
11/01/2024
श्रद्धा होना तब भी आसान है...
पर मुश्किल है "दादी"की तरह सपने संजोना कि एक दिन "मनोज"वर्दी "पहन के ही आवेगा"।
"प्रीतम पांडेय"सा दोस्त जो बिन जाने ही एक अनजान को
अपने साथ रख लेगा।
कहा मिलेगा "गौरी भईया"जैसा जो हर विफलता पर आपको हौसला दे कर"री स्टार्ट"बोलेगा।मनोज की सफलता में ही वह खुद को सफल मान लेगा।
नहीं मिलते अब "दुष्यंत"जैसे प्रेरणा स्रोत की सोया आत्मबल जगा दे।
"कमलेश" सा भाई और कर्तव्यनिष्ठ,ईमानदार पिता हर "गरीब" के नसीब में कहाँ होता है?
श्रद्धा होना तब भी आसान है.... पर "मनोज"की सफलता में इन सब के भी सपने थे... ❤️🌻