Astrologer Jha Meerut

Astrologer Jha Meerut खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
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ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2-- हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

28/09/2025

श्री देव्याकवचं सुनें {कवच -दुर्गासप्तशती } खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ दोस्तों -श्री दुर्गासप्तशती का पाठ करन.....

09/09/2025

मेरी कुण्डली का तीसरा घर -आत्मकथा पढ़ें -भाग -117 - ज्योतिषी झा मेरठ
ज्योतिष के मेरे प्रिय पाठकगण --मेरी कुण्डली वैसे बहुत ही सशक्त ,मजबूत है --किन्तु यह तीसरा घर -जिससे व्यक्ति का पराक्रम का अनुमान लगाया जाता है एवं -भाई -बहिन के साथ कितनी मजबूती रहेगी -इसका विचार किया जाता है | -ईस्वर ने हमें जोर का झटका दिया --क्यों ? --क्योंकि यहाँ गुरु -बृहस्पति शुक्र राशि में उपस्थित हैं --एक तो यह घर गुरु का अपना नहीं है -शत्रु क्षेत्र में गुरुदेव हैं साथ ही इस तीसरे घर पर शनिदेव जो भाग्य में विराजमान हैं --इस घर को पूर्ण दृष्टि से देख रहे हैं --इसका अभिप्राय है -मैं भले ही कितना ही ज्ञानी हूँ या धर्मानुरागी या फिर अनंत गुणों से युक्त हूँ --जीवन भर यहाँ मेरी नहीं चली | हमने कभी किसी को धोखा नहीं दिया ,हमने कभी किसी का कुछ नहीं लिया ,हम अपने धन में ही खुश सदा रहे हैं ,सबको शिक्षाविद एवं सुसभ्य बनाने का सदा प्रयास किये | कोई भी शिष्य हो या अपने सबको धर्म युक्त मार्ग ही बताया है --केवल एक अवगुण मेरे में था --गलती मत करो ,याचना मत करो ,परिश्रम से धन कमाओ ,स्वाभिमान से जिओ ,जितना है प्रसन्न रहो --अधिक पाने के लिए सार्थक प्रयास करो या फिर ईस्वर अधीन हो जाओं --इन अवगुणों के कारण कभी भी मैं जीत नहीं सका --पराक्रम को या प्रजाओं को --क्यों ? --क्योंकि -मेरे भाग्य के क्षेत्र में नीच का शनि है --अतः मेरे जितने भी सगे -सम्बन्धी रहे या शिष्य या यजमान वो -धनाढ्य तो थे किन्तु अल्पज्ञानी थे ---अतः जिस प्रकार चोर के सामने व्यक्ति लाचार होकर अपने को तो समर्पित कर देता है --किन्तु मन यह रहता है -अगर कोई मेरी सहायता करे तो इस चोर को बता दूंगा मैं भी कोई चीज हूँ | ऐसा ही मेरे साथ सदा रहा --सबसे पहले माता पिता को सशक्त बनाना चाहा --वो बनें भी किन्तु अनुज का साथ मिलने पर हमें सबसे पहले नकार दिए | अपने अनुज को शिक्षित करना चाहा ,आज भी उसके पास उतनी सरस्वती हैं -पर धन आने पर -वो सबसे पहले मुझे ही तिरस्कृत किया | -जब हम 29 वर्ष के हुए --सभी परिजन होते हुए भी मैं अकेला था -तो एक यजमान को ही सगा समझने लगा --पर अंत में बाल -बाल धन से बचा अन्यथा -कुछ नहीं बचता | एक और दौर आया --20 17 में एक और यजमान से दोस्ती हो गयी --हुआ यह उसकी एक पूजा की जिसके प्रभाव से उसके घर की एक विषम कथा उजागर हो गयी जिसे न तो हम जानते थे न वो | इस बात से वो मित्र विक्षिप्त रहने लगा -उसकी आयु के लिए फिर जाप किये -वो मृत्यु से बच गया ,उसके बाद एक और पूजा हुई -उसके बाद --उसकी दुकान माँ के नाम थी -जो हमने प्रयास किया उसके नाम हो जाय हो गयी | उसके बाद मकान उसकी पतनी के नाम करबाने का प्रयास किया वो भी हो गया ,उसके बाद --उसका कारोबार समाप्त हो गया -हमारा उठना -बैठना एक साथ था -हमने कईबार कहा अगर तुम सही राह नहीं चलोगे तो बदनामी हमारी होगी --बहुत दिनों के बाद पत्ता चला -इसके पास धन बहुत है पर कर्जदारों को देना नहीं चाह रहा है --ऐसी स्थिति में --हमने कहा दुकान सबसे - कहो बेच दी और बैंक का कर्ज चुकाया --यह दुकान पंडितजी को दे दी जबकि सच यह था -दुकान उसकी ही थी ,जीएसटी उसके नाम ,पूंजीं उसकी थी, कमाई में आधा -आधा के दोनों हक़दार थे | उसकी पतनी को भी इस सच्चाई से दूर रखा ,--इसका परिणाम यह हुआ वो सबके कर्जदार होने के बाद भी मेरी वजह से बिना धन दिए मुक्त हो गया | अब कारोबार भी ठीक हो गया ,बाल बच्चे भी सही हो गए | जब वो चारो तरफ से सुरक्षित हो गया तो हम चाहने लगे उसकी पतनी को सभी बातों से अवगत करा दूँ --एवं हम अलग हो जाय क्योंकि मेरा मकसद उसे सही करने का था --एक दिन उसने मेरा इतना अपमान किया कि हम अपना -50 हजार छोड़कर एवं माह का हिस्सा छोड़कर चल दिए-- पर --कभी उस व्यक्ति ने न हो हिसाब दिया न ही गलती की क्षमा मांगी | --अब आपलोगों के मन में एक प्रश्न उठा होगा --ऐसे-- कैसे अपमान कर दिया --तो सुनें --जब हम साथ -साथ थे और बाहर से मुझे गरीब दिखा --तो हमने अपने घर का कूलर और अपने बालक की साइकिल दी --एकदिन बोला -मेरी घरवाली बोली शनिदान दिया है अतः बेचकर पैसे खा गया , हमने पूछा --जो धन खाया उसमें शनि नहीं था --और सुनों वो साइकिल मेरे बालक की थी --तुमने बेचकर अच्छा नहीं किया --मैं तुमसे बहुत नाराज हूँ --इसके बाद हमने कहा मैं तुम्हारा गुरु नहीं हूँ --पैर मत छूआ करो --उसके मन कई शंका उठने लगी --फिर क्या था -उसके सब काम बन चुके थे --जब दुनिया का धन खा गया तो मेरा धन खा जाये --इसमें कौन सी बड़ी बात है | ---अस्तु --कहने का अभिप्राय है --कुण्डली का यह ज्ञान मुझे था --पर मेरे कोई मार्गदर्शक नहीं थे --जिनसे कोई सलाह लेता --अतः कईबार मैं भावनाओं में बहक जाता हूँ --इससे चाहे अपने हों या पराये मुझे चोट बहुत ही पहुंची है | --मेरी कुण्डली --यह तीसरा घर सबसे हानि दी है --जिसका अनुभव अब हो रहा है ----अगले भाग में कुण्डली के चौथे घर की चर्चा करेंगें ----भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogs

08/09/2025

मेरी कुण्डली का दूसरा घर -आत्मकथा पढ़ें -भाग -116 - ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों -किसी भी जन्मकुण्डली के दूसरे घर से --व्यक्ति का धन और कुटुम्ब सुख देखा जाता है | --अस्तु -मेरे पास धन स्थिर रहेगा या चलायमान एवं कुंटुंब के सुख कैसे रहेंगें --इस पर जब मेरी नजर गयी --तब तक मैं 55 वर्ष का हो चूका था --इसका अर्थ है -हम एक ज्योतिषी होकर भी अपने जीवन में इन दोनों चीजों का समुचित लाभ नहीं ले सके | ज्यादातर व्यक्ति की चाहत धन प्राप्ति की तो होती है पर उसका लाभ कैसे मिलें या उसकी हानि से कैसे बचें --इस मामले में सही मार्गदर्शन लोगों को नहीं मिलता है --परिणाम आय से ज्यादा खर्च होता है या वो सिद्धान्तों की वजह से धन के मामले में अधूरा रह जाता है --अगर भूल से धन मिल भी जाय तो किसी न किसी कारण से धन खो देता है | --मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ -मेरा चन्द्रमा उच्च का है -जो मेरा मनोभाव को दर्शाता है --थोड़ा सा स्नेह मिले या तारीफ मेरी कोई कर दें --मेरे लिए धन मायने नहीं रखता है | इस बात का लाभ सबसे पहले माँ ने उठाया ,फिर पिता ने ,फिर परिजनों ने ,फिर पतनी ने --जब -जब पतनी की नजर से बचे तो शिष्यों ने खूब धन लाभ उठाया | यह जानते हुए कि यह व्यक्ति मेरा धन लेना चाहता है --फिर भी भावुकता में आकर हमने अपना धन तो खोया ही --मान -सम्मान भी खो दिया | --दूसरे घर का स्वामी मेरा बुध है जो उच्च का है -इसके साथ कर्मेश और पराक्रम क्षेत्र का शुक्र है जो नीच का है --इसका अर्थ है -धन देने के बाद भी हम किसी का नहीं हो सके न ही कोई सहायक रहे --वो तबतक रहे जबतक उनका काम बनता रहा --चाहे शिक्षा लेनी हो ,ज्योतिष की जिज्ञासा हो या फिर अपना काम आसान बनाना हो --ये लाभ आजीवन मुझसे लोग लेते रहे | इतना होने के बाद भी मुझे धन कमाने का तो लगाव रहा पर समेटने या अपने ऊपर खर्च करने का कोई शौक नहीं रहा | हम अपने जीवन अगर कोई चीज खोने में माहिर रहे तो वो या तो धन था या कुटुंब | इन दोनों को त्याग करने में तनिक भी कष्ट नहीं हुआ | इसका परिणाम यह हुआ -- जिसके हाथ हम आये तब तक उसके रहे जबतक उसके हाथ रहे -उसके बाद उस व्यक्ति ने चाहे अपने हों या परायें --इतनी जोर से पटका --कि हम उससे बहुत दूर होते चले गए | हमने किसी यजमान को यह कहा यह काम इतने में होगा --अगर उसने तनिक भी धन कम किया तो हम उसके चक्कर में सारा धन छोड़ दिए -साथ ही उस व्यक्ति को भी छोड़ दिए --इस बात का मुझे कभी भी मलाल नहीं रहा | अगर किसी मित्र से या अपनों से मेरी बातें नहीं मिलती हैं --तो हम उससे सदा दूर हो जाते हैं --चाहे वो पतनी या बच्चे ही क्यों न हों --इस बात का मुझे कभी मलाल नहीं होता है | --जीवन में हमने सदा एक प्रयास किया है --किसी को धोखा नहीं दो,किसी की आशा मत तोड़ों --अगर उसने ये काम किया तो हम सदा -सदा के लिए चल देते हैं --इस बात का मुझे कभी मलाल नहीं रहता है | --जीवन में कईबार किसी के साथ चलना चाहा --पर उस -उस ने अपने काम बनते ही मुझे शून्य बना दिया | लोग किसी को कर्ज देते हैं तो ब्याज लेते हैं --किन्तु हमने जितने को धन दिया व्याज तो दूर मूल धन ही नहीं दिया --साथ ही कभी न तो माँगा न ही उसके सामने गया --इसका लाभ बहुत लोगों ने उठाया | --अब आप पाठकों के मन में एक प्रश्न उठ सकता है --अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में ऐसा योग हो तो कैसे बचे --इसका जवाब है --होनी को कोई टाल नहीं सकता है --अगर किसी जातक को सही सत्संग या मार्गदर्शन मिले तो बच सकता है ---यह मार्गदर्शन मुझे नहीं मिला -जब हम केवल 11 वर्ष के हुए तभी मेरा पलायन मातृभूमि से हुआ --यह पलायन जब हम -30 वर्ष के हुए तब तक चलता रहा | इसके बाद -पतनी का आंचल ने संभाला -किन्तु भारत भूमि पर पतनी की लोग कितनी सुनते हैं --अतः ये दोनों हानि -धन एवं कुटुंब की थोड़ बहुत आज भी होती है | --अगले भाग में कुण्डली के तीसरे घर की चर्चा करेंगें ----भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogs

08/09/2025

जन्म राशि के सम्बन्ध में भविष्यवाणी पढ़ें -भाग -75 ज्योतिषी झा मेरठ
--जन्म राशि के सम्बन्ध का अगला भाग --
--11 --लग्न -5 -9 तथा 10 वें घरों के स्वामियों के अपने -अपने घर परस्पर बदल लेने से महान समृद्धि ,शक्ति तथा यश की प्राप्ति होती है | 9 -10 वें घरों के स्वामियों के एक दूसरे के घर में होने से अथवा 5 -9 वे घरों के स्वामियों के परस्पर घर बदल लेने से ,अथवा लग्न व 9 वें घर के स्वामियों के परस्पर घर परिवर्तन से महान सौभाग्य का उदय होता है | ऐसी अवस्थाओं में बुरे ग्रह भी उस व्यक्ति को धनि व यशस्वी बना देते हैं |
-12 --भाग्य -स्थान " नवां घर अथवा सौभाग्य का घर " का स्वामी लग्न में होना पर्याप्त अच्छा है | इसी प्रकार लग्न के स्वामी का भाग्यस्थान में होना भी अच्छा है |
--13 --यदि 5 -9 वें घरों के स्वामी दोनों ही लग्न हैं ,तो वो व्यक्ति यश और धन को प्राप्त करेगा |
-14 --नवें घर में एक या अधिक ग्रहों का एकत्र होना सौभाग्य और समृद्धि का दाता है | इस घर में ग्रहों की जितनी अधिक संख्या होगी ,उतनी ही स्थिति सुखद होगी |
--15 -पांचवें घर में भी एक या अधिक ग्रहों का एकत्र होना समृद्धि का द्योतक है |
--16 --लग्न में या दूसरे ,तीसरे अथवा ग्यारहवें घरों में तीन या चार ग्रहों की उपस्थिति भी महान समृद्धि देती है ,क्योंकि दो -दो घरों के स्वामी होने के कारण उनमें से कुछ का पांचवें ,नवें व दसवें घरों का मालिक होना निश्चित ही है |
-17 --उचित यही है कि 6 -8 -12 वे भाव में कोई ग्रह न हो जिनके इन घरों में अनेक ग्रह होते हैं ,उनको प्रायः जीवन में अनेक विफलताओं ,पराजयों का मुख देखना पड़ता है |
-18 --सभी जन्म -कुण्डलियों में लग्न का स्वामी व्यक्ति के शरीर का ,सूर्य उसकी आत्मा का ,चंद्र उसके मस्तिष्क का और पांचवें घर का स्वामी उस व्यक्ति का स्वामी उस व्यक्ति की बुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है |
--19 --जिन लोगों को जीवन में महान कार्य करने होते हैं ,उनकी जन्म -कुण्डली में अधिकांश ग्रह परस्पर सम्बंधित होते हैं ,चाहे वो उसी घर में हो अथवा अपनी दृष्टि रखते हों |
--20 --अन्य ग्रहों से बिलकुल अलग शनिग्रह विलक्षण सामर्थ्य है | 3 -7 -10 वें घरों पर दृष्टि डालने के साथ -साथ जिस घर में हों ,उसके आगे पीछे के एकेक घर को भी यह दूषित करता है ,प्रभावित करता है |
---अगले आलेख में शनि की साधें साती पर परिचर्चा करेंगें --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com

08/09/2025

मेरी कुण्डली का प्रथम भाव -आत्मकथा पढ़ें -भाग -115 - ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों -आत्मकथा के कुछ भाग शेष रह गए हैं | जब हम आत्मकथा लिखने लगे तो सोच केवल मेरी यह थी -मुझसे गलती कहाँ हुई -क्या अब कुछ ठीक कर सकते हैं | -2017 से चलते -चलते अब यह समझ में आया है --केवल गुरु का मागदर्शन ही किसी व्यक्ति को सही जगह आसीन कर सकता है | इसके सिवा भटकाव से बचने का कोई मार्ग हो नहीं सकता है | ---अस्तु --दोस्तों ज्योतिष की खोज केवल मानव के लिए हुई थी | इसका सही लाभ राजा -महराजा ही ले पाए | आज भले ही ज्योतिष सर्वमान्य है --किन्तु मार्गदर्शन शून्य है | आज भले ही घर -घर ज्योतिष है किन्तु भरोसा शून्य है | क्योंकि ज्योतिष वैदिक कर्मकाण्ड विहीन हो रहा है साथ ही संस्कृत भाषा से भी बहुत दूर हो चूका है | इसकी वजह से गुप्त शून्य है -जब सबकुछ उजागर हो जाता है तो फिर --व्यक्ति को कल का फिक्र नहीं होता है --इसकी आर में अधर्म एवं गलत राह से भी चिंता मुक्त रहता है | अतः हो सके तो अपनी ज्योतिष खुद न पढ़ें -गुरु जनों का सान्निध्य प्राप्त करें -इसमें ही किसी व्यक्ति का कल्याण हो सकता है | --मेरा जन्म निम्न परिवार में हुआ किन्तु गुरुजनों के सान्निध्य से वैदिक और ज्योतिषी भी बनें | कम उम्र में पलायन धन के लिए हुआ | दर -दर भटकता रहा | कुण्डली भी थी ,एक शास्त्री भी थे पर उपचार का सामर्थ नहीं था, न ही गुरु जनों का सान्निध्य | कुण्डली में राजयोग ,धन ,संपत्ति ,वाहन ,भवन को तो ढूंढते रहे पर सही गुरु जनों का मार्ग दर्शन नहीं होने के कारण --दुनिया की सभी वस्तुओं को प्राप्त करने के बाद भी दुःखी रहा | जब पहलीबार अपनी कुण्डली में ज्ञात हुआ --सिंह लग्न का हूँ --तो किताब के अनुसार अपने आप को राजा समझा | जब यह ज्ञात हुआ कि सूर्य के साथ मंगल भी लग्न में दो -दो त्रिकोण का स्वामी होकर बैठे हैं --तो अपने आपको प्रधानमंत्री से कम नहीं रहेंगें --किताबों के अनुसार और ऐसा हुआ भी | ---जीवन भर यह सुख मिला --राजा की तरह जीये ,कभी झुके नहीं ,तनिक सी गड़बड़ बात पसंद नहीं ,तनिक सी असभ्यता पसंद नहीं ,अपनी शान में कोई कमी न रहे ,जैसा मैं चाहू वही हो ,सभी मेरी बातों को अमल करें ,सबको बेहतर जीवन मिले ,सभी सुखी से रहें ,नित्य परोपकार करें ,एक सुन्दर समाज की रचना करें ,सत्य पथ पर सभी चलें ,सभी कर्मठ हों ,सबके घर में राम राज्य हो --इतने तमाम गुण मेरी कुण्डली के प्रथम भाव में थे ---ध्यान दें --समाज में धर्म है तो अधर्म भी हैं ,सत्य है तो असत्य भी है --अतः इतने गुण होने के बाद भी अपने घर को नहीं संभाल पाए ---क्यों ? क्योंकि जो व्यक्ति केवल किताब के आधार पर चलता है --वो ज्ञानी होते हुए भी अधूरा रहता है --अतः हर व्यक्ति को किताबों का ज्ञान अवश्य होना चाहिए --पर मार्गदर्शन किताबों से संभव नहीं है --अध्यात्म की दुनिया के लिए तो किताब सही है पर जीवंत दुनिया के लिए -एक मार्ग दर्शन दाता की जरुरत होती है --जो दोनों ज्ञान से जीने की कला सिखाये --इस मामले में मैं अधूरा रहा ,गुरु का सान्निध्य बाल्यकाल में समाप्त हो गया --अतः केवल किताबी ज्ञान पर चला --जो अहंकार से भरा था --अतः अधूरा रहा | हो सके तो सभी श्रोताओं से अनुरोध करना चाहता हूँ --एक सफल व्यक्ति बनना है --तो खूब ज्योतिष को मानें पर मार्ग दर्शन के बिना न चलें हमारी तरह अधूरा रह जायेंगें | --अगले भाग में अपनी कुण्डली के द्वितीय भाव क पर प्रकाश डालेंगें ---भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogs

08/09/2025

जन्म राशि के सम्बन्ध में भविष्यवाणी पढ़ें -भाग -74 ज्योतिषी झा मेरठ
--जन्म राशि के सम्बन्ध का अगला भाग --
--7 --किसी की परीक्षा में सफलता अथवा उसके शैक्षिक -भविष्य के सम्बन्ध में सभी प्रश्नों के उत्तर पांचवे घर के स्वामी को देखकर तथा यह अध्ययन करने पश्चात देने चाहिए कि क्या यह उच्चराशि है अथवा नीच -राशिस्थ है ? क्या यह पांचवे घर पर दृष्टि डाल रहा है ? क्या यह शुभ तथा उन्नत ग्रहों के साथ सहयोगी है अथवा क्रूर व अमंगलकारी ग्रहों के साथ है ? क्या यह लग्न स्वामी के शुभ -स्थिति में है ? और क्या यह पहले अथवा नवें जैसे महत्वपूर्ण घरों में स्थित है |
---8 --सूर्य ,गुरु ,शुक्र और चंद्र नम्र ,उन्नत ,शुभ ,कृपालु तथा मंगलकारी ग्रह समझते हैं ,अतः ये सब सुखदायक कहलाते हैं | शनि ,राहु ,केतु और मंगल कठोर ,शत्रुत्वपुर्ण ,राक्षसी ,अभद्र ,अशिष्ट ,क्रुद्ध तथा अवनत मानते जाते हैं | अतः ये सब दुःखदायक कहलाते है |
--9 --विवाह के सम्बन्ध में प्रश्नों का भविष्य सातवें घर के स्वामी के सन्दर्भ में घोषित किया जा सकता है कि क्या सातवे घर पर दृष्टि डाल रहा है ,अथवा सातवें घर में उपस्थित है कि ग्रह के वामी के साथ ही घर में उपस्थित है |
---क्या कोई दुःखदायक बुरे ग्रह सातवें घर को देख रहे हैं अथवा इसमें उपस्थित हैं ,कि क्या कोई बुरे ग्रह घर के स्वामी के साथ ही घर में उपस्थित हैं अथवा उस पर दृष्टि रखते हैं |
--सातवें घर से अथवा इस घर के स्वामी से यदि किसी भी प्रकार बुरे ग्रहों का सम्बन्ध है ,तो विवाह में देरी होगी ,पति -पतनी में सांसारिक सादृश्यता न होगी | इसके विपरीत यदि सातवां घर तथा इनका स्वामी केवल मात्र सुखदायक -अच्छे ,शुभ } ग्रहों से सम्बंधित हैं या उनकी दृष्टि इन पर पड़ती है ,तो विवाह शीघ्र होगा तथा वैवाहिक -सम्बन्ध पूरी तरह से सुखद होंगें |
--10 --भौतिक समृद्धि और व्यापारिक अथवा व्यावसायिक स्तर सम्बन्ध के बारे में नवें और दसवें घर की परीक्षा करनी चाहिए ,यदि नवें घर का स्वामी नवें घर में है अथवा लग्न में या 2 -5 घर में है ,या उच्च राशिस्थ है या नवें घर को देख रहा है ,तो वो व्यक्ति भाग्यशाली होगा तथा अपने जन्मकालीन सामाजिक व वित्तीय स्तर से पर्याप्त उन्नत स्तर को प्राप्त होगा | ---अगली राशियों का जिक्र अगले भाग में करेंगें --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com

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