
21/04/2025
बच्चों में जल्दी यौवन (Early Puberty): एक बढ़ती हुई चिंता
पहले लड़कियों में पीरियड आने का समय 13 साल से अधिक था, आज यही समय घटकर 7 - 8 साल आ चुका हैं। अधिकतर माता पिता इस बात को लेकर परेशान नजर आते है।
आखिर क्या है कारण ? =
1. अधिक जंक फूड व प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ
आयुर्वेद कहता है: तामसिक और रजसिक आहार शरीर में अग्नि (पाचन शक्ति) को कमजोर करता है और दोषों का असंतुलन करता है।
मॉडर्न साइंस: जंक फूड में उच्च मात्रा में ट्रांस-फैट्स और रसायन होते हैं जो लेप्टिन और इंसुलिन जैसे हार्मोन्स को प्रभावित करते हैं। इससे यौवन ( puberty )जल्द शुरू हो सकता है।
2. कृत्रिम हार्मोन युक्त डेयरी व पोल्ट्री
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण: अस्वाभाविक रूप से विकसित खाद्य पदार्थ शरीर में विषाक्तता (आम) (टॉक्सिन )पैदा करते हैं।
आधुनिक चिकित्सा: हॉर्मोन-इंजेक्टेड दूध और मांस में 'xenoestrogens' पाए जाते हैं जो बच्चों के हॉर्मोनल सिस्टम को डिस्टर्ब करते हैं।
3. प्लास्टिक और रासायनिक तत्वों का अधिक संपर्क
आयुर्वेद: विषाक्त पदार्थ (विष) शरीर में रसायनिक विकार पैदा करते हैं और वात-पित्त-कफ का असंतुलन करते हैं।
मॉडर्न साइंस: BPA और Phthalates जैसे रसायन शरीर में 'एंडोक्राइन डिसरप्टर्स' की तरह काम करते हैं। ये नकली एस्ट्रोजन की तरह व्यवहार करके यौवन को पहले शुरू कर देते हैं।
4. तनाव और बढ़ता स्क्रीन टाइम
आयुर्वेदिक संदर्भ: मानसिक अशांति और असंतुलित दिनचर्या से मन व शरीर पर प्रभाव पड़ता है (मनसिक दोषों का प्रकोप)।
मॉडर्न साइंस: नींद में कमी और मेलाटोनिन हार्मोन का डिसरप्शन होता है, जो शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक को गड़बड़ा देता है।
5. शारीरिक गतिविधि की कमी और मोटापा
आयुर्वेद: आलस्य और अतिकफ प्रकृति से जुड़ा मोटापा शरीर की प्रकृति को बदलता है और विकृति को जन्म देता है।
मॉडर्न साइंस: मोटापा हाइपरइंसुलिनेमिया और फैट टिशू से एस्ट्रोजन बढ़ाता है, जिससे जल्दी यौवन आता है।
क्या करें? — समाधान आयुर्वेद और विज्ञान दोनों में है:
प्राकृतिक और संतुलित आहार अपनाएं (घर का बना, बिना रसायनों वाला भोजन)
बच्चों को नियमित व्यायाम, योग और ध्यान की ओर प्रेरित करें
स्क्रीन टाइम सीमित करें और परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं
BPA फ्री बोतलों और स्टील/कांच के बर्तनों का प्रयोग करें
बाजार से लाई गई चीज़ों के लेबल जरूर पढ़ें — खासकर डेयरी और पैक्ड चीज़ों के
समय रहते सावधान होना ज़रूरी है।
आज की जागरूकता ही आने वाली पीढ़ियों का स्वास्थ्य सुरक्षित कर सकती है।
इसे अपने मित्रों, माता-पिता और शिक्षकों के साथ जरूर साझा करें।
सिर्फ एक शेयर से कोई बच्चा सुरक्षित हो सकता है।
: - डॉक्टर भावना पालीवाल ( आयुर्वेदाचार्य)