Bhadesia Hospital, Morbi

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Dr Jayanti Bhadesia ( MS) Gen. Dr Purnima Bhadesia( MBBS)

માન મુખ્યમંત્રીશ્રીને જન્મદિવસ શુભકામનાઓ 🌹🌹🌹
15/07/2024

માન મુખ્યમંત્રીશ્રીને જન્મદિવસ શુભકામનાઓ 🌹🌹🌹

हमें खुशखबरी है कि ईश्वर की असीम कृपा और बड़ों के आशीर्वाद से भाडेसीया परिवार में पुत्र रत्न का जन्म हुआ है।परदादी: चंपा...
05/06/2024

हमें खुशखबरी है कि ईश्वर की असीम कृपा और बड़ों के आशीर्वाद से भाडेसीया परिवार में पुत्र रत्न का जन्म हुआ है।
परदादी: चंपाबेन
दादा-दादी: डॉ. जयंतीभाई-डॉ. पूर्णिमा
नाना-नानी: रसिकभाई-हीराबेन
माता-पिता: डॉ. माया-डॉ. प्रणव

હું અને ડૉ. પૂર્ણિમા નવેમ્બર 2018માં ભારત તિબેટ સહયોગ મંચ દ્વારા આયોજિત તવાંગ યાત્રા (અરુણાચલ)માં ભારતના વિવિધ ભાગોમાંથી...
28/05/2024

હું અને ડૉ. પૂર્ણિમા નવેમ્બર 2018માં ભારત તિબેટ સહયોગ મંચ દ્વારા આયોજિત તવાંગ યાત્રા (અરુણાચલ)માં ભારતના વિવિધ ભાગોમાંથી અન્ય ઘણા લોકો સાથે ગયા હતા. આ યાત્રા પરનો લેખ પૂર્ણિમાએ લખ્યો હતો અને બે સામયિકોમાં પ્રકાશિત થયો હતો. આ વર્ષે ગુજરાત પાઠ્ય પુસ્તક મંડળે ધોરણ 7 નું નવું ગુજરાતી ભાષાનું પાઠ્ય પુસ્તક બનાવ્યું, આ પુસ્તકમાં આ વિષયને એક પાઠ તરીકે લેવામાં આવ્યો છે. આ અમારા માટે ગર્વની વાત છે અને મંડળનો આભાર છે કે જેમણે ધર્મ, પ્રકૃતિ અને રાષ્ટ્રપ્રેમના સંયુક્ત આ કૃતિને સંમતિ દર્શાવી .આ રીતે આ વિષય લાખો વિદ્યાર્થીઓ, શિક્ષકો અને વાલીઓ સુધી પહોંચશે . ભારતમાં રહેલી વિવિધતામાં એકતા અને સંપૂર્ણ ભારતને જાણવા માણવા તથા એકત્વની અનુભૂતિ કરાવવામા મદદરુપ થશે.આપણી માતૃભાષાને લગતી ઘણી બાબતોને પ્રોત્સાહિત કરવા માટે આર્ટિકલને વાતચીત સંવાદ કરવાની સરળ રીતમાં બદલવામાં આવ્યો હતો. ભારતની આવી વિવિધ લોકોને જોડતી યાત્રામાં બધા જોડાય તેવી અપેક્ષા.

04/05/2024
31/01/2024

અયોધ્યા રામ મંદિર પ્રાણ પ્રતિષ્ઠા મહોત્સવમાં સહભાગી થનાર ડો. જયંતિભાઈ ભાડેસિયા સાથે મોરબી અપડેટની ખાસ વાતચીતએન.....

સ્વામી વિવેકાનંદ જયંતિએ આજે સવારે 8:00 વાગ્યે સ્વામીજીને ફુલહાર કર્યા
12/01/2024

સ્વામી વિવેકાનંદ જયંતિએ આજે સવારે 8:00 વાગ્યે સ્વામીજીને ફુલહાર કર્યા

01/01/2024
भगवान दत जयंति अवसर दिनांक २६.१२.२३ कच्छके काला डुंगर दत मंदिर पर पूजन, अर्चन, धर्मसभा और समूह प्रसाद हुआ। रापर के रविभा...
27/12/2023

भगवान दत जयंति अवसर दिनांक २६.१२.२३ कच्छके काला डुंगर दत मंदिर पर पूजन, अर्चन, धर्मसभा और समूह प्रसाद हुआ। रापर के रविभाण मंदिर के महंत श्री त्रिकालदासजी महाराज ने प्रेरणात्मक बोध प्रदान कीया।

जन्मदिन पर वंदनजन्मदिन/25 दिसंबर*अटल* बिहारी वाजपेयीराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर तय...
25/12/2023

जन्मदिन पर वंदन

जन्मदिन/25 दिसंबर
*अटल* बिहारी वाजपेयी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर तय करने वाले युग पुरुष अटल बिहारी वाजपेयीजी का जन्म ग्वालियर में 25 दिसंबर 1924 को हुआ। अटलजी के पिता का नाम पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा वाजपेयी था। पिता पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापक थे। कृष्ण बिहारी वाजपेयी साथ ही साथ हिन्दी व ब्रजभाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। अटल बिहारी वाजपेयी मूल रूप से उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा जिले के प्राचीन स्थान बटेश्वर के रहने वाले थे। इसलिए अटल बिहारी वाजपेयी का पूरे ब्रज सहित आगरा से खास लगाव था। अटल बिहारी वाजपेयीजी की बीए की शिक्षा ग्वालियर के वर्तमान में लक्ष्मीबाई कॉलेज के नाम से पहचाने जाने वाले विक्टोरिया कॉलेज में हुई। ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक करने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने कानपुर के डीएवी महाविद्यालय से कला में स्नातकोत्तर उपाधि भी प्रथम श्रेणी में प्राप्त की।


अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रखर वक्ता और कवि थे। ये गुण उन्हें उनके पिता से वंशानुगत मिले। अटल बिहारी वाजपेयीजी को स्कूली समय से ही भाषण देने का शौक था और स्कूल में होने वाली वाद-विवाद, काव्य पाठ और भाषण जैसी प्रतियोगिताओं में हमेशा हिस्सा लेते थे। अटल बिहारी वाजपेयीजी छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में हिस्सा लेते रहे। अटल बिहारी वाजपेयीजी ने अपने जीवन में पत्रकार के रूप में भी काम किया और लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। अटल बिहारी वाजपेयीजी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे और उन्होंने लंबे समय तक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे प्रखर राष्ट्रवादी नेताओं के साथ काम किया।

पंडित अटल बिहारी वाजपेयीजी सन् 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। अटल बिहारी वाजपेयी सन् 1957 के लोकसभा चुनावों में पहली बार उत्तर प्रदेश की बलरामपुर लोकसभा सीट से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुंचे। अटलजी 1957 से 1977 तक लगातार जनसंघ की ओर से संसदीय दल के नेता रहे। अटल बिहारी वाजपेयीजी ने अपने ओजस्वी भाषणों से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू तक को प्रभावित किया। एक बार अटल बिहारी वाजपेयी के संसद में दिए ओजस्वी भाषण को सुनकर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनको भविष्य का प्रधानमंत्री तक बता दिया था और आगे चलकर पंडित जवाहर लाल नेहरू की भविष्यवाणी सच भी साबित हुई।

अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व बहुत ही मिलनसार था। उनके विपक्ष के साथ भी हमेशा मधुर संबंध रहे। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजयश्री के साथ बांग्लादेश को आजाद कराकर पाक के 93 हजार सैनिकों को घुटनों के बल भारत की सेना के सामने आत्मसमर्पण करवाने वाली देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधीजी को अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में दुर्गा की उपमा से सम्मानित किया था और 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाने का अटल बिहारी वाजपेयी ने खुलकर विरोध किया था। आपातकाल की वजह से इंदिरा गांधी को 1977 के लोकसभा चुनावों में करारी हार झेलनी पड़ी और देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार जनता पार्टी के नेतृत्व में बनी जिसके मुखिया स्वर्गीय मोरारजी देसाई थे और अटल बिहारी वाजपेयी को विदेश मंत्री जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया गया था।

अटल बिहारी वाजपेयी ने विदेश मंत्री रहते हुए पूरे विश्व में भारत की छवि बनाईं और विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र में हिन्‍दी में भाषण देने वाले देश के पहले वक्ता बने। अटलजी 1977 से 1979 तक देश के विदेश मंत्री रहे। 1980 में जनता पार्टी के टूट जाने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने सहयोगी नेताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 1996 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। भाजपा द्वारा सर्वसम्मति से संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद अटलजी देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन अटलजी 13 दिन तक देश के प्रधानमंत्री रहे।

उन्होंने अपनी अल्पमत सरकार का त्याग पत्र राष्ट्रपति को सौंप दिया। 1998 में भाजपा फिर दूसरी बार सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और अटल बिहारी वाजपेयी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन 13 महीने बाद तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय जयललिता के समर्थन वापस लेने से उनकी सरकार गिर गई, लेकिन इसी बीच अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते हुए दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए पोखरण में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट कर सम्पूर्ण विश्व को भारत की शक्ति का एहसास कराया। अमेरिका और यूरोपीय संघ समेत कई देशों ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए लेकिन उसके बाद भी भारत अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में हर तरह की चुनौतियों से सफलतापूर्वक निबटने में सफल रहा।

अटल बिहारी वाजपेयी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री रहते हुए पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल की और पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए 19 फरवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू कराई। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज शरीफ से मुलाकात की और आपसी संबंधों में एक नई शुरुआत की। लेकिन कुछ ही समय पश्चात् पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ की शह पर पाकिस्तानी सेना व पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान द्वारा कब्जा की गई जगहों पर हमला किया और पाकिस्तान को सीमा पार वापस जाने को मजबूर किया।

एक बार फिर पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी और भारत को विजयश्री मिली। कारगिल युद्ध की विजयश्री का पूरा श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी को दिया गया। कारगिल युद्ध में विजयश्री के बाद हुए 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 13 दलों से गठबंधन करके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के रूप में सरकार बनाई और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने अपना पूरा पांच साल का कार्यकाल पूर्ण किया। इन पांच वर्षों में अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम छुए और राजग सरकार ने गरीबों, किसानों और युवाओं के लिए अनेक योजनाएं लागू कीं।

अटल सरकार ने भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की शुरुआत की और दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्ग से जोड़ा गया। 2004 में कार्यकाल पूरा होने के बाद देश में लोकसभा चुनाव हुआ और भाजपा के नेतृत्व वाले राजग ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 'शाइनिंग इंडिया' का नारा देकर चुनाव लड़ा, लेकिन इन चुनावों में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला। लेकिन वामपंथी दलों के समर्थन से कांग्रेस ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व में केंद्र की सरकार बनाई और भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ा। इसके बाद लगातार अस्वस्थ रहने के कारण अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति से संन्यास ले लिया।

अटलजी को देश-विदेश में अब तक अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2015 में भारत के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके घर जाकर सम्मानित किया। भारतीय राजनीति के युगपुरुष, श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ, कोमलहृदय संवेदनशील मनुष्य, वज्रबाहु राष्ट्रप्रहरी, भारतमाता के सच्चे सपूत, अजातशत्रु पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी का 16 अगस्त 2018 को 93 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में इलाज के दौरान निधन हो गया। भारत माता ने अपना एक महान सपूत खो दिया है। किसी के सामने हार नहीं मानने वाले और 'काल के कपाल पर लिखने-मिटाने' वाली वह अटल और विराट आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई। उनका व्यक्तित्व हिमालय के समान विराट था। अटलजी देश के लोगों के जीवन में अपनी महान उपलब्धियों और अपने विचारों का ऐसा उजाला डालकर गए हैं जो कि देश के नौजवानों को सदा राह दिखाते रहेंगे।

अटलजी सदा मुस्कराहट का परिधान पहने रहते थे, उनकी मुस्कराहट उनकी आत्मा के गुणों को दर्शाती थी, उनकी आत्मा सच में एक पवित्र आत्मा थी, जिसे दैवीय शक्ति प्राप्त थी। अटलजी की ईमानदारी, शालीनता, सादगी और सौम्यता हर किसी का दिल जीत लेती थी। उनके जीवन दर्शन और कविताओं ने भारत के युवाओं को एक नई प्रेरणा दी। करोड़ों लोगों के वे रोल मॉडल हैं। भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री के रूप में देश के आर्थिक विकास और गरीब वर्ग के सामाजिक कल्याण के लिए उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। भारतीय राजनीति के भीष्म पितामह को राष्ट्र हमेशा याद करेगा। उनकी अटल आवाज और उनके किए महान कार्य हमेशा राष्ट्र के बीच अमर रहेंगे।
વંદન

15/12/2023

दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा॥सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती।।भ....

04/12/2023

24/11/2023

The learn to enjoy every minute of your life .Be happy now . Don’t wait for something outside of yourself to make you happy in the future
- Earl Nightingale
( from book- Sukhopnishad)

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