
10/04/2024
एक बार सर रमाकांत आचरेकर से एक पत्रकार ने पूछा कि आप विनोद कांबली को सचिन से ज्यादा प्रतिभाशाली बताते हो लेकिन सचिन को टीम का भविष्य कहते हो क्या कारण है? आचरेकर सर ने जवाब दिया कि कांबली क्रिकेट के अलावा बहुत कुछ सोचता है लेकिन सचिन सिर्फ क्रिकेट के बारे में सोचता है।
आप कितने भी प्रतिभाशाली क्यों न हों यदि आप अपने कोर वर्क से विचलित हुए तो आप न केंद्र के रहेंगे और न परिधि पर टिक पाएंगे। कांबली के साथ ठीक यही हुआ।
विनोद कांबली की बल्लेबाजी एक समय दुनिया के गेंदबाजों के लिए दु:स्वाप्न होती जा रही थी। विज्डन पत्रिका ने उन्हे 1993 के वर्ष का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर घोषित किया, मुझे याद है कि वानखेड़े में उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ 1994 के वन डे मैच में चौकों छक्कों की झड़ी लगा दी, एक समय लगातार दो टेस्ट मैच में दोहरे शतक लगाकर वह सर विव रिचर्ड्स को चुनौती दे रहे थे, इंग्लैंड की टीम को हराने में उनकी भूमिका प्रमुख थी, शेन वार्न के एक ओवर में 24 रन बनाने के बाद उसी ओवर में सबसे ऊंचे छक्के का रिकॉर्ड बनाया था। शायद उस समय सुशील दोषी कॉमेंटेटर थे जिन्होंने हाई हायर एंड हाईएस्ट की कमेंट्री से माहौल को रोमांचक बना दिया था।
बाएं हाथ के बल्लेबाज ने सबसे तेज टेस्ट हजारी का खिताब हासिल किया। उस साल ऐश्वर्या राय मिस वर्ल्ड बनी थी उसी तस्वीर के साथ कांबली की फोटो प्रतियोगिता दर्पण के कवर पेज पर छपी थी, सामान्य ज्ञान के प्रश्न के रूप में कांबली युवाओं तक पहुंच गए थे। हम लोग की कॉपी के कवर से लेकर जिल्द के स्टीकर पर कांबली थे। टीवी में वर्धमान धागे से लेकर पेप्सी के विज्ञापन में कांबली थे। दूरदर्शन के समाचार में कांबली का इंटरव्यू छाया था।
कांबली अजहर के फेवरेट प्लेयर थे। हर चीज कांबली के अनुकूल थी किंतु प्रतिभा को थामने के लिए जिस विनम्र पात्रता की जरूरत होती है वह कांबली में नही थी। मित्र, परिवार, पत्नी, धर्म और आचरण से वह गिरते गए और आखिर में क्रिकेट से भी गिर गए।
कांबली को भारतीय टीम में बहुत मौके दिए गए लेकिन हर बार विनम्र तरीके से क्रिकेट को थामने की बजाय वह कभी मॉडलिंग, कभी फिल्म, कभी राजनीति, कभी रियलिटी शोज, कभी धर्म परिवर्तन तो कभी दोस्तों पर आरोप का सहारा लेते रहे और अंततः क्रिकेट का धूमकेतु थोड़े दिन में धुंधला होकर कहीं गुमनामी में विलीन हो गया।
सचिन और कांबली ने साथ यात्रा शुरू की थी लेकिन सचिन ने क्रिकेट खेला नही बल्कि क्रिकेट को जिया जबकि उनका बालसखा जो उनसे ज्यादा प्रतिभा संपन्न था एक बेसिक मानवीय गुण 'सफलता बनाए रखने के लिए विनम्रता आवश्यक है', के अभाव में बिखर गया।
वैसे इस लेख को आजकल हार्दिक पंड्या जी के साथ भी जोड़कर देखा जा सकता है किंतु यह मेरे लेखक बंधुओं के लिए भी है, फेसबुक बहुत से प्रतिभाशाली लेखक, चिंतक हैं लेकिन स्वयं को लेखन से पहले रखने की आदत के चलते कांबली इंस्टिक्ट का शिकार हो रहे हैं। आप जब लिखते हो तो लेखन को खोलिए, उसे विमर्श का रूप दीजिए और यह तब होगा जब आप विरोध या असहमति को व्यक्तिगत नही लेंगे। अन्यथा आप का लेख लोगों तक पहुंचने से पहले आपकी अरोगेंसी पहुंचेगी और आपकी बात का रैपर बन जाएगी। यही रैपर आपके लेखन के रूप में जाना जाएगा न कि आपका मूल लेख।
उम्मीद है यह लेख हित चिंतन के भाव में मेरे मित्रों अनुजो अग्रजों तक पहुंचा होगा और वे एक क्षण के लिए अपने को रिव्यू करेंगे।