03/07/2025
दरवाजे की चौखट और राहु ग्रह ( दहलीज)
(ज्योतिष की नजर से)
कोई समय था जब मुख्य दरवाजे पर चौखट रहती थी यानी की फर्श पर भी ऊँचा कर के लकड़ी का बल्ल्म लगाया जाता था
( चार बलिययों का फ्रेम ) परन्तु अब तिखखट रह गयी है , ( यानी की तीन बलिययों का फ्रेम )
जो बल्ल्म फर्श पर सटा रहता था उसे शनि के रूप में राहु के बुरे प्रभाव को रोकने के लिए लगाया जाता था और जब भी कोई शुभ वस्तु , पशु , नई बहु , बाहर से आये औलाद अंदर आती थी
तो उस चौखट के दोनों तरफ सरसों का तेल गिराया जाता था और राहु को शनि वास्ता दिया जाता था की तुझे तेरे गुरु की कसम है
कोई गड़बड़ मत करना और जब नई बहू प्रवेश करती थी तो माँ जोड़े के सर से पानी ( चंद्र ) वार कर कुछ पी लेती थी और कुछ दहलीज पर गिरा देती थी की राहु को 'चन्द्र' का वास्ता दिया जाता था की कोई दिक्क्त न देगा और दरवाजे के ऊपर लाल धागे से तोरण बांध कर 'मंगल' का पहरा बिठाया जाता था
, अब कहां वो बातें , माँ और दादी माँ को याद था , पर अगले बच्चों की माँ को याद रहेगा या नहीं कोई गारंटी नहीं है क्योंकि दरवाजे की चौखट तो रही नहीं अब तो तिखखट रह गयी है
और न ही लोहे की साँकल वाला कुण्डा ( शनि ) रहा जिस पर ताला लगाया जाता था और उस कुण्डे को खड़का कर ही दरवाजा खुलवाया जाता था जहां शनि की आहट किसी बुजुर्ग के खांसने की तरह होती थी
वहां सब बहुएं सर को पल्लु से ढक लेती थी और राहु ( ससुर) शांत रहता था अब तो नंगे सर खुलेआम डांस होते हैं , वक्त बदल गया , मुसीबतें बड़ गयी .......!!!
Mahayogi Muni Baba 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤❤❤❤❤❤❤❤❤