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माजूफल (Majuphal), जिसे ओक गॉल्स (Oak Galls) या मायाफल भी कहा जाता है, Quercus infectoria नामक पेड़ पर कीड़ों द्वारा बना...
13/08/2025

माजूफल (Majuphal), जिसे ओक गॉल्स (Oak Galls) या मायाफल भी कहा जाता है, Quercus infectoria नामक पेड़ पर कीड़ों द्वारा बनाई गई गॉल्स से प्राप्त होता है। यह आयुर्वेद में एक शक्तिशाली औषधि मानी जाती है, जिसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और कसैले (Astringent) गुण पाए जाते हैं। यह पाचन, त्वचा, दांत, गला, महिला स्वास्थ्य, रक्तस्राव और अन्य कई रोगों में फायदेमंद है।

माजूफल के औषधीय उपयोग (Medicinal Uses)
माजूफल के गुणों के कारण यह विभिन्न रोगों में लाभदायक है। नीचे विस्तृत जानकारी दी गई है:

🟢पाचन तंत्र के लिए लाभकारी:

माजूफल का कसैला गुण दस्त, पेचिश और आंतों की समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह पेट को मजबूत बनाता है और पुराने दस्त में इसका काढ़ा विशेष रूप से उपयोगी होता है। उदाहरण के लिए, माजूफल पाउडर (1से 2 ग्राम) को दालचीनी (समान मात्रा) के साथ मिलाकर लेने से मल की चिपचिपाहट और बार-बार शौच की समस्या कम होती है।

🟢मुंह के छाले और दांतों के लिए उपयोगी:

माजूफल का चूर्ण या काढ़ा मुंह के छाले, मसूड़ों की सूजन, दांतों से खून बहने और पायरिया जैसी समस्याओं में प्रभावी है। इसका पाउडर मंजन के रूप में उपयोग करने से मुंह की दुर्गंध और छाले ठीक होते हैं। माजूफल को सुपारी या फिटकरी के साथ मिलाकर मंजन बनाने से दांतों का दर्द, मुंह के छाले और रक्तस्राव कम होता है।

🟢त्वचा संबंधी समस्याओं में राहत:

माजूफल का लेप त्वचा के घावों, मुंहासों, खुजली, दाद और झाइयों को ठीक करने में मदद करता है। इसके एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल गुण त्वचा को चमकदार और स्वस्थ बनाते हैं। माजूफल को सिरके के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाने से झाइयां और निशान कम होते हैं।

🟢 ओवेरियन सिस्ट में फायदे मंद:

जिन महिलाओं को पीसीओडी की समस्या हो जाती है,बच्चेदानी में गांठे हो जाती है।उनके लिए माजूफल बहुत ही फायदेमंद होता है।
माजूफल 100 ग्राम
जैतून का सुख फल 50 ग्राम
गुलाबी फिटकरी 20 ग्राम
सबको कूट पीसकर पाउडर बनाकर रख ले।
2 से 3 ग्राम सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में नींबू निचोड़ कर सेवन करें। इस नुस्खा से महिलाओं में होने वाली ओवेरियन सिस्ट यानी की बच्चेदानी की गांठ गल कर खत्म हो जाती हैं।

⭐यह शरीर में अंदरूनी, बाहरी कहीं भी गांठे हो उसे desolve करने में मददगार है।

🟢 ल्यूकोरिया में फायदेमंद :

माजूफल 40 ग्राम
लोधरा छाल 40 ग्राम
चुनिया गोंद 40 ग्राम
मोचरस 40 ग्राम
नागकेसर 40 ग्राम
सूखा सिंघाड़ा 40 ग्राम
धागे वाली मिश्री 80 ग्राम
सभी को कूट पीसकर पाउडर बनाकर रख लें। एक चम्मच सुबह और एक चम्मच शाम खाना खाने के पश्चात सेवन करने से महिलाओं में आने वाला सफेद पानी यानी कि लिकोरिया का मर्ज नष्ट हो जाता है।

🟢गले की समस्याओं में फायदेमंद:

माजूफल के काढ़े से गरारे करने से गले की खराश, टॉन्सिलाइटिस और सूजन में राहत मिलती है। यह खांसी और टॉन्सिल से उत्पन्न समस्याओं को भी कम करता है।

🟢बवासीर (पाइल्स) में उपयोगी:

माजूफल का काढ़ा या लेप बवासीर की जलन, सूजन और दर्द को कम करता है। इसे पानी में उबालकर मलद्वार को धोने से राहत मिलती है। माजूफल को अफीम के साथ मिलाकर लेप बनाने से तीव्र दर्द में भी आराम मिलता है।

🟢महिलाओं के लिए विशेष लाभ:

⭐योनि स्वास्थ्य: माजूफल का काढ़ा योनि के संक्रमण, खुजली और ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर) को ठीक करने में प्रभावी है। यह योनि की मांसपेशियों को कसने में भी मदद करता है, विशेष रूप से प्रसव के बाद। मलेशिया में इसे "मंजाकनी" के नाम से जाना जाता है और योनि की कसावट के लिए उपयोग किया जाता है।
⭐योनि शिथिलता के लिए (With Kapoor and Madhu): माजूफल और कपूर को समान भाग में मिलाकर मधु (शहद) के साथ पेस्ट बनाएं और योनि में लेप करें। (मात्रा: 1-2 ग्राम प्रत्येक; डॉक्टर की सलाह से उपयोग।)

🟢कैंसर से बचाव:

माजूफल में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण ऑक्सीडेटिव तनाव और फ्री रेडिकल्स को कम करते हैं, जो सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर को रोकने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, यह कैंसर का पूर्ण इलाज नहीं है, और इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह से करना चाहिए।

🟢मधुमेह नियंत्रण:

माजूफल रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे यह मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसके बीज को भूनकर चूर्ण बनाकर या काढ़े के रूप में सेवन करने से शुगर नियंत्रित रहती है।

🟢घाव भरने में सहायक:
माजूफल की भस्म या चूर्ण घावों को जल्दी भरने में मदद करता है। यह सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ कर रक्तस्राव को रोकता है। इसके पत्तों का एथेनॉल अर्क भी घाव भरने में प्रभावी है।
माजूफल पाउडर को हल्दी के साथ मिलाकर पेस्ट बनाएं और घाव पर लगाएं। पुराने घाव जल्दी भरते हैं। (मात्रा: 1 चम्मच माजूफल + 1/2 चम्मच हल्दी; पानी में मिलाकर दिन में 2 बार लगाएं।)

🟢जीर्ण ज्वर और कमजोरी:

माजूफल का उपयोग जीर्ण ज्वर (क्रॉनिक बुखार) और मलेरिया में किया जाता है। यह शरीर की शिथिलता को कम करके ज्वरनाशक औषधियों के प्रभाव को बढ़ाता है।
जीर्ण ज्वर के लिए (With Milk): माजूफल को रात भर पानी में भिगोएं, सुबह दूध में उबालकर पिएं।(मात्रा: 2 छोटे माजूफल + 3 तोला दूध; 14 दिन तक)

🟢अन्य लाभ:
⭐यूटीआई (मूत्र मार्ग संक्रमण):
माजूफल और फिटकरी का मिश्रण मूत्र मार्ग के संक्रमण और खुजली को कम करने में मदद करता है।
⭐ बालों के लिए:
माजूफल डैंड्रफ और बालों के झड़ने को कम करने में सहायक है।
⭐प्रसव के बाद रिकवरी:
यह महिलाओं के शरीर को मजबूत बनाता है और ढीलापन कम करता है।

♦️माजूफल के उपयोग के तरीके
⭐चूर्ण: 1-2 ग्राम माजूफल पाउडर को पानी या शहद के साथ दिन में 1-2 बार लिया जा सकता है।
⭐काढ़ा: 10-20 मिली माजूफल का काढ़ा बनाकर पीने या गरारे करने के लिए उपयोग करें।
⭐लेप: माजूफल को पीसकर हल्दी, सिरका या पानी के साथ मिलाकर त्वचा या घावों पर लगाएं।
⭐मंजन: माजूफल के चूर्ण को फिटकरी या सुपारी के साथ मिलाकर दांतों की सफाई के लिए उपयोग करें।
⭐योनि धावन: माजूफल को पानी में उबालकर ठंडा करें और योनि की सफाई के लिए उपयोग करें।

🔴सावधानियां और नुकसान

⭐गर्भावस्था में सावधानी: माजूफल का उपयोग गर्भावस्था में नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे गर्भपात का खतरा हो सकता है।
⭐अधिक मात्रा से बचें: अधिक मात्रा में सेवन से पाचन तंत्र पर दुष्प्रभाव हो सकता है, जैसे कब्ज या पेट में जलन। ⭐एलर्जी: यदि उपयोग के बाद त्वचा पर लालिमा या जलन हो, तो इसका उपयोग बंद करें।

♦️निष्कर्ष:-
माजूफल एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधि है, जो त्वचा, दांत, गले, पाचन, मधुमेह और महिला स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं में प्रभावी है। इसके एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल गुण इसे बहुमुखी बनाते हैं। हालांकि, इसका उपयोग सही मात्रा और चिकित्सक की सलाह के साथ करना चाहिए, विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए।

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप | राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ।।श्री हनुमान जयंती के मंगल अवसर पर सभी को हार्द...
12/04/2025

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप |
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ।।

श्री हनुमान जयंती के मंगल अवसर पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं !!

13/03/2025
हींग 45 तरह के रोगों को दूर करती है….【१】हींग का तड़का सब्जी या दाल में लगते ही उसका स्वाद बदल जाता है। हींग वह मसाला है, ...
03/03/2025

हींग 45 तरह के रोगों को दूर करती है….

【१】हींग का तड़का सब्जी या दाल में लगते ही उसका स्वाद बदल जाता है। हींग वह मसाला है, जी सभी को क्रियाशील या एक्टिव कर देती है। इसके सेवन से दूषित वायु का पेट से निष्कासन होता रहता है।

【२】आयुर्वेदिक निघण्टु में उल्लेख है कि-दांतों-मसूढ़ों में दर्द है, तो 20 mg हिंग, लौंग 10 नग, इलायची 5 नग एवं सेंधानमक 2 ग्राम 100 मिलीलीटर पानी में उबालकर आधा रहने पर गुनगुने पानी से गरारे करें।

【३】सुबह शाम अमृतम डेन्ट की मंजन
सुबह-शाम दांतों में 3 मिनिट तक लगाकर कुल्ला करें।

【४】वैद्य विशारद स्वानुभव पुस्तक के एक फार्मूले के अनुसार- 100 mg चोखी हींग को आम मिंगी 20 ग्राम, कपूर 3 ग्राम कूटकर उसे 20 ML पुदीने के रस, 2 ग्राम सेंधानमक, 2 ग्राम कालीमिर्च, 10 ग्राम, 1 ग्राम अजवायन, 1 ग्राम कालादाना गुड़ और नीबू रस के साथ मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर सूखा लेवें।

सुबह एक गोली सादे जल से लेवें और 2 घण्टे तक जल के अलावा कुछ न लेवें।

यह गोली पेट की अनेक समस्या का अंत कर देती है। अफारा, गैस की तकलीफ, हैजा की बीमारी में फायदेमंद है।

【५】हींग का सेवन से रक्त में कोलेस्ट्रॉल व ट्राई ग्लिसराइड को कम होकर ह्र्दयगत रोगों से रक्षा होती है।

【६】हींग में पाया जाने वाला क्यूमेरिन नामक तत्व में खून को पतला करने में गुणकारी है, इससे खून का थक्का नहीं बनता।

【७】पुराने वैद्य गण ह्र्दयगत विकारों में हिंवाष्टक चूर्ण का निरन्तर उपयोग कराते थे, जिससे वायु विर्सजन होता रहता था।

【८】भारत भैषज्य ग्रन्थ के मुताबिक- 10 mg हींग को गुड़ में मिलाकर खाने पर हिचकी आना बंद हो जाती है।

【९】स्वास्थ्य विशेषांक के हिसाब से- पेशाब आने में दिक्कत हो या मधुमेह से अधिक पीड़ित हों तो 100 मिलीग्राम हींग को जीरा, सौंफ के अर्क के साथ मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से काफी राहत मिलती है।

【१०】एक गिलास गर्म पानी में हीग मिलाकर पीने से यौन शक्ति में इजाफा होता है। इससे पुरुष और महिला के यौन अंगों में खून का दौरा बढ़ जाता है और यौन सम्बन्ध में रुचि बढ़ जाती है।

【११】कैंसर नाशक हींग–हींग के नियमित उपभोग से कैंसर का खतरा घट जाता है। इसमें पाए जाने वाले ताकतवर एंटीऑक्सीडेंट के कारण फ्री रेडिकल से होने वाले नुकसान से बचाव होता है और इस प्रकार कैंसर होने की संभावना कम होती है।

【१२】कीड़े का काटना–मकड़ी या किसी कीड़े के काटने या डंक मारने पर पके केले के टुकड़े के साथ चुटकी भर हिंग निगलने से दर्द और सूजन में आराम आता है।

【१३】मधुमक्खी डंक मार दे तो हिंग को पानी में घिस पर गाढ़ा पेस्ट बना कर लगाने से आराम मिलता है।

【१४】महर्षि चरक के अनुसार हींग का सब्जी, दाल में नित्य उपयोग दमा के रोगियों के लिए रामबाण औषधि है।

【१५】स्त्री विकारों का असरकारक–महिलाओं के मासिकधर्म की तकलीफों का अंत-तुरन्त… 20 मिलीग्राम शुद्ध हींग भुजंकर, 10 मुनक्के, 5 छोटी हरड़, 5 ग्राम मेथीदाना, 3 ग्राम कस्तूरी मैथी, जीरा, सौंफ, मुलेठी 1-1 ग्राम व काला नमक सबको एक गिलास पानी में मिला कर रात्रि में किसी मिट्टी के पात्र में रात भर गलने दें।

सुबह इसे आधा रहने तक उबाले। एक महीने इस काढ़े को नियमित सुबह खाली पेट पीने से लिकोरिया, सफेद पानी की शिकायत, पीसीओडी जैसा भयंकर रोग भी जड़ से दूर हो जाता है।

【१६】हींग से सेवन से अनेक अज्ञात मासिक धर्म सम्बंधित परेशानियाँ जैसे- माहवारी के समय होने वाला पेटू,पेट दर्द,कमरदर्द एवं अनियमितता आदि में कारगर चिकित्सा है।

【१७】गजब की सुंदरता बढ़ाने के लिए यह घरेलू उपाय कारगर है। इसे 13 साल की बच्ची से 50 वर्ष तक महिलाओं को लेना हितकारी है।

~ विशेष-जिन महिलाओं की योनि में ढ़ीलापन आ गया हो, उन्हें 100 mg हींग में 5 ग्राम मेथीदाना, नागकेशर 500 mg और 10 ग्राम मुल्तानी मिट्टी किसी कपड़े में बांधकर रात मको योन्य के अंदर रखें। इससे योनि की बदबू भी मिट जाती है। सुबह कपड़े को फेंक देंवें।

【१८】शुद्ध हींग पानी में 4 से 5 घण्टे तक घोलने पर सफेद हो जाती है।

【१९】माचिस की जलती हुई तीली हींग के पास लाने से चमकदार लौ निकलती है तथा यह पूरी तरह जल जाती है।

【२०】आमतौर पर बाजार में मिलने वाली पिसी या खड़ी, दरदरी हींग में गोंद, चावल का आटा या स्टार्च, मिलाते हैं, ताकि कड़वापन कम हो सके।

【२१】हींग को तेज गरम देशी घी में भुजंकर आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग किया जाता है।

【२२】हींग पाचनतंत्र को ठीक करने में बहुत लाभकारी छोटे बच्चों के पेट फूलने पर या जब पेट में वायु की तकलीफ होती है, तो हींग को पानी में घोल कर पेट पर लेप लगाने से तुरन्त राहत मिलती है।

【२३】कफ-खासी की श्रेष्ठ ओषधि हींग–

छाती में जमा कफ निकालने के लिए हींग के साथ त्रिफला, सेंधानमक, शहद और अदरक का रस मिलाकर जल सहित मंदी आंच में पाककर सुबह खाली पेट लेने से कुकर खाँसी, अस्थमा तथा सूखी खांसी भी ठीक हो जाती है।

【२४】जिद्दी खांसी का रामबाण फार्मूला–

पुरानी से पुरानी जिद्दी खांसी जड़ से मिटाने का एक अवधूत साधु द्वारा बताया गया एक टोटका या उपाय जरूर आजमाएं। तीन दिन करें यह

■~ घरेलू उपाय-पहले मिट्टी का छोटा मटका लेकर उसकी बाहरी साथ पर हींग के पानी का लेप करके सूखा लें।

रात को सोने से एक घण्टे पहले तीन छुहारे कूटकर 200 ग्राम गुठली सहित लेकर दूध में इसी मिट्टी के मटके में अच्छी तरह ओटाएँ। गुनगुना रहने पर केवल दूध पीकर, बचे छुआरे को फ्रिज में रखें।

दूसरी रात इसी छुआरे में दूध डालकर फिर उबाले और दूध अकेला पीकर छुआरे फ्रिज में रख देंवें। तीसरी रात बचे छुआरों में फिर दूध मिलाकर उसी मटके में उबाले तथा छुआरे सहित दूध का सेवन करें।

तीनों दिन दूध पीने के बाद पानी नहीं पियें।

दूध उबालने के बाद मटके को रोज पानी से धोकर-साफ करके उल्टा करके रखें। दूसरे दिन पुनः हींग के पानी से लेप कर, दूध उबालें।

तीनों दिन दूध पीने के बाद पानी नहीं पीना है।

परहेज- रात में दही, अरहर की दाल नहीं खाएं।

【२५】हींग दीपण, पाचन, वातानुलोमक होती है।

【२६】कफ की दुगन्ध दूर करती है।

【२७】सूखे कफ को ढिला कर बाहर निकाल कर फेफड़ों के संक्रमण को मिटा देती है।

【२८】वात नाड़ियों को बलदायक है।

【२९】हींग गर्भाशय संकोचक होती है।

【३०】हींग पेट के सूक्ष्म कृमि, कीड़े का नाशकर खुजली, सफेद दाग, दाद में लाभकारी है।

【३१】हींग मधुमेह जैसे रोगों को पसीने द्वारा निकालकर प्रतिहार करती है।

【३२】हींग को देशी घी में भुजंकर लेने से कभी उल्टी जैसा मन नहीं होता।

【३३】अमाशय (Stomach) आंतों की शिथिलता, कमजोरी, चिकनापन हींग के सेवन से कम होता है। हिंग्वाष्टक चूर्ण बहुत ही लाभकारी है।

【३४】विषमज्वर में प्रतबन्धन कई दृष्टि से अन्न के साथ हींग का व्यवहार किया जाता है।

【३५】महिलाओं को प्रसव के बाद इसके उपयोग से आर्तवशुद्धि होती है।

【३६】बार बार होने वाले गर्भपात को रोकने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता था।

【३७】गर्भ रुकते ही ६ग्राम हींग की ६० गोलियां बनाकर प्रारम्भ में एक गोली दिन में 2 बार देते थे। बाद में हर माह मात्रा बढ़ाते हुए 10 गोली रोज देते थे। और 6 महीने बाद इसकी मात्रा कम करते जाते थे।

【३८】36 गढ़ के नागलोक, फुंकार आदि ग्रामीण नामक स्थान में नारियल के दूध में हींग को बहुत उबालकर सर्पदंश के स्थान पर लगाते हैं।

【३९】किसी विषैले कीड़े के काटने पर ओझा लोग हींग का पानी नाक में टपकाते हैं।

【४०】बिच्छू के काटने पर हींग लगाने से दर्द व जहर कम होता है।

【४१】बच्चों के पेट फूलने पर हींग को पानी में उबालकर पेट में लगाने से आध्मान शूल दूर होता है।

【४२】हींग को अफीम के साथ मिलकर उसे भयंकर दांत या मसूढ़ों पर लगाने से तुरन्त राहत मिलती है। इसे गड्ढे में रखें।

【४३】हींग, सेंधानमक तथा लहसुन तीनों को मिलाकर तेल बनाकर कर्णरोग, बहरापन, कमसुनाई पड़ना आदि दूर होते हैं।

【४४】नाक में फुंसी होने पर हींग के साथ गीला चुना मिलाकर लगाने से फुंसी बेथ जाती है।

【४५】अघोरी की तिजोरी से बालों के लिए चमत्कारी उपाय–

घर में ही बनाएं…हींग हर्बल हेयर क्वाथ….
एक मिट्टी का नया मटका लेकर उस पर 10 दिन तक रोज हींग का अंदर-बाहर लेप लगाकर सुखाएं। यह पात्र शुद्ध हो जाएगा।

■~ इस मिट्टी के पात्र में 10 दिन बाद अमृतम आंवला चूर्ण, अमृतम बहेड़ा चूर्ण, अमृतम त्रिफला चूर्ण, अमृतम भृङ्गराज चूर्ण,सभी एक-एक चम्मच। शिकाकाई, अनंतमूल, निलिनी पत्ती सभी 20-20 ग्राम सबको मिलाकर लगभग 1 लीटर पानी में 12 घण्टे भिगोकर रखें। इसके बाद इसे एक चौथाई रहने तक उबालकर छान लेवें।

■~ छने हुए काढ़े में अलसी के बीज उबालकर उसका रस निकालें। निकले हुए रस में आधा चम्मच नारियल तेल, नीलगिरी तेल, हेम्प ऑयल सभी को मिलाकर अच्छी तरह फेंटकर बालों में लगाकर एक दिन सूखने देंवें। फिर सादे जल या अमृतम हेयर थेरेपी शेम्पू से बाल धोकर हल्की धूप में सुखाएं।

■~ हींग हर्बल क्वाथ के फायदे-
बालों का कोई भी रोग, कीड़ा लग्न, बाल पतले होना, झड़ना-टूटना, रंग फीका पड़ना, रफ होना, जूं, रूसी, खुजली आदि विकार इसके उपयोग से 7 से 10 बार लगाने पर ठीक हो जाते हैं।

कुन्तल केयर हर्बल मॉल्ट का तीन महीने सेवन करें, ताकि पाचनतंत्र की गड़बड़ी से उत्पन्न केशरोग ठीक हो सकें।

आस पराई जो करे, जो होतन ही मर जाये…
दुनिया को हींग देने वाला भारत अभी दूसरे देशों के भरोसे बैठा है। भारत की बहुत सी जनता “हींग खाकर केवल हिंगने के अलावा दूसरी चीजों पर ज्यादा ध्यान नहीं देती। यह दुुःख का भी विषय है।

कभी बादाम केर्लीफोनिया से आयात होता था, अब भारत बहुत आत्म निर्भर हो रहा है। यहां मान्यता है कि बादाम खाने से अक्ल आती है, लेकिन गुरुजन बताते हैं कि- ठोकर, धोखा खाने से भी अक्ल आ जाती है। अच्छी गर्व की बात यह है कि-भारत के बादाम की अनेक देशों में मांग बढ़ रही है।

लोगों को शायद कम पता होगा कि हींग घर या किसी उद्योग में निर्मित नहीं जाती बल्कि यह हींग के वृक्षों से प्राप्त होता है। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि दुनिया में सर्वाधिक हींग का प्रयोग भारत में सबसे ज्यादा होता है लेकिन उत्पादन न के बराबर…….? हींग भारत में बहुत ही कम मात्रा में पैदा होता है।

किसी जमाने में आगरा शहर हींग के कारोबार में विश्वविख्यात था। आज भी “आगरा में हींग की मंडी” के नाम से पूरा एक बाजार है लेकिन अब व्यापार उतना नहीं होता।

उत्तरप्रदेश के हापुड़-हाथरस की हींग वर्तमान में सबसे सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। हाथरस के लोहट बाजार अकेले में हींग को साफ-शुद्ध, प्रॉसेस करने वाली करीब 65 से अधिक यूनिट स्थापित है। यहां लगभग 1000 करोड़ का कारोबार हिंग से होता है।

हींग के धंधे का बहुत बड़ा बाजार है- देश की राजधानी दिल्ली। यहां खारी बाबड़ी इलाका बहुत बड़ी मंडी बन चुका है।

हींग तेरे नाम अनेक….

हिंदी- हींग, बंगाली- हिंगु।

मराठी- हिंग। तेलगु- इङ्गव, इंगुरा।

ता.- पेरूँगीयम, पेरुग्यम,

कन्नड़- हिंगु।

फारसी- अंगुजह, अंगुजा, अंधुजेह-इलरी।

गुजराती- हिंगड़ो, वधारणी, हिंग वधारणी।

अरबी- हिल तीत्, हिलतीस।

अंग्रेजी में हींग को असेफीटिडा (Asafoetida)

कहते हैं। हिंग लेटिन भाषा में नाम –

फेरूला नार्थेक्स (Ferula foetida Regel) है।

बाजार में बिक्रय होने वाली हिंग के नाम…

चोखी हींग, हीरा हींग, राब हींग, तलाव हींग अच्छी मानी जाती है।

हींग सर्वप्रसिद्ध वस्तु एक मुस्लिम विदेशी पेड़ का निर्यास यानि रस है। हिंग की अनेक जातियां है और विभिन्न स्थानों पर होती हैं।

देश दुनिया में सही हिंग की जानकारी न होने पर 90 फीसदी मिलावटी हिंग बिकती है। शुद्ध हींग की कीमत लगभग 40 से 50000/- रुपये किलो है। अमृतम के सभी उत्पादों में शुद्ध हिंग का ही उपयोग या मिश्रण किया जाता है।

हींग में कई तरह के विटामिन, खनिज जैसे कैल्शियम , फास्फोरस , आयरन , केरोटीन , राइबोफ्लेविन , और नियासिन आदि होते हैं।

हींग में फेरूलिक एसिड नामक फीटो केमिकल की अधिक मात्रा का होना इसके औषधीय गुण का मुख्य कारण होता है।

फेरूलिक एसिड में एंटी कैंसर , एंटी इंफ्लेमटरी , एंटी ट्यूमर , एंटी वायरल , एंटी बेक्टिरियल , एंटी स्पास्मोडिक , तथा एंटीऑक्सीडेंट गुण समाहित रहते है।

प्रत्येक वृक्ष से ३०० से ५०० ग्राम हींग मिल सकती है। देशी हींग की अपेक्षा काबुली हींग सर्वश्रेष्ठ होती है।

हींग के दो प्रकार हैं- एक हींग काबूली सुफाइद (दुधिया सफेद हींग) और दूसरी हींग लाल। हींग का तीखा व कटु स्वाद है और उसमें सल्फर की मौजूदगी के कारण एक अरुचिकर तीक्ष्ण गन्ध निकलता है।

मिलावटी हींग–

हींग में कंकड़, बालू, मिट्टी, मूल के टुकड़े, गोदन्ती, बबूल गोंद, आटा आदि मिलाया जाता है। कभी-कभा जिन के कपड़े को वार्निश लगाकर डली बनाकर बेचते हैं।

हींग के वृक्ष से दूधिया रंग रबड़ की तरह जैसा पदार्थ निकलता है, जिसे धूप में सुखाने के बाद जो गोंद बन जाता है यही हींग है।

बंधानी हींग (Compounded Asafoetida) शुद्ध हींग न होकर निम्नलिखित घटको का मिश्रण होती है:

हींग 30%, मैदा, चावल का आटा, अरबी गोंद।

शुद्ध हींग बहुत तीक्ष्ण होता हे अतः इसे गेहूं के आटे मे मिलाकर तैयार करते हे।

हींग का महत्व व मसाले की कुछ विचित्र बातें…

जिस प्रकार रिश्तों में धर्मपत्नी के भाई अर्थात साले का योगदान होता है, वैसे ही मसाले में हींग का है। बस, हिंग का महत्व थोड़ा कम है और साले का दम से है। हींग गुम पेट में तहलका मचा देता है और साला कभी-कभा खुशी में गम ला देता है। कई बार दुःख में साथ भी निभाता है।

बुजुर्ग लोग कहते थे- हींग रखने वाला, …आला गन्ध से महकता बहुत है और दीवाल खराब कर देता है। सालों के लिए यह कहावत सबने सुनी ही होगी कि-

दीवार बिगाड़ी आलों ने, घर बिगाड़ा सालों ने।

इसका मतलब या अर्थ वही बता पायेगा, जिसने अनुभव लिया होगा।

हजारों वर्ष पूर्व भारत में सर्वाधिक हींग उत्पादक देश था, लेकिन लुटेरे सिकन्दर ने भारत में बहुत तबाही मचाकर अनेक संस्कृतियों को जड़ मूल से नष्ट कर दिया था।

इन हींग पौधों को जड़मूल से नष्ट कर बहुत से पौधे अपने साथ ले गया था। अधिकांश मुस्लिम लुटेरों को भारत के इतिहास में महान बताया, पढ़ाया जाता है जबकि उसने भारत को जमकर लुटा। उत्पात मचाया। बलात्कार किये। मन्दिर तोड़े और जाने कितना अनिष्ट किया। फिर कहते हैं सिकन्दर महान था।

हींग मुख्यत: काबुल, हिरात, खुरासान, फारस एवं अफगानिस्तान और ईरान में पैदा होता हैं। इस पेड़ से एक भयंकर गन्ध युक्त गाढा दूध निकलता है, जो रबड़ की तरह खिंचता से महसूस होता है। हींग के बारे में एक रोचक तथ्य यह भी है कि हींग की तीक्ष्ण गंध के कारण इसे शैतान की लीद (डेविल्स डुंग/Devil’s Dung) भी कहा जाता है।

हींग के पौधे 2 से 3 सेंटीमीटर तक ऊंचा होता है। पत्ते अनेक भागों में विभक्त, अजमोद या अजवायन के पत्तों के समान कटे किनारे वाले तथा 30 से 60 सेंटीमीटर लम्बे होते हैं। इन पौधों से निकला दूध इसे रेज़ीन कहते हैं।

हींग एक बारहमासी शाक है। इस पौधे के विभिन्न वर्गों के भूमिगत प्रकन्दों व ऊपरी जडों से रिसनेवाले शुष्क वानस्पतिक दूध को हींग के रूप में प्रयोग किया जाता है।



वंशलोचन स्त्री प्रजाति के बाँस पेड़ों से प्राप्त एक प्रकार की हर्बल सिलिका है,बांस सिलिका (FOLIUM BAMBUSEA) में अन्य सिल...
15/02/2025

वंशलोचन स्त्री प्रजाति के बाँस पेड़ों से प्राप्त एक प्रकार की हर्बल सिलिका है,बांस सिलिका (FOLIUM BAMBUSEA) में अन्य सिलिका स्रोतों की तुलना में अधिक सिलिकॉन डाइऑक्साइड होता है। इसमें लगभग 70 से 90% सिलिका होती है। इसमें मुख्य तौर पर सिलिका (सिलिकॉन डाइऑक्साइड) होती है, जो हड्डियों, स्नायुबंधन, tendons और त्वचा के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है।

👉इसमें शरीर के लिए आवश्यक अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं। यह समग्र स्वास्थ्य में सुधार करता है l वंशलोचन का शरीर के ऊतकों पर पुनर्स्थापनात्मक प्रभाव होता है।

वंशलोचन में कई औषधि गुण होते है।👇👇

👉आयुर्वेद के अनुसार, यह प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, इसलिए यह सितोपलादि चूर्ण का एक मुख्य घटक है जिसका उपयोग इम्युनो-मॉड्यूलेटर के रूप में किया जाता है।

👉यह सर्दी और बहती नाक के लिए बहुत प्रभावी दवा है।

👉वंशलोचन में अल्सर से बचाव करनेवाले गुण हैं। प्रवाल पिष्टी, मुक्ता पिष्टी, और यशद भस्म के साथ, यह पेप्टिक अल्सर और आंत्र सूजन के रोगों जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस और Crohn's disease में उत्कृष्ट परिणाम देता है।

👉बालों के विकास को प्रोत्साहित कर बालों को मजबूत बनाता है। यह प्रभाव उसमें स्थित प्राकृतिक सिलिका के कारण है। इसमें मौजूद सिलिका बालों को पतला होने से और बाल झड़ने से रोकता है।

👉वंशलोचन के गुण-लाभ और प्रयोग- वंशलोचन उत्तेजक, ज्वरहर, कफनि:सारक, बल्य, वृष्य, प्यासशमन करने वाला, उद्वेष्ठननिरोधि एवं माही होता है।

👉वंशलोचन से वसनसंस्थान की श्लेष्मलकला को पुष्टि मिलती है तथा कफ की मात्रा कम होती है।

👉वंशलोचन से बने हुए सितोपलादि चूर्ण का व्यवहार जीर्णज्वर, श्वास, कास, क्षय, मन्दाग्नि, कमजोरी, कफ में खून जाना, दाह, पूयमेह, मूत्रदाह तथा वातविकार एवं सर्पदंश में किया जाता है।

👉इसकी कोमल गांठ तथा पत्रों का क्वाय गर्भाशय संकोचक होता है। इसका उपयोग प्रसूता में आतंवशुद्धि के लिए एवं अन्य आर्तव विकारों में किया जाता है।

👉वंशलोचन के कोमलपत्र का उपयोग कफ से खून जाना, कुष्ठ, ज्वर तथा बच्चों के सूत्रकृमि में किया जाता है।

👉वंशलोचन के प्रांकुर (Shoots) का रस निकालकर कृमियुक्त थावों पर डाला जाता है तथा बाद में उसका पुल्टिस उन पर बाँध दिया जाता है।

👉जिन लोगों का पाचन ठीक नहीं होता उनको इसके कोमल प्रांकुरों से बने सिरके का उपयोग मांस-मछली के साथ देना उपयोगी होता है। इससे भूख बढ़ती है तथा पाचन भी ठीक होता है।

👉वंशलोचन की गाँठों को पीसकर जोड़ों के दर्द पर उसका बन्धन उपयोगी है।

👉वंशलोचन के बीज को गरीब लोग चावल के रूप में खाते हैं।

👉वंशलोचन का मूल विस्फोटक व्याधियों (Eruptive affections) में बहुत उपयोगी है तथा दाद पर लाभदायक है।
वंशलोचन के पुष्परस का उपयोग कर्णबिन्दु के रूप में कर्णशूल एवं बाधिर्य आदि में किया जाता है।

👉सेवन विधि एवं मात्रा- वंशलोचन चूर्ण 1 ग्राम सादे जल या गुनगुने दूध से लेना हितकारी रहता है।

👉अमृतम द्वारा निर्मित लोजेन्ज माल्ट में वंशलोचन का विशेष पध्दति द्वारा मिश्रण किया जाता है।

👉सावधानियां : उपयोग से पूर्व चिकित्सक से परामर्श जरूर लें। आयुर्वेद के अनुसार, वंशलोचन ज्यादा मात्रा में लेना प्रोस्टेट ग्रंथि और फेफड़ों के लिए अच्छा नहीं है I पथरी होनेपर और स्तनपान के दौरान इसका प्रयोग ना करे l

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18/01/2025

चैते चना , बैशाखे बेल ;
जेठे शयन , आसाढे खेल ।

सावन हरे , भादौ तीत ;
क्वार में करो , गुङ से प्रीत ।

कार्तिक मूली , अगहन तेल ;
पूष में करो , दुध से मेल ।

माघ मास घी खिचङी खाय ;
फागुन उठकर नित्य नहाय।

यह बारह जो सेवन करे ;
रोग दोष दुख तन कर हरे ।।

1️⃣ चैत्र के महीने में चने का सेवन जरूर करना चाहिए। नया चना प्रकृति नव परिवर्तन के साथ पथ्य बन जाता है । जो फाल्गुन में अपनी नमी के चलते वात प्रधान था। वह चैत्र में औषध जैसा बन जाता है।

2️⃣ वैशाख के महीने में बेल फल का सेवन जरूर करना चाहिए। पूरे वैशाख मास के अंदर फलों में हमेशा बेल फल को भोजन का हिस्सा जरूर बनायें ।

3️⃣ ज्येष्ठ के महीने में जब दिन में बाहर भयंकर गर्मी पड़ती है तो दिन के समय शयन कर, जरूर आराम करना चाहिए। वैसे आयुर्वेद में दिन में सोना वर्जित होता है, लेकिन सिर्फ ज्येष्ठ के महीने में ही सोने को अनुकूल माना गया है।
4️⃣ आषाढ़ के महीने में खेल यानि विभिन्न प्रकार के खेल , योग , कसरत , एक्सरसाइज करनी चाहिए। आषाढ के महीने का मौसम अनुकूल होता है और शरीर को भी आने वाले मौसम के लिए तैयार रखना जरूरी हैं।

5️⃣ सावन के महीने में छोटी हरङ का एक डंठल हर रोज एक दिन में एक बार मुंह में सुपारी की भांति रखकर के जरूर खाना चाहिए। हरङ त्रिफलों में एक महत्वपूर्ण औषधि है।

6️⃣ भाद्रपद महीने में तीत यानी किरायचा जरूर खाएं। किरायचा छोटे छोटे कवक जीवाणु आदि को शरीर से बाहर निकालता हैं, जो नुकसानदायक होते हैं।

7️⃣ आसोज के महीने में गुड़ जरूर खाना चाहिए । रात को सोते समय एक गुड़ की छोटी सी डली खाकर के कुल्ला करके सो जाएं। पूरा शरीर डिटॉक्स हो जाएगा।

8️⃣ कार्तिक के महीने में मूली जरूर खाएं । कार्तिक मास की सुबह में अगर आपने मूली खाई तो वह औषध के समान शरीर को गुण देती है।

9️⃣ मिक्सर महीने में तेल का सेवन जरूर करें , क्योंकि बाहर के सर्द मौसम से चमड़ी शुष्क हो जाती है। और हमारी चमड़ी को भी वसा की जरूरत होती है । मिक्सर में तेल खाना भी चाहिए और तेल से शरीर पर मसाज भी करना चाहिए।

🔟 पौष के महीने में दूध का सेवन जरूर करें । रात को सोते समय गाय का दूध अच्छी तरह से गर्म करने के पश्चात सोते समय पीकर सोयें।

1️⃣1️⃣ माघ के महीने में घी और खीचड़ी का भोजन जरूर करें। इस महीने में भगवान को भी खींचङे का ही भोग इसीलिए लगाते है।

1️⃣2️⃣ फाल्गुन के महीने में सुबह जल्दी उठकर जरूर अच्छी तरह से नहाना चाहिए , क्योंकि बाहर का मौसम इस महीने में उल्टा सीधा चलता रहता है। सुबह-सुबह सूर्योदय के साथ स्नान करके अपने शरीर के तापमान को संतुलित करना परम आवश्यक है।
हमारे पूर्वजों के द्वारा बताई गई ये समस्त बातें उनके वर्षों का अनुभव हैं। इसलिए ये सिर्फ किंवदंतियां नहीं सांईटीफिक भी पूर्ण निरापद बातें हैं।

ऐसा हर पदार्थ मौसम व समय के अनुसार खाया जाए तो ओषध जैसा होता हैं तो असमय सेवन से विष समान बन जाता हैं।

25/08/2023

मैं फेसबुक (Meta) को अपनी तस्वीरों, अपनी जानकारी या अपने प्रकाशनों, अतीत और भविष्य दोनों, मैं या मेरी या जहां मैं दिखाई देता हूं, का उपयोग करने की अनुमति नहीं दे सकता हूं। इस कथन के अनुसार, मैं फेसबुक को अपना नोटिस दे रहा हूं :-



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Everyone

10/08/2023

"व्यक्तित्व" एक ऐसी "छवि" है जो "कलम" या "जीभ" के प्रयोग के बिना भी
लोगों को "प्रभावित" कर सकती है।
🙏🏻ॐ नमः शिवाय🙏🏻

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