06/01/2024
!ध्यान तत्व विमर्श!
स्थूल भौतिक शरीर का आवरण ज्ञान और विज्ञान के साधन प्रदान करता है। इसका आशय यह है कि सर्वाधिक अज्ञानता के कारक तत्व स्थूल भौतिक जगत में विद्यमान है। इस प्रकार जैविक संसार ज्ञान और अज्ञान से मिश्रित है। ध्यान ज्ञान का ही पर्याय है। जैसे-जैसे भौतिक शरीर के ज्ञान में वृद्धि होती है क्रिया योग पूर्वक शारीरिक प्रवृत्तियों का ज्ञान प्राणिक शक्ति में वृद्धि करता है। परिणाम स्वरूप जीव का अज्ञानता पर अधिकार बढ़ जाता है और ज्ञान का उदय होता है। अतः ध्यान से निर्मित एकाग्रता, जड़ से चेतन की दिशा में प्रगति का पर्याय है।
सादर आभार एवं अभिनंदन!
डॉ. देवेंद्र जाटव
योग विशेषज्ञ
महाकौशल विश्वविद्यालय जबलपुर मध्य प्रदेश
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