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*जायफल**तंत्र में काला जायफल बेहद महत्वपूर्ण है!-एक जायफल की आहुति, एक जटा नारियल(पूर्ण) की आहुति के बराबर मानता है !-जा...
22/11/2025

*जायफल*

*तंत्र में काला जायफल बेहद महत्वपूर्ण है!
-एक जायफल की आहुति, एक जटा नारियल(पूर्ण) की आहुति के बराबर मानता है !
-जायफल को किसी भी अनुष्ठान को सफल बनाने के लिए अनिवार्य तत्व के रूप में प्रयोग किया जाता है !

-जायफल का ऑक्सीजन से ठसाठस भरा होना आश्चर्य में डालता है आज भी!
-क्योंकि जब इसको जलती अग्नि में समर्पित किया जाता है ; तो यह बड़ी रहस्यमयी धमक भरी हुंकार छोड़ता है !
-अगर सर से तीन बार उल्टा घुमाकर जलते कपूर पर रखो ;
तो छोटी मोटी नजर, प्रेतबाधा, काली हलचल आसानी से नीचे उतर आती है !

सर्दियों में गोंद खाने से शरीर मज़बूत और गर्म रहता है.....!गोंद से हड्डियां मजबूत होती हैं, और हार्ट से संबंधी बीमारियों...
21/11/2025

सर्दियों में गोंद खाने से शरीर मज़बूत और गर्म रहता है.....!
गोंद से हड्डियां मजबूत होती हैं, और हार्ट से संबंधी बीमारियों का खतरा कम होता है.
सर्दियों में डाइट में गोंद जरूर शामिल करना चाहिए.....,
गोंद खाने से शरीर को मिलते हैं कई फायदे....,

सर्दियों में इस तरह कीजिए गोंद का सेवन:-

सर्दियों में गोंद के लड्डू, पंजीरी और चिक्की लोग खूब खाते हैं. गोंद खाने में स्वादिष्ट होता है और इससे शरीर को कई फायदे मिलते हैं....!
बबूल का गोंद खाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है.
आयुर्वेद में कई दवाओं में गोंद का इस्तेमाल किया जाता है.
दवाओं की बाइंडिंग में भी गोंद मदद करता है.
पेड़ के तने जब रस निकलने लगता है, और ये सूख जाता है, तो गोंद बन जाता है.
सूखने पर ये भूरा रंग का और काफी कड़ा हो जाता है....!
आप जिस पेड़ का गोंद खाएंगे, उसके औषधीय गुण भी गोंद में आते हैं.
ठंड में गोंद का सेवन जरूर करना चाहिए.

कीकर या बबूल का गोंद:-
ज्यादातर लोग बबूल का गोंद ही इस्तेमाल करते हैं. ये बहुत पौष्टिक होता है. खाने में लड्डू और पंजीरी बनाने में बबूल का गोंद अच्छा होता है.

नीम का गोंद:-
अगर आप नीम के गोंद का सेवन करते हैं, तो इससे खून की गति बढ़ती है, और स्फूर्ति आती है. कई औषधियों में नीम के गोंद का इस्तेमाल किया जाता है.

पलाश का गोंद:-
हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए पलाश के गोंद का उपयोग किया जाता है. पलाश के 1 से 3 ग्राम गोंद को मिश्री वाले दूध या आंवले के रस के साथ खाने से बल और वीर्य की वृद्धि होती है.

गोंद खाने के फायदे:-

1. जो लोग सुबह गोंद और आटे से बने लड्डू खाकर दूध पीते हैं, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

2. गोंद से बनी चीजें खाने से हार्ट की बीमारियों का
खतरा कम होता है, और मांसपेशियां मजबूत बनती
हैं.

3. बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं को गोंद के लड्डू
खिलाए जाते हैं. इससे दूध ज्यादा बनता है.

4. गर्भवती महिलाओं के लिए गोंद फायदेमंद माना जाताहै, इससे रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है.

5. गोंद खाने से शरीर में ताकत आती है और सर्दियों में गर्माहट लाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है.

इस तरह कीजिए गोंद का सेवन:-

1. गोंद को आटे की पंजीरी में मिलाकर खा सकते
हैं. इसके लिए भुना आटा, मखाने, सूखे मेवे और
चीनी को भुने हुए गोंद के साथ मिक्स करके पंजीरी
बना लीजिए.

2. नारियल का पाउडर, सूखे खजूर, खसखस के दाने, बादाम और गोंद को घी में भूनकर लड्डू बना सकतेणहैं.

3. ठंड में गोंद से चिक्की भी बना सकते हैं. ये
चिक्की सर्दियों में काफी फायदेमंद होती है.

4. सर्दियों में गोंद के लड्डू खाने में बहुत टेस्टी लगते हैं,
आटे वाले लड्डू या किसी दूसरे लड्डू में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.

5. गोंद को देशी घी में भूनकर, फूला बनाकर उसमें गर्म पानी और पिसी हुई मिश्री मिलाकर पेजी बनाकर पीने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है.

6. गोंद भूनते वक्त इस बात का ध्यान रखें: कि
गोंद ज्यादा जले नहीं, और कच्चा भी न रहे. गोंद को
हमेशा गैस की आंच कम करके (Sim करके) ही भूनें....!

*पैरों के तलवों पर सरसों तेल की मालिश बहुत फायदेमंद है**सरसों के तेल का इस्तेमाल घरों में किया जाता है: खाना बनाने लिए, ...
11/11/2025

*पैरों के तलवों पर सरसों तेल की मालिश बहुत फायदेमंद है*
*सरसों के तेल का इस्तेमाल घरों में किया जाता है: खाना बनाने लिए, शरीर की मालिश करने के लिए। *सरसों का तेल सेहत के लिहाज से काफी फायदेमंद है....।

इस तेल में कई विटामिन, मिनरल्स और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो शरीर को फायदा पहुंचाते हैं। अगर सोने से इसे शरीर के कुछ हिस्सों पर लगाया जाए, तो गजब के फायदे मिलते हैं।
*पैरों के तलवों पर सरसों का तेल लगाने से कई समस्याएँ दूर होती हैं....,

शरीर के बाकी हिस्सों की मालिश के लिये दूसरे की मदद की जरूरत पड़ती है, किंतु पैरों की मालिश अपने आप ही कर सकते हैं।

पैरो के तलवों पर सरसों तेल मालिश के फायदे:

1. आंखों की रौशनी : रोज रात में सोने से पहले पैरों के तलवों पर सरसों का तेल लगाकर मालिश की जाए, तो आंखों की रोशनी तेज होती हैं। अगर नींद अच्छी नहीं आती, तो यह नुस्खा आजमाया हुआ है। साथ ही इससे शरीर स्वस्थ और मजबूत बना रहता है।
ब्लड सर्कुलेशन बेहतर करे: अर्थात खून का दौरा सुचारु करे : सारा दिन टाईट जूते और मोजे पहनने से पैरों के तलवों तक खून का दौरा सुचारु रूप से नही हो पाता है । इस अवरुद्ध हुये खून के दौरे को सुचारू करने के लिये पैरों की मालिश सर्वोत्तम उपाय है।
सोने से पहले 5-7 मिनट तक पैरों और तलवों की मालिश करने से पैरों के अंतिम हिस्से तक खून का दौरा सुचारू हो जाता है । यह मालिश उन लोगों के लिये विशेष रूप से लाभकारी है, जिनको मधुमेह रोग के कारण तलवों में सुन्नपन की समस्या पैदा होने लगी है।

2. वजन कम करे : शरीर में मोटापे की वजह जमा हो रही चर्बी है, जो कई बीमारियों का भी कारण है। रोज सोने से पहले 5 मिनट पैरों के तलवों का मालिश करने से शरीर में जमा चर्बी पिघलने लगती है। जिससे वजन कम होना शुरू हो जाता है।

3. अच्छी नींद लाये : दिनभर की भाग-दौड़ के बाद रात को दिमाग बहुत ज्यादा थकने लगता है, जिस कारण शांतिपूर्वक नही सो पाते हैं, और नींद रात को बार बार टूटती है। ऐसे लोग रात को सोने से पहले 5-7 मिनट तक पैरों पर मालिश करें, तो यह पैरों की बेचैनी को खत्म करके शांतिपूर्वक नींद आने में सहायक है।
तनाव और अधीरता को भगाये : लोग अधिकतर तनाव और अधीरता में रहते हैं । पैरों की मालिश तनाव और हड़बड़ी को घटाने में बहुत मदद करती है।

4. यह दिमाग को शांति पहुचाने के अलावा भी बहुत से लाभ करती है । मालिश करते समय तलवों पर अतिरिक्त दवाब देनें से नाड़ीतंत्र सही होता है ; और पूरे शरीर में आराम महसूस होता है, जिससे तनाव में बहुत लाभ होता है । दवाब हाथों से देने के अतिरिक्त एक्यूप्रेशर वाले फुटपैड, भी प्रयोग किये जा सकते हैं।

5. पैरों के दर्द से राहत : ठीक से की गयी मालिश पैरों और पैरों की माँशपेशियों को अच्छी तरह से आराम पहुँचाती है ; साथ साथ पैरों पर आयी हुयी सूजन भी मालिश से उतर जाती है ; जिससे पैरों के दर्द में बहुत आराम होता है। यदि मालिश करने से पहले पैरों को हल्के गुनगुने पानी से धो लिया जाये ; तो परिणाम और भी बेहतर होते हैं।

6. रक्तचाप कम करता है : दिन भर जूते पहने रहने से पैरों के अंतिम भाग तक खून सही से नही पहुँच पाता है ; अत: दिल ज्यादा जोर से पम्पिंग करके इस समस्या को दूर करने की कोशिश करता है ! जिससे बाकी शरीर में रक्त्चाप बढ़ने का खतरा रहता है। यदि रात को तलवों की मालिश की जाये, तो पैरों का रक्तदवाब सही रहता है और इस समस्या से बचा जा सकता है।

नोट : सिर्फ 30 दिनों में वजन बढ़ाने की आयुर्वेदिक औषधि:
एक बड़े बरतन में गुनगुना पानी भरिये और उसमें कोई भी तेल 5-6 बूँद ड़ालिये।

10 मिनट पैरों को इसमें डुबाकर बैठ जाइये और फिर एक सूती तौलिये से पैरों को दबा-दबा कर पोंछ लीजिये।

अब कुर्सी पर बैठकर एक पैर के तलवे को दूसरे पैर के घुटने पर रख लीजिए।

कोई भी उपलब्ध तेल: नारियल तेल, तिल तेल, सरसों तेल अथवा जैतून का तेल हल्का गर्म करके सीधे पैर की मालिश कीजिये। मालिश करते समय पैरों पर हल्का सा दवाब जरूर दीजिये।

पैरों के बाद तलवों और पैर की अंगुलियों की भी मालिश कीजिये।

अब पैरों की स्थिति बदलकर दूसरे पैर की भी इसी तरह मालिश कीजिये।

*एक पैर की सम्पूर्ण मालिश के लिये 5 मिनट पर्याप्त हैं।

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गिलोय प्रकृति का एक अमूल्य औषधीय उपहार हैं, इसे अमृता, गुडूची, मधुपर्णी आदि नामों से जानते हैं। आयुर्वेद के अनुसार गिलोय...
24/10/2025

गिलोय प्रकृति का एक अमूल्य औषधीय उपहार हैं, इसे अमृता, गुडूची, मधुपर्णी आदि नामों से जानते हैं। आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की बेल जिस पेड़ पर चढ़ती हैं, उसके गुणों को भी अपने अंदर सम्माहित कर लेती हैं, इसलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय की बेल को औषधि के लिहाज से सर्वोत्तम माना जाता हैं। इसे नीम गिलोय के नाम से जाना जाता हैं।

■ गिलोय के औषधीय फायदे:-
गिलोय डायबिटीज, कब्ज और पीलिया समेत कई गंभीर बीमारियों के इलाज में उपयोगी हैं। गिलोय के इन्हीं गुणों के कारण ही आयुर्वेद में इसका नाम अमृता रखा गया हैं, जिसका मतलब हैं कि यह औषधि बिल्कुल अमृत समान हैं। आयुर्वेद के अनुसार पाचन संबंधी रोगों के अलावा गिलोय सांस संबंधी रोगों जैसे कि अस्थमा और खांसी से भी आराम दिलाने में काफी फायदेमंद है।

1) इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक
गिलोय सत्व या गिलोय जूस का नियमित सेवन शरीर की इम्युनिटी पॉवर को बढ़ता हैं जिससे सर्दी-जुकाम समेत कई तरह की संक्रामक बीमारियों से बचाव होता हैं।

2) लीवर के लिए फायदेमंद
अधिक शराब का सेवन लीवर को कई तरीकों से नुकसान पहुंचाता हैं। ऐसे में गिलोय सत्व का सेवन लीवर के लिए टॉनिक की तरह काम करती हैं। यह खून को साफ करती हैं और एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम का स्तर बढ़ाती हैं। इस तरह यह लीवर के कार्यभार को कम करती हैं और लीवर को स्वस्थ रखती हैं।

3) डायबिटीज
विशेषज्ञों के अनुसार गिलोय हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट की तरह काम करती हैं और टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित रखने में असरदार भूमिका निभाती हैं। गिलोय जूस ब्लड शुगर के बढ़े स्तर को कम करती हैं, इन्सुलिन का स्राव बढ़ाती हैं और इन्सुलिन रेजिस्टेंस को कम करती हैं। इस तरह यह डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी औषधि हैं।

4) पीलिया
पीलिया के मरीजों को गिलोय के ताजे पत्तों का रस पिलाने से पीलिया जल्दी ठीक होता हैं। इसके अलावा गिलोय के सेवन से पीलिया में होने वाले बुखार और दर्द से भी आराम मिलता हैं।

5) एनीमिया
शरीर में खून की कमी होने से कई तरह के रोग होने लगते हैं, जिनमें एनीमिया सबसे प्रमुख हैं। आमतौर पर महिलायें एनीमिया से ज्यादा पीड़ित रहती हैं। एनीमिया से पीड़ित महिलाओं के लिए गिलोय का रस काफी फायदेमंद हैं।

6) गठिया
गिलोय में एंटी-आर्थराइटिक गुण होते हैं। इन्हीं गुणों के कारण गिलोय गठिया से आराम दिलाने में कारगर होती हैं। खासतौर पर जो लोग जोड़ों के दर्द से परेशान रहते हैं, उनके लिए गिलोय का सेवन करना काफी फायदेमंद रहता हैं।

7) अस्थमा
गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होने के कारण यह सांसों से संबंधित रोगों से आराम दिलाने में प्रभावशाली हैं। गिलोय कफ को नियंत्रित करती हैं और साथ ही साथ इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाती हैं, जिससे अस्थमा जैसे रोगों से बचाव होता हैं और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं।

8) अपच
अगर आप पाचन संबंधी समस्याओं जैसे कि कब्ज, एसिडिटी या अपच से परेशान रहते हैं तो गिलोय आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती हैं। गिलोय का काढ़ा, पेट की कई बीमारियों को दूर रखता हैं, इसलिए कब्ज़ और अपच से छुटकारा पाने के लिए गिलोय का रोजाना सेवन करें।

9) डेंगू
डेंगू से बचने के घरेलू उपाय के रुप में गिलोय का सेवन करना सबसे ज्यादा प्रचलित हैं। गिलोय में मौजूद एंटीपायरेटिक गुण बुखार को जल्दी ठीक करते हैं साथ ही यह इम्युनिटी बूस्टर की तरह काम करती हैं, जिससे डेंगू से जल्दी आराम मिलता हैं।

10) खांसी
अगर कई दिनों से आपकी खांसी ठीक नहीं हो रही हैं तो गिलोय का सेवन करना फायदेमंद हो सकता हैं। गिलोय में एंटीएलर्जिक गुण होने के कारण यह खांसी से जल्दी आराम दिलाती हैं। खांसी दूर करने के लिए गिलोय के काढ़े का सेवन करें।

■ गिलोय के नुकसान और सावधानियां:-
गिलोय के फायदे पढ़कर अगर आपको लगता होगा कि गिलोय से सिर्फ लाभ ही लाभ हैं, तो ऐसा नहीं है। अगर आप जरूरत से ज्यादा मात्रा में गिलोय का सेवन करते हैं तो आपको गिलोय के नुकसान भी झेलने पड़ सकते हैं। आइये जानते हैं कि गिलोय के नुकसान क्या हैं और किन-किन परिस्थितियों में गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए।

1) गिलोय के सेवन से शरीर की इम्युनिटी पॉवर मजबूत तो होती हैं लेकिन कई बार इम्युनिटी के अधिक सक्रिय होने की वजह से ऑटो इम्यून बीमारियों का खतरा बढ़ जाता हैं।

2) जो लोग पहले से ही निम्न रक्तचाप के मरीज हैं, उन्हें गिलोय के सेवन से परहेज करना चाहिए क्योंकि गिलोय भी ब्लड प्रेशर को कम करती हैं। इससे मरीज की स्थिति बिगड़ सकती हैं।

3) किसी सर्जरी से पहले भी गिलोय का सेवन किसी भी रूप में नहीं करना चाहिए क्योंकि यह ब्लड प्रेशर को कम करती हैं, जिससे सर्जरी के दौरान मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

4) गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी गिलोय से परहेज करने की सलाह दी जाती हैं। बिना डॉक्टर की सलाह लिए गर्भावस्था में गिलोय का सेवन न करें।

■ गिलोय का सेवन कैसे करें:-
आयुर्वेद के अनुसार, गिलोय का सेवन या तो पाउडर (गिलोय चूर्ण) के रूप में किया जा सकता हैं या फिर काढ़े या जूस (गिलोय स्वरस/सत्व) के रूप में किया जा सकता हैं। आजकल यह कैप्सूल और रेडीमेड पाउडर में भी उपलब्ध हैं।

एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि गिलोय जूस या गिलोय सत्व का हमेशा सीमित मात्रा में ही सेवन करें। हालांकि गिलोय के नुकसान बहुत ही कम लोगों में देखने को मिलते हैं लेकिन फिर भी अगर आपको किसी तरह की समस्या होती हैं तो तुरंत डॉक्टर को सूचित करें।

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साभार,

21/10/2025

*"गोखरू" (Gokhru / Gokshura),
के पत्तों और फल के स्वास्थ्य लाभ 🌿:-

"गोखरू",
एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसका वैज्ञानिक नाम Tribulus terrestris है।
यह शरीर की ताकत, यौन शक्ति और किडनी के स्वास्थ्य के लिए प्रसिद्ध है।
नीचे इसके प्रमुख स्वास्थ्य लाभ (Health Benefits) दिए गए हैं:-
👇

🌱 गोखरू के प्रमुख फायदे (Gokhru ke Fayde):-

💪 शारीरिक शक्ति बढ़ाता है:
गोखरू शरीर में ऊर्जा बढ़ाता है और थकान दूर करता है। जिम जाने वालों और खिलाड़ियों के लिए यह प्राकृतिक “एनर्जी बूस्टर” माना जाता है।

❤️ हृदय स्वास्थ्य में लाभकारी:
यह रक्त संचार को सुधारता है और ब्लड प्रेशर को संतुलित रखने में मदद करता है।

⚕️ किडनी की सफाई करता है:
गोखरू पेशाब साफ करने में मदद करता है और यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन (UTI), पथरी आदि में उपयोगी है।

🧠 तनाव और चिंता कम करता है:
यह तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और नींद में सुधार करता है।

🔥 पुरुषों की यौन शक्ति बढ़ाता है:
टेस्टोस्टेरोन हार्मोन को बढ़ाने में सहायक माना जाता है, जिससे वीर्य की गुणवत्ता और स्टैमिना दोनों में सुधार होता है।

💧 मूत्र संबंधी रोगों में राहत:
पेशाब में जलन, बार-बार पेशाब आना या सूजन जैसी समस्याओं में यह बहुत असरदार है।

🍃 महिलाओं के लिए लाभकारी:
हार्मोन संतुलित करने में मदद करता है, मासिक धर्म की अनियमितता और दर्द में राहत देता है।

🦴 जोड़ों के दर्द में आराम:
यह सूजनरोधी (anti-inflammatory) गुणों के कारण गठिया और जोड़ों के दर्द में राहत देता है।

⚠️ सावधानियाँ (Precautions):
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएँ बिना डॉक्टर की सलाह न लें।

अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से पेट दर्द या दस्त हो सकते हैं।

*इसे आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से ही लें।

कर्पूरवल्ली (Mexican Mint), जिसे कई जगह पर अजवायन के पत्ते, पान ओम या पत्थरचट्टा पत्ता के नाम से भी जाना जाता है, एक बेह...
20/10/2025

कर्पूरवल्ली (Mexican Mint), जिसे कई जगह पर अजवायन के पत्ते, पान ओम या पत्थरचट्टा पत्ता के नाम से भी जाना जाता है, एक बेहद उपयोगी और औषधीय पौधा है। यह पौधा न सिर्फ घर की सुंदरता बढ़ाता है, बल्कि सेहत के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। आइए विस्तार से जानते हैं इसके फायदे, उपयोग और इसे उगाने का तरीका — 🌿

🌱 कर्पूरवल्ली (Mexican Mint) के औषधीय गुण
1. गैस और अपच में राहत:
कर्पूरवल्ली के पत्तों में मौजूद प्राकृतिक तेल पाचन को बेहतर बनाते हैं। अगर पेट में गैस या अपच की समस्या हो तो इसके 2–3 ताजे पत्ते चबाने से तुरंत राहत मिलती है।
2. एसिडिटी और पेट दर्द में लाभदायक:
इसके पत्तों में एंटी-एसिड गुण होते हैं जो पेट में जलन, भारीपन या एसिडिटी को कम करते हैं। गर्म पानी में इसके पत्ते डालकर काढ़ा बनाकर पीने से फायदा होता है।
3. सर्दी-जुकाम और खांसी में असरदार:
कर्पूरवल्ली में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं। इसकी पत्तियों का रस या भाप लेने से खांसी-जुकाम और गले की खराश में आराम मिलता है।
4. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए:
इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं और संक्रमणों से बचाव करते हैं।
5. त्वचा के लिए उपयोगी:
इसके रस को त्वचा पर लगाने से दाने, फोड़े-फुंसी या कीड़े के काटने से हुई जलन में राहत मिलती है।
6. सुगंधित और शांत करने वाला पौधा:
इसके पत्तों से हल्की खुशबू आती है जो वातावरण को ताज़गी और शांति देती है।

🌿 घर में कर्पूरवल्ली कैसे लगाएं
1. गमले का चुनाव:
कोई भी मध्यम आकार का मिट्टी या प्लास्टिक का गमला ले सकते हैं, जिसमें पानी की निकासी के लिए छेद हो।
2. मिट्टी की तैयारी:
सामान्य बगीचे की मिट्टी में थोड़ा गोबर खाद या कम्पोस्ट मिलाएं। यह पौधा ज्यादा उपजाऊ मिट्टी की जरूरत नहीं रखता।
3. कटिंग से पौधा लगाना:
कर्पूरवल्ली को बीज से या इसकी डंडी की कटिंग से आसानी से उगाया जा सकता है। डंडी की 4–5 इंच लंबी कटिंग लेकर सीधे मिट्टी में लगा दें।
4. पानी देना:
इसे ज़्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। जब मिट्टी सूखी लगे तभी पानी दें।
5. धूप और देखभाल:
यह पौधा आंशिक धूप में अच्छा बढ़ता है। बहुत ज्यादा तेज धूप या पानी से बचाएं।

💚 निष्कर्ष

कर्पूरवल्ली का पौधा घर के हर्ब गार्डन के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। यह आयुर्वेदिक औषधि, प्राकृतिक एंटीबायोटिक, और सुगंधित पौधा — तीनों का काम करता है। इसे नियमित देखभाल के साथ गमले में आसानी से उगाया जा सकता है, और यह पूरे साल हरा-भरा रहता है।

18/10/2025

हम सब कालरा साहब हैं....!
——————————
मेरे एक मित्र थे, कालरा साहब।
पुरानी बात है।
वे एक नामी सरकारी कंपनी में काम करते थे।

एक रात उन्हें सीने में दर्द हुआ।
भाग कर दिल्ली के एक बहुत प्रतिष्ठित अस्पताल पहुंचे।
डॉक्टरों ने देखा,
टेस्ट हुए और फैसला सुना दिया,
“हार्ट अटैक हुआ है। बाईपास सर्जरी करनी पड़ेगी।
तुरंत।”

घबराए हुए कालरा साहब ने मुझे फोन किया।
“संजय सिन्हा जी, डॉक्टर ने भर्ती कर लिया है। बाईपास होगा।”

मैं डॉक्टर नहीं था,
लेकिन मैंने कहा,
“कालरा साहब, आज घर आइए। कल देखेंगे।”

अस्पताल ने बहुत रोका।
डराया।
लिखवा लिया कि
“अगर कुछ हो गया तो जिम्मेदारी मरीज की।”
कालरा साहब मेरी बात मानकर घर आ गए।

अगले दिन मैंने कहा,
“अब उसी अस्पताल दुबारा जाइए, लेकिन ये मत बताइगा कि आपका हेल्थ इंश्योरेंस है। बस आम मरीज की तरह रूटीन जांच कराइएगा"।

कालरा साहब गए।
वही अस्पताल।
लेकिन इस बार बिना इंश्योरेंस,
बिना अफसरी रुतबा के.....।

नतीजा?
डॉक्टर ने रिपोर्ट देखी,
और मुस्कुराए,
“कुछ नहीं हुआ है। आप बिल्कुल ठीक हैं। घर जाइए"।

कालरा साहब अब इस दुनिया में नहीं हैं।
पर उन्हें फिर कभी हार्ट की शिकायत नहीं हुई।
दो दशक से अधिक बीत गए।
वो आराम से जीते रहे.....।

वे गए, उम्र पूरी करके, किसी दूसरी बीमारी से....,
हार्ट संबंधित नहीं....।

अब सवाल उठेगा,
मैं ये कहानी आज क्यों सुना रहा हूँ,
जबकि पहले सुना चुका हूँ ?

वादी हाई कोर्ट में खुद खड़ा था।
अपने केस में In Person.

उसने मेंशन मेमो (Mention Memo) दिया।
स्टे वाली सुनवाई दिसंबर की तारीख पर पड़ी थी,
उसे जल्दी कराने की अर्जी थी....।

जज साहब ने देखा,
तीन सेकंड में कहा,
“ये फिक्स्ड डेट है। फिक्स्‍ड डेट में मेंशन मेमो का कोई मतलब नहीं"।

उसने कहा, “सर, फिक्स्ड डेट तो नहीं है"।
जज साहब ने कुछ नहीं सुना,
आवेदन लौटा दिया गया....।

उसने भी कुछ नहीं कहा।
सिर झुकाया, अभिवादन किया, लौट आया।

मैं देख रहा था,
दरवाजे के बाहर कालरा साहब खड़े थे।
कहने लगे,
“संजय जी, इनसे कहिए कल वकील को भेजें। जज लोग सिर्फ चेहरा देखते हैं"।”

एक दिन बाद वकील साहब गए।
काला कोट, गाउन, नेकबैंड पहने हुए।
वही मेंशन मेमो।
तारीख बदल गई....।

कहानी खत्म।

या शायद शुरू यहीं से होती है......,

हम सब कालरा साहब हैं।
ये संसार एक दिल का अस्पताल है....,
आप मरीज हैं। आप स्वस्थ हैं।
निर्भर इस पर नहीं करता, कि सच क्या है?
"बीमारी, तारीख, डॉक्टर, जज, हर आदमी नियम समझता है"।

-हर नियम का पालन होता है।
और "हर नियम की काट भी यहीं है....."।
किसी बात में गलती नहीं।
जज चाहें, तो उसी पल सुन लें।
जज चाहें तारीख पर तारीख देते रहें.....।

आप न्याय की उम्मीद से हैं,
तो बेहतर है आप उम्मीद से रहें…!

दिल का दौरा पड़े न पड़े,
बाई पास सर्जरी से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.....।

बिना कैंसर हुए, कीमो थेरेपी से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.....।

नोट:
लड़िए। अंत तक लड़िए।
हारने के लिए लड़िए, लेकिन झुकिए मत....।

आदमी टूट कर जीवित रहता है,
झुक कर मर जाता है।

साभार,

12/10/2025

बुजुर्गों में कब्ज़ एक आम शिकायत है। यह समस्या चालीस के बाद पकड़ने लगती है। तब कोई ना कोई चूरन या गोली लेने से आराम मिल जाता है, फिर उसकी डोज़ डबल, फिर उससे ज़्यादा होते-होते एक समय ऐसा आता है जब कुछ काम नहीं करता। लेकिन आयुर्वेद की दृष्टि में यह केवल पेट की नहीं, पूरे जीवन की गति के ठहर जाने की कहानी है। कई इसके कारण अवसाद में चले जाते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि कभी भी जाना पड़ सकता है। इस डर से वे मिलना-जुलना तक सीमित कर देते हैं।
यहीं से एक दुष्चक्र की शुरुआत हो जाती है, फिर यह समझाना मुश्किल हो जाता है कि रोग आंत में है या मन में।

आयुर्वेद में कहा गया हैं, “वायुस्तु वृद्धे प्रशस्यते”, यानी वृद्धावस्था में वात दोष स्वाभाविक रूप से बढ़ता है।
जब शरीर की धातुएँ क्षीण होने लगती हैं, रस का पोषण घट जाता है और अग्नि मंद होती है, तब वही वात जो पहले शरीर को गतिमान रखता था अब रोध उत्पन्न करता है।
वही वात जब कोलन में स्थिर होता है, तब मल का गमन कठिन हो जाता है। यही वातज मलबद्धता है।

ऐसे ही जब मांस और स्नायु शिथिल होते हैं तो शरीर की गति और लचक कम हो जाती है और तब वात का अतिक्रमण होकर अवरोध उत्पन्न करता है।
वृद्धावस्था में यह रुकावट केवल पेट की नहीं होती, यह शरीर, इंद्रियों और मन सभी में फैल जाती है।

इसके चिकित्सा में आचार्य वाग्भट बताते हैं कि वृद्धजन के लिए सबसे बड़ी चिकित्सा स्नेहन और बस्ति है।
आयुर्वेद कहता है, “स्नेहाद् बन्धः शरीरस्य।”
शरीर स्नेह से बंधा है, और जब स्नेह सूखता है तो वात बढ़ता है।
शरीर में सूखापन और मन में अकेलापन, यही वृद्धावस्था की कब्ज़ की सबसे गहरी जड़ है।

क्योंकि यह अवरोध केवल आँतों में नहीं, भावनाओं में भी होता है।
जब मन सिकुड़ता है, जब संवाद घटता है, जब जीवन में कुछ नया घटता नहीं, तब भीतर की अग्नि मंद होने लगती है।
आयुर्वेद कहता है, “अग्निः सर्वद्रव्याणां जीवनम्।” अग्नि ही जीवन है।
जब अग्नि ही मंद हो जाए तो न आहार पचता है, न अनुभव।

वृद्धों में कब्ज़ केवल पाचन की गड़बड़ी नहीं होती, बल्कि वात और अग्नि के असंतुलन के साथ-साथ भावनात्मक शुष्कता का भी परिणाम होती है।
उपचार की शुरुआत केवल रेचक द्रव्यों से नहीं, बल्कि शरीर की स्निग्धता और मन की शांति को लौटाने से करनी चाहिए।
जब तक वात का शमन और मन का पुनर्जीवन नहीं होता, तब तक राहत स्थायी नहीं होती।
इसलिए वृद्धावस्था की कब्ज़ में औषधि से अधिक ज़रूरी है स्नेह, संवाद और जीवन में गति लौटाना।
नियमित अभ्यंग, पर्याप्त नींद और स्निग्ध आहार लेना ठीक रहता है।

अब तो आधुनिक चिकित्सा भी आंत और मन के बीच के सीधे संबंध को मानती है।
आंतों की गतिशीलता और मानसिक स्थिरता एक-दूसरे के साथ चलती हैं।
जिस व्यक्ति के मन में संवाद नहीं, उसके शरीर में भी गति नहीं रहती।

अब सवाल यह है कि करें तो करें क्या।
सबसे ज़रूरी बात यह है कि इस समस्या की शुरुआत में ही इसे ख़त्म करने का प्रयास करें, न कि किसी चूर्ण, पीली गोली या किसी सिरप के आदि बनें।
धीरे-धीरे असर करने वाले आयुर्वेदिक द्रव्यों को भी लंबे समय तक बिना परामर्श के न लें।
सुबह खाली पेट गुनगुना पानी या त्रिफला फांटा जल लें।
रात में घृत या एरंड तेल अग्नि की स्थिति के अनुसार लें।
भोजन में घृत, मूंग, लौकी, किशमिश, पका केला और द्राक्षा जैसे स्निग्ध पदार्थ शामिल करें।
प्रतिदिन यदि संभव हो तो तिल तेल से अभ्यंग करें, विशेषकर पैरों, उदर और कमर पर।
वादी चीज़ों को खाने से बचें, वादी विचार भी न सुनें, मतलब जो विचार आपकी मानसिक शांति को भंग करें उन्हें सुने ही न।
मेरे बाबा कहा करते थे, “बुजुर्ग व्यक्ति को कम सुनाई और कम दिखाई देना चाहिए, ख़ुश रहेगा। सब सुन-देख कर छटपटाहट ही मिलेगी।”
दिन में हल्की सैर, प्राणायाम, संगीत या प्रार्थना करें।
और सबसे आवश्यक, किसी न किसी से मन की बात करते रहें।

वृद्ध का उपचार औषधि से नहीं, स्नेह से शुरू होता है।
कब्ज़ को केवल आंतों का रोग मत समझिए,
यह अक्सर उस शांति और स्नेह के सूख जाने का लक्षण होती है,
जो कभी जीवन को भीतर से प्रवाहित करती थी।
वृद्ध की चिकित्सा तभी पूरी होती है जब उसकी देह के साथ उसका मन भी फिर से चलने लगता है।

एक बात और ख़ुद दवा का चुनाव न करें, क्युकी आप केवल मल निकालने पर ही फोकस कर पाएंगे, एक बात और उम्र के साथ कुछ दिक्कते रहेंगी उसको स्वीकार कर लीजिए,देखिए दिक्कत को इस धरती के सबसे मजबूत व्यक्ति ट्रम्प को भी है,उन्हें भी डायपर पहनना पड़ता है ।
इसलिए,एक बार किसी जानकार से मिलें जो आपके दोषों का उपचार करे, न कि केवल मल को बाहर निकालने का प्रयास करे।

#शतभिषा

 #छोटी_दूधी....,पहली बार बचपन में इसका नाम सुना था,, जब मौसी को स्तनों में दूध नहीं उतर रहा था ;तब एक वैद्य ने कहा था कि...
07/10/2025

#छोटी_दूधी....,
पहली बार बचपन में इसका नाम सुना था,,
जब मौसी को स्तनों में दूध नहीं उतर रहा था ;
तब एक वैद्य ने कहा था कि #धागे_वाली_मिश्री और #छोटी_दूधी दोनों को #खरल में कूट लो,,
फिर दूध में मिलाकर स्त्री को पिला दो...!
स्तनों में खूब दूध उतरता है शिशु के लिए....!

खैर अपना विषय अलग है।

अगर आपको भोजन करते ही #शौच के लिए जाना पड़ता है....पेट में #मरोड़ से उठते हैं,, दिन में चार पांच बार टॉयलेट जाना पड़ता हो,, हल्के फुल्के दस्त जैसे लगे हों,, #संग्रहणी जैसा रोग हो।
छोटी दूधी #मुट्ठीभर लेकर धो लें स्वच्छ जल से....और फिर अच्छे से चबा चबाकर खा लें....पहले दिन, पहली बार खाते ही ग़जब का आराम मिलता है....पांच सात दिन प्रतिदिन दिन में एक बार किसी भी समय ले लें।

#लीवर को खासकर #संग्रहणी से कमजोर हुए लीवर को.... #पैरासिटामोल से कमजोर हुए लीवर को नया जीवन देने की अद्भुत शक्ति है इस दिव्य औषधि में....नाम बेशक छोटी दूधी है.....काम बड़ा करती है।

कैसी भी #बवासीर हो खूनी बवासीर या बादी बवासीर, मस्सा का दर्द भी हो तो एक मुट्ठी छोटी दूधी को पीसकर गाय के आधा गिलास मट्ठे के साथ सुबह शाम खाली पेट लेने से 3 से 4 दिन में बहुत आराम मिलता है,1 से 2 महीना पीने पर 2 से 3 साल दोबारा परेशानी नही आती है।

#पेचिश में काम आती है.... इसका पेस्ट बनकर पिलाने से आराम होता है.....

#डायबिटीज के रोगी मरीज हों और इन्सुलिन का प्रयोग कर रहे हों उनके लिए छोटी दूधी बहुत ही कारगर इलाज है....।
छोटी दुधी को जड़ सहित उखाड़़कर छाया में सूखा लें। सूखने पर इसका पाउडर बनाकर 3 से 5 ग्राम की मात्रा में सादे पानी के साथ दिन में दो बार इस्तेमाल करने से डायबिटीज में बहुत लाभ होता है।

#पीलिया होने पर सुबह खाली पेट छोटी दूधी को सिलबट्टे पर पीसकर पिलाएं 7 दिन में पीलिया जड़ से खत्म हो जाएगा।

#नोट - यह औषधि पूरी तरह से निर्दोष (हानिरहित) है फिर भी जड़ी-बूटी का प्रयोग करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक या वैद्य से परामर्श लेकर ही सेवन करें. ..।

साभार,

15/09/2025

#डायबिटीज और #हाइपरटेंशन है?
यानी दातून करना बिल्कुल भूल चुके हो... !

तो तुरंत फिर से शुरू कीजिए......,

-पहले कितने लोगों को डायबिटीज़ होता था?
कितने लोग हाइपरटेंशन से त्रस्त थे?
नब्बे के दशक के साथ, हर घर में एक डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर का रोगी आ गया !
क्यों....?
बहुत सारी वजहें होंगी,
जिनमें हमारे खानपान में बदलाव को सबसे अहम माना जा सकता है।
बदलाव के उस दौर में एक चीज जो बहुत ख़ास थी, जो खो गयी,
पता है क्या है वो?
दातुन...,
गाँव देहात में आज भी लोग दातुन इस्तमाल करते दिख जाएंगे ;
लेकिन शहरों में दातुन पिछड़ेपन का संकेत बन चुका है।
गाँव देहात में डायबिटीज़ और हाइपरटेंशन के रोगी यदा कदा ही दिखेंगे या ना के बराबर होंगे।
वजह साफ है,
ज्यादातर लोग आज भी दातुन करते हैं।

डायबिटीज़ और हाइ ब्लड प्रेशर के साथ दातुन का क्या संबंध ?
यही सोच रहे हो ना... ?
तो आज आपका दिमाग हिल जाएगा...,
और फिर सोचिएगा,
हमने क्या खोया?
क्या पाया?

ये जो बाज़ार में टूथपेस्ट और माउथवॉश आ रहे हैं ना, 99.9% सूक्ष्मजीवों का नाश करने का दावा करने वाले, उन्हीं ने सारा बंटाधार कर दिया है।
ये माउथवॉश और टूथपेस्ट बेहद स्ट्राँग एंटीमाइक्रोबियल होते हैं ;
और हमारे मुंह के 99% से ज्यदा सूक्ष्मजीवों को वाकई मार गिराते हैं।
इनकी मारक क्षमता इतनी जबर्दस्त होती है ;
कि ये मुंह के उन बैक्टिरिया का भी खात्मा कर देते हैं, जो हमारी लार (सलाइवा) में होते हैं !
और ये वही बैक्टिरिया हैं ;
जो हमारे शरीर के नाइट्रेट (NO3-) को नाइट्राइट (NO2-) और बाद में नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) में बदलने में मदद करते हैं।
जैसे ही हमारे शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड की कमी होती है, ब्लड प्रेशर बढ़ता है।
ये मैं नहीं कह रहा,
दुनियाभर की रिसर्च स्ट्डीज़ बताती हैं,
कि नाइट्रिक ऑक्साइड का कम होना,
ब्लड प्रेशर को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है।

जर्नल ऑफ क्लिनिकल हायपरेटेंस (2004) में 'नाइट्रिक ऑक्साइड इन हाइपरटेंशन'
टाइटल के साथ छपे,
एक रिव्यु आर्टिकल में सारी जानकारी विस्तार से छपी है।
और,
नाइट्रिक ऑक्साइड की यही कमी,
इंसुलिन रेसिस्टेंस के लिए भी जिम्मेदार है।

समझ आया खेल?
नाइट्रिक ऑक्साइड कैसे बढ़ेगा ?
जब इसे बनाने वाले बैक्टिरिया का ही काम तमाम कर दिया जा रहा है?
ब्रिटिश डेंटल जर्नल में 2018 में तो बाकायदा एक स्टडी छपी थी ;
जिसका टाइटल ही
"माउथवॉश यूज़, और रिस्क ऑफ डायबिटीज़" था।

इस स्टडी में बाकायदा तीन साल तक उन लोगों पर अध्धयन किया गया ;
जो दिन में कम से कम 2 बार माउथवॉश का इस्तमाल करते थे ;
और पाया गया,
कि 50% से ज्यादा लोगों को प्री-डायबिटिक या डायबिटीज़ की कंडिशन का सामना करना पड़ा।

अब बताओ करना क्या है?
कितना माउथवॉश यूज़ करेंगे?
कितने टूथपेस्ट लाएंगे,
सूक्ष्मजीवों को मार गिराने वाले?
दांतों की फिक्र करने के चक्कर में,
आपके पूरे शरीर की बैंड बज रही है सरकार...!

गाँव देहातों में तो दातून का भरपूर इस्तेमाल हो रहा है,
और ये दातून मुंह की दुर्गंध भी दूर कर देते हैं ;
और सारे बैक्टिरिया का खात्मा भी नहीं करते।

हमारे पातालकोट में तो आदिवासी टूथपेस्ट, टूथब्रश क्या होते हैं ?
जानते तक नहीं।
अब आप सोचेंगे कि मैंने टूथपेस्ट और माउथवॉश को लेकर इतनी पंचायत कर ली ;
तो दातुन के प्रभाव को लेकर किसी क्लिनिकल स्टडी की बात क्यों नही की?
तो भई,
अब दातून से जुड़ी स्टडी की भी बात हो जाए।
बबूल और नीम की दातून को लेकर एक क्लिनिकल स्टडी,
"जर्नल ऑफ क्लिनिकल डायग्नोसिस एंड रिसर्च"
में छपी ;
और बताया गया,
कि स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटेंस की वृद्धि रोकने में ये दोनों जबर्दस्त तरीके से कारगर हैं।
ये वही बैक्टिरिया हैं,
जो दांतों को सड़ाता है,
और कैविटी का कारण भी बनता है।
वो सूक्ष्मजीव,
जो नाइट्रिक ऑक्साइड बनाते हैं :
जैसे एक्टिनोमायसिटीज़, निसेरिया, शालिया, वीलोनेला आदि ;;
दातून के शिकार नहीं होते ;
क्योंकि इनमें वो हार्ड केमिकल कंपाउंड नहीं होते ;
जो माउथवॉश और टूथपेस्ट में डाले जाते हैं।

फटाफट इस जानकारी को शेयर करें,
और गंगा नहा लें।

चलते चलते एक बात और बता दूँ,
आदिवासी दांतों पर दातून घुमाने के बाद एकाध बार थूकते है,
बाद में दांतों पर दातून की घिसाई तो करते हैं ;
और लार को निगलते जाते हैं?
लिंक समझ आया?
लार में ही तो असल खेल है।
ये हिंदुस्तान का ठेठ देसी ज्ञान है बाबू।

ज्यादा पंचायत नहीं करुंगा,
मुद्दे की बात ये है कि वापसी करो,
थोड़ा भटको, और चले आओ वापस दातुन की तरफ...!

कसम से।

"बासी पानी जे पिये, ते नित हर्रा खाय।
मोटी दतुअन जे करे, ते घर बैद्य न जाय"।।

साभार,
दीपक आचार्य,

👌👏🙏💐🪴

13/09/2025

"विज्ञान इतनी तरक्की कर गया...,

फिर भी इंसान बीमार क्यों ??
कभी सोचा है..??

-हर घर में कोई न कोई गोली खा रहा है,
हर गली में एक मेडिकल स्टोर खुला है,
हर महीने हेल्थ चेकअप की लाइन लंबी हो रही है.....!

बीमारी नहीं बढ़ी,
हमारे खाने की "शुद्धता" खत्म हो गई है....!

6 महीने में चमत्कार चाहिए...?

बस इन चीज़ों में सुधार कीजिए....,
(ये बहुत छोटी लगती हैं, पर सेहत की जड़ यहीं है....)

नमक
आयोडीन वाला सफेद नमक हटाओ.
घर का पपसा सेंधा नमक (Rock Salt) अपनाओ,
नमक सिर्फ स्वाद नहीं, संपूर्ण सेहत का मामला है....!
गुड़
सिर्फ डार्क, चॉकलेटी रंग का शुद्ध गुड़ खाओ....,
सफेद चमकदार गुड़ = मिलावटी ज़हर है, तुरंत हटाएं,
तेल
Refined तेल ( कोई भी हो) को उपयोग नहीं करना चाहिए!
घानी कुटा तेल (सरसों, तिल, मूंगफली) अपनाओ....,
तेल शुद्ध होगा, तो खून भी शुद्ध रहेगा....!
घी
असली घी = देसी गाय के दूध के दही से छाछ बनाकर देशी तरीके से निकाला हुआ घी ही सर्वोत्तम होता है !
दूध
देसी गाय का दूध ही उपयोग कीजिए,
वर्ना नहीं, अन्य सब धीमा जहर हैं !
आटा
मोटा पिसा, चोकर युक्त आटा प्रयोग कीजिए,
मैदा, बिस्किट, ब्रेड इत्यादि भी धीमें जहर हैं !
पानी
फ्रिज का ठंडा पानी = पाचन का दुश्मन,
मटके का या हल्का गुनगुना पानी इस्तेमाल कीजिए...!
शक्कर
सफेद चीनी = मीठा ज़हर,
गुड़ या पीली देसी शक्कर (बड़े टुकड़ों वाली) अपनाओ.

अब आप कहेंगे:
“इतना सब कौन करेगा ?”

जो लोग आज गोलियों पर जिंदा हैं,
वो भी कभी यही सोचते थे और आज डाक्टर और हॉस्पिटल के चक्कर काट रहे हैं.....!

थोड़ा बदलाव = जिंदगीभर की राहत,

"शुद्ध खाओ, शुद्ध खिलाओ" ;
– "शरीर ही असली मंदिर है" !

"इसकी प्राकृतिक रूप से रक्षा करने से ईश्वर प्रसन्न रहते हैं और जीवन निरोगी रहता है"!

*लिवर और किडनी को दें नई ज़िंदगी ;– आयुर्वेद का चमत्कारी पौधा “पुनर्नवा” ✨🌿👨‍⚕️आजकल लिवर की बीमारियाँ तेज़ी से बढ़ रही ह...
12/09/2025

*लिवर और किडनी को दें नई ज़िंदगी ;

– आयुर्वेद का चमत्कारी पौधा

“पुनर्नवा” ✨🌿

👨‍⚕️आजकल लिवर की बीमारियाँ तेज़ी से बढ़ रही हैं, और इसका सबसे बड़ा शिकार हैं पुरुष।
शराब और फैटी लिवर का कॉम्बिनेशन,
तो “करेला और नीम चढ़ा”
जैसी कहावत को सच कर देता है।
-अगर लंबा और स्वस्थ जीवन जीना है ;
तो सबसे पहले लिवर का ख्याल रखें,
क्योंकि यही अंग आपकी सेहत की सबसे बड़ी ढाल है।

🚫 इन चीज़ों से करें परहेज़:-
रिफाइंड तेल, तला-भुना खाना, फास्ट फूड, स्ट्रीट फूड, कोल्ड ड्रिंक, मिठाई, देर रात तक जागना और शराब।

---🌿 पुनर्नवा ;
– "शरीर को नया जीवन देने वाली" जड़ी-बूटी:
आयुर्वेद की यह अद्भुत औषधि न सिर्फ़ लिवर और किडनी को बचाती है, बल्कि कई गंभीर रोगों का इलाज भी करती है।
-इसके नाम का मतलब है “फिर से नया करने वाली” –यानी यह आपके शरीर को अंदर से रीसेट कर देती है।

💡 क्या आप जानते हैं?
🔹 प्राचीन काल में पुनर्नवा को अमृत समान माना जाता था।
🔹 इसकी जड़ों और पत्तियों से बनी दवाइयाँ,
कैंसर तक में असर दिखाती हैं।
🔹 गाँवों में लोग इसका स्वादिष्ट साग बनाकर खाते हैं।

---🔥 पुनर्नवा के जबरदस्त फायदे:-
1️⃣ सूजन खत्म करे:
शरीर के अंदर-बाहर की किसी भी सूजन को कम करने में माहिर।
2️⃣ किडनी को मजबूत बनाए:
पेशाब में जलन, पथरी, सूजन – सबका समाधान।
3️⃣ लिवर डिटॉक्स:
हेपेटाइटिस, पीलिया और लिवर की गंदगी को साफ करे।
4️⃣ मूत्र संबंधी समस्याएं दूर करे।
5️⃣ मधुमेह नियंत्रित करे:
ब्लड शुगर लेवल को प्राकृतिक रूप से कंट्रोल करता है।
6️⃣ दिल का रखवाला:
ब्लड प्रेशर कंट्रोल में मददगार।
7️⃣ त्वचा की चमक बढ़ाए:
एक्जिमा, दाग-धब्बों में असरदार।
8️⃣ पाचनतंत्र दुरुस्त करे:
कब्ज, गैस, अपच को करे दूर।
9️⃣ वजन घटाने में कारगर।
🔟 प्रोस्टेट की समस्या को कम करे।
1️⃣1️⃣ एसिडिटी व पेट दर्द दूर करे।
1️⃣2️⃣ हार्मोनल बैलेंस बनाए रखे।
1️⃣3️⃣ कैंसर रोधी गुण:
कैंसर सेल्स की बढ़त को रोकता है।

🍵 कैसे लें पुनर्नवा?

✅ ताज़ा पत्तियों का रस या सब्ज़ी बनाकर खाएं।
✅ इसकी जड़ का पाउडर (5 ग्राम) या सिरप का सेवन करें।
✅ काढ़ा बनाकर नियमित पिएं।

⚠️ सावधानी:
गर्भवती महिलाएं डॉक्टर की सलाह के बिना इसका सेवन न करें,🌱
संक्षेप में:
पुनर्नवा सिर्फ़ एक जड़ी-बूटी नहीं,
बल्कि शरीर को भीतर से नया बनाने का प्राकृतिक उपाय है।
अगर आप प्राकृतिक और साइड-इफ़ेक्ट-फ़्री इलाज चाहते हैं,
तो यह पौधा आपकी ज़िंदगी बदल सकता है।
✨ प्रकृति के इस उपहार को अपनाएँ,
और खुद को रखें हमेशा स्वस्थ और ऊर्जावान! ✨

📌 यह जानकारी आयुर्वेद पर आधारित है......,

जया पटेल,

साभार,

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405/406; Indrapuri Colony; Near Saraswati School;
Indore
452014

Telephone

9302103624

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