Jaipur YOGA School India

Jaipur YOGA School India jaipur yoga school part of SanjeevaniJaipurUnik destination for learning pure traditional Indian Yog

19/01/2025
04/01/2025

Hare Krishna
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09/11/2024

#इमली तेरी अजब कहानी
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#इमली (अंग्रेजी:Tamarind) पादप कुल फैबेसी का एक वृक्ष है। इसके फल लाल से भूरे रंग के होते हैं, तथा स्वाद में बहुत खट्टे होते हैं।

#इमली का नाम आते ही मुंह में पानी आ जाता है प्रकृति में बहुत कुछ अद्भुत एवं अकल्पनीय है । कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, पोटैशियम, फाइबर और मैंगनीज जैसे तत्वों से भरपूर इमली का खट्टा-मीठा स्वाद कई बार मूड को भी ठीक कर देता है।

#पानीपूरी
इसका सबसे अधिक इस्तेमाल पानीपूरी के पानी और चटनी बनाने में किया जाता है। यह खाने में स्वाद तो बढ़ाती है साथ ही सेहत के लिए गुणकारी भी है।

दक्षिण भारत में दालों में रोजाना कुछ खट्टा डाला जाता है, ताकि वह सुपाच्य हो जाए। विशेषकर आंध्र प्रदेश वासी इमली का भोजन में बेइंतहा इस्तेमाल करते थे, पर 400 वर्ष पूर्व जब #पुर्तग़ालियों ने भारत में प्रवेश किया तब वे अपने साथ टमाटर भी लाए, अतः धीरे-धीरे इमली की जगह #टमाटर का इस्तेमाल होने लगा। तब से टमाटर का इस्तेमाल चल ही रहा है, लेकिन कुछ समय से इस संबंध में नई व चौंकाने वाली जानकारियाँ मिल रही हैं।

#इमली_तेरी_अजब_गजब_कहानी
एक बार आंध्रप्रदेश का एक पूरा गाँव #फ्लोरोसिस की चपेट में आ गया। इस रोग में फ्लोराइड की अधिक मात्रा हड्डियों में प्रवेश कर जाती है, जिससे हड्डियाँ टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि वहाँ पीने के पानी में फ्लोराइड अधिक मात्रा में मौजूद है, अतः यह रोग फैला। पहले इमली इस #फ्लोराइड से क्रिया कर शरीर में इसका अवशोषण रोक देती थी, लेकिन टमाटर में यह गुण नहीं था, अतः यह रोग उभरकर आया। तब पता चला कि इमली के क्या फायदे हैं।

सेहत के लिए गुणकारी
#गर्मियों में ताजगी दायक पेय
इमली को पानी में कुछ देर के लिए भिगोएँ व मसलकर इसका पानी छान लें। अब उसमें स्वादानुसार गुड़ या शकर, नमक व भुना जीरा डाल लें। इसमें डले ताजे पुदीने की पत्तियाँ स्फूर्ति की अनुभूति बढ़ाती हैं।

#पित्त समस्याओं के लिए
रोजाना रात को एक बेर के बराबर मात्रा इमली कुल्हड़ में भिगो दें। सुबह मसलकर छान लें। थोड़ा मीठा डालकर ख़ाली पेट पी जाएँ। छह-सात दिन में लाभ नजर आने लगेगा।

इसकी पत्तियां पेट के कीड़ों का नाश करती हैं। पीलिया में भी यह लाभकारी है। इसका उपयोग अल्सर की चिकित्सा के लिए भी किया जाता है।

#सामान्य सर्दी
दक्षिण भारत में सर्दी के इलाज के लिये इमली को प्रभावकारी माना जाता है। पिसी हुई इमली के साथ 1 चम्मच काली मिर्च को पानी में कुछ समय उबालने के बाद इसका सेवन किया जाता है।

#केंसर
यह एंटीआक्सीडेंट का अच्छा स्रोत होने के कारण कैंसर से लड़ने में सक्षम है।

इमली की पत्तियों का पेस्ट सूजन के अलावा दाद पर भी लगाया जाता है। इससे लाभ मिलता है।

#गले की खराश
इमली के पानी के गरारे गले की खराश के इलाज में लाभकारी हैं। आप चाहें तो इमली को पानी में उबाल कर इसके गरारे कर सकते हैं अथवा इसकी सूखी पत्तियों का पाउडर पानी में मिला कर उपयोग में लाया जा सकता है।

#कब्ज
बहुत पुरानी इमली का शर्बत बनाकर पीने से कब्ज दूर होती है।

#खाज_खुजली
इमली के बीज नींबू के रस में पीसकर लगाने से खाज दूर होती है।

#लू लगना
गर्मी में एकदम बाहर निकलने से शरीर का जलीयांश शुष्क होकर तीव्र ज्वर हो जाता है। इसे लू लगना कहते हैं। इससे बचने के लिये लू के समय बाहर निकलने पर इमली का शर्बत पी लेने पर लू की आशंका नहीं रहती। यह पेय हल्के विरेचक का कार्य भी करता है। साथ ही धूप में रहने से पैदा हुए सिरदर्द को भी दूर करता है।

#सांप/ #बिच्छू का विष
आयुर्वेद में इमली के बीजों के भी औषधीय उपयोग हैं।
इमली के बीजों को पत्थर पर थोड़े जल में घिसकर रख लें। सांप के काटे हुए स्थान पर ब्लेड से चीरकर दबाकर वहां से काला रक्त निकालकर घिसे हुए बीजों को एक-दो बीज की मात्रा में चिपका दें। ये बीज विष चूसना आरंभ कर देंगे। थोड़ी-थोड़ी देर बाद बीज बदलते रहें और बदले हुए बीजों की ज़मीन में गाड़ दें। बीज उस समय तक बदलते रहें, जब तक कि पूरा विष न उतर जाए।
इसके बीजों का पावडर पानी में घोलकर बिच्छू के काटे पर लगाया जाता है।

#हानिकारक_प्रभाव
कच्ची इमली भारी, गर्म और अधिक खट्टी होती है। जिन्हें इमली अनुकूल नहीं होती है, उन्हें भी पकी इमली से दान्तों का खट्टा होना, सिर और जबडे़ में दर्द, सांस की तकलीफ, खांसी और बुखार जैसे दुष्परिणाम हो सकते हैं। अतः विशेष परिस्थिति में विशेषज्ञों से राय लेकर ही इसका उपयोग करना चाहिए ।

कृपया इमली के बारे में कोई विशेष औषधीय जानकारी हो तो अवश्य साझा करें एवं औषधिय रूप मे उपयोग से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लेंवे।

#जयपुर_योग_स्कूल।।

09/11/2024

सूरन या जिमीकंद कई तरह के फ़ायदे देता है:

सूरन में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी, और बीटा कैरोटीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं.

सूरन में मौजूद एंटी-इन्फ़्लेमेटरी गुणों की वजह से यह गठिया और अस्थमा रोगियों के लिए फ़ायदेमंद होता है.

सूरन में मौजूद आयरन और फ़ॉलिक एसिड शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाता है.

सूरन में मौजूद पोटैशियम हाई बीपी को कंट्रोल करने में मदद करता है.

सूरन में मौजूद एंटीकायगुलेंट यौगिक गुण बुरा कोलेस्ट्रॉल कम करते हैं.

सूरन में मौजूद फ़ाइबर, कैल्शियम, और मैग्नीशियम, फॉस्फोरस सेहत के लिए फ़ायदेमंद होता है.

सिर्फ एक दिन सुरन की सब्जी खाने से हड्डियों के लिए जरूरी वर्ष भर के फॉस्फोरस की कमी पूरी हो जाती हैं .

सूरन में लो ग्लिसमिक इंडेक्स होता है, जिससे डायबिटीज़ के मरीज़ों को फ़ायदा होता है.

सूरन का सेवन करने से बवासीर, पेट दर्द, और कब्ज़ जैसी समस्याओं से राहत मिलती है.

09/11/2024

*प्राकृतिक स्रोतों के माध्यम से विटामिन की आवश्यकता या भरपाई:*
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*1. विटामिन-ए:*
आपको त्वचा के संक्रमण से बचाता है, सामान्य वृद्धि और विकास को बढ़ावा देता है, स्वस्थ कंकाल और कोमल ऊतकों को बनाए रखता है और अच्छी दृष्टि को बढ़ावा देता है।
*स्रोत:*
गाजर,पिले फल,अंडे, मांस, पनीर, जिगर, और मछली का तेल।

*2. कैरोटेनोइड्स (अल्फा, बीटाकैरोटीन और बीटाक्रीप्टोक्सानथिन):*
विटामिन नहीं हैं, लेकिन कुछ बॉडी प्रोसेस विटामिन ए एक्ट में परिवर्तित होते हैं, जो एंटीऑक्सिडेंट के रूप में होते हैं जो आपके शरीर को फ्री रेडिकल्स नामक हानिकारक अणुओं से होने वाले नुकसान से बचाते हैं।
*स्रोत:*
केंटालूप, गुलाबी अंगूर, टमाटर, ब्रोकोली, गहरे हरे पत्ते वाली सब्जियां जैसे पालक, चुकंदर साग और स्विस चार्ड, गहरे नारंगी सब्जियां जैसे गाजर और शकरकंद।

*3. विटामिन बी-1 (थायमिन):*
कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा में परिवर्तित करने में मदद करता है और हृदय, मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र के कामकाज के लिए आवश्यक है।
*स्रोत:*
साबुत अनाज, समृद्ध अनाज, जिगर, सूखे सेम, नट और बीज, गढ़वाले ब्रेड, अनाज, पास्ता, लीन मीट (विशेष रूप से सूअर का मांस), मछली, मटर, सोयाबीन, डेयरी उत्पाद, फल और सब्जियां।

*4. विटामिन बी-2 (राइबोफ्लेविन):*
सामान्य सेल फ़ंक्शन, विकास और ऊर्जा उत्पादन के लिए आवश्यक। आपके शरीर को अन्य बी विटामिन का उपयोग करने में मदद करता है।
*स्रोत:* सोयाबीन, दुबला मांस और मुर्गी, जिगर और अंडे, मशरूम, दूध, पनीर, दही, साबुत अनाज, समृद्ध अनाज, फलियां, नट, और मछली।

*5. विटामिन बी-3 (नियासिन, निकोटिनिक एसिड):*
पाचन तंत्र, त्वचा और नसों में एंजाइमों के कामकाज में सहायता करता है, और प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट का उपयोग करके भोजन को ऊर्जा में बदलने के लिए महत्वपूर्ण है।
*स्रोत:*
मशरूम, मूंगफली का मक्खन, मछली, मुर्गी, साबुत अनाज, समृद्ध अनाज, डेयरी उत्पाद, दुबला मीट, नट, अंडे और फलियां।

*6. विटामिन बी-5 (बायोटिन):*
आपके शरीर को भोजन से प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट का उपयोग करने की अनुमति देता है। विकास और चयापचय के लिए आवश्यक।
*स्रोत:*
शकरकंद, बिना वसा वाला दूध, दही, मूंगफली, बादाम, अंडे, जिगर, सोया प्रोटीन, मछली, साबुत अनाज अनाज, फलियां, खमीर, लीन बीफ, ब्रोकोली और गोभी परिवार की सब्जियां।

*7. विटामिन बी-5 (पैंटोथेनिक एसिड):*
विकास और चयापचय के लिए आवश्यक।
*स्रोत:*
अंडे, मछली, दूध और दूध के उत्पाद, साबुत अनाज अनाज, फलियां, खमीर, सफेद और मीठे आलू, लीन बीफ, ब्रोकोली और गोभी परिवार की सब्जियां।

*8. विटामिन बी-6 (पाइरिडोक्सिन):*
आपके शरीर को प्रोटीन और ग्लाइकोजन बनाने और उपयोग करने में मदद करता है जो आपकी मांसपेशियों और जिगर में संग्रहीत ऊर्जा है। लाल रक्त कोशिका चयापचय के लिए, हीमोग्लोबिन बनाता है, तंत्रिका और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए रोग से लड़ने वाले एंटीबॉडी का उत्पादन करने के लिए, रक्त शर्करा और ऑक्सीजन के स्तर को बनाए रखता है।
*स्रोत:*
आलू, केला, 100% चोकर, तुरंत दलिया, मांस, मछली, मुर्गी, जिगर, सोयाबीन, छोले, मसूर, पिस्ता, नट, सूरजमुखी के बीज, फलियां, पालक, टमाटर का रस, एवोकैडो, ट्यूना, पीनट बटर।

*9. विटामिन बी-9 (फोलेट या फोलसिन / फोलिक एसिड): ₹*
विटामिन बी 12 और विटामिन सी के साथ काम करता है नीचे टूटने और नए प्रोटीन बनाने के लिए, लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने, डीएनए का निर्माण करने और ऊतकों को विकसित करने में मदद करता है। फोलिक एसिड भ्रूण के जन्म के दोष को कम करता है स्पाइना बिफिडा और तंत्रिका तंत्रिका असामान्यताएं।
स्रोत: शतावरी, पका हुआ पालक, रोमेन लेट्यूस, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, बीट्स, ब्रोकोली, मक्का, हरी मटर, ब्रेड, समृद्ध पास्ता, गेहूं के बीज, सूखे सेम, सोयाबीन, छोले, मसूर, सूरजमुखी के बीज, फ्लैक्ससीड्स, फलियां, खट्टे फल, साबुत। अनाज, गहरे हरे रंग की पत्तेदार सब्जियां, मुर्गी पालन, लीन पोर्क, शेल फिश और लिवर।

*10. विटामिन बी-12* (कोबालमिन):
डीएनए बनाने के लिए विटामिन फोलेट के साथ काम करता है, स्वस्थ रक्त कोशिकाओं को बनाता है, एनीमिया को रोकता है, और नसों को ठीक से काम करता रहता है। चयापचय के लिए महत्वपूर्ण, यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के रखरखाव में मदद करता है।
*स्रोत:* पनीर, दही, गढ़वाले सोया या चावल पेय, मांस, मुर्गी पालन, जिगर, अंडे, शंख, और दूध।

*11. विटामिन-सी:*
कोशिका क्षति को रोकने और कुछ कैंसर, हृदय रोग और अन्य बीमारियों के लिए जोखिम को कम करने में मदद करता है। घावों को काटता है और घाव करता है, मसूड़ों को स्वस्थ रखता है, प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ रखता है और आपके शरीर में कुछ खाद्य पदार्थों से अवशोषित आयरन की मात्रा बढ़ जाती है। ऊतकों की वृद्धि और मरम्मत के लिए आवश्यक है, और कोलेजन बनाने के लिए, एक प्रोटीन जिसका उपयोग त्वचा, निशान ऊतक, tendons, स्नायुबंधन और रक्त वाहिकाओं को बनाने के लिए किया जाता है।
*स्रोत:*
खट्टे फल जैसे संतरे, अंगूर और उनके रस, कीवी, स्ट्रॉबेरी, आम, पपीता, लाल, पीले और हरे मिर्च, ब्रोकोली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, टमाटर, कच्चे अंधेरे पत्तेदार सब्जियां, शलजम साग, शकरकंद, और कैंटालूप।

*12. विटामिन-डी:*
शरीर को कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है, रक्त में कैल्शियम और फास्फोरस की मात्रा को नियंत्रित करता है, और पुरानी बीमारियों की रोकथाम में बहुत महत्वपूर्ण है।
*स्रोत:*
धूप, दूध, गढ़वाले सोया और चावल पेय, गढ़वाले मार्जरीन, मछली जिगर के तेल, बीफ़ जिगर, पनीर, और अंडे की जर्दी के संपर्क में।

*13. विटामिन-ई:*
एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली और शरीर की अन्य प्रक्रियाओं को बनाए रखने में मदद करता है, क्योंकि एक एंटीऑक्सिडेंट कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है, लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है और शरीर को प्रभावी रूप से विटामिन के का उपयोग करने की अनुमति देता है।
*स्रोत:* वनस्पति तेल, एवोकैडो, पत्तेदार हरी सब्जियां, गेहूं के बीज, सूरजमुखी के बीज, कुछ नट्स, मूंगफली का मक्खन, मक्का, जैतून, पालक, शतावरी, और अन्य हरी पत्तेदार सब्जियां।

*14. विटामिन-के:*
प्रोटीन बनाता है जो हमारे रक्त को थक्का बनाता है, जब आप रक्तस्राव कर रहे होते हैं। आपके रक्त, हड्डियों और गुर्दे के लिए शरीर के प्रोटीन बनाने में शामिल है।

*सूत्रों का कहना है:*
जीवाणुओं द्वारा निर्मित जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को लाइन करते हैं और ब्रोकोली, सोयाबीन, गहरे हरे पत्ते वाली सब्जियों जैसे कि काले, कोलार्ड, शलजम / बीट साग और पालक, गोभी और फूलगोभी में पाए जाते हैं।

09/11/2024

*इम्युनिटी या रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए, सर्दियों में जरूर खाएं गोंद के लड्डू, शरीर को मिलेंगे चमत्कारी फायदे...*
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*1.* ठंड के मौसम में गोंद के सेवन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह शरीर में आवश्यक गर्मी बनाए रखता है। सुबह के समय इसका सेवन फायदेमंद है।

*2.* सर्दियों में गोंद का सेवन दिमागी तरावट और जोड़ों में दर्द व जोड़ों की अन्य समस्याओं के लिए काफी फायदेमंद होता है।

*3.* रोजाना सुबह गोंद के लड्डू के साथ दूध का सेवन करेंगे, तो आप बीमार पड़ने से बच जाएंगे। क्योंकि इससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होगा।

*4.* गर्भवती महिलाओं के लिए इसका सेवन फायदेमंद होता है। इस समय यह रीढ़ की हड्डी की मजबूती के लिए जरूरी है और मां का दूध बढ़ाने में लाभकारी होता है।

*5.* यह हड्डियां मजबूत करता है और मांसपेशि‍यों को भी मजबूत कर उन्हें लचीला बनाता है। खास तौर से रीढ़ की हड्डी के लिए इसका सेवन बेहद फायदेमंद है।

*6.* रोजाना भुनी हुई गोंद का सेवन करना हार्ट अटैक के खतरे को कम करता है। हृदय संबंधी अन्य रोगों के लिए भी यह फायदेमंद है।

*7.* कमजोरी को दूर करने के लिए भी गोंद के लिए बेहद लाभदायक है। यह थकान, चक्कर आना और माइग्रेन जैसी समस्याओं को भी दूर करता है।

*8.* कब्ज के मरीजों के लिए गोंद का सेवन मददगार साबित होता है। दिन में 1 बार इसका सेवन आपकी इस समस्या को दूर कर सकता है।

09/11/2024

*आइये जानते हैं तुलसी के फायदे*

1. तुलसी रस से बुखार उतर जाता है। इसे पानी में मिलाकर हर दो-तीन घंटे में पीने से बुखार कम हो जाता है।
2. कई आयुर्वेदिक कफ सिरप में तुलसी का इस्तेमाल अनिवार्य है। यह टी.बी, ब्रोंकाइटिस और दमा जैसे रोंगो के लिए भी फायदेमंद है।
3. जुकाम में इसके सादे पत्ते खाने से भी फायदा होता है।
4. सांप या बिच्छु के काटने पर इसकी पत्तियों का रस,फूल और जडे विष नाशक का काम करती हैं।
5. तुलसी के तेल में विटामिन सी, कै5 रोटीन, कैल्शियम और फोस्फोरस प्रचुर मात्रा में होते हैं।
6. साथ ही इसमें एंटीबैक्टेरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण भी होते हैं।
7. यह मधुमेह के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है। साथ ही यह पाचन क्रिया को भी मज़बूत करती हैं।
8. तुलसी का तेल एंटी मलेरियल दवाई के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। एंटीबॉडी होने की वजह से यह हमारी इम्यूनिटी भी बढा देती है।
9. तुलसी के प्रयोग से हम स्वास्थय और सुंदरता दोनों को ही ठीक रख सकते हैं।

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