अच्छा स्वास्थ्य
षरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्
मानव षरीर
जिस प्रकारयह संसार पंच तत्वों से बना है,उसी प्रकार मानव षरीर भी पंच तत्वों से बना है,जन्म लेते समयइन तत्वों का मिश्रण ही प्रत्येक व्यकित् को विषेश और अलग बनाताहै, इसलिए हर व्यक्ति की प्रकृति व षारीरिक गठन उसके जन्म लेते समय ही तय हो जाता है और इसी आधार पर भविश्य में मनुश्य का स्वास्थ्य और व्यवहार संचालित होता है।
यदि इन तत्वों को और ये किस प्रका
र आपके जीवन को प्रवाहित करते हैं, मानव षरीर में पंच तत्व विभिन्न मिश्रणों से बनतेहैं , जो तीन मूल सिद्धान्तों या प्रकृतियों जैसे वात,पित्त और कफ के रुप में होते हैं। इन्हें त्रिदोश भी कहा जाता हैये त्रिदोश सभी जैविक, मनोवैज्ञानिक और व्याधि संबधी कायों, मन तथा चेतना को संचालित करते हैं किसी भी व्यक्ति की षरीर रचना में विभिन्न अनुपात में , त्रिदोशेां का सम्मिश्रण रहता है। प्रत्येक व्यक्ति के षरीर की मूल प्रकृति गर्भधारण के समय ही निर्धरित होती है और जीवन भर यथावत रहती है। सिर्फ बीमारीके समय ही इसमें परिर्वतन होता है। इसलिए अपने षरीर को पहचानना महत्वपूर्णहै। आपकी षरीर रचना से निम्नलिखित बातों का पता लगाने में मदद मिलती है।
ऽ पाचन षक्ति अग्नि संतुलित स्थिति में हो।
ऽ तीन उत्सर्जित पदार्थ.मल,मूत्र और पसीना सामान्य स्थिति में हो।
ऽ पाचों ज्ञानेन्द्रियां.श्रवण,स्पर्ष,दृश्टि,स्वाद और घा्रण तथा अन्य अंग सामान्य रुप से काम कर रहे हों।
ऽ षरीर,मन और चेतना में संतुलन हो।
ऽ आपकी षारीरिक संरचना और व्यवहार
ऽ आपका भावनात्मक व्यवहार
ऽ बीमारी की प्रवृति
ऽ आपके स्वास्थ्य पर मौसम का प्रभाव
ऽ आपके स्वास्थ्य पर विभिन्न खाद्य पदार्थों का प्रभाव