10/01/2025
::ग्रुप के सभी विद्वतजनों हेतु प्रस्तुत::
---------------(भाग प्रथम)--------------
ज्योतिष वास्तविकता में ब्रह्मांड का जीव पर प्रभाव का अध्ययन है। मेरा प्रयास ब्रह्मांड के उसी स्वरूप को सामने लाना है। ज्योतिष की भव्यता का पता इससे चलता है कि जब ज्योतिष का प्रादुर्भाव हुआ उस समय के ऋषियों में कितना वैज्ञानिक ज्ञान हुआ करता था।
पूरा ब्रह्मांड दो भागों में बंटा हुआ है, पहला दृश्य या भौतिक और दूसरा अदृश्य या अभौतिक।
दृश्यता का (भौतिक) भाग कुल ब्रह्मांड का केवल लगभग 5% मात्र है।
अधुनिक वैज्ञानिक अवधारणा के अनुसार पूरे ब्रह्मांड में 65% डार्क एनर्जी (कृष्ण ऊर्जा), 27 से 30 प्रतिशत डार्क मैटर (कृष्ण दृव्य) उपस्थित है अर्थात जहां भी भौतिक पिंड या द्रव्यमान उपस्थित है उसके अतिरिक्त पूरे ब्रह्मांड में डार्क एनर्जी और डार्क मैटर उपस्थित हैं। दूसरे स्वरूप में इसे कह सकते हैं कि ऐसा कोई स्थान नहीं जहाँ डार्क मैटर/एनर्जी उपस्थित न हो। यह सनातन संस्कृति के "कण कण में भगवान" सिद्धांत को मान्यता प्रदान करता है। श्रीकृष्ण ने कहा है कि "पूरा ब्रह्मांड मेरे अनुसार गति करता है, उसका नियंत्रक मैं हूँ" और "कृष्ण" का अंग्रेजी पर्याय "डार्क" ही होता है।
यह आश्चर्यजनक है कि पूरा भौतिक जगत अभौतिक ऊर्जा (गुरुत्वाकर्षण, डार्क एनर्जी, डार्क मैटर आदि) से नियंत्रित हो रहा है। सनातन में इसे ही भगवान की संज्ञा दी गयी।
भौतिक जगत की अधिकतम गति आधुनिक विज्ञान के अनुसार प्रकाश की गति (3 लाख किमी प्रति सेकंड) मानी जाती है। जबकि सनातन संस्कृति के अनुसार अभौतिक विश्व की गति इससे कईयों गुना अधिक (मन की गति) मानी जाती है।
ज्योतिष का सिद्धांत कर्म पर आधारित है। "कण कण में भगवान की उपस्थिति" के कारण जीवों के प्रत्येक कर्म प्रति पल रिकॉर्ड होते हैं एवं कर्मों के आधार पर उनका अगला जन्म या भविष्य निर्धारित करते हैं।
हमारे द्वारा किये जा रहे पूजा पाठ, यज्ञ हवन, दान पुण्य आदि के अतिरिक्त किये जा रहे प्रत्येक दैनिक कर्म या दुष्कर्म भी हमारे खाते में रिकॉर्ड होते हैं। प्रत्येक कर्म का बड़ा हिस्सा इसी जन्म में प्राप्त हो जाता है एवं शेष अगले जन्मों के भाग्य में जुड़ जाएगा।
डार्क एनर्जी/मैटर/गुरुत्वाकर्षण आदि के सम्बन्ध में उपरोक्त विवरण गूगल पर जांचा जा सकता हैं।
उपरोक्त सभी विवरण विभिन्न स्रोतों से ठोस सत्यता के आधार जांच कर लिए गए हैं एवं पूर्ण रूप से मेरी मौलिक रचना हैं। ये विवरण ज्योतिष के गहन अध्ययन को सुलभ करेगी। आप सभी विद्वानों की टिप्पणी मेरे लिए महत्वपूर्ण होगी।
🙏अगले पार्ट में जारी रहेगी, राहू केतु की उपस्थिति ब्रह्मांड में किस स्वरूप में है 🙏