24/04/2023
#चरैवेति
प्रसन्न रहना.....
सकारात्मक रहना.....
सक्रिय रहना...............
संसार की सब शक्तियां आपकी अनुगामी होंगी.....
द्वेष से मुक्त रहना, सबसे प्रेम करना, सबके भाव में ईश्वर की व्याप्ति देखना... अहैतुकी कृपा के लिए ईश्वर के प्रति समर्पित रहना....
भूख से कुछ कम खाना...कोशिश करना कि तुम्हारे आसपास कोई भूखा न सोए...पास में कोई पौधा जल के बिना सूख न जाए........
ध्यान रखना सब रोगों के पीछे ईर्ष्या, घृणा, असंतुष्टि, क्रोध, शंका और दूसरों के भाग्य पर निर्भर रहना है....ये सब ईश्वरीय कृपाक्रम के विपरीत होते हैं, प्रभु का बनाया गया शरीर इन्हे पचा नहीं पाता है इसलिए जब तुम किसी से ईर्ष्या करते हो, द्वेष करते हो, घृणा करते हो, क्रोध करते हो, किसी से कोई इच्छा करते हो और उसकी पूर्ति न होने से असंतुष्ट रहते हो, अविश्वासी होते हो और सशंकित होते हो...बिना श्रम के दूसरों के भाग्य पर निर्भर रहते हो....तो शरीर शिरः शूल, उदर शूल, पूर्णांग शूल, रक्तचाप, अश्मरी, हृदय शूल, मस्तिष्क विभ्रम और महाभयकारी अर्बुद जैसे रोगों को प्राप्त हो जाता है। अनेक गुप्त और असाध्य रोग तुम्हें घेर लेते हैं।....चिकित्सक कहते हैं कि रोग कैसे हुआ, उन्हें इसका पता नहीं...लेकिन तुम जान लीजिए कि कैंसर, गुर्दे फेलियर, पित्त की थैली की पथरी, हार्ड अटैक, ब्रेन हैमरेज और सारे शरीर में विषैले रोग केवल आपके विचारों के कारण फैलते हैं....विचारों में नकारात्मकता, ईश्वर के प्रति समर्पण का न होना, सब कुछ खुद करने का अहंकार होना, दया और धर्म से दूर होना, अन्याय का समर्थन करना और अपनों को भी पीड़ित करना....ये सारा संसार केवल इसीलिए पीड़ित होकर चिकित्सकों के द्वार पर खड़ा है, क्योंकि इसमें रहने वाले एक दूसरे के खून के प्यासे हैं और आपस में पीड़ा पहुंचा रहे हैं....जिस दिन संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम् का भाव जाग्रत हो जाएगा....सब रोग भाग जाएंगे....चहुंओर सुख होगा, दुःख दूर तक दिखाई नहीं देगा और दुःखी लोग भी नहीं मिलेंगे....सब सुखी हों तो उसके लिए सबको सबके सुख का भाव जाग्रत करना ही होगा....नहीं तो एक दिन यह पृथ्वी तुम्हारे दुर्विचारों की ज्वाला से फट पड़ेगा और इस महाविस्फोट से मानव जाति नष्ट हो जाएगी।
आचार्य चन्द्रशेखर शास्त्री