Astroworld Jyoti

Astroworld Jyoti Masters in astro Science. Having my own Astrology Centre

Send your birth details
Discuss confusions

जय माताजी की🙏 हर हर महादेव 🙏सूर्य का कहर नौतपा !!!!नौतपा के नौ दिनों को साल का सबसे गर्म दिन माना जाता है. इस समय में सू...
21/05/2024

जय माताजी की🙏 हर हर महादेव 🙏सूर्य का कहर नौतपा !!!!
नौतपा के नौ दिनों को साल का सबसे गर्म दिन माना जाता है. इस समय में सूर्य की किरणें और तीखी होती है।
नौतपा तब होता है जब सूर्य कृतिका से रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है । यह हर साल आता है और इस दौरान 9 दिनों तक सूर्य देव उग्र रूप में रहते हैं। सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते ही पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है और भीषण गर्मी का सामना करना पड़ता है। हर साल की तरह इस बार भी नौतपा आने वाला है , इसलिए पहले से ही गर्मी से बचाव के लिए सतर्क रहें। आइए जानें कब शुरू होगा नौतपा।
नौतपा 2024 कब शुरू होगा
जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है , तो ग्रीष्म ऋतु शुरू हो जाती है, जो हर साल 25 मई से 2 जून तक रहती है । इस बार भी सूर्य 25 मई की सुबह 3 बजकर 16 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा और 2 जून तक यहीं रहेगा । 2 जून के बाद यह मृगशिरा नक्षत्र में चला जाएगा । सूर्य जितने दिनों तक रोहिणी नक्षत्र में रहता है , पृथ्वी भी उतने ही दिनों तक अत्यधिक गर्मी का अनुभव करती है । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गर्मी का मौसम 9 दिनों तक रहता है , यानी पृथ्वी पर लोगों को 9 दिनों तक अत्यधिक गर्मी का सामना करना पड़ता है ।
हिंदू पंचाग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के द्वितीया तिथि को सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और फिर 8 जून तक वो इसी नक्षत्र में रहेंगें,हालांकि नौतपा 25 मई 2024 से 2 जून तक ही रहेगा।पूजा से मिलता है सूर्य देव का आशीर्वादसूर्य देव जब रोहिणी नक्षत्र में होते हैं तो उस समय उनका तेज और भी बढ़ जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस समय में सूर्य देव की पूजा से विशेष सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है.इसके अलावा परिवार भी कई तरह की समस्याओं से दूर रहता है.इस समय में हर दिन भगवान सूर्य को तांबे के लोटे में जल भरकर और उसमें रोली-अक्षत डालकर उन्हें जल अर्पित करना चाहिए, इस दौरान ‘ॐ भास्कराय नमःमंत्र का जाप करना चाहिए।इस समय में भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए कुछ खास चीजों का दान करना चाहिए. शास्त्रों के मुताबिक, इस समय में शीतल पेय वस्तु जैसे दही,सत्तू, घड़े में भरा जल,रसदार फल आदि का दान करना चाहिए इससे सूर्य देव की कृपा बरसती है.इस समय में महिलाओं को हाथ में मेहंदी भी लगानी चाहिए इससे भी शीतलता मिलती है। नौतपा मेंयदि बारिश नहीं होती है और अगर ये पूर्ण रूप से तपता ह यदि रोहिणी नक्षत्र काल के दौरान पूरे समय वर्षा न हो तो यह माना जाता है कि बारिश इस बार जबरदस्त होने वाली है।सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में रहने के प्रारंभिक नौ दिनों तक धरती खूब तपती है। अर्थात ये 9 दिन बहुत गर्म रहते हैं। वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार मई के आखिरी सप्‍ताह में सूर्य और पृथ्‍वी के बीच की दूरी सबसे कम होती है इसलिए भीषण गर्मी पड़ती है। इसी कारण इन नौ दिनों को नवतपा कहा जाता ह इसी के तपने के आधार पर मानसून का पूर्व अनुमान अर्थात भविष्यवाणी की जाती ह हालांकि नवतपा यदि अच्छा तपता है तो देश में तेज हवा और बवंडर चलेंगे। समुद्री क्षेत्रों के आसपास बारिश की संभावना रहेगी। नौतपा के कारण संक्रमण में कमी आएगी और संक्रमण से होने वाली मौत में भी कमी आएगी। हालांकि देश में इससे भय का माहौल खत्म होगा। माना जा रहा है कि इस बार नौतपा पूरे समय तपेगा जिसके चलते देश में अच्छी बारिश होगीlएस्ट्रो ज्योति दाधीच,तीर्थराज पुष्कर,राजस्थान। नवतपा यदि तपता है तो देश में तेज हवा और बवंडर चलेंगे। समुद्री क्षेत्रों के आसपास बारिश की संभावना रहेगी। नौतपा के कारण संक्रमण में कमी आएगी और संक्रमण से होने वाली मौत में भी कमी आएगी। हालांकि देश में इससे भय का माहौल खत्म होगा। माना जा रहा है कि इस बार नौतपा पूरे समय तपेगा जिसके चलते देश में अच्छी बारिश होगी।जय माताजी🙏 हर हर महादेव 🙏



#एस्ट्रो ज्योति दाधीच,तीर्थराज पुष्कर,राजस्थान।
एस्ट्रो ज्योति दाधीच,तीर्थ राज पुष्कर, राजस्थान।

जय माताजी की🙏हर हर महादेव 🙏चेत्रीय नवरात्र एवं नव संवत्सर की सभी देश वासियों को हार्दिक शुभ कामना🙏सनातन धर्म में साल भर ...
08/04/2024

जय माताजी की🙏
हर हर महादेव 🙏
चेत्रीय नवरात्र एवं नव संवत्सर की सभी देश वासियों को हार्दिक शुभ कामना🙏
सनातन धर्म में साल भर में कुल चार नवरात्रि के पर्व आते हैं. इसी कड़ी में मां दुर्गा की आराधना के विशेष दिन चैत्रप्रतिपदा नवरात्रि 9 अप्रैल को आरंभ होंगे वहीं, इस नवरात्रि का समापन 17 अप्रैल को होगा. ऐसे में इन 9 दिनों तक माता के नौ रूपों के विशेष पूजा अर्चना की जाएगी और भक्तों के द्वारा मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए हवन यज्ञ का भी आयोजन किया जाएगा।
बता दें कि इस साल नवरात्रि में माता किस वाहन पर सवार होकरआयेगी , इसके भी अलग-अलग फल शास्त्रों में लिखे गए हैं।माता का आगमन और प्रस्थान किस सवारी पर होगा ये अति महत्व पूर्ण हैं, चैत्र प्रतिपदा 9अप्रैल को मां दुर्गा का आगमन इस बार घोड़े पर सवार होकर आएंगी और है,ओर 17अप्रैल को माता हाथी पर सवार होकर जाएंगी ।माता का घोड़े पर आना होता है अशुभ।शास्त्रों के अनुसार अगर नवरात्रि में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आती हैं तो माता दुर्गा के इस वाहन को शुभ नहीं माना जाता है और इसे छत्रभंगे स्तुरंगम योग कहा जाता हैं घोड़े को युद्ध का प्रतीक माना जाता है।मां दुर्गा के घोड़े पर सवार होकर आने से राष्ट्रीय आपदाओं,दुर्घटनाएं, ,झगड़ेतनाव एवं सत्ता में उथल पुथल की संभावनाएं होती हैं , आने वाले समय में सत्ता में कुछ बदलाव होने इसके अलावा युद्ध जेसे खतरो सामना करना पड़ सकता है वहीं, मां दुर्गा के घोड़े पर सवार होकर आने से प्राकृतिक आपदा की प्रबल संभावना बनती हैं।हर बार अलग होती है माता की सवारी ,वैसे तो मां दुर्गा शेर पर सवार होती हैं, लेकिन नवरात्रि के दौरान दिन के अनुसार हर बार माता की सवारी अलग होती है. ऐसे में अगर शनिवार और मंगलवार के दिन नवरात्रि की शुरुआत होती है तो माता घोड़े पर सवार होकर आती हैं ,गुरुवार और शुक्रवार को नवरात्रि शुरू होते हैं तो माता की सवारी डोली होती है।बुधवार के दिन नवरात्रि शुरू होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं. वैसे ही सोमवार और रविवार को नवरात्रि शुरू होती है तो माता हाथी पर सवार होकर आती हैं. ऐसे में इस साल माता की सवारी घोड़ा होगा और घोड़े पर सवार होकर माता का आना अशुभ संकेत माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार पूर्व में जब भी माता घोड़े पर सवार होकर आई हैं तो इससे सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में बड़े-बड़े बदलाव देखने को मिले है।नवरात्र का समापन 17 अप्रैल दिन बुधवार को होने से माता के प्रस्थान की सवारी गज (हाथी) होगी। माता का हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करना शुभ संकेत होता है। यह अच्छी बारिश, खुशहाली और तरक्की का संकेत देता है। काल नाम के इस संवत्सर के राजा मंगल और मंत्री शनिदेव होने से यह वर्ष बहुत ही उथल-पुथल वाला रहेगा।शासन में कड़ा अनुशासन देखने को मिलेगाइस बार चैत्र नवरात्र की शुरुआत खरमास में हो रही है। 13 अप्रैल को खरमास समाप्त होंगे। पहले दिन घटस्थापना का मुहूर्त::=
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 6:24 बजे से लेकर 10:28 बजे तक रहेगा। इस दिन अभिजीत मुहूर्त में अमृतसिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग का अद्भुत योग का निर्माण भी हो रहा है। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:03 बजे से शुरू होगा जो कि 12:54 बजे तक रहेगा। साथ ही अमृतसिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग नौ अप्रैल को प्रातः 07:32 बजे से लेकर पूरे दिन रहेगा। यह घट नौ दिन तक स्थापित रहता है।जय माताजी की🙏हर हर महादेव 🙏

#
astro jyotidadhich #
एस्ट्रो ज्योति दाधीच,तीर्थराज पुष्कर राजस्थान।

जय माताजी की🙏हर हर महादेव 🙏                   लाल किताब की विशेषताएंलाल किताब की विशेषताएं   ‘लाल किताब’ ज्योतिर्विद्या ...
29/03/2024

जय माताजी की🙏हर हर महादेव 🙏 लाल किताब की विशेषताएं

लाल किताब की विशेषताएं ‘लाल किताब’ ज्योतिर्विद्या की एक स्वतन्त्र और मौलिकp सिद्धान्तों पर आधारित एक अनोखी पुस्तक है। इसकी कुछ अपनी निजी विशेषताएँ हैं, जो अन्य सैद्धान्तिक अथवा प्रायोगिक फलित ज्योतिष-ग्रन्थों से हटकर हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता ग्रहों के दुष्प्रभावों से बचने के लिए जातक को ‘टोटकों’ का सहारा लेने का संदेश देना है। ये टोटके इतने सरल हैं कि कोई भी जातक इनका सुविधापूर्वक सहारा लेकर अपना कल्याण कर सकता है। काला कुत्ता पालना, कौओं को खिलाना, क्वाँरी कन्याओं से आशीर्वाद लेना, किसी वृक्ष विशेष को जलार्पण करना, कुछ अन्न या सिक्के पानी में बहाना, चोटी रखना, सिर ढँक कर रखना इत्यादि। ऐसे कुछ टोटकों के नमूने हैं, जिनके अवलम्बन से जातक ग्रहों के अनिष्टकारी प्रभावों से अनायास की बचा जाता है। कीमती ग्रह रत्नों (मूंगा, मोती, पुखराज, नीलम, हीरा आदि। में हजारों रुपयों का खर्च करने के बजाय जातक इन टोटकों के सहारे बिना किसी खर्च के (मुफ्त में) या अत्यल्प खर्च द्वारा ग्रहों के दुष्प्रभावों से अपनी रक्षा कर सकता है। ‘लाल किताब’ में धर्माचरण और सदाचरण के बल पर ग्रह दोष निवारण का झण्डा ऊँचा किया है, जिससे हमारा इहलोक तो बनेगा ही, परलोक भी बनेगा। ‘लाल किताब’ में विभिन्न प्रकार के ग्रह दोषों से बचाव के लिए सैकड़ों टोटकों का विधान है। जीवन का कोई ऐसा पक्ष नहीं है, जिससे संबंधित टोटके न बतलाये गये हों। यह ज्योतिष के सिधान्तो और हस्तरेखा के सिधान्तो को सरल रूप से समझाता है।
1. इस ग्रन्थ में मानव मस्तिष्क के 42 प्रभागों को जन्म कुंडली के विभिन्न घरों से संबंधित कर दिया गया है। हस्तरेखा के सिधान्तो और व्यक्ति की जन्म कुंडली में विभिन्न ग्रहों की स्थिति से व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओ का बताया जा सकता है। 2. लाल किताब में कष्ट निवारण के लिए कुछ सरल उपाय बताये गए है, जो की मुसीबत में फसे व्यक्ति के लिए वरदान स्वरुप है।
3. उपाय के तौर पर महंगे यज्ञ और हवन आदि महेंगी रस्मो की आवश्यकता नही है।
4. लाल किताब कुछ सरल उपायों की मदद से जटिल समस्याओ का हल बता सकती है।
5. यन्त्र मंत्र और तंत्र से ये उपाय बहुत अलग है।
6.लाल किताब में सुझाये उपाय बहुत ही सरल और सुरक्षित है। ये किसी भी तरह से किसीको हानि नही पहुचाते और पुरी तरह से ग्रहों के कष्टदायक प्रभाव को नियंत्रित करते है।
जय माताजी की🙏हर हर महादेव 🙏
jyotidadhich
एस्ट्रो ज्योति दाधीच, तीर्थराज पुष्कर ,राजस्थान।

जय माताजी की🙏      हर हर महादेव 🙏    लाल किताब का इतिहास:~ कहा जाता है कि लंकाधिपति रावण ने सूर्य के सारथी अरुण से यह वि...
27/03/2024

जय माताजी की🙏
हर हर महादेव 🙏
लाल किताब का इतिहास:~

कहा जाता है कि लंकाधिपति रावण ने सूर्य के सारथी अरुण से यह विद्या प्राप्त की थी। रावण की दुनिया समाप्त होने के बाद यह ग्रंथ किसी प्रकार ‘आद’ नामक स्थान पर पहुंच गया, जहां इसका अनुवाद अरबी और फारसी भाषा में किया गया। आज भी यह मान्यता है कि यह पुस्तक फारसी भाषा में उपलब्ध है। यह ग्रंथ आजकल पाकिस्तान के पुस्तकालय में सुरक्षित है और उर्दू भाषा में है। परन्तु इस अरुण संहिता या लाल किताब का कुछ अंश गायब है। एक मान्यता के अनुसार एक बार लाहौर में जमीन खोदने का कार्य चल रहा था, उसमें से तांबे की पट्टिकाएं मिलीं जिनपर उर्दू एवं अरबी भाषा में लाल किताब लिखी मिली। सन 1936 में अरबी भाषा में लाहौर में प्रकाशित की गई और यह प्रसिद्ध हो गई। भारत में पंजाब प्रांत के ग्राम फरवाला (जिला जालंधर) के निवासी पंडित रूप चंद जोशी जी ने 1939 से 1952 के बीच में इसके पाँच खण्डों की रचना की। 1. लाल किताब के फरमान -- सन 1939 में प्रकाशित 2. लाल किताब के अरमान -- सन 1940 में प्रकाशित 3. लाल किताब (गुटका) -- सन 1941 में प्रकाशित 4. लाल किताब -- सन 1942 में प्रकाशित 5 लाल किताब -- सन 1952 में प्रकाशित हर भाग अपने आप में संपूर्ण है। इस किताब के कई रूपांतर हिन्दी में उपलब्ध हैं जो कि मूलत: लाल किताब 1952 का रुपांतर हैं। चंडीगढ़ (पंजाब) में अरुण प्रकाशन नें सभी किताबों का हिन्दी में रुपांतर किया तथा इसे अरुण संहिता लाल किताब के नाम से प्रकाशन किया। जय माताजी की🙏 एस्ट्रो ज्योति दाधीच,तीर्थराज पुष्कर राजस्थान।

जय माताजी की🙏 जय महादेव 🙏होलिका पूजन में किए जाने वाले विभिन्न ज्योतिषीय एवम तंत्रोक्त विशेष  उपाय :- -बाधामुक्ति :-    ...
20/03/2024

जय माताजी की🙏 जय महादेव 🙏होलिका पूजन में किए जाने वाले विभिन्न ज्योतिषीय एवम तंत्रोक्त विशेष उपाय :- -बाधामुक्ति :-
इस होली की अग्नि में अपनी सभी शारीरिक, मानसिक व्याधि, किसी प्रकार की सफलता में रुकावट, आर्थिक कष्ट, अला-बला एवं सभी बाधाओं का नाश करने के लिए ये वो सरल एवं प्रभावकारी उपाय है जिसे कोई भी आसानी से एवम कम खर्च में करके अपनी सभी बाधाओं को होली की अग्नि में भस्म करके जीवन को सुगम बना सकते है। तंत्र शास्त्रों के अनुसार होली की रात्रि का विशेष महत्व होता है। अगर जीवन मे ग्रहों जनित अथवा कोई समस्या या व्यापार बन्धन हो गया हो तो इस महारात्रि पर इस दिन किए गए उपाय (टोटके), पूजा पाठ या साधना हवन अचूक होते हैं तथा उनका फल तुरंत मिलता है। इस दिन किसी दूसरे के द्वारा किए गए काले जादू(टोने) को भी तुरंत ही समाप्त किया जा सकता है। आप इस दिन नीचे दिए विशेष (टोटकों) की सहायता से अपना भाग्य भी बदल सकते हैं।

इसके लिए होलिका दहन के पूर्व स्नान कर शुद्ध, स्वच्छ वस्त्र धारण कर एक श्रीफल अपने एवं परिवार के सदस्यों के ऊपर से 7 बार घड़ी की सुई की दिशा में उतारें। यदि किसी सदस्य को अधिक परेशानी है तो उनके लिए अलग से श्रीफल उतारें। अब अपने अभीष्ट देवता का ध्यान करके अपनी समस्या को उन्हें बताकर श्रीफल होलिका में डाल दें एवं होलिका की 7 प्रदक्षिणा करके परेशानी दूर करने की प्रार्थना करें एवं अपने एवं ‍परिवार के लिए स्वास्थ्य, यश, दीर्घायु, धन, लाभ आदि की कामना करके हाथ जोड़कर प्रणाम करें तथा घर आकर अपने ईष्टदेव को प्रणाम करें तथा घर के सभी बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद लें। भगवान को फल‍, मिष्ठान्न आदि का यथाशक्ति भोग लगाकर स्वयं ग्रहण करें। होली पर आजमाएं यह टोटके:---

1.मनचाहे वरदान के लिए :-होली के दिन हनुमान जी को पांच लाल पुष्प चढ़ाएं,गुड़ चने का भोग लगा कर 5 पत्ते तुलसी और एक पुड़िया सिंदूर पर हनुमान चालीसा पढ़कर अर्पित करे, मनोकामना शीघ्र पूरी होगी।

2.मनोकामना पूर्ति :- होली की सुबह बेलपत्र पर सफेद चंदन की बिंदी लगाकर अपनी मनोकामना बोलते हुए शिवलिंग पर सच्चे मन से अर्पित करें। किसी मंदिर में शंकर जी को पंचमेवा की खीर चढ़ाएं, मनोकामना पूरी होगी

3.रोजगार:-

मनचाही नौकरी पाना हो तो होली की रात बारह बजे से पहले एक दाग रहित बड़ा नींबू लेकर चौराहे पर जाएं और उसकी चार फांक कर चारों कोनों में फेंक दें। फिर वापिस घर जाएं किंतु ध्यान रहे, वापिस लौटते समय पीछे मुड़कर न देखें।

4.व्यापार में अड़चन हो धन डूबा हो तो :-

में लाभ के लिए होली के दिन गुलाल के एक खुले पैकेट में एक मोती शंख और चांदी का एक सिक्का रखकर उसे नए लाल कपड़े में लाल मौली से बांधकर तिजोरी में रखें, व्यवसाय में लाभ होगा।

5.वास्तु दोष:-

होलिका दहन की अग्नि में गेहूं की बाली जरूर भून लें। लोगों से जरूर मिलेगा मान सम्मान जीवन में खुशियां बढ़ेंगी। होलिका की राख अपने घर लाएं और चारों कोनों में डाल दें। ऐसा करने से वास्तु दोष समाप्त हो जाएगा।

6.कार्य स्थल पर

नकारात्मक ऊर्जा मुक्ति हेतु:

अगर नौकरी नहीं मिल रही या कार्यस्थल पर परेशान चल रहे हैं तो 8 निम्बू लेकर उसे 21 बार खुद के ऊपर से उतारे और जाकर होलिका में चढ़ा दे। इसके बाद 8 परिक्रमा करके मन ही मन रोजगार के लिए प्रार्थना करे।

7.व्यापार में रुकावट:-धनवृद्धि के लिए

होली जलने के बाद अगले दिन बची हुई राख को लाल रूमाल में बांधकर उसे अपनी तिजोरी या पर्स में रख लें। ये करने से आपके घर में घर में धन का अनावश्यक व्यय रुकता है और धन की कमी नहीं होगी।

यदि व्यापार सही नहीं चल रहा है तो होलिका की विधिवत पूजा कर नारियल, पान तथा सुपारी भेंट करें। तत्पश्चात होलिका की 108अथवा 21 परिक्रमा कर मन ही मन अपनी मनोकामना बोले तथा चुपचाप बिना किसी से बात करे घर आ जाएं। अगले दिन सुबह वापस जाकर होलिका की थोड़ी सी राख ले आएं तथा उसे लाल कपड़े में स्फटिक के श्रीयंत्र तथा चांदी के सिक्के के साथ बांध कर अपनी तिजोरी में रख दें।।

8.शीघ्र विवाह हेतु:-

शीघ्र विवाह के लिए उपाय

होली के दिन सुबह एक साबूत पान पर साबूत सुपारी एवं हल्दी की गांठ शिवलिंग पर चढ़ाएं तथा पीछे पलटे बगैर अपने घर आ जाएं। यही प्रयोग अगले दिन भी करें। जल्दी ही आपके विवाह के योग बन सकते हैं।



9.ब्लेक मैजिक अथवा किया कराया वशीकरण बन्धन हेतु:-

यदि किसी नजदीकी पर वशीकरण प्रयोग किया गया है तो यह उपाय करें-

होलिका की विधिवत पूजा कर गुलाब के फूल अर्पित करें। फिर इसमें से एक गुलाब का फूल तथा थोड़ी सी राख लें ले। एक पान में गुलाब की 7 पंखुड़ी डाल कर 1 चुटकी राख डालें तथा पीड़ित व्यक्ति को खिला दें, तुरंत वशीकरण टूट जाएगा।

10.इच्छित कार्य हेतु:-


होली की रात को भगवान शिव का अभिषेक करते हुए पंचोपचार पूजा करे ऊँ नमः शिवाय मंत्र 5 माला रुद्राक्ष से जाप करें तथा मन ही मन अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु प्रार्थना करें। आपकी मनोकामना तुरंत पूरी होगी।।

11.ग्रहशांति,मानसिक शांति के लिए:-

होलिका दहन के समय अग्नि में अपने घर की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हुए परिवार का हर सदस्‍य, घी में डुबोई हुई दो लौंग, एक बताशे और पान के पत्‍ते के साथ समर्पित करें । होलिका की अग्नि की 11 बार परिक्रमा करें और फिर अग्नि में एक सूखे नारियल की आहुति दें । प्रार्थना करें आपका घर परिवार सदैव सुखी रहे, निरोगी रहे । वर्षभर किसी प्रकार की आपत्ति आप पर ना आए।

12.स्‍वास्‍थय के लिए:-

यदि परिवार में कोई व्यक्ति निरन्तर अस्वस्थ रहता है, तो होली के दिन सुबह आटे की 2 लोई बनाकर उसमें गीले चने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी मात्रा में पिसी काली हल्दी को दबाकर मरीज के ऊपर से 7 बार उतार कर गाय को खिला दें। फिर होली का पूजन कर घर लौट आएं।



14.व्‍यापार और नौकरी के लिए

काम, करोबार, नौकरी, रोजगार में उन्‍नति ना हो रही हो, बार-बार हो रहे नुकसान से परेशान हों तो इस होली ये टोटका अपनाएं । पूजन सामग्री की दुकान से 21 गोमती चक्र लें और होलिका दहन की रात में शिवलिंग पर चढ़ा दें। शिव जी को समर्पित करते हुए अपने रोजगार का बही खाता भोलेनाथ के सामने रखे, उनसे प्रार्थना करें कि वो आपकी समस्‍याओं को दूर कर दें।

होली पर क्या न करें?

-सूर्यास्त के बाद होली के रंग न खेलें और न ही किसी के ऊपर डालें, ऐसा करना अशुभ माना जाता है। सूर्य डूबने के बाद होली के मिलन के लिए बिल्कुल नहीं जाएं। -मदिरा और मांस के सेवन से बचें।

-किसी भी नवविवाहित लड़की होली को जलते हुए देखने से बचना चाहिए। वहीं सास-बहू एकसाथ होलिका दहन न देखें। शास्त्रों के अनुसार, ऐसा करने से सास बहू के सम्बन्धो में परेशानी आ सकती है। -होली के -टोटके करते समय इन बातों का ध्यान रखें-

- कभी भी कोई भी प्रयोग किसी को नुक्सान पहुंचाने के लिए नहीं होना चाहिए।

- किसी भी प्रकार की नशीली पदार्थो का सेवन होली के अवसर पर नहीं करे।

- किसी को आर्थिक मानसिक शारीरिक कष्ट न पहुंचाए न कोई हिंसक कार्य न करें याद रखे होली रंगो आनंद उल्लास का त्योहार ह।भारतीय संस्क्रति पर अभिमान करे सम्मान करें !आप सबको होली की अग्रिम शुभ कामना🙏🙏🙏🙏🙏जय माताजी की




ऐस्ट्रो ज्योति दाधीच
,तीर्थराज पुष्कर,राजस्थान।

07/08/2023
जय माताजी की ,हर हर महादेव  🙏              *शक्ति यामले ,शक्तिहोम प्रकरणानुसार चंडीपाठ में कवच, अर्गला ,कीलक और कुंजिका ...
30/03/2023

जय माताजी की ,हर हर महादेव 🙏 *शक्ति यामले ,शक्तिहोम प्रकरणानुसार चंडीपाठ में कवच, अर्गला ,कीलक और कुंजिका स्तोत्र से हवन नहीं करना चाहिए सप्रमाण प्रस्तुति~*

यो मूर्ख: कवचं हुत्वा प्रतिवाचं नरेश्वरः ।
स्वदेह - पतनं तस्य नरकं च प्रपद्यते ।।
अन्धकश्चैव महादैत्यो दुर्गाहोम-परायणः ।
कवचाहुति - प्रभावेण महेशेन निपातितः ।।

कवच में पाहि, अवतु, रक्ष रक्ष, रक्षतु, पातु आदि शब्दों का प्रयोग हुआ रहता है।
सप्तशती के चतुर्थ अध्याय के 4 मंत्र से इसी कारण होम नहीं होता है।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का होम न करने की आज्ञा स्वयं महादेव नें दी है
इसका प्रथम कारण है की ,
कुंजिका देवी सिद्धियों की एकमात्र कुंजी है ।
ओर कुंजी का रक्षण किया जाता है आहूत नहीं किया जा सकता ।

यदि यदि कुंजी का ही लोप हो जाएगा तो सिद्धी के द्वार का खुलना असम्भव हो जाएगा ।
दूसरा कारण यह की
सप्तशती में आता है की याचना स्तोत्र , कवच एवं कवच मन्त्रों की आहुति नहीं की जाती अन्यथा विनाश ही होता है ।
|| अथ प्रमाण ||

कवचं वार्गलाचैव ,कीलकोकुंजिकास्तथा ।
स्वप्नेकुर्वन्नहोमं च ,जुहुयात्सर्वत्रनष्ट्यते: ।।

भगवान शिव भैरव स्वरूप में स्थित होकर कहते हैं !
कवच , अर्गला , कीलक , तथा कुंजिका का होम स्वप्न में भी न करें
स्वप्न मात्र में भी होम करने से सर्वत्र नाश की संभावनाएँ प्रकट हो जाती है ।

बुद्धिनाषोहुजेत् देवि,अर्गलाऽनर्गलोभवेत् ।
सिद्धीर्नाषगत:होता, विद्यां ।च विस्मृतोर्भभवेत् ।।

अर्गला के होमकर्म से सिद्धीयों का नाश हो जाता है । तथा होता की समस्त विद्याएँ विस्मृत हो जाती है , अर्गला अनर्गल सिद्ध हो जाती है ।

कीलितोजायतेमन्त्र: ,होमे वा कीलकस्तथा ।
ममकण्ठसमंयस्य: ,कीलकोत्कीलकं हि च ।।

कीलक के होमकर्म से होता के समस्त मन्त्र सदा सर्वदा के लिए कीलित हो जाते हैं ।
इसे मेरा उत्किलित कण्ठ ही जानें जो जो कीलक का कारक है ।
धनधान्ययुतंभद्रे ,पुत्र:प्राण:विनष्यते: ।
रोगशोकोर्व्रिते:कृत्वा,कवचंहोमकर्मण: ।।
कवच के होम से धन,धान्य, पुत्र तथा प्राण का विनाश निश्चित है एवं वह होता रोग तथा शोकों से घिर जाता है ।

स्वप्ने वा हुज्यते देवि कुंजिकायं च कुंजिकां ।

षड्मासे च भवेन्मृत्यु , सत्यं सत्यं न संशय: ।
होमे च कुंजिकायास्तु , सकुटुम्बंविनाश्यती: ।

कुंजिका के होमकर्म के प्रभाव से होता की छः मास में मृत्यु निश्चित जानें तथा होता का सकूटुंब विनाश हो जाता है यह सत्य है परम सत्य है इसमें कोई संशय नहीं करना चाहिए ।

यस्यं च दोषमात्रेण ,प्रसन्नार्मृत्युदेवता: ।
कुंजिकाहोममात्रेण ,रावण:प्रलयंगत: ।।

इसी के दोष से मृत्युदेवता अत्यंत प्रसन्न होकर होता का सकूटुंब भक्षण करते हैं ।

कुंजिका के होममात्र के प्रभाव से ही रावण का सम्पूर्ण विनाश सम्भव हुआ ।

भैरवयामले भैरवभैरवी संवादे ।।
चतुर्विंश प्रभागे होमप्रकरणे ।।

मातृका:बीजसंयुक्ता: ,प्राणाप्राणविबोधिनी ।
प्राणदा:कुंजिका:मायां ,सर्वप्राण:प्रभाविनी ।।

कुंजिका में बीज मातृकाएँ उपस्थित हैं ।
प्राण को देविप्राण का बोधप्रदान करती हैं ।
यह प्राणज्ञान प्रदान करने वाली महामाया कुंजिका प्राण को प्रभावित करने वाली हैं ।
।। शक्तियामले शक्तिहोमप्रकरणे ।।🙏🏻
#ऐस्ट्रो ज्योति दाधीच। #तीर्थगुरु पुष्कर राज,राजस्थान।

जय माताजी की                 हर हर महादेव🙏🙏🙏                                  घट स्थापना मुहूर्त                        ...
21/03/2023

जय माताजी की हर हर महादेव🙏🙏🙏 घट स्थापना मुहूर्त 22 मार्च 2023 को सुबह 06 बजकर 29 मिनट से सुबह 07 बजकर 39 मिनट तकर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है. घटस्थापना के लिए साधक को 01.10 मिनट का समय मिलेगा. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना करने से 9 दिन की पूजा पुण्य फलदायी होती है. घट स्थापना का महत्त्व :⁠- नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा-उपासना से जातक को हर मुश्किल से छुटकारा मिल जाता है. पुराणों में कलश या घट स्थापना को सुख-समृद्धि,वैभव,ऐश्वर्य और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है. मान्यता है कि कलश में सभी ग्रह,नक्षत्रों, तीर्थों, त्रिदेव, नदियों, 33 कोटि देवी-देवता का वास होता है. नवरात्रि के समय ब्रह्मांड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी विपदादायक तरंगें नष्ट हो जाती हैं तथा घर में सुख-शांति तथा समृद्धि बनी रहती है. घट स्थापन विधि नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर नहाएं।
स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद कलश को पूजा घर में रखें।
मिट्टी के घड़े के गले में पवित्र धागा बांधे
अब कलश को मिट्टी और अनाज के बीज की एक परत से भरें।
कलश में पवित्र जल भरकर उसमें सुपारी, गंध, अक्षत, दूर्वा घास और सिक्के डालें।
कलश के मुख पर एक नारियल रखें।
कलश को आम के पत्तों से सजाएं।
मंत्रों का जाप करें।
कलश को फूल, फल, धूप और दीया अर्पित करें।
देवी महात्म्यम का पाठ करें। एस्ट्रो ज्योति दाधीच . तीर्थराज पुष्कर राजस्थान।

21/03/2023
शुभ सोमवार
20/03/2023

शुभ सोमवार

Address

Pushkar

Telephone

+919782127445

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Astroworld Jyoti posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Practice

Send a message to Astroworld Jyoti:

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram