06/09/2025
सभी को नमस्कार,
कल, ५ सितंबर २०२५ को टोडाभीम में एक अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें सत्य प्रकाश और गौरवी का विवाह आनंद मार्ग विवाह प्रणाली के अनुसार संपन्न हुआ।
यह विवाह आनंद मार्ग चर्चाचर्य के अनुरूप था. आनंद मार्ग विवाह पद्धति जो कि जाति पाती विहीन, दहेज मुक्त, कर्मकांड रहित और दोनों पक्षों की स्वतंत्र सहमति पर आधारित होती है। इस प्रणाली में विवाह को केवल शारीरिक या सामाजिक बंधन नहीं, बल्कि आत्मिक विकास की यात्रा के रूप में देखा जाता है, जहां दंपत्ति एक-दूसरे के साथ-साथ समाज की सेवा में समर्पित होते हैं।
यह विवाह आचार्य रामफूल जी और अवधूतिका आनंद निर्भा आचार्या द्वारा संपन्न कराया गया। आचार्य रामफूल जी आनंद मार्ग के गृही आचार्य हैं, जिनकी गहन आध्यात्मिक साधना, मार्गदर्शन एवं समाज सेवा की प्रसिद्धि है। वहीं, अवधूतिका आनंद निर्भा आचार्या महिलाओं के आध्यात्मिक विकास और सामाजिक उत्थान में सक्रिय भूमिका निभाती हैं। उनके द्वारा किए गए मंत्रोच्चारण, कीर्तन और आशीर्वाद ने समारोह को और अधिक दिव्य बना दिया। विवाह की रस्में सरल लेकिन गहन थीं, जिसमें नवदंपत्ति ने समाज के साक्षीत्व में एक-दूसरे के शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के लिए शपथ ली तथा उपस्थित समाज बन्धुओं ने नवदम्पति के सर्वात्मक उन्नति में सहायक होने की शपथ ली।
विवाह से पूर्व, ३ घंटे का अखंड कीर्तन आयोजित किया गया, जो आनंद मार्ग की परंपरा का अभिन्न अंग है। अखंड कीर्तन में "बाबा नाम केवलम" मंत्र का अखंड भावपूर्ण गायन हुआ, जो उपस्थित सभी को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है। यह कीर्तन न केवल विवाह की पवित्रता बढ़ाता है, बल्कि सभी को प्रेम और भक्ति के भाव में बांधता है। कीर्तन के दौरान वातावरण इतना सकारात्मक और उत्साहपूर्ण था कि सभी उपस्थित मार्गी और अतिथि इसमें डूब गए।
इस समारोह में आचार्य सत्यश्रयानंद अवधूत सहित अनेक दादा-दीदी तथा ४० से अधिक मार्गी उपस्थित थे। आचार्य सत्यश्रयानंद अवधूत आनंद मार्ग के वरिष्ठ पुरोधा हैं, जिनकी उपस्थिति ने समारोह को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया। दादा ने उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित किया तथा आनन्द मार्ग विवाह पद्धति की विशेषता के बारे में सबका ज्ञानवर्धन किया। मार्गी भाइयों-बहनों की बड़ी संख्या ने यह दर्शाया कि आनंद मार्ग परिवार कितना मजबूत और एकजुट है। सभी ने नवदंपत्ति को आशीर्वाद दिया और उनके सुखी वैवाहिक जीवन की कामना की।
यह विवाह न केवल दो व्यक्तियों का मिलन था, बल्कि आनंद मार्ग के आदर्श का जीवंत उदाहरण था, जो समाज को जातिभेद मुक्त, दहेज मुक्त तथा समानता आधारित विवाह की प्रेरणा देता है।
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