
14/01/2024
प्रवाल भस्म
प्रवाल का वर्णन आयुर्वेद मे “रत्न” इस वैशिष्ट पूर्ण द्र्व्यो के समूह मे दिया है I
प्रवाल को मुंगा या विद्रुम भी कहते है I
प्रवाल का रासायनिक सूत्र Caco3 है I पक्व बिम्ब फल के वर्ण जैसा लाल रंग का प्रवाल श्रेष्ठ माना जाता हैI
प्रवाल शोधन :-
जयंत्या स्वरसेनेह दोलायान्त्रे तु विद्रुमम I
यामैकम सुपरिस्विन्नं शुद्धीमायात्यनुत्यमाम II
प्रवाल का शोधन जयंती स्वरस मे दोलायन्त्र का उपयोग करके किया जाता है I
प्रवाल भस्म (चंद्रपुटी ) अथवा प्रवाल पिष्टी :-
प्रवाल भस्म का शोधन होणे के उपरांत प्रवाल का चंद्रपुटी भस्म बनाने के लिये शुद्ध प्रवाल को गुलाब जल या चंदनादी अर्क के साथ खरल मे मर्दन करनेके पश्चात उसे चंद्र के प्रकाश मे सुखाया जाता है, जिसके कारण उसमे चंद्र कि शीतलता आ जाती है I
प्रवाल भस्म (चंद्रपुटी ) अथवा प्रवाल पिष्टी के उपयोग :-
क्षयपित्तस्त्रकसघ्नं दीपनं पाचनं लघु I
विषभूतादिशमनं विद्रुमं नेत्ररोगनुत II
यह प्रवाल भस्म क्षय, रक्तपीत्त, कास इ. व्याधियो मे परम गुण कारक है I साथ मे यह दीपक पाचक भी है I
यह विष का शरीर से हरण भी करता है I यह नेत्र रोग कि विशेष औषधी के रूप मे काम करता है I
प्रवाल भस्म / व्याधी और अनुपान
1.ज्वर मे प्रवाल भस्म गीलोय सत्व के साथ उत्तम कार्य करता है I
2.रक्त स्त्राव मे प्रवाल भस्म स्वर्ण माक्षिक भस्म के साथ उत्तम कार्य करता है I
3.श्वसन संस्था के विकार मे यह अनार के रस के साथ उत्तम कार्य करता है I
4. प्रवाल भस्म का वृष्य उपयोग करणे के लिये इसे वंग भस्म के साथ उपयोग मे लाना चाहिये I
5. रक्तार्श मे इसे गीलोय सत्व या नागकेशर के साथ उपयोग करनेसे तुरंत राहत मिलती है I
संपर्क
वैद्य दिपक कारंजकर
077096 17189