07/08/2025
आज 29 साल की उम्र में मुझे ज़िंदगी की असली अहमियत समझ में आ गई है।
अब दिल में एक बात बार-बार आती है —
कि ये ज़िंदगी बहुत ही नाज़ुक और फानी है,
न जाने कब मेरा वक़्त पूरा हो जाए...
या अल्लाह!
जो वक्त तूने मुझे बख्शा है,
उसे अपनी रज़ा के मुताबिक गुज़ारने की तौफ़ीक़ अता फरमा।
मेरे तमाम गुनाहों को माफ़ कर दे – जानबूझ कर किए हों या अनजाने में।
मुझे आज से एक नए दीन और इल्म (तालीम) के रास्ते पर चलने की सच्ची हिदायत दे।
मेरे माँ-बाप, बहन, रिश्तेदार और जो इस दुनिया में मेरे अज़ीज़ हैं,
सभी को हिदायत दे और उनके गुनाहों को भी माफ़ फरमा।
या रब्ब!
मुझे अपनी रहमत और मग़फ़िरत में शुमार कर ले।
जब भी मौत आए, ईमान की हालत में आए।
आमीन