Dr.Pavan Tijare

Dr.Pavan Tijare Here to spread the wisdom of Ayurveda, Spirituality and Yoga. Vaidya Dr.Pavan Tijare is a qualified Consulting Ayurved Physician.

He is Panchgavya and Lifestyle disorder expert successfully treating patients in Nagpur, Maharastra with Ayurvedic treatment.

सफेद दाग क्या हैं? यह एक त्वचारोग हैं जिसमे त्वचापर सफेद दाग उत्पन्न हो जाते हैं। यह दाग विभिन्न अंगो में विभिन्न आकार क...
14/09/2021

सफेद दाग क्या हैं?

यह एक त्वचारोग हैं जिसमे त्वचापर सफेद दाग उत्पन्न हो जाते हैं। यह दाग विभिन्न अंगो में विभिन्न आकार के उत्पन्न होते हैं। जब त्वचा में रंग कोशिकाऐ नष्ट होती हैं या फिर निर्माण ही नही होती तब त्वचा पर सफेद दाग उत्पन्न होते हैं। इसे कोड/ श्वित्र/ Vitiligo/Leucoderma के नाम से जाना जाता हैं।

इसके उत्पन्न होने के क्या कारण हैं?

यह उत्पन्न होने के बहुत से कारण हैं। इन कारणो में से रोगप्रतिरोधक क्षमता में गड़बड़ी, बाहरी चोट, पेट में कृमि होना, अत्याधिक मानसिक तनाव, रंग कोशिकाओ में विकृति, विरुद्ध आहार का सेवन यह मुख्य कारण हैं।

यह बिमारी शरीर के किसी भी हिस्से की त्वचा को प्रभावित कर सकती हैं पर मुख्य रूप से शरीर के खुले भाग हाथ, चेहरा और छाती का ऊपरी भाग और आँखे, मुँह, नाक, स्तन, जननेंद्रिय, बगल, जंघा, चोट लगनेवाली जगहपर उत्पन्न होते हैं। यह बिमारी सामान्य तौर पर पुरुषों की तुलना में स्त्रियो में अधिक पायी जाती हैं। इस बिमारी से दुनिया के १-२% लोग ग्रसित हैं। भारत में इसका प्रमाण लगभग ८-९% हैं। इस रोग में आम तौर पर कोई शारीरिक पिडा का लक्षण नही दिखाई देता और नाही यह छूने से फैलनेवाली बिमारी हैं। फिर भी सामाजिक दृष्टिकोण एवं आत्मग्लानि के कारण रुग्ण मानसिक तौरपर निराश और हतोत्साहित नज़र आता हैं।

आयुर्वेद से रंग कोशिकाओ को पुनर्जीवित किया जा सकता हैं। इसे श्राप ना मानते हुये, केवल एक बिमारी के स्वरुप देखकर इसका इलाज करवाना चाहिये। हमारे व्यवहार से इस बिमारी से प्रभावित रुग्ण हतोत्साहित ना हो यह एक मनुष्य होने के नाते हमारा कर्तव्य हैं। आओ मिलकर आयुर्वेद के संग रुग्ण के रंग कोशिकाओ के साथ साथ आत्मसन्मान को पुनर्जीवित करे। सही जानकारी लोगों तक पहुँचाना इस पोस्ट का उद्देश हैं। सहयोग करें! शेअर करें!

आपका,
वैद्य डाॅ.पवन ईश्वर तिजारे,
श्री सेवा आयुर्वेद चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र, नागपुर

सफेद दाग (कोड)...आज हमारा समाज प्रगती की ओर अग्रेसर हैं तथा वैचारिक दृष्टिकोन से काफ़ी हद तक प्रगल्भता प्राप्त कर चुका ह...
16/08/2021

सफेद दाग (कोड)...

आज हमारा समाज प्रगती की ओर अग्रेसर हैं तथा वैचारिक दृष्टिकोन से काफ़ी हद तक प्रगल्भता प्राप्त कर चुका हैं। आज समाज से छुआ-छूत जैसी कुप्रथायें समाप्त हो चुकी हैं, लेकिन शारीरिक व्यंग या विकलांगता की ओर देखने का तरिका आज भी आंशिक रूप से क़ायम हैं। इसी वजह से शारीरिक व्यंग या विकलांगता पिडित व्यक्ती शायद असहज महसूस करता हैं। इस असहजता के चलते पता ही नही चलता की वह व्यक्ती कब नैराश्य से ग्रसित हो जाता हैं। ऐसा ही एक व्यंग हैं सफेद दाग जिसे सामान्य भाषा में “कोड” कहा जाता हैं।

मनुष्य शरीर व्यक्ती को मिला इस प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ उपहार हैं। एक व्यंग के चलते इस उपहार की उपेक्षा करना उचित नही हैं। इसे स्विकार कर इस व्यंग से मुक्ति पाने के लिये निरंतर प्रयास करना चाहिये। हमें एक बात हमेशा याद रखनी चाहिये की, इस दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नही हैं। आज आधुनिक चिकित्सा विज्ञान आसमाँ की बुलंदीयों को छू रहा हैं कई लक्षणो का तुरंत समाधान दिया जा रहा हैं। गंभीर रोगों की आपात्कालीन चिकित्सा मुमकिन हो रही हैं, पर कुछ अब भी असाध्य हैं। प्रचलित चिकित्सा पद्धति में सफ़ेद दाग का स्थायी इलाज नही हैं तो क्या हुआ? इस स्थिती में अपना आयुर्वेद हमेशा की तरह समय की कसोटि पर खरा उतर रहा हैं।

जी हाँ! आयुर्वेद से इसका इलाज संभव हैं और कई सफेद दाग याने कोड के रुग्ण इस चिकित्सा से लाभान्वित हो रहे हैं। आयुर्वेद में "श्वित्र" नाम से इस रोग का वर्णन किया गया हैं और आयुर्वेद ग्रंथो में इसकी चिकित्सा भी वर्णित हैं। औषधी चिकित्सा, परहेज़ और पंचकर्म से इसका इलाज किया जाता हैं। सिर्फ़ सही जानकारी का अभाव होने से व्यक्ती को इस व्यंग की मानसिक पीड़ा से मुक्ति नही मिल रही हैं। सही जानकारी लोगों तक पहुँचाना इस पोस्ट का उद्देश हैं। सहयोग करें! शेअर करें!

आयुर्वेद के संग बिमारीयों से स्वतंत्रता...आज स्वतंत्रता दिवस बड़े ज़ोरों शोरों से मनाया गया। लेकिन क्या हम सच में स्वतंत...
15/08/2021

आयुर्वेद के संग बिमारीयों से स्वतंत्रता...

आज स्वतंत्रता दिवस बड़े ज़ोरों शोरों से मनाया गया। लेकिन क्या हम सच में स्वतंत्र हो गये हैं? हमारा समाज सच में मानसिकरूप से स्वतंत्र हैं?

हमारे भारत देश में मुख्य रूप से बोली जानेवाली २१ भाषा होने के बावजुद हम आज भी अंग्रेजो की भाषा बोलने में गर्व महसूस करते हैं। अंग्रेजो से आजादी मिले ७५ वर्ष हो गये हैं फिर भी हमारा देश आज भी ज़्यादातर अंग्रेजो के बनायें क़ानूनोंपर ही चलता हैं।हम आज भी खुद की कालगणना पद्धति होते हुये अंग्रेजो की ही कॅलेंडर उपयोग में लाते हैं। इस सोच से आजादी ना मिलने की मुख्य वजह अंग्रेजो की बनाई शिक्षा पद्धती हैं।इतना ही नही भारत की चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के होते हुये हम आज भी पुरी तरह अंग्रेजी चिकित्सा पद्धतिपर निर्भर हैं।

दुनिया की प्रथम शल्यचिकित्सा (सर्जरी) आयुर्वेद में हुई यह सारी दुनिया मानती हैं। शल्यचिकित्सा का सुश्रुत संहिता ग्रंथ इसका लिखित प्रमाण हैं। शल्यचिकित्सा, औषधी चिकित्सा, बालरोग ऐसे कई अंगो में आयुर्वेद सदियों से मानव हित में योगदान देते आ रहा हैं। आयुर्वेद से ही सभी चिकित्सा प्रणालीयों का उगम हुआ हैं। आज भी आयुर्वेद के सिद्धांत शाश्वत और उतने ही उपयुक्त हैं। लेकिन अंग्रेजो ने षड्यंत्रपूर्वक आयुर्वेद को नष्ट करने प्रयास किया। आज हम शारीरिक तौर पर आज़ाद हुये हो लेकिन मानसिक गुलामी बरकरार हैं। इस गुलामीवश आज आयुर्वेद की जो दशा हैं इसके लिये हम स्वयं ज़िम्मेदार हैं। इस ७५ वे स्वतंत्रता दिवस पर आयुर्वेद को वैकल्पिक से मुख्य चिकित्सा पद्धति बनाकर स्वतंत्र करें तभी सही मायने में आज़ादी होगी।

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें! 💐🇮🇳

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