24/05/2023
विश्व स्किजोफ्रेनिया दिवस।
डॉक्टर मेवाड़ा ने कहा कि स्किजोफ्रेनिया के रोगी के लिए विश्वाश, सहयोग और सकारात्मक दृष्टिकोण की बहुत आवश्यकता है।
कोटा 24 मई, विश्व स्किजोफ्रेनिया दिवस 24 मई के अवसर पर संस्था मन आरोग्य न्यास द्वारा न्यापुरा स्थित कार्यालय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जन विज्ञान आंदोलन के विजय राघव ने की तथा मुख्य वक्ता के रूप में मनोरोग विशेषज्ञ एवं चिकत्सक डॉक्टर वीरेंद्र मेवाड़ा ने संबोधित किया। अपने संबोधन में डॉक्टर मेवाड़ा ने स्किजोफ्रेनिया के लक्षण, कारण और उपचार के विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि यह एक ऐसा मनोरोग है जिसके चलते रोगी की सोच, विचार, भावना व व्यवहार में गम्भीर विकृतिया पैदा हो जाती हैं। शुरुआती लक्षणों में रोगी स्वभाव के विपरीत अलग-थलग रहने लगता है। वह एक जगह घटों बैठा रहता है और परिजनों व मित्रों से कटा रहता है। रोगी की दिनचर्या बिगड़ने लगती है और वह अपने दैनिक कामकाज जैसे नहाना-धोना आदि समय पर नहीं कर पाता तथा शक और आशंका से ग्रस्त रहता है। अनिद्रा तथा रोजमर्रा के कार्यों के प्रति अरुचि उत्पन्न हो जाती है।
यह रोग विभिन्न सामाजिक कारणों तथा दिमाग की बनावट में कमी के कारण होता है। इनके अतिरिक्त मस्तिष्क में स्रावित होने वाले कुछ रसायन भी इसके लिए जिम्मेदार हैं साथ ही आनुवांशिक कारण भी इस बीमारी के लिए जिम्मेदार होते हैं।
सिजोफ्रेनिया के रोगी के उपचार और देखभाल के लिए दवाइयों से ज्यादा विश्वाश, सहयोग और उसके सकारात्मक विश्लेषण की बहुत आवश्यकता है। रोगी को कभी अकेला और खाली न होने दें। उससे खुल कर बातें करना भी बहुत जरूरी है। जहां तक हो सके रोगी को व्यस्त रखें तथा उसे सृजनात्मक कार्यों के लिए प्रोत्साहित करें।
रोगी के दोस्तों−साथियों तथा परिवार जनों से तुलना कर उसे उसकी बीमारी का अहसास न दिलाएं। साथ ही उसके सामने दूसरों की सामाजिक सफलताओं का उल्लेख कर उसमें हीनभावना न आने दें। रोगी के परिवारजन, साथी तथा अन्य परिचित लोग यदि सामूहिक रूप से प्रयास करें तो रोगी को इस रोग से उबारा जा सकता है।
इस अवसर पर विजय राघव, पृथ्वीराज पंवार, अनिल चौधरी, गौरव नामदेव, ललित मेवाड़ा, और शंभूदयाल सुमन ने भी चर्चा में भागीदारी करते हुए अपने विचार व्यक्त किए।