और अन्य तांत्रिक प्रयोगों की सिद्धि शीघ्र होती है। इस रात में किए गए वशीकरण प्रयोग अधिक प्रभावी होते हैं क्योंकि:

1. नकारात्मक ऊर्जा का नाश – होलिका दहन के साथ वातावरण की समस्त नकारात्मक शक्तियां समाप्त हो जाती हैं, जिससे तांत्रिक साधनाओं में कोई बाधा नहीं आती।

2. चंद्रमा और ग्रहों का प्रभाव – होली के समय चंद्रमा एवं अन्य ग्रहों की स्थिति साधना के लिए अनुकूल होती है। इस समय किए गए वशीकरण प्रयोग शीघ्र फल देते हैं।

3. सामूहिक ऊर्जा का संचार – होली का पर्व सामूहिक उल्लास का पर्व है, और इस दौरान वातावरण में अत्यधिक ऊर्जा होती है, जो किसी भी तांत्रिक अनुष्ठान को बल प्रदान करती है।

4. आत्मशक्ति जागरण – होली की रात को विशेष साधनाओं द्वारा साधक की आंतरिक शक्ति जागृत होती है, जिससे उसका संकल्प शीघ्र पूर्ण होता है।

होली में किए जाने वाले वशीकरण प्रयोग

1. गुड़ और सिंदूर का प्रयोग – किसी को अपने वशीकरण में लाने के लिए होली की रात को गुड़ और सिंदूर को मिलाकर व्यक्ति का नाम लेते हुए अग्नि में अर्पित करें।

2. चंद्र वशीकरण मंत्र – होली की रात चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए विशेष वशीकरण मंत्र का जाप करने से इच्छित व्यक्ति को आकर्षित किया जा सकता है।

3. कुमकुम और गोरोचन प्रयोग – गोरोचन, कुमकुम और गुलाब की पंखुड़ियों से एक तंत्र लिखकर उसे बहते जल में प्रवाहित करने से प्रेम वशीकरण सिद्ध होता है।

4. केसर और कस्तूरी प्रयोग – यदि किसी विशेष व्यक्ति के मन में आपके प्रति प्रेम उत्पन्न करना है, तो होली की रात केसर और कस्तूरी मिश्रित जल से अभिषेक कर विशेष मंत्र जाप करें।

होली में अन्य विशेष पूजा एवं अनुष्ठान

होली केवल वशीकरण के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य विशेष तांत्रिक अनुष्ठानों और सिद्धियों के लिए भी अत्यंत प्रभावशाली होती है।

1. महा लक्ष्मी साधना – धन और समृद्धि के लिए होली की रात कमल गट्टे की माला से महालक्ष्मी मंत्र का जाप करें।

2. भगवती भैरवी साधना – तांत्रिक साधक इस रात को भगवती भैरवी की उपासना कर तांत्रिक शक्तियों की सिद्धि कर सकते हैं।

3. महाकाली अनुष्ठान – होली की रात महाकाली की साधना करने से शत्रु बाधा, नकारात्मक ऊर्जा और भूत-प्रेत दोष समाप्त हो जाते हैं।

4. सुदर्शन हवन – यह विशेष हवन नकारात्मक ऊर्जाओं को नष्ट करने और आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया जाता है।

5. ग्रह दोष निवारण – यदि किसी की कुंडली में कोई ग्रह दोष है तो होली की रात विशेष मंत्रों के साथ उपाय किए जा सकते हैं।

होली के बाद क्या करें?

होली के बाद अगले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और माता दुर्गा या भगवान कृष्ण की पूजा करें। यदि वशीकरण प्रयोग किया है, तो उसे गोपनीय रखें और पूर्ण श्रद्धा के साथ अपना कार्य करें।

समस्या समाधान एवं मार्गदर्शन के लिए संपर्क करें

यदि आप वशीकरण, तंत्र साधना, पूजा अनुष्ठान, या किसी अन्य समस्या के लिए मार्गदर्शन चाहते हैं, तो मुझसे संपर्क करें:

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होली आपके जीवन में शुभता और सफलता लेकर आए!

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अघोर महालक्ष्मी साधना

यह साधना उन्हे करनी चाहिए जो जल्दी से जल्दी अपनी आर्थिक स्थिति सुधारना चाहते हैं ऐसे व्यक्ति जो व्यापार में जल्दी वृद्धि चाहते हैं और नौकरी करने वाले व्यक्ति तो जल्दी प्रमोशन या इंसेंटिव चाहते हैं|

लक्ष्मी साधना कई प्रकार की होती है आप सभी ने किया भी होगा और देखा भी होगा उन सारे साधना ओं का लाभ इसलिए नहीं मिलता है क्योंकि उसमें या तो आप के ग्रह दोष सामने आ जाते हैं या फिर आपके पूर्वजन्म के बुरे कर्म या फिर आपके ऊपर किए गए तंत्र मंत्र प्रयोग |

यह गुप्त साधना है और सभी के सामने नहीं दिया जा सकता इसे व्यक्तिगत रूप में अपने मार्गदर्शन में करवाया जाएगा ग्रुप में जो भी लोग इस साधना की दीक्षा लेंगे उन्हें इस साधना के बारे में बताया जाएगा |

यह साधना करने के लिए दीक्षा लेना अनिवार्य है और शुल्क देखकर आप सब दीक्षा लेकर यह साधना कर सकते हैं|