04/10/2024
एक अंग्रेज यात्रा पर आया हुआ था। उसने देखा हिमालय में बड़ी चर्चा है एक साधु की कि सात सौ साल उसकी उम्र है। भीड़ लगी हुई थी। उसने देखा कि ज्यादा से ज्यादा सत्तर साल का हो सकता है--ज्यादा से ज्यादा। सात सौ साल? हद्द हो गई! और वह जड़ी-बूटी बेच रहा था, कि जो भी यह जड़ी-बूटी लेगा, वह भी सात सौ साल का हो जाएगा। यह जड़ी-बूटी गारंटी है, सात सौ साल तो जिंदा रखेगी ही, कम से कम; ज्यादा कोई भला जिंदा रह जाए। मैं सबूत हूं।
उसने कहा, कुछ पता लगाना चाहिए! भारतीय तो खरीद रहे थे, क्योंकि भारतीयों को पता वगैरह लगाने का तो हिसाब ही नहीं होता! श्रद्धा करना इनका नियम है। अब जब कह रहा है, तो वृद्ध आदमी है, ठीक ही कह रहा होगा। खरीद रहे थे जड़ी-बूटी।
अंग्रेज था वह, इतने जल्दी श्रद्धा नहीं कर सका। उसने देखा कि एक छोकरा उसकी जड़ी-बूटी बेचने में सहायता कर रहा है। तोल रहा है इत्यादि; पैसे इकट्ठे कर रहा है। उसने उस छोकरे को अलग बुलाया और पांच रुपये का नोट दिया और कहा, भइया, तू एक बात बता! तेरे गुरु की सच में कितनी उम्र है?
उसने कहा कि भई, मैं नहीं कह सकता। मेरी तो कुल उम्र तीन सौ साल है! तीन सौ साल से उनके साथ हूं। अब उनकी कितनी उम्र है, वे जानें!
वह छोकरा तो कोई बारह-तेरह साल का था! अंग्रेज ने तो अपना सिर ठोंक लिया। उसने कहा, हद्द हो गई। यह छोकरा भी बदमाश है! तीन सौ साल से, कह रहा है, इनके गुरु के साथ हूं। मैं क्या कह सकता हूं! सात सौ साल कहते हैं, तो होंगे। जरूर होंगे! वे पांच रुपये भी गए! यह छोकरा भी बदमाश है!
क्या आप दावे के साथ कह सकते हैं कि इस दवा के रगड़ने से सिर पर बाल उग आएंगे? चंदूलाल ने दवाफरोश से पूछा।
दावा कैसा हुजूर! पिछले हफ्ते एक साहब ने इस्तेमाल की। कल शाम मियां-बीबी में जूती-पैंजार हुई। मोहल्ले वालों ने सिर के बाल पकड़ कर दोनों को जुदा किया और सोचते ही रह गए कि कौन सा सर मियां का था और कौन सा बीबी का! सात दिन में!
पाखंड है इसलिए कि तुम असंभव को मूल्य बनाए हुए हो। आदमी को हमने इस देश में सामान्य होने का अवसर ही नहीं दिया। हमने उसे साधारण, प्राकृतिक होने की सुविधा ही नहीं दी। न हमने उसकी किसी चीज को अंगीकार किया जो प्राकृतिक थी। हमने मूल्य थोप दिए। असंभव मूल्य! उनको वह पूरा कर पाता नहीं बेचारा, तो क्या करे? अगर स्वीकार करे कि पूरा नहीं कर पाता, तो लोग हंसी-मजाक उड़ाते हैं। लोग कहते हैं, अरे, तुम आदमी हो कि पशु! हम तो पूरा कर रहे हैं, तुमसे क्यों पूरा नहीं होता?
तो उसे भी कहना पड़ता है कि पूरा कर रहा हूं।
ओशो 🙏