
24/04/2025
ग्रीष्म ऋतु में सूर्य 🌞 प्रधान होता है। यह ऋतु व्यक्ति की शक्ति छीन लेती है तत्पश्चात शुष्कता में वृद्धि तथा शरीर के जलीय घटकों के क्षय के कारण उसके ऊर्जा भण्डार को नष्ट कर देती है।
आयुर्वेद के अनुसार, गर्मियों की तीव्र गर्मी से कफ दोष में कमी आती है और वात दोष में वृद्धि होती है, इसलिए इस मौसम के लिए आदर्श आहार और जीवनशैली का पालन करना चाहिए, जिससे कफ और वात दोष संतुलन में रहें।
ग्रीष्म ऋतु में स्वास्थ्य संबंधी सुझाव:
1. मीठा, ठंडा, चिकना और तरल पदार्थ 💦
2. चीनी, घी, दूध और चावल के साथ ठंडे व्यंजन। 🥶
3. शराब से बने व्यंजन से बचना चाहिए। 🫙
4. नमक, खट्टे और तीखे खाद्य पदार्थों से बचें।
5. अत्यधिक व्यायाम से बचें। 💪
6. आम का रस और काली मिर्च के साथ दही पिएं। 🥭
7. सुगंधित पदार्थों से बना ठंडा पानी।
8. रात में मिश्री मिला दूध 🥛
9. दोपहर में ठंडे घर में आराम करें, रात में सुखदायक चंद्रमा की किरणों के
नीचे। 🌝
10. शरीर पर चंदन का लेप लगाएं।
11. बगीचों और जलाशयों के किनारे आराम करें। 🌴
12. बाहर जाते समय छाते का उपयोग करें। 🌂
13. मसालेदार भोजन से बचें। 🌶
14. हल्का भोजन बार-बार करें। 🥗
15. भोजन न छोड़ें। उपवास न करें।
ग्रीष्म ऋतू के लिए कुछ अन्य उपाय :
-आंखों में जलन होने पर गुलाब जल में रूई भिगोकर बंद आंखों पर 5 मिनट तक लगाएं।
-धनिया पाउडर 1 चम्मच लें और इसे 1 कप पानी में मिलाएं, इसे पूरी रात ऐसे ही रहने दें, अगले दिन सुबह खाली पेट इसे पी लें।
-रात में 5 किशमिश और 5 बादाम पानी में भिगो दें और अगले दिन सुबह इन्हें खा लें।
-ताजा नारियल पानी/गन्ने का रस पिएं- सप्ताह में दो/तीन बार।
-गर्मियों में मीठा खाना, ठंडक देने वाले खाद्य पदार्थ, तरल आहार, तेल, तले हुए खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ वांछनीय हैं।