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*देवलोक के वृक्ष पारिजात के चमत्कारिक औषधीय प्रयोग**पारिजात ( Parijaat ) या हरसिंगार ( Haar shingar )को देवलोक का वृक्ष ...
23/07/2023

*देवलोक के वृक्ष पारिजात के चमत्कारिक औषधीय प्रयोग*

*पारिजात ( Parijaat ) या हरसिंगार ( Haar shingar )को देवलोक का वृक्ष कहा जाता है | कहते हैं कि समुद्र – मंथन के समय विभिन्न रत्नों के साथ – साथ यह वृक्ष भी प्रकट हुआ था |*

*पारिजात ( Parijaat )की छाया में विश्राम करनेवाले का बुद्धिबल बढ़ता है | यह वृक्ष नकारात्मक ऊर्जा को भी हटाता है | इसके फूल अत्यंत सुकुमार व सुगंधित होते हैं जो दिमाग को शीतलता व शक्ति प्रदान करते हैं | हो सकते तो अपने घर के आसपास इस उपयोगी वृक्ष को लगाना चाहिए |*

*पारिजात ( Parijaat )ज्वर व कृमि नाशक, खाँसी – कफ को दूर करनेवाला, यकृत की कार्यशीलता को बढ़ानेवाला, पेट साफ़ करनेवाला तथा संधिवात, गठिया व चर्मरोगों में लाभदायक है |*

*पारिजात ( Parijaat )के गुण :हारसिंगार बुखार को खत्म करता है। यह कडुवा होता है। शरीर में वीर्य की मात्रा को बढ़ाता है। इसकी छाल को अगर पान के साथ खाये तो खांसी दूर हो जाती है। इसके पत्ते दाद, झांई और छीप को खत्म करते हैं। इसके फूल ठण्डे दिमाग वालों को शक्ति देता है और गर्मी को कम करता है। हारसिंगार की जड़ व गोंद भी वीर्य को बढ़ाती है।*

*हारसिंगार के पेड़ बहुत बड़े नहीं होते हैं। इसमें गोल बीज आते हैं। इसके फूल अत्यन्त सुकुमार और बड़े ही सुगन्धित होते हैं। पेड़ को हिलाने से वे नीचे गिर पड़ते हैं। वायु के साथ जब दूर से इन फूलों की सुगन्ध आती है, तब मन बहुत ही प्रसन्न और आनन्दित होता है। इसके फूलों की डण्डियों को सुखाकर पानी में डालने से बढ़िया पीला रंग तैयार हो जाता है। किसी औषधि भस्म को पीले रंग में करने के लिए इन डण्डियों के रंग का उपयोग किया जाता है। हारसिंगार के पत्तों को चबाकर खाने से जीभ पीली हो जाती है।*

*रंग : हारसिंगार के पत्ते हरे, फूल का ऊपरी भाग सफेद तथा इसकी डण्डी पीली होती है।*

*स्वाद : इसका स्वाद फीका होता है।*

*स्वरूप : हारसिंगार के पेड़ जंगलों तथा बाग-बगीचों में अधिक पाये जाते हैं। इसके फूल सुन्दर व मनमोहक होते हैं तथा उनकी डण्डी केसरिया होती हैं। हारसिंगार की डण्डियों को पीसकर कपड़ों को रंगा जाता है। इसके फल छोटे व चपटे होते है। पत्ते अड़हुल के समान खरखरे होते हैं।*

*स्वभाव : हारसिंहार ठण्डा और रूखा होता है। मगर कोई-कोई गरम होता है।*

*हानिकारक : हारसिंहार खांसी में नुकसानदायक है।*

*दोषों को दूर करने के लिए : हारसिंगार के दोषों को दूर करने के लिएकुटकी का उपयोग किया जाता है।*

*मात्रा : 3 ग्राम।*

*गुण : हारसिंगार बुखार को खत्म करता है। यह कडुवा होता है। शरीर में वीर्य की मात्रा को बढ़ाता है। इसकी छाल को अगर पान के साथ खाये तो खांसी दूर हो जाती है। इसके पत्ते दाद, झांई और छीप को खत्म करते हैं। इसके फूल ठण्डे दिमाग वालों को शक्ति देता है और गर्मी को कम करता है। हारसिंगार की जड़ व गोंद भी वीर्य को बढ़ाती है।*


*औषधीय प्रयोग :*

*मलेरिया का बुखार: हारसिंगार के 7-8 पत्तों का रस, अदरक का रस और शहद को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पुराने से पुराना मलेरिया बुखार समाप्त हो जाता है।*

*चिकनगुनिया का बुखार होने पर बुखार ठीक होने के बाद भी दर्द नहीं जाता | ऐसे में १० – १५ दिन तक पारिजात के पत्तों का यह काढ़ा बहुत उपयोगी है |*

*पुराना बुखार : इसके ७ – ८ कोमल पत्तों के रस में ५ – १० मि. ली. अदरक का रस व शहद मिलाकर सुबह – शाम लेने से पुराने बुखार में फायदा होता है |*

*बुखार का अनुभूत प्रयोग : ३० – ३५ पत्तों के रस में शहद मिलाकर ३ दिन तक लेने से बुखार में लाभ होता है |*

*खांसी: खांसी में 12-24 मिलीग्राम हारसिंगार की छाल का चूर्ण लेकर पान में रखकर दिन में 3-4 बार खाने से बलगम का चिपचिपापन दूर हो जाता है और खांसी में बहुत लाभ मिलता है।*

*श्वास या दमा का रोग:हारसिंगार की छाल का चूर्ण 1 से 2 रत्ती पान में रखकर प्रतिदिन 3-4 बार खाने से कफ का चिपचिपापन कम होकर श्वास रोग (दमा) में लाभकारी होता है*

*जलन व सुखी खाँसी : इसके पत्तों के रस में मिश्री मिला के पिलाने से पित्त के कारण होनेवाली जलन आदि विकार तथा शहद मिला के पिलाने से सुखी खाँसी मिटती हैं*


*बालों का झड़ना (गंजेपन का रोग): हारसिंगार के बीज को पानी के साथ पीसकर सिर के गंजेपन की जगह लगाने से सिर में नये बाल आना शुरू हो जाते हैं।*

*बवासीर (अर्श):हारसिंगार का (बिना छिलके का) बीज 10 ग्राम तथा कालीमिर्च 3 ग्राम को मिलाकर पीस लें और चने के बराबर आकार की गोलियां बनाकर खायें। रोजाना 1-1 गोली गुनगुने जल के साथ सुबह-शाम खाने से बवासीर ठीक होती है।*

*हारसिगांर के 2 ग्राम फूलों को 30 मिलीलीटर पानी में रात को भिगोकर रखें। सुबह फूलों को पानी में मसलकर छान लें और 1 चम्मच चीनी मिलाकर खाली पेट खायें। इसे नियमित 1 सप्ताह तक खाने से बवासीर मिट जाती है*

*हारसिंगार के बीजों को छील लें। 10 ग्राम बीज में 3 ग्राम कालीमिर्च मिलाकर पीसकर गुदा पर लगाने से बादी बवासीर ठीक होती है*

*हारसिंगार के पौधे की छाल का 2 चुटकी चूर्ण पान में रखकर सेवन करना चाहिए।*

*यकृत का बढ़ना: 7-8 हारसिंगार के पत्तों के रस को अदरक के रस और शहद के सुबह-शाम सेवन करने से यकृत और प्लीहा (तिल्ली) की वृद्धि ठीक हो जाती है।*

*तालु रोग: तालु रोग दूर करने के लिए हारसिंगार की जड़ को चबाने से रोगी को लाभ मिलता है*

*नखूनों की खुजली: नाखूनों की खुजली में रोगी का नाखून खुजलाकर हारसिंगार का रस लगाने से रोग दूर होता है*

*दाद: हारसिंगार की पत्तियों को पीसकर लगाने से `दाद´ ठीक हो जाता है*

*खुजली: हारसिंगार के पत्ते और नाचकी का आटा मिलाकर पीसकर लगाने या दही में सोनागेरू घिसकर पिलाने या हरसिंगार के पत्ते दूध में पीसकर लेप करने से लाभ मिलता है।*

*मानसिक उन्माद (पागलपन): गर्मी की घबराहट को दूर करने के लिए हारसिंगार के सफेद फूलों के गुलकन्द का सेवन करना चाहिए*

*मूत्रकुच्छ:- पेशाब रुक जाने पर इसके पत्ते को उबालकर पीना चाहिए*

*सायटिका व स्लिप्ड डिस्क : पारिजात के ६० – ७० ग्राम पत्ते साफ़ करके ३०० मि. ली. पानी में उबालें | २०० मि.ली. पानी शेष रहने पर छान के रख लें | २५ – ५० मि.ग्रा. केसर घोंटकर इस पानी में घोल दें | १०० मि.ली. सुबह – शाम पियें | १५ दिन तक पीने से सायटिका जड़ से चला जाता है | स्लिप्ड डिस्क में भी यह प्रयोग रामबाण उपाय है | वसंत ऋतू में ये पत्ते गुणहीन होते हैं अत: यह प्रयोग वसंत ऋतू में लाभ नहीं करता |*

*घुटने ,हिप जॉइंट,बदलवाने से पहले,संधिवात, जोड़ों का दर्द, गठिया : पारिजात की ५ से ११ पत्तियाँ पीस के एक गिलास पानी में उबालें, आधा पानी शेष रहने पर सुबह खाली पेट ३ महीने तक लगातार लें | पुराने संधिवात, जोड़ों के दर्द, गठिया में यह प्रयोग अमृत की तरह लाभकारी है | अगर पूरी तरह ठीक नहीं हुआ तो १० – १५ दिन छोडकर पुन: ३ महीने तक करें | इस प्रयोग से अन्य कारणों से शरीर में होनेवाली पीड़ा में भी राहत मिलती है | पत्थकर आहार लें*

*बच्चों के पेट में कृमि : इसके ७ – ८ पत्तों के रस में थोडा – सा गुड़ मिला के पिलाने से कृमि मल के साथ बाहर आ जाते हैं या मर जाते हैं |*

*पालतू जानवरों को कोदो का विष चढ़ने पर: हारसिंगार के पत्तों का रस निकालकर जानवरों को पिला देना चाहिए।*

*गलगण्ड: हारसिंगार के पत्ते, बांस के पत्ते और फल्गुन के पत्ते इकट्ठे पीसकर सात दिन तक लेप करें*

*मूत्रकुच्छ :- 2 3 पत्ते की चटनी बनाकर पानी में उबालकर पिलाने से रुका हुया मूत्र खुलकर होने लगता है*

*राजीव भाई अमर रहे*
*गव्यसिद्ध डाक्टर अनिल शौनक 090353 55919*

यह पौधा पेट की लटकती चर्बी, सड़े हुए दाँत, गठिया, आस्थमा, बवासीर, मोटापा, गंजापन, किडनी आदि 20 रोगों के लिए किसी वरदान स...
18/05/2023

यह पौधा पेट की लटकती चर्बी, सड़े हुए दाँत, गठिया, आस्थमा, बवासीर, मोटापा, गंजापन, किडनी आदि 20 रोगों के लिए किसी वरदान से कम नही

*अपामार्ग* --
आज हम आपको ऐसे पौधे के बारे में बताएँगे जिसका तना, पत्ती, बीज, फूल, और जड़ पौधे का हर हिस्सा औषधि है, इस पौधे को अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree), लटजीरा कहते है। अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree) का पौधा भारत के सभी सूखे क्षेत्रों में उत्पन्न होता है यह गांवों में अधिक मिलता है खेतों के आसपास घास के साथ आमतौर पाया जाता है इसे बोलचाल की भाषा में आंधीझाड़ा या चिरचिटा (Chaff Tree) भी कहते हैं-अपामार्ग की ऊंचाई लगभग 60 से 120 सेमी होती है आमतौर पर लाल और सफेद दो प्रकार के अपामार्ग देखने को मिलते हैं-सफेद अपामार्ग के डंठल व पत्ते हरे रंग के, भूरे और सफेद रंग के दाग युक्त होते हैं इसके अलावा फल चपटे होते हैं जबकि लाल अपामार्ग (RedChaff Tree) का डंठल लाल रंग का और पत्तों पर लाल-लाल रंग के दाग होते हैं।

इस पर बीज नुकीले कांटे के समान लगते है इसके फल चपटे और कुछ गोल होते हैं दोनों प्रकार के अपामार्ग के गुणों में समानता होती है फिर भी सफेद अपामार्ग(White chaff tree) श्रेष्ठ माना जाता है इनके पत्ते गोलाई लिए हुए 1 से 5 इंच लंबे होते हैं चौड़ाई आधे इंच से ढाई इंच तक होती है- पुष्प मंजरी की लंबाई लगभग एक फुट होती है, जिस पर फूल लगते हैं, फल शीतकाल में लगते हैं और गर्मी में पककर सूख जाते हैं इनमें से चावल के दानों के समान बीज निकलते हैं इसका पौधा वर्षा ऋतु में पैदा होकर गर्मी में सूख जाता है।

अपामार्ग तीखा, कडुवा तथा प्रकृति में गर्म होता है। यह पाचनशक्तिवर्द्धक, दस्तावर (दस्त लाने वाला), रुचिकारक, दर्द-निवारक, विष, कृमि व पथरी नाशक, रक्तशोधक (खून को साफ करने वाला), बुखारनाशक, श्वास रोग नाशक, भूख को नियंत्रित करने वाला होता है तथा सुखपूर्वक प्रसव हेतु एवं गर्भधारण में उपयोगी है।
चिरचिटा या अपामार्ग (Chaff Tree) के 20 अद्भुत फ़ायदे :
1. गठिया रोग :

अपामार्ग (चिचड़ा) के पत्ते को पीसकर, गर्म करके गठिया में बांधने से दर्द व सूजन दूर होती है।

2. पित्त की पथरी :

पित्त की पथरी में चिरचिटा की जड़ आधा से 10 ग्राम कालीमिर्च के साथ या जड़ का काढ़ा कालीमिर्च के साथ 15 ग्राम से 50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से पूरा लाभ होता है। काढ़ा अगर गर्म-गर्म ही खायें तो लाभ होगा।

3. यकृत का बढ़ना :

अपामार्ग का क्षार मठ्ठे के साथ एक चुटकी की मात्रा से बच्चे को देने से बच्चे की यकृत रोग के मिट जाते हैं।

4. लकवा :

एक ग्राम कालीमिर्च के साथ चिरचिटा की जड़ को दूध में पीसकर नाक में टपकाने से लकवा या पक्षाघात ठीक हो जाता है।

5. पेट का बढ़ा होना या लटकना :

चिरचिटा (अपामार्ग) की जड़ 5 ग्राम से लेकर 10 ग्राम या जड़ का काढ़ा 15 ग्राम से 50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम कालीमिर्च के साथ खाना खाने से पहले पीने से आमाशय का ढीलापन में कमी आकर पेट का आकार कम हो जाता है।

6. बवासीर :

अपामार्ग की 6 पत्तियां, कालीमिर्च 5 पीस को जल के साथ पीस छानकर सुबह-शाम सेवन करने से बवासीर में लाभ हो जाता है और उसमें बहने वाला रक्त रुक जाता है।
खूनी बवासीर पर अपामार्ग की 10 से 20 ग्राम जड़ को चावल के पानी के साथ पीस-छानकर 2 चम्मच शहद मिलाकर पिलाना गुणकारी हैं।

7. मोटापा :

अधिक भोजन करने के कारण जिनका वजन बढ़ रहा हो, उन्हें भूख कम करने के लिए अपामार्ग के बीजों को चावलों के समान भात या खीर बनाकर नियमित सेवन करना चाहिए। इसके प्रयोग से शरीर की चर्बी धीरे-धीरे घटने भी लगेगी।

8. कमजोरी :

अपामार्ग के बीजों को भूनकर इसमें बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर पीस लें। 1 कप दूध के साथ 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करने से शरीर में पुष्टता आती है।

9. सिर में दर्द :

अपामार्ग की जड़ को पानी में घिसकर बनाए लेप को मस्तक पर लगाने से सिर दर्द दूर होता है।

10. संतान प्राप्ति :

अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ मासिक-स्राव के बाद नियमित रूप से 21 दिन तक सेवन करने से गर्मधारण होता है। दूसरे प्रयोग के रूप में ताजे पत्तों के 2 चम्मच रस को 1 कप दूध के साथ मासिक-स्राव के बाद नियमित सेवन से भी गर्भ स्थिति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

11. मलेरिया :

अपामार्ग के पत्ते और कालीमिर्च बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें, फिर इसमें थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर मटर के दानों के बराबर की गोलियां तैयार कर लें। जब मलेरिया फैल रहा हो, उन दिनों एक-एक गोली सुबह-शाम भोजन के बाद नियमित रूप से सेवन करने से इस ज्वर का शरीर पर आक्रमण नहीं होगा। इन गोलियों का दो-चार दिन सेवन पर्याप्त होता है।

12. गंजापन :

सरसों के तेल में अपामार्ग के पत्तों को जलाकर मसल लें और मलहम बना लें। इसे गंजे स्थानों पर नियमित रूप से लेप करते रहने से पुन: बाल उगने की संभावना होगी।

13. दांतों का दर्द और गुहा या खाँच (cavity) :

इसके 2-3 पत्तों के रस में रूई का फोया बनाकर दांतों में लगाने से दांतों के दर्द में लाभ पहुंचता है तथा पुरानी से पुरानी गुहा या खाँच को भरने में मदद करता है।

14. खुजली :

अपामार्ग के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फूल और फल) को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार करें और इससे स्नान करें। नियमित रूप से स्नान करते रहने से कुछ ही दिनों cavity में खुजली दूर जाएगी।

15. आधाशीशी या आधे सिर में दर्द :

इसके बीजों के चूर्ण को सूंघने मात्र से ही आधाशीशी, मस्तक की जड़ता में आराम मिलता है। इस चूर्ण को सुंघाने से मस्तक के अंदर जमा हुआ कफ पतला होकर नाक के द्वारा निकल जाता है और वहां पर पैदा हुए कीड़े भी झड़ जाते हैं।

16. ब्रोंकाइटिस :

जीर्ण कफ विकारों और वायु प्रणाली दोषों में अपामार्ग (चिरचिटा) की क्षार, पिप्पली, अतीस, कुपील, घी और शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से वायु प्रणाली शोथ (ब्रोंकाइटिस) में पूर्ण लाभ मिलता है।

17. खांसी :

खांसी बार-बार परेशान करती हो, कफ निकलने में कष्ट हो, कफ गाढ़ा व लेसदार हो गया हो, इस अवस्था में या न्यूमोनिया की अवस्था में आधा ग्राम अपामार्ग क्षार व आधा ग्राम शर्करा दोनों को 30 मिलीलीटर गर्म पानी में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से 7 दिन में बहुत ही लाभ होता है।

18. गुर्दे का दर्द :

अपामार्ग (चिरचिटा) की 5-10 ग्राम ताजी जड़ को पानी में घोलकर पिलाने से बड़ा लाभ होता है। यह औषधि मूत्राशय की पथरी को टुकड़े-टुकड़े करके निकाल देती है। गुर्दे के दर्द के लिए यह प्रधान औषधि है।

19. गुर्दे के रोग :

5 ग्राम से 10 ग्राम चिरचिटा की जड़ का काढ़ा 1 से 50 ग्राम सुबह-शाम मुलेठी, गोखरू और पाठा के साथ खाने से गुर्दे की पथरी खत्म हो जाती है । या 2 ग्राम अपामार्ग (चिरचिटा) की जड़ को पानी के साथ पीस लें। इसे प्रतिदिन पानी के साथ सुबह-शाम पीने से पथरी रोग ठीक होता है।

20. दमा या अस्थमा :

चिरचिटा की जड़ को किसी लकड़ी की सहायता से खोद लेना चाहिए। ध्यान रहे कि जड़ में लोहा नहीं छूना चाहिए। इसे सुखाकर पीस लेते हैं। यह चूर्ण लगभग एक ग्राम की मात्रा में लेकर शहद के साथ खाएं इससे श्वास रोग दूर हो जाता है।
अपामार्ग (चिरचिटा) का क्षार 0.24 ग्राम की मात्रा में पान में रखकर खाने अथवा 1 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से छाती पर जमा कफ छूटकर श्वास रोग नष्ट हो जाता है।

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क्या आप जानते हैं की समयसूचक AM और PM का उद्गगम भारत में ही हुआ था …??लेकिन हमें बचपन से यह रटवाया गया, विश्वास दिलवाया ...
17/05/2023

क्या आप जानते हैं की समयसूचक AM और PM का उद्गगम भारत में ही हुआ था …??

लेकिन हमें बचपन से यह रटवाया गया, विश्वास दिलवाया गया कि इन दो शब्दों AM और PM का मतलब होता है :

AM : Ante Meridian
PM : Post Meridian

एंटे यानि पहले, लेकिन किसके? पोस्ट यानि बाद में, लेकिन किसके? यह कभी साफ नहीं किया गया, क्योंकि यह चुराये गये शब्द का लघुतम रूप था।काफ़ी अध्ययन करने के पश्चात ज्ञात हुआ और हमारी प्राचीन संस्कृत भाषा ने इस संशय को साफ-साफ दृष्टिगत किया है। कैसे? देखिये...

AM = आरोहनम् मार्तण्डस्य
PM = पतनम् मार्तण्डस्य

सूर्य, जो कि हर आकाशीय गणना का मूल है, उसी को गौण कर दिया। अंग्रेजी के ये शब्द संस्कृत के उस वास्तविक ‘मतलब' को इंगित नहीं करते।

आरोहणम् मार्तण्डस्य यानि सूर्य का आरोहण या चढ़ाव। पतनम् मार्तण्डस्य यानि सूर्य का ढलाव।

बारह बजे के पहले सूर्य चढ़ता रहता है - 'आरोहनम मार्तण्डस्य' (AM)। बारह के बाद सूर्य का अवसान/ ढलाव होता है - 'पतनम मार्तण्डस्य' (PM)।

पश्चिम के प्रभाव में रमे हुए और पश्चिमी शिक्षा पाए कुछ लोगों को भ्रम हुआ कि समस्त वैज्ञानिकता पश्चिम जगत की देन है।

हम अपनी हजारों साल की समृद्ध विरासत, परंपराओं और संस्कृति का पालन करते हुए भी आधुनिक और उन्नत हो सकते हैं।इस से शर्मिंदा न हों बल्कि इस पर गौरव की अनुभूति करें और केवल नकली सुधारवादी बनने के लिए इसे नीचा न दिखाएं।समय निकालें और इसके बारे में पढ़ें / समझें / बात करें / जानने की कोशिश करें।
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मार्केट में नया आया है। आग की तरह फैला दें, औऱ अपने “सनातनी" होने पर फ़ोकट मे गौरवान्वित महसूस करें।

Manish Singh Reborn

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22/04/2023

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09/12/2022

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Gavyansh Panchgavya]
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👉👉 बालों को काला करना  (𝐑𝐞𝐦𝐞𝐝𝐢𝐞𝐬 𝐟𝐨𝐫 𝐛𝐥𝐚𝐜𝐤𝐢𝐧𝐠 𝐡𝐚𝐢𝐫) :-):-)👇👇👀 😇😇 सिर की त्वचा में जमे मैल के कारण बाल रूखे हो जाते हैं औ...
17/11/2022

👉👉 बालों को काला करना (𝐑𝐞𝐦𝐞𝐝𝐢𝐞𝐬 𝐟𝐨𝐫 𝐛𝐥𝐚𝐜𝐤𝐢𝐧𝐠 𝐡𝐚𝐢𝐫) :-):-)👇👇

👀 😇😇 सिर की त्वचा में जमे मैल के कारण बाल रूखे हो जाते हैं और कमजोर होकर झड़ने लगते हैं, बालों में जमी मैल ही रूसी को जन्म देती है जो बालों की सबसे बड़ी शत्रु है। सिर की सफाई और बालों की स्वच्छता पर हमेशा ध्यान रखना चाहिए। दवाओं का मनमाना उपयोग, पूरी नींद न लेना तथा चिन्ता करना भी बालों के लिए बहुत हानिकारक होता है। इसी कारण बाल झड़ते, टूटते और जल्दी सफेद हो जाते हैं।
👀
बालों को स्वस्थ रखने के लिए बालों में तेल लगाना जरूरी है। आजकल फैशन के चलते लोग बालों में तेल नहीं लगाते हैं। यह बालों के लिए नुकसानदायक है। बालों को रीठा और शिकाकाई से धोने के बाद 1 नींबू का रस ठंड़े पानी के साथ मिलाकर बालों की जड़ों में लगाने से बाल काले होते हैं।
इससे बालों का रूखापन दूर हो जाता है और इससे प्राकृतिक चमक देखने को मिलती है।
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बहुत सारी संस्कृति जैसे भारतीय, रोम, इजिप्त मे पहले स्त्रियों के शृंगार मे सर के बालों को फूलों से सजाना एक फैशन था,ये कोई फैशन नही बल्कि अपने बालो को काला, घना और लंबे रखने के लिए जासूद, मोगरा जैसे औरभी फूलों का प्रयोग करते थे अब वापस ये ट्रेन्ड आ रहा है।

🚨🚨 𝐍𝐨𝐭𝐞 :- 𝐈𝐟 𝐝𝐨𝐧'𝐭 𝐰𝐚𝐧𝐭 𝐭𝐨 𝐭𝐫𝐲 𝐚𝐛𝐨𝐯𝐞 𝐑𝐞𝐦𝐢𝐝𝐢𝐞𝐬 𝐝𝐮𝐞 𝐭𝐨 𝐚𝐧𝐲 𝐫𝐞𝐚𝐬𝐨𝐧 𝐓𝐡𝐚𝐧 𝐔𝐬𝐞 𝐎𝐮𝐫 𝐁𝐫𝐚𝐧𝐝 𝐆𝐨𝐝𝐡𝐚𝐧 𝐒𝐡𝐚𝐦𝐩𝐨𝐨.𝐈𝐭 𝐂𝐨𝐧𝐭𝐚𝐢𝐧𝐬 𝐚𝐥𝐥 𝐧𝐚𝐭𝐮𝐫𝐚𝐥 𝐇𝐞𝐫𝐛𝐬.

☎️☎️ 𝐅𝐨𝐫 𝐎𝐫𝐝𝐞𝐫 𝐨𝐫 𝐦𝐨𝐫𝐞 𝐢𝐧𝐟𝐨𝐫𝐦𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧:-
𝐂𝐨𝐧𝐭𝐚𝐜𝐭 𝐔𝐬 :- +𝟗𝟏𝟗𝟎𝟑𝟓𝟑𝟓𝟓𝟗𝟏𝟗
Gavyansh Panchgavya Reasearch Center.

✅✅ उपचार- ✅✅

✔️1️⃣. आंवला : पिसे हुए सूखे आंवले के चूर्ण को नींबू के रस के साथ पीसकर बालों में लेप करने से बाल काले हो जाते हैं।आंवला और लौह चूर्ण को पानी के साथ पीसकर लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।

✔️2️⃣. समुद्रफल : समुद्रफल को पानी के साथ पीसकर बालों में लगाने से 3 महीने में ही बाल काले हो जाते हैं।

✔️3️⃣. इन्द्रायण : इन्द्रायण के बीजों का तेल लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।

✔️4️⃣. भृंगराज : भृंगराज और गुड़हल के फूलों को बराबर लेकर भैंस के दूध के साथ पीस लें और इसे रोजाना रात को लगाकर सो जायें। इससे कुछ ही दिनों में ही बाल काले हो जाते हैं।भृंगराज का पिसा हुआ बारीक चूर्ण और काले तिल को बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें।
इस मिश्रण को 1 चम्मच की मात्रा में रोजाना सुबह के समय मुंह धोने के बाद खूब चबाकर खायें और ऊपर से ताजा पानी पी लें। इसे लगातार 6 महीने तक प्रयोग करना चाहिए। इससे समय से पहले बालों का पकना और झड़ना कम हो जाता है तथा बाल काले, लंबे, मजबूत और चमकदार बनते हैं।
इसका प्रयोग 40 साल तक के व्यक्तियों के लिए ज्यादा फायदेमन्द है।
✔️5️⃣. सरसों : 1 लीटर सरसों का तेल, रतनजोत, मेहंदी के पत्ते, जलभांगरा के पत्ते तथा आम की गुठलियों को 100-100 ग्राम की मात्रा लेकर सभी को कूटकर लुगदी बना लें और लुगदी को निचोड़ लें। इस पानी को सरसों के तेल में इतना उबालें कि सारा पानी जल जाए, केवल तेल ही शेष बचे।
इसे छानकर इसका तेल रोजाना सिर पर लगायें। इस प्रयोग में सुबह के समय शीर्षासन करना चाहिए और सुबह-शाम 250 मिलीलीटर दूध पीना चाहिए। इससे बाल काले हो जाते हैं।

✔️6️⃣. नींबू : नींबू के रस में पिसा हुआ सूखा आंवला मिलाकर सफेद बालों पर लेप करने से बाल काले होते हैं।नींबू का रस सिर में मालिश करने से बालों का पकना और गिरना बन्द हो जाता है। सूखे आंवले के पिसे हुए चूर्ण को नींबू के रस के साथ सफेद बालों पर लेप करने से बाल काले होने लगते हैं। इससे बालों के अन्य रोग भी सही हो जाते हैं।
नींबू के छिलके को नारियल के तेल में डुबोकर 8-10 दिनों तक धूप में रख दें और इसके बाद इसे छानकर बालों की जड़ों में मालिश करें। इससे बाल काले और घने हाते हैं।शैम्पू या साबुन से सिर को साफ करने के बाद 1 गिलास पानी (सर्दियों में गुनगुना पानी तथा गर्मियों में सादा पानी) में 1 नींबू का रस और सिरके की कुछ बूंदें मिलाकर सिर के बालों को अच्छी तरह से धो लें।
इससे बाल रेशम की तरह चमकदार सुन्दर और मुलायम हो जाते हैं और सिर की रूसी भी धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं। इससे बाल भी जल्दी गंदे नहीं होते हैं।

✔️7️⃣. घी : घी खाने और बालों की जड़ों में घी मालिश करने से बाल काले होते हैं।

✔️8️⃣. तुरई (तोरी) : तुरई के टुकड़ों को छाया में सुखाकर कूट लें। इसमें नारियल का इतना तेल डालें कि यह पूरी तरह से डूब जाए। इसी प्रकार 4 दिनों तक इसे भिगोयें, फिर उबालें और इसे छानकर बोतल में भरकर रख लें। इस तरह इस तेल को बालों में लगाने और मालिश करने से बाल काले हो जाते हैं।

✔️9️⃣. गाजर : रोजाना गाजर का रस पीने से बाल काले और स्वस्थ रहते हैं।

✔️🔟. प्याज : प्याज का रस पीसकर बालों पर लेप करने से बाल काले रंग के उगने चालू हो जाते हैं।

✔️1️⃣1️⃣. दही : 10 पिसी हुई कालीमिर्च का चूर्ण और 1 नींबू निचोड़कर आधा कप दही में मिला लें और इसे बालों पर लगाकर 20 मिनट तक लगा रहने दें।
इसके बाद सिर को धो लें। इससे बाल काले और मुलायम हो जाते हैं।100 ग्राम दही में बारीक पिसी हुई 1 ग्राम कालीमिर्च को मिलाकर सप्ताह में एक बार सिर को धोयें और बाद में गुनगुने पानी से सिर को धो लें। इस प्रयोग को करने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है तथा बाल काले और सुन्दर हो जाते हैं।

✔️1️⃣2️⃣. तिल : जिसके बाल सफेद हो गये हो और झड़ते हो तो वह रोजाना तिल खायें और उसी का तेल लगायें। इससे उसके बाल काले, लंबे और मुलायम हो जाते हैं।

✔️1️⃣3️⃣. मेथी : मेथी को खाने और इसका तेल सिर में लगाने से सफेद बाल कम होते हैं।

✔️1️⃣4️⃣. गेहूं : गेहूं के पौधे का रस पीने से बाल कुछ ही दिनों में काले हो जाते हैं।

✔️1️⃣5️⃣. कालीमिर्च : जुकाम में भी बाल सफेद हो जाते हैं। अगर बाल जुकाम के कारण सफेद हो गये हो तो 10 कालीमिर्च रोजाना सुबह-शाम निगल जायें। इससे कफ-विकार (बलगम रोग) खत्म हो जाते हैं और नये बाल उगना शुरू हो जाते हैं। इसका प्रयोग 1 साल से अधिक करें। तिल के तेल में कालीमिर्च को बारीक पीसकर बालों में लगाने से बाल काले हो जाते हैं।

✔️1️⃣6️⃣. योगासान : शीर्षासन और सर्वांगासन सही ढंग से करते रहने से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं और बालों का झड़ना कम हो जाता है। इससे बाल सफेद नहीं होते तथा बाल काले, चमकीले और सुन्दर बन जाते हैं।

🎯🎯 विशेष : युवावस्था से ही सुबह-शाम भोजन करने के बाद वज्रासन में बैठकर 2-3 मिनट तक लकड़ी, सींग और हाथी दांत की कंघी करने से बालों का सफेद होना कम हो जाता है। इससे बालों का जल्दी पकना और गिरना, सिर की खुजली, सिर का पिलपिला होना, चक्कर और सिर की गर्मी नष्ट हो जाती है।
🚨🚨 𝐍𝐨𝐭𝐞 :- 𝐈𝐟 𝐝𝐨𝐧'𝐭 𝐰𝐚𝐧𝐭 𝐭𝐨 𝐭𝐫𝐲 𝐚𝐛𝐨𝐯𝐞 𝐑𝐞𝐦𝐢𝐝𝐢𝐞𝐬 𝐝𝐮𝐞 𝐭𝐨 𝐚𝐧𝐲 𝐫𝐞𝐚𝐬𝐨𝐧 𝐓𝐡𝐚𝐧 𝐔𝐬𝐞 𝐎𝐮𝐫 𝐁𝐫𝐚𝐧𝐝 𝐆𝐨𝐝𝐡𝐚𝐧 𝐒𝐡𝐚𝐦𝐩𝐨𝐨.𝐈𝐭 𝐂𝐨𝐧𝐭𝐚𝐢𝐧𝐬 𝐚𝐥𝐥 𝐧𝐚𝐭𝐮𝐫𝐚𝐥 𝐇𝐞𝐫𝐛𝐬.

☎️☎️ 𝐅𝐨𝐫 𝐎𝐫𝐝𝐞𝐫 𝐨𝐫 𝐦𝐨𝐫𝐞 𝐢𝐧𝐟𝐨𝐫𝐦𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧:-
𝐂𝐨𝐧𝐭𝐚𝐜𝐭 𝐔𝐬 :- +𝟗𝟏𝟗𝟎𝟑𝟓𝟑𝟓𝟓𝟗𝟏𝟗
Gavyansh Panchgavya

🤔🤔  *क्या आप जानते हैं.?*🤔🤔👉👉कैसे हमारे पूर्वज नाख़ून 👣👣 देख कर रोगों का पता लगा लेते थे.!**जानिये अद्भुत  #विज्ञान.!*हाथ...
09/08/2022

🤔🤔 *क्या आप जानते हैं.?*🤔🤔
👉👉कैसे हमारे पूर्वज नाख़ून 👣👣 देख कर रोगों का पता लगा लेते थे.!*

*जानिये अद्भुत #विज्ञान.!*
हाथ और पैर में नाख़ून सिर्फ हाथ पैर की खूबसूरती नहीं बढ़ाते बल्कि शरीर में होने वाले #रोग की भी जानकारी देते हैं।

प्राचीन समय में जब बीमारी की जांच के लिए कोई सुविधा नहीं होती थी, तब हकीम और वैद्य सबसे पहले हाथ के नाखूनों के रंगों को देखकर बीमारी के बारे में बताते थे।

*नाखूनों से जुड़े चिकित्सा विज्ञान का इतिहास काफी पुराना है..*

आयुर्वेद और होमियोपैथी में आज भी विशेषज्ञ स्वास्थ्य की जांच के समय नाखूनों के रंग को देखते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि जब किसी इंसान को कोई बीमारी होती है तो उसके नाख़ून का रंग भी बदल जाता है।

*नाख़ून के रंग बदलने से कौन कौन सी बीमारियाँ हो सकती है, आइये जाने :*

*(1). भंगुर नाख़ून:*
अगर आपके नाख़ून आसानी से टूटे तो इसका मतलब आपको थायराइड की समस्या है या हो सकती है। नाख़ून में दरार पड़ना चरम रोग की निशानी होती है।

*(2). सफ़ेद लाईन नाख़ून:*
नाख़ून में सफ़ेद लाइन किडनी की बिमारी और न्यूट्रीशन, प्रोटीन की कमी से लीवर संबधित रोग का संकेत देती है।

*(3). आड़ी लाईन :*
नाख़ून पर सीधी खड़ी लाईन मेलानोमा या स्किन केंसर का संकेत देता है।

*(4). सीधी खड़ी लाईन:*
नाख़ून पर सीधी खड़ी लाईन मेलानोमा या स्किन केंसर का संकेत देता है।

*(5). पीले नाखून :*
फंगल इन्फेक्शन के कारण पूरा नाखून ही पीला हो जाता है।

फंगस नाख़ून के तले, मैट्रिक्स या प्लेट को इन्फेक्ट करता है।
हाथ और पैर के नाख़ून हल्के पीले रंग के और कमजोर नाखून अनीमिया, हृदय संबंधी परेशानी, कुपोषण व लिवर रोगों होने की सम्भावना होती है।
फंगल संक्रमण के कारण नाखूनों में दर्द, बेचैनी और सौन्दर्य सम्बंधित चिंताओं के अलावा रोज़ाना की ज़िन्दगी पर भी असर पड़ सकता है।
कई बार पीलिया, थाइरॉएड, मधुमेह और सिरोसिस में भी ऐसा हो जाता है।
नाखून पीले व मोटे हैं और धीमी गति से बढ़ रहे हैं तो यह फेफड़े संबंधी रोगों का संकेत हो सकता है।

*(6). सफेद नाखून :*
नाखूनों पर सफेद धब्बे नजर आये या पूरे सफेद दिखाई देता हैं तो लिवर रोगों के अलावा हृदय व आंत के रोग हो सकती है।

*(7). उभरे हुए नाखून:*
यदि नाख़ून बाहर और आसपास की त्वचा का उभरा हो तो हृदय समस्याओं के अतिरिक्त फेफड़े व आंतों में सूजन हो सकती है।

*(8). अंदर मुड़े नाख़ून*
अंदर की तरफ मुड़े हुए नाख़ून ल्यूकेमिया, ब्लड, और आयरन की कमी होने का संकेत देता है।

*(9). चम्मच की तरह नाखून:*
खून की कमी के अलावा आनुवंशिक रोग, ट्रॉमा की स्थिति में भी नाखूनों का आकार चम्मच की तरह हो जाता है और नाखून बाहर की ओर मुड़ जाते हैं।

*(10). नाख़ून के आसपास शुष्क चमड़ी:*
नाख़ून के आसपास की चमड़ी शुष्क होना शरीर में पानी की कमी का संकेत देता हैं।

*(11). नीले नाखून :*
शरीर में ऑक्सीजन का संचार ठीक प्रकार से न होने पर नाखूनों का रंग नीला होने लगता है साँस और ह्रदय से जुड़ी बीमारियां, फेफड़ों में संक्रमण, निमोनिया या दिल के रोगों की ओर भी संकेत करता है।

*(12). आधे सफेद और आधे गुलाबी नाखून:*
नाखूनों का रंग अचानक आधा गुलाबी व आधा सफेद दिखाई दे तो गुर्दे के रोग व सिरोसिस की समस्या हो सकती है।

*(13). लाल व जामुनी रंग:*
नाखूनों का गहरा लाल रंग हाई ब्लड प्रेशर का संकेत देता है, जबकि जामुनी रंग के नाखून लो ब्लड प्रेशर का संकेत देते हैं।

✅✅अमृतधारा ✅✅ #अमृत_धारा आयुर्वेद की एक बहुत ही जानी-मानी औषधि है जो कई बीमारियों का आसानी से उपचार कर देती है ।बदलते मौ...
03/08/2022

✅✅अमृतधारा ✅✅
#अमृत_धारा आयुर्वेद की एक बहुत ही जानी-मानी औषधि है जो कई बीमारियों का आसानी से उपचार कर देती है ।

बदलते मौसम,गर्मी की तपन, लू, धूल भरी हवाओं, खान-पान में गड़बड़ी के कारण सिरदर्द, उल्टी, अपच, हैजा, दस्त, बुखार, शरीर में दर्द, अजीर्ण जैसे रोग घेर लेतें हैं। ऐसे में आयुर्वेदिक औषधि 'अमृतधारा' इन रोगों में रामबाण की तरह सहायक होती है। इस औषधि की दो-चार बूंदें एक कप सादे पानी में डालकर पीने मात्र से ही तुरन्त लाभ मिलता है। सिरदर्द हो, जहरीला ततैया काट ले तो इसे लगाने मात्र से ठीक हो जाता है। गले के दर्द व सूजन में गरारे करने पर तुरंत लाभ मिलता है । यह औषधि पूरे परिवार के लिए लाभदायक है क्योंकि यह पूर्णरूप से 100% प्राकृतिक हैं।

#निर्माण_की_पहली_विधि -

1. सत पैदीना
2. सत अजवाइन
3. कपूर

तीनो को बराबर मात्रा में मिलाने से औषधि बन जाती है।

ये तीनों किसी भी अत्तार की दुकान से उपलब्ध हो सकते हैं। एक काँच की शीशी में तीनों को सम मात्रा में मिलाकर ठण्डे स्थान पर रखें। प्लास्टिक की शीशी में इसे कदापि न रखें।

#दूसरी_विधि -

1. 50 ग्राम पिपरमेंट
2. 50 ग्राम अजवाइन पाउडर
3. 50 ग्राम लाल इलाइची
4. 50 ग्राम देशी कपूर
5. 20 मिली लीटर लौंग का तेल
6. 20 मिली लीटर दालचीनी का तेल

#उपलब्धता -

यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है। इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

#अमृतधारा_उपयोग_विधि :

अमृतधारा की 4 बूंदे 1 कप पानी में डालकर उपयोग करें।

#अमृतधारा_के_फायदे :

1. अमृतधारा कई बीमारियों में दी जाती है, जैसे बदहजमी, हैजा और सिर-दर्द ।

2. #बदहजमी - थोड़े से पानीमें तीन-चार बूंद अमृतधारा की डालकर पिलाने से बदहजमी, पेट-दर्द, दस्त, उलटी ठीक हो जाती है। चक्कर आने भी ठीक हो जाते हैं।

3. #हैजा - एक चम्मच प्याजके रसमें दो बूंद अमृतधारा डालकर पीने से हैजा में फायदा होता है। ( और पढ़े - हैजा का घरेलू इलाज )

4. #सिरदर्द - अमृतधाराकी दो बूंद ललाट और कान के आस-पास मसलने से सिर दर्द में फायदा होता है। ( और पढ़े - सिर दर्द के 41 घरेलू इलाज)

5. #छाती_का_दर्द - मीठे तेल में अमृतधारा मिलाकर छाती पर मालिश करने से छातीका दर्द ठीक हो जाता है।

6. #जुकाम – सूंघने पर साँस खुलकर आता है तथा जुकाम ठीक हो जाता है।

7. #मुह_के_छाले - थोड़े से पानीमें एक-दो बूंद अमृतधारा डालकर छालों पर लगानेसे फायदा होता है। (और पढ़े- मुह के छाले दूर करने के 101 घरेलू उपचार )

8. #दाँत_दर्द - दाँत दर्द में अमृतधारा का फाया रखकर दबाये रखने से राहत मिलती है।

9. #खाँसी - चार-पाँच बूंद अमृतधारा हलके गर्म पानी में डालकर सुबह-शाम कुछ दिन पीने से श्वास, खाँसी, दमा और क्षय-रोग में फायदा होता है। (और पढ़े खाँसी के घरेलू उपचार) -

10. #हृदय₹रोग - आँवले के मुरब्बे में तीन-चार बूंद अमृतधारा डालकर खिलाने से दिल के रोग में राहत मिलती है।

11. #पेट_दर्द - बताशे में दो बूंद अमृतधारा डालकर - खानेसे पेटके दर्द में आराम मिलता है।

12. #मन्दाग्नि - भोजन के बाद दोनों वक्त ठंडे पानी में दो-तीन बूंद अमृत धारा डालकर पीने से मन्दाग्नि, अजीर्ण, बादी, बदहजमी एवं गैस ठीक हो जाती है। ( और पढ़े - भूख बढ़ाने के 32 घरेलू उपाय )

13. #कमजोरी दस ग्राम गाय के मक्खन और पाँच - ग्राम शहद में तीन बूंद अमृतधारा मिलाकर प्रतिदिन खानेसे शरीरको कमजोरी में फायदा होता है।

14. #हिचकी - अमृतधारा की एक-दो बूंद जीभ में में रखकर, मुँह बंद करके सूंघने से चार मिनटमें ही हिचकी में फायदा | होता है।

15. #खुजली - दस ग्राम नीम के तेल में पाँच बूंद अमृतधारा मिलाकर मालिश करनेसे, हर तरहकी खुजली में फायदा होता है।

16. #मधुमक्खी के काटने पर ततैया, बिच्छू, भंवरा या मधुमक्खी के काटने की जगहपर अमृतधारा मसलने से दर्द में राहत मिलती है।

17. #बिवाई – दस ग्राम वैसलीनमें चार बूंद अमृतधार मिलाकर, शरीर के हर तरहके दर्दपर मालिश करने दर्द में फायदा होता है। फटी बिवाई और फटे होंठों पर लगानेसे दर्द ठीक हो जाता है तथा फटी चमडी जुड़ जाती है।

18. #यकृत_की_वृद्धि - अमृतधारा को सरसों के चौगुने तेल में मिलाकर जिगर - तिल्ली पर मालिश करने से यकृत की वृद्धि दूर होती है।

#सावधानियां -

उपयोग करने से पहले चिकित्सक की सलाह आवश्यक है।

उपयोग करने से पहले सभी निर्देशों को ध्यान से समझें।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में जितने चमत्कार आज तक हुए है उनमें से 90% आयुर्वेद व देशी तौर तरीकों से ही हुए है लेकिन फिर लोग न जाने क्यो लुटेरों की तरफ ही भागते है

स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है और उम्र कम होती जा रही है। आयुर्वेद और निसर्गोपचार से स्वास्थ्य का संतुलन बनाए रखें।

”आयुर्वेद कहता है कि उसकी पद्धति आपको उस बीमारी से तो लड़ने में मदद करेगी ही बल्कि हर बीमारी को हराने की कोशिश करेगी, आप जानते हैं ऐसा क्यूँ, ऐसा इसलिए क्यूंकि आयुर्वेद कभी भी शरीर के केवल उस हिस्से का उपचार नहीं करता बल्कि वह हर हिस्से का उपचार करता है।” ”आयुर्वेद की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसका उपचार हमेशा अन्य फायदे लेकर आता है अन्य नुकसान नहीं।”

आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक ऐसी शक्ति है जो अन्य चिकित्सा की तुलना में सुरक्षित रूप से किसी भी बीमारी को ठीक कर सकती है।

*अपने शरीर को किसी भी प्रकार की बीमारी से मुक्त करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार अपनाएं।*

*स्वस्थ रहना है तो भारतीय चिकित्सा पद्धति को अपनाना ही होगा अन्यथा एक बार एलोपैथी चिकित्सा के चक्कर में फंसे तो बिमारियों के जाल से निकलना मुश्किल होगा*

आयुर्वेद चिकित्सा भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है।
आयुर्वेद को अपनाने में परहेज क्यों ?
आयुर्वेद को अपनाकर स्वास्थ्य को और बेहतर बनाएं।।
स्वदेशी अपनाएं
स्वस्थ रहे।।

 #पैकिंग  #आटा में कीड़े क्यों नही पड़ते ??आंखें खोल देने वाला सच ----------:एक प्रयोग करके देखें । गेहूं का आटा पिसवा कर ...
02/08/2022

#पैकिंग #आटा में कीड़े क्यों नही पड़ते ??

आंखें खोल देने वाला सच ----------:

एक प्रयोग करके देखें । गेहूं का आटा पिसवा कर उसे 2 महीने स्टोर करने का प्रयास करें।,आटे में कीड़े पड़ जाना स्वाभाविक हैं, *आप आटा स्टोर नहीं कर पाएंगे।*
फिर ये बड़े बड़े ब्रांड आटा कैसे स्टोर कर पा रहे हैं? यह सोचने वाली बात है।

एक केमिकल है- बेंजोयलपर ऑक्साइड, जिसे ' फ्लौर इम्प्रूवर ' भी कहा जाता है।* इसकी पेरमिसीबल लिमिट 4 मिलीग्राम है, लेकिन आटा बनाने वाली फर्में 400 मिलीग्राम तक ठोक देती हैं। कारण क्या है? आटा खराब होने से लम्बे समय तक बचा रहे। *बेशक़ उपभोक्ता की किडनी का बैंड बज जाए।

कोशिश कीजिये खुद सीधे गेहूं खरीदकर अपना आटा पिसवाकर खाएं।

नियमानुसार आटे का समय..
ठंडके दिनों में 30 दिन
गरमी के दिनों में 20 दिन
बारिस के दिनों में 15 दिन का बताया गया है।

ताजा आटा खाइये, स्वस्थ रहिये...समझदार बनें, अपने लिए पुरुषार्थी बन सभी गेंहू पिसवा कर काम ले। न कोई रेडीमेड थैली का........

केवल 3 बदलाव कर के देखे

1.) नमक सेंधा प्रयोग करे,
2.) आटा चक्की से पिसवा कर लाये,
3.) पानी मटके का पिये,सुबह गर्म पानी पिये...

आधी बीमारियों से छुटकारा पाएंगे ........!!

29/07/2022

#अखरोट के हमारे लिए क्या क्या लाभ है।। नीचे दिए फोटो पर देखें।।
ज्यादा ऐसे ही पोस्ट एवम जानकारी के लिए जुड़े रहें।।
पेज को लाइक व शेयर करना ना भूलें।।✅✅🙏🙏

08/10/2021

जय माता की।।🙏🙏
आज प्रातः काल में देवसर धाम भिवानी में माता के दर्शन करते हुए।।✅✅

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