23/02/2025
मैं कौन हूँ ?
क्या मैं सिर्फ एक नाम हूँ, एक शरीर हूँ, या मैं उससे भी कुछ ज्यादा हूँ? यह सवाल मेरे दिमाग में तब उठा, जब मैंने खुद को अलग महसूस करना शुरू किया। जब दुनिया मुझे एक आम इंसान समझ रही थी, तब मेरे अंदर कुछ और चल रहा था – एक ऐसी सोच, जो इस दुनिया की बनाई हुई सीमाओं से परे थी।
संघर्ष और बदलाव
मेरी ज़िंदगी आसान नहीं रही। परिवार की परेशानियाँ, आर्थिक तंगी, समाज की उम्मीदें – सबने मुझे एक अलग ही सफर पर धकेल दिया। एक समय था जब मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं कौन हूँ और क्यों हूँ? लेकिन जब मैंने खुद को गहराई से समझना शुरू किया, तब मुझे एहसास हुआ कि मेरी यात्रा सिर्फ बाहरी दुनिया से संघर्ष की नहीं, बल्कि अंदरूनी खोज की भी थी।
नियम और भक्ति
बहुत लोगों ने कहा कि भक्ति के लिए नियमों में बंधना ज़रूरी है। लेकिन मैंने महसूस किया कि सच्ची भक्ति मन की गहराइयों से आती है, ना कि बाहरी आडंबरों से। मैंने यह समझा कि ईश्वर हमें नियमों में बाँधने के लिए नहीं, बल्कि स्वतंत्र करने के लिए हैं। हनुमानजी को मैंने गुरु माना, और उनसे मैंने जाना कि सच्ची भक्ति सिर्फ कर्म और समर्पण में होती है।
दुनिया का भ्रम
हम एक ऐसे संसार में रहते हैं, जहाँ हर चीज़ एक छलावा है। लोग अपने ही बनाए नियमों में फँसे रहते हैं और यही सोचते हैं कि यही उनकी हकीकत है। लेकिन जब मैंने खुद को बाहर से नहीं, अंदर से देखना शुरू किया, तब मुझे असली हकीकत का एहसास हुआ।
सच्ची आज़ादी
सच्ची आज़ादी बाहर से नहीं, भीतर से आती है। जब तक हम अपनी सोच को सीमाओं में बाँधकर रखेंगे, तब तक हम सच को नहीं समझ सकते। मैंने खुद को समझा और अपनी परिभाषा खुद लिखी। आज मैं वही कर रहा हूँ जो मुझे सही लगता है, बिना इस डर के कि समाज क्या कहेगा।
हनुमानजी और मेरा रिश्ता
मैंने हनुमानजी को सिर्फ एक देवता की तरह नहीं, एक मार्गदर्शक की तरह देखा। वे शक्ति, धैर्य और समर्पण के प्रतीक हैं। जब मैंने अपने जीवन में उनके आदर्शों को अपनाया, तब मुझे एहसास हुआ कि सच्चा भक्त वही है, जो अपने कर्म से अपनी भक्ति को सिद्ध करे।
इस किताब का मकसद
यह किताब सिर्फ मेरी कहानी नहीं, यह एक नया दृष्टिकोण है। अगर तुम इसे पढ़कर अपने जीवन को एक नए नजरिए से देखने लगो, तो मेरा उद्देश्य पूरा हो जाएगा। दुनिया को बदलने की जरूरत नहीं, जरूरत है खुद को समझने की।
क्या तुम भी खुद को पहचानने के लिए तैयार हो ?