Osho zen

Osho zen "Life begins where fear ends. The moment you accept yourself, you become beautiful. To be creative means to be in love with life."

Everyone please subscribe this channel. Touch downand subscribe ❤️
11/01/2025

Everyone please subscribe this channel. Touch downand subscribe ❤️

"Midnight Thoughts" is a YouTube channel dedicated to exploring life-changing topics that inspire personal growth, self-awareness, and transformation. The channel offers deep insights into the human experience, focusing on topics such as mental health, self-love, motivation, relationships, and mindf...

तुम अपनी पत्नी को प्रेम कर सकते हो, तुम्हारी पत्नी तुम्हें प्रेम कर सकती है; तुम अपने बच्चों से प्रेम कर सकते हो, तुम अप...
09/10/2024

तुम अपनी पत्नी को प्रेम कर सकते हो, तुम्हारी पत्नी तुम्हें प्रेम कर सकती है; तुम अपने बच्चों से प्रेम कर सकते हो, तुम अपने माता पिता से प्रेम कर सकते हो, तुम अपने मित्रों से प्रेम कर सकते हो. और उन्होंने हर मनुष्य के भीतर दो बातें बहुत गहरे जड़ कर दीं हैं। एक यह कि प्रेम कुछ ऐसा है जो कि एक सीमित दायरे में ही किया जा सकता है--मित्रों से, परिवारजन से, बच्चों से पति से, पत्नी से। और दूसरी बात जिस पर उन्होंने जोर दिया है वह यह कि प्रेम बहुत प्रकार के होते हैं।

"जब तुम अपने पति या पत्नी से प्रेम करते हो तब वह एक प्रकार का प्रेम होता है; फिर जब तुम अपने बच्चों से प्रेम करते हो तब तुम्हें अलग तरह का प्रेम करना होता है और अपने बड़ों को, अपने परिवारजन को अपने शिक्षकों को अलग तरह का। और फिर मित्रों के लिए अलग तरह का प्रेम। लेकिन सच्चाई यह है कि प्रेम को मनुष्यता के पूरे इतिहास में जिस तरह से नाम दिए गए हैं, वैसे नाम दिए नहीं जा सकते। उनके लिए उसे नाम देने के कारण थे परन्तु वे कारण बदसूरत और अमानवीय हैं, क्योंकि इस तरह उसे नाम देने में उन्होंने प्रेम की हत्या कर दी...

"सभी परम्पराओं ने यह जो प्रेम को अलग अलग नामों में बांट देने पर जोर दिया है इसके पीछे कारण यह है कि वे प्रेम से बहुत डरते रहे, क्योंकि यदि प्रेम आस्तित्व्गत हो तब वह कोई सीमा नहीं जानता--तब तुम हिन्दुओं को मुसलमानों के विरुद्ध नहीं ले जा सकते, तब तुम प्रोटेस्टेंट्स को, कैथोलिक्स के विरुद्ध नहीं ले जा सकते। तब तुम कोई सीमा नहीं बांध सकते कि तुम इस व्यक्ति को इसलिए प्रेम नहीं कर सकते क्योंकि वह ज्यूइश है, चीनी है। दुनिया के नेता दुनिया को बांटना चाहते थे, परन्तु दुनिया को बांटने के लिए उन्हें बुनियादी बंटवारा करना होगा जो कि प्रेम का है।"

Osho 🙏

बुद्ध का एक गांव में आगमन हुआ। उस गांव के सम्राट ने अपने वजीर से पूछा कि क्या मुझे जाना पड़ेगा बुद्ध के स्वागत के लिए?वजी...
07/10/2024

बुद्ध का एक गांव में आगमन हुआ। उस गांव के सम्राट ने अपने वजीर से पूछा कि क्या मुझे जाना पड़ेगा बुद्ध के स्वागत के लिए?
वजीर ने गौर से अपने सम्राट को देखा और कहा, मेरा इस्तीफा स्वीकार कर लें!
सम्राट ने कहा कि भई ऐसी कौन सी बात हो गई?
उस बूढ़े वजीर ने कहा, जब सम्राट पूछने लगे कि बुद्ध का स्वागत करने क्या मुझे जाना पड़ेगा? तो वह जगह रहने योग्य न रही। मैं यह छोड़ देता हूं जगह।
सम्राट ने कहा, ऐसा मत करो! मैं तो सिर्फ तुमसे सलाह लेता हूं बुजुर्ग आदमी की तरह। और मैंने तो इसलिए पूछा कि क्या यह उचित होगा कि एक भिखारी का स्वागत करने एक सम्राट जाए, भिक्षा-पात्र लिए आदमी का!
उस वजीर ने कहा, साम्राज्य उस आदमी के पास भी था, वह उसे छोड़ सका है। साम्राज्य आपके पास भी है, अभी आप उसे पकड़े हुए हो। वह रास्ते का भिखारी दिखाई पड़ता है, लेकिन सम्राटों का सम्राट है। क्योंकि साम्राज्य को छोड़ सका है। तुम सम्राट दिखाई पड़ते हो, लेकिन भिखारियों में भिखारी हो। क्योंकि अभी इतने जोर से पकड़े हुए हो। उसका स्वागत करने जाना ही पड़ेगा!
यह वक्त और था। तब छोड़ कर आदमी इतना धनी हो जाता था जिसका हिसाब नहीं। सड़क का भिखारी होकर सम्राट हो जाता था। वे दिन और थे। निषेध की भाषा काम करती थी। छूट कर इतना मिलता था जिसका हिसाब नहीं। आज मिल कर भी उतना नहीं मिलता है। तो भाषा बदलनी पड़ती है। तो मैं उपलब्धि की भाषा बोलता हूं। और कहता हूं, कुछ छोड़ना मत। जहां हैं वहीं रह कर, जो भी चारों तरफ हो रहा है, उसे नाटक भर समझ लेना और करते चले जाना। नाटक समझते ही भीतर से कुछ धागा टूट जाएगा, सेतु टूट जाएगा, ब्रिज गिर जाएगा। जो जोड़ता था मोह, जोड़ती थी आसक्ति, वह विदा हो जाएगी।

Osho 🙏

पुराना संन्यास कहता था: संसार छोड़ना संन्यास है। मैं कहता हूं: परमात्मा को पाना संन्यास है। वह जो निगेटिव खयाल था छोड़ने क...
06/10/2024

पुराना संन्यास कहता था: संसार छोड़ना संन्यास है। मैं कहता हूं: परमात्मा को पाना संन्यास है। वह जो निगेटिव खयाल था छोड़ने का--यह छोड़ो, यह छोड़ो, यह छोड़ो--वह आज कारगर नहीं है। न होने का कारण है। जब लोग बहुत संतुष्ट होते हैं तो पाने की भाषा काम नहीं करती; उनके पास जो है वह काफी है। जब लोग बहुत संतुष्ट होते हैं तो पाने की भाषा काम नहीं करती। जब लोग बहुत असंतुष्ट होते हैं तब छोड़ने की भाषा काम नहीं करती। वैसे ही इतने परेशान हैं, अब और छोड़ने की बात आप उनसे करिए? प्रत्येक आदमी को लग रहा है, मेरे पास कुछ है ही नहीं। अब उससे आप छोड़ने की बात करिए?
वक्त था पांच-दस हजार साल पहले, प्रत्येक को लगता था, उसके पास सब कुछ है। जिसके पास सब कुछ है, वह छोड़ने में आनंद ले सकता है।
हम सब ऐसे दीन-हीन हैं, हमारे पास ज्यादा है उस समय से, लेकिन हमारी वृत्ति आज ऐसी है कि हमारे पास कुछ भी नहीं है। अब यह ‘कुछ भी नहीं है’ जिसको लग रहा हो उससे कहिए--छोड़िए! वह कहेगा, क्या छोडूं? मेरे पास अभी कुछ है ही नहीं।
युग के साथ भाषा बदल देनी पड़ती है। पुराना संन्यास निगेटिव लैंग्वेज, निषेध की भाषा बोलता था। नया संन्यास पाजिटिविटी, विधायक भाषा बोलेगा--पाने की बात। और मजा यह है कि संसार को कोई छोड़ सके तो भी परमात्मा को पा लेता है और कोई परमात्मा को पाने में लग जाए तो भी संसार छूट जाता है। ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। असल में, परमात्मा को पाने में जो लगा, उसका संसार अपने आप छूटना शुरू हो जाता है। लेकिन इस छूटने को, बाहर से छोड़ने की कोई जरूरत नहीं; यह भीतर से छूट जाए, काफी है।

Osho 🙏

Osho..तलाशो मत, पूछो मत, ढूंढो मत, खटखटाओ मत, मांगो मत – शांत हो जाओ। तुम शांत हो जाओगे – वो आ जाएगा। तुम शांत हो जाओगे ...
04/10/2024

Osho..

तलाशो मत, पूछो मत, ढूंढो मत, खटखटाओ मत, मांगो मत – शांत हो जाओ। तुम शांत हो जाओगे – वो आ जाएगा। तुम शांत हो जाओगे – उसे यहीं पाओगे। तुम शांत हो जाओगे तो अपने को उसके साथ झूलते हुए पाओगे

एक अंग्रेज यात्रा पर आया हुआ था। उसने देखा हिमालय में बड़ी चर्चा है एक साधु की कि सात सौ साल उसकी उम्र है। भीड़ लगी हुई थी...
04/10/2024

एक अंग्रेज यात्रा पर आया हुआ था। उसने देखा हिमालय में बड़ी चर्चा है एक साधु की कि सात सौ साल उसकी उम्र है। भीड़ लगी हुई थी। उसने देखा कि ज्यादा से ज्यादा सत्तर साल का हो सकता है--ज्यादा से ज्यादा। सात सौ साल? हद्द हो गई! और वह जड़ी-बूटी बेच रहा था, कि जो भी यह जड़ी-बूटी लेगा, वह भी सात सौ साल का हो जाएगा। यह जड़ी-बूटी गारंटी है, सात सौ साल तो जिंदा रखेगी ही, कम से कम; ज्यादा कोई भला जिंदा रह जाए। मैं सबूत हूं।
उसने कहा, कुछ पता लगाना चाहिए! भारतीय तो खरीद रहे थे, क्योंकि भारतीयों को पता वगैरह लगाने का तो हिसाब ही नहीं होता! श्रद्धा करना इनका नियम है। अब जब कह रहा है, तो वृद्ध आदमी है, ठीक ही कह रहा होगा। खरीद रहे थे जड़ी-बूटी।
अंग्रेज था वह, इतने जल्दी श्रद्धा नहीं कर सका। उसने देखा कि एक छोकरा उसकी जड़ी-बूटी बेचने में सहायता कर रहा है। तोल रहा है इत्यादि; पैसे इकट्ठे कर रहा है। उसने उस छोकरे को अलग बुलाया और पांच रुपये का नोट दिया और कहा, भइया, तू एक बात बता! तेरे गुरु की सच में कितनी उम्र है?
उसने कहा कि भई, मैं नहीं कह सकता। मेरी तो कुल उम्र तीन सौ साल है! तीन सौ साल से उनके साथ हूं। अब उनकी कितनी उम्र है, वे जानें!
वह छोकरा तो कोई बारह-तेरह साल का था! अंग्रेज ने तो अपना सिर ठोंक लिया। उसने कहा, हद्द हो गई। यह छोकरा भी बदमाश है! तीन सौ साल से, कह रहा है, इनके गुरु के साथ हूं। मैं क्या कह सकता हूं! सात सौ साल कहते हैं, तो होंगे। जरूर होंगे! वे पांच रुपये भी गए! यह छोकरा भी बदमाश है!
क्या आप दावे के साथ कह सकते हैं कि इस दवा के रगड़ने से सिर पर बाल उग आएंगे? चंदूलाल ने दवाफरोश से पूछा।
दावा कैसा हुजूर! पिछले हफ्ते एक साहब ने इस्तेमाल की। कल शाम मियां-बीबी में जूती-पैंजार हुई। मोहल्ले वालों ने सिर के बाल पकड़ कर दोनों को जुदा किया और सोचते ही रह गए कि कौन सा सर मियां का था और कौन सा बीबी का! सात दिन में!
पाखंड है इसलिए कि तुम असंभव को मूल्य बनाए हुए हो। आदमी को हमने इस देश में सामान्य होने का अवसर ही नहीं दिया। हमने उसे साधारण, प्राकृतिक होने की सुविधा ही नहीं दी। न हमने उसकी किसी चीज को अंगीकार किया जो प्राकृतिक थी। हमने मूल्य थोप दिए। असंभव मूल्य! उनको वह पूरा कर पाता नहीं बेचारा, तो क्या करे? अगर स्वीकार करे कि पूरा नहीं कर पाता, तो लोग हंसी-मजाक उड़ाते हैं। लोग कहते हैं, अरे, तुम आदमी हो कि पशु! हम तो पूरा कर रहे हैं, तुमसे क्यों पूरा नहीं होता?
तो उसे भी कहना पड़ता है कि पूरा कर रहा हूं।

ओशो 🙏

ओशो कौन रोता है किसी और की खातिर ऐ दोस्त!सबको अपनी ही किसी बात पे रोना आया।मगर आदमी रोता भी है, तो उसके लिए भी आवरण खोजत...
03/10/2024

ओशो

कौन रोता है किसी और की खातिर ऐ दोस्त!सबको अपनी ही किसी बात पे रोना आया।
मगर आदमी रोता भी है, तो उसके लिए भी आवरण खोजता है, मुखौटे खोजता है, बहाने खोजता है।
क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिनकी फितरत छिपी रहे।
नकली चेहरा सामने आए असली सूरत छिपी रहे।
खुद से भी जो खुद को छिपाए क्या उनसे पहचान करें

Oshoएक ऐसी भी बेहोशी है, जो बेहोशी भी नहीं। एक ऐसी भी मस्ती है, जो अंगूर की शराब से नहीं मिलती, आत्मा की शराब से मिलती ह...
03/10/2024

Osho

एक ऐसी भी बेहोशी है, जो बेहोशी भी नहीं। एक ऐसी भी मस्ती है, जो अंगूर की शराब से नहीं मिलती, आत्मा की शराब से मिलती है।

Osho  ❤️
03/10/2024

Osho ❤️

Osho
02/10/2024

Osho

Osho 🙏
02/10/2024

Osho 🙏

Osho
02/10/2024

Osho

Address

Hansi
125033

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Osho zen posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Practice

Send a message to Osho zen:

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram