पतंजलि ग्रामीण आरोग्य केंद्र, रायपुर

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पतंजलि ग्रामीण आरोग्य केंद्र, रायपुर patanjali trust dwara taiyar utpad milne ka ekmatra ragistered kendra

 #आयुष के विवाद की पूर्णाहुति !The resolution of   controversy, finally !
24/06/2020

#आयुष के विवाद की पूर्णाहुति !
The resolution of controversy, finally !

 #कोरोना से बचने हेतु लोग अपनी  #इम्यूनिटी बढ़ाने केलिए,पूरे देशमें आयुर्वेदिक च्यवनप्राश और हनी का जोरशोर से प्रयोग कर ...
24/04/2020

#कोरोना से बचने हेतु लोग अपनी #इम्यूनिटी बढ़ाने केलिए,
पूरे देशमें आयुर्वेदिक च्यवनप्राश और हनी का जोरशोर से प्रयोग कर रहे हैं लेकिन इसका फायदा उठाकर कुछलोग मुनाफाखोरी के चक्कर में अपने देश केप्रति उत्तरदायित्व को भूलरहे हैं और व्यापार के नाम पर अत्याचार कर रहे हैं!
#पतंजलि कोरोनावायरस के समय सेवाभाव से न्यूनतम मूल्य पर यह सब सामान देश के लोगों को उपलब्ध करवा रहा है,
यद्यपि पैसे के बिना कुछ नहीं होता!
लेकिन पैसा ही सब कुछ नहीं होता!!

21/04/2020
03/04/2020
जय गौमाता की.....
24/11/2019

जय गौमाता की.....

आपने कभी देखा होगा कि जब भी फल खरीदने जाते हैं तो उन पर कई बार स्टीकर लगे हुए देखते हैं. खासकर ये सेब पर लगे होते हैं. ल...
11/09/2019

आपने कभी देखा होगा कि जब भी फल खरीदने जाते हैं तो उन पर कई बार स्टीकर लगे हुए देखते हैं. खासकर ये सेब पर लगे होते हैं. लेकिन आप ये नहीं जानते होंगे कि ऐसा क्यों होता है. दरअसल, फलों पर लगे स्टिकर्स का अपना विशेष महत्व होता हैं......

#इन स्टिकर्स पर एक कोड दिया होता है जिसे PLU (प्राइस लुक-अप) कहा जाता है. ये अलग-अलग प्रकार को होते हैं, जिनका इनका मतलब भी अलग होता है ।

अगर इन स्टीकर्स पर लगे कोड को हम पहचान लें तो फलों के बारे में कई तरह की जानकारियां ले सकते हैं. इससे हमें यह पता चल जाता है कि कौन-से फल हमें लेने हैं और कौन-से नहीं........

जिन फलों या सब्जियों पर लगे स्टिकर्स में 4 डिजिट वाला कोड होता है वह यह दर्शाता है कि इन फलो को उगाते समय ट्रेडिशनल किटनाशकों या केमिकल्स का यूज किया गया है.

जिन फलो पर 4 डिजिट वाले अंक (उदा. 4017) होते हैं उसका मतलब हैं कि इन फलो को उगाने के लिए भारी मात्रा में किटकनाशको का प्रयोग किया गया हैं। मतलब जिन फलों पर 4 डिजिट वाले नम्बर हैं वो फल नहीं खरीदने चाहिए।

जिन फलों पर 5 डिजिट वाले नम्बर है और वो 8 अंक (उदा. 80412) से शुरू होता हैं तो इसका मतलब हैं कि इसे जैविक रूप से उगाया गया हैं। लेकिन इसमें अनुवांशिक संशोधन किया गया है। इसका मतलब यह है कि इसे जैविक रूप से उगाया गया है. इसे जेनेटिकली रूप से मॉडिफाई किया जाता है........ये 4 डिजिट वाले अंक से अच्छे होते हैं।

किसी फल या सब्जी पर लगे स्टीकर पर 5 डिजिट का कोड है और यह 9 नंबर से शुरू हुआ है तो इसका मतलब है कि इसे जैविक रूप से उगाया गया है. लेकिन इसे जेनेटिकली रूप से मॉडिफाई नही किया जा सकता.....

जिन फलों पर 5 डिजिट वाले नम्बर है और वो 9 अंक से शुरू होता हैं (उदा.94285) तो इसका मतलब हैं कि इसे जैविक रूप से उगाया गया हैं। ये फल सेहत के लिए फ़ायदेमंद हैं।!!
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27/08/2019

*_-----बहरापन, कान से कम सुनाई देना ------_*

👦🏻👧🏻(1)👉🏿परिचय --------👇�👇�👇�👇�👇�👇�👇�

🌹(1)----- सुनाई देना कम हो जाना या बिल्कुल भी सुनाई न देना ही बहरापन कहलाता है। यह रोग किसी प्रकार की गम्भीर बीमारी के हो जाने के बाद, चोट लगने के कारण या किसी औषधि के दुष्प्रभाव के कारण अधिकतर होता है ।

🌹(2)----- मालूम हो कि कान शरीर का बेहद संवेदनशील अंग है। इसलिए इसके साथ छेड़छाड़ व्यक्ति के लिए और गंभीर परेशानियां खड़ी कर देती हैं। कान का परदा बहुत नाजुक होता है, और इसके साथ ज्यादा लापरवाही बहरेपन का कारण बन सकती है। इसलिए इस ठंड में जररूरत है आपको कान के प्रति ज्यादा सजग रहने की। कुछ साधारण बातों को ध्यान में रखकर आप सही वक्त पर सही इलाज करवा सकते हैं।

👦🏻👧🏻(2)👉🏿कारण-----👇�👇�👇�👇�👇�👇�👇�👇

🌹(1)------ यह शरीर की कमजोरी या नसों की खराबी के कारण होता है। कान में बहुत तेज आवाज पहुंचना, सर्दी लगना, सिर में या दिमाग में चोट लगना, नसों की कमजोरी, नहाते समय कान के बिल्कुल अन्दर तक पानी का चले जाना, कान के अन्दर बहुत ज्यादा मैल का जमा हो जाना, कान का बहना, दिमाग या गले की बीमारी, लकवा, टाइफाइड, मलेरिया, जुकाम का बार-बार होना आदि कारणों से यह रोग हो सकता है।

👦🏻👧🏻(3)👉🏿लक्षण-------👇�👇�👇�👇�👇�👇�👇�👇�

🌹(1)----- इस रोग से पीड़ित रोगी को कम सुनाई देता है या कभी-कभी उसका कान भी बन्द हो जाता है। बहरेपन के कारण कान में अजीब-अजीब सी आवाजें सुनाई देती हैं। कभी-कभी आवाज रुक-रुककर सुनाई देती है और कई बार रोगी के कानों के पास जाकर कोई चीखता-चिल्लाता रहे तो भी उसे कुछ सुनाई नहीं देता ।

🌹(2)---- अगर कान के परदे का छिद्र बड़ा हो, कभी-कभी कान से खून बहता हो ।

🌹(3)----- कान में खुजली होती हो, दर्द होता हो ।

🌹(4)----- कान की समस्या के चलते चक्कर आते हों, या कान में कुछ आवाजें आती हों, तो ।

🌹(5)----- तुरंत चिकित्सक के पास जाएं और चिकित्सक द्वारा बताई गई उपचार पद्धति अपनाएं। खून और मूत्र की जांच समेत कान का ऑडियोग्राम कराना चाहिए। ऑडियोग्राम कान की सुनने की शक्ति की पहचान करनेवाली एक वैज्ञानिक पद्धति है। इससे कान की स्थिति की समस्त जानकारी हो जाती है।

🌹(6)------ बहरे हो जाएंगे और पता भी नहीं चलेगा ।

🌹(7)------ यूं तो कान से जुड़ी बीमारी का उम्र से कोई विशेष संबंध नहीं है, क्योंकि यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। फिर भी 50 वर्ष की उम्र से अधिक व्यक्तियों में कान से जुड़ी समस्याएं बड़े पैमाने पर देखने को मिलती हैं। इसलिए ठंड में बुजुर्गों को कान के प्रति ज्यादा सजग रहना चाहिए।

👨🏻👩🏻(4)👉🏿भोजन और परहेज-------👇�👇�👇�👇�👇�👇�👇�👇

🌹(1)-----कान में तिल्ली या कुछ और चीज डालकर कान को खुजलाना नहीं चाहिए।

🌹(2)----सुबह उठने के बाद पानी में नींबू निचोड़कर पीना चाहिए इससे लाभ मिलता है।

🌹(3)----- धूप में ज्यादा देर तक काम नहीं करना चाहिए।

🌹(4)----- सिर में तिल्ली का तेल या ब्राही आंवला का तेल लगाना चाहिए।

🌹(5)----- भोजन में गर्म मसालों का प्रयोग न करें।

🌹(6)------सुबह जल्दी उठकर ताजी हवा में सैर करने के लिए जाना चाहिए।

👦🏻👧🏻(5)👉🏿सावधानी-------👇�👇�👇�👇�👇�👇�👇�👇�👇�

🌹(1)----- स्नान करते समय ध्यान रखना चाहिए कि साबुन या पानी कान में न जा पाए क्योंकि इससे भी बहरापन हो सकता है।

🌹(2)----- कान में तेल भी नहीं जाना चाहिए क्योंकि कान में जो सुनने के पर्दे होते हैं वे बहुत ही नाजुक होते हैं और कान में कुछ जाने की वजह से उनके खराब होने की आशंका ज्यादा रहती है।

🌹(3)---- जिस नदी या तालाब में जानवर नहाते हों उसके अन्दर छोटे बच्चों को या बड़ों को नहाना नहीं चाहिए।

🌹(4)---- टी.वी या गानों को तेज आवाज में नहीं सुनना चाहिए क्योंकि इससे कानों की नसों पर असर पड़ता है।

🌹(5)---- कानों की नसें खराब होने पर यह रोग ठीक होना मुश्किल हो जाता है।

🌹(6)---- कानों में किसी भी तरह के रोग होने पर इलाज में देरी ना करें, क्योंकि वक्त पर इलाज होने से यह रोग बिल्कुल खत्म हो सकता है ।

🌹(7)----- माचिस की तीली, पिन या अन्य कोई वस्तु कान में न डालें।

🌹(8)----- कान में पानी या धूल-मिट्टी के कण न जाएं, इसका पूरा ध्यान रखें।

🌹(9)----- ठंड में बाहर निकलते समय कान ढक कर निकलें।

🌹(10)----- कान से जुड़ी समस्याओं को अनदेखा करने पर कान में दर्द, बहरापन और कान बहने जैसी बीमारियां हो सकती हैं।

🌹(11)----- कानों को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों से बचना चाहिए।


👦🏻👧🏻(6)👉🏿विभिन्न औषधियों से उपचार-----👇�👇�👇�👇�👇�👇�👇�

🌹(1)----- 10 ग्राम पानी में 2 ग्राम गुड़ और 2 ग्राम शुंठी के चूर्ण को अच्छी तरह मिलाकर कान में बूंद-बूंद करके डालने से बहरापन कम हो जाता है।

🌹(2)-----5 ग्राम सौंफ को 250 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। जब उबलने पर पानी करीब चौथाई हिस्सा बाकी रह जाये तो इसे 10 ग्राम घी और 200 मिलीलीटर गाय के दूध में मिलाकर पीने से बहरेपन का रोग कुछ समय में समाप्त होने लगता है।

🌹(3)----- बेल के पत्तों का तेल, काली मिर्च, सोंठ, पीपल, पीपलामूल, कूट, बेल की जड़ का रस और गाय के पेशाब को बराबर मात्रा में लेकर हल्की आग पर पकाने के लिये रख दें। फिर इसे छानकर किसी शीशी में भर लें। इस तेल को `बधिरता हर तेल कहते हैं। इस तेल को कान में डालने से कान के सभी रोग दूर हो जाते हैं।

🌹(4)-----बेल के पके हुये बीजों का तेल निकालकर बूंद-बूंद करके कान में डालने से बहरापन समाप्त हो जाता है।

🌹(5)-----बेल के कोमल पत्ते स्वस्थ्य गाय के पेशाब में पीसकर 4 गुना तिल के तेल और 16 गुना बकरी का दूध मिलाकर धीमी आग में पकाएं। इसके बाद इसे ठंड़ा करके लें। इस तेल को रोजाना कानों में डालने से बहरापन, सनसनाहट (कर्णनाद), कानों की खुश्की और खुजली दूर हो जाती है।

🌹(6)------500 मिलीलीटर काकजंघा का रस लेकर 250 मिलीलीटर तेल में डालकर पकाने के लिये रख दें। जब पकते हुये तेल बाकी रह जाये तो उसे छानकर सुबह और शाम बूंद-बूंद करके कान में डालने से बहरापन दूर होता है।

🌹(7)------ काकजंघा के पत्तों के रस को गर्म करके बूंद-बूंद कान में डालने से बहरेपन के रोग में लाभ मिलता है।

🌹(8)------ धतूरे के पीले पत्तों को हल्का-सा गर्म करके उसका रस निकालकर 2-2 बूंदे करके कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।

🌹(9)----- धतूरे का पीला पत्ता (बिना छेद वाला) को गर्म करके उसका रस निकाल लें। इस रस को 15 दिन तक सुबह-शाम कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।

🌹(10)----- सफेद मूसली और बाकुची को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस 3 ग्राम चूर्ण को दूध के साथ सुबह और शाम खाने से बहरापन ठीक हो जाता है।

🌹(11)----- दालचीनी के तेल को बूंद-बूंद करके सुबह और शाम कान में डालने से बहरापन खत्म हो जाता है।

🌹(12)------ जबाद कस्तूरी : जबाद कस्तूरी को बादाम के तेल के साथ पीसकर कान में डालने से धीरे-धीरे बहरापन दूर हो जाता है और सुनने की शक्ति बढ़ती है।

🌹(13)----- कड़वे बादाम के तेल को गुनगुना करके रोजाना सुबह और शाम कान में बूंद-बूंद करके डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।

🌹(14)----- 100 मिलीलीटर बादाम के तेल में लहसुन की 10 कलियों को डालकर पका लें। जब पकने पर लहसुन की कलियां जल जायें तो इस तेल को छानकर कान में बूंद-बूंद करके डालने से बहरापन दूर होने लगता है

18/08/2019

गले का संक्रमण हो या गले की खराश, ये उपाय आएंगे आपके काम

कभी बदलते मौसम की वजह से तो कभी अत्यधिक ठंडी चीजें खाने-पीने की वजह से गले में खराश हो जाती है। कई बार गले में संक्रमण भी हो जाता है। इन दोनों ही स्थितियों से राहत पाने के लिए ये घरेलू उपाय आजमाएं, इनसे आपको जरूर लाभ होगा -

1 गले को आराम देने का सबसे सही समय होता है रात का वक्त। रात को सोते समय दूध में आधी मात्रा में पानी मिलाकर पिएं। इससे गले की खराश कम होगी। साथ ही गर्म हल्दी वाला दूध भी बहुत फायदेमंद होगा।

2 एक कप पानी में 4 से 5 कालीमिर्च एवं तुलसी की 5 पत्तियों को उबालकर काढ़ा बना लें और इस काढ़े को पिएं। इसे रात को सोते समय पीने पर लाभ होगा। इसके अलावा भोजन में आप साधारण चीजें ही खाएं तो बेहतर होगा।

3 गले में खराश होने पर गुनगुना पानी पिएं। गुनगुने पानी में सिरका डालकर गरारे करने से गले की खराश दूर होगी और गले का संक्रमण भी ठीक हो जाएगा। इसके अलावा गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करना एक अच्छा इलाज है।

4 पालक के पत्तों को पीसकर इसकी पट्टी बनाकर गले में बांधे और 15 से 20 मिनट तक इसे बांधे रखने के बाद खोल लें। इसके अलावा धनिया के दानों को पीसकर उसका पाउडर बनाएं और उसमें गुलाब जल मिलाकर गले पर लगाएं। इससे भी आराम होगा।

5 गले की खराश के लिए कालीमिर्च को पीसकर घी या बताशे के साथ चाटने से भी लाभ होता है। साथ ही कालीमिर्च को 2 बादाम के साथ पीसकर सेवन करने से गले के रोग दूर हो सकते हैं।

6 गले की खराश या फिर अन्य समस्या होने पर मांसाहार, रूखा भोजन, सुपारी, खटाई, मछली, उड़द इन चीजों से परहेज ही रखें, ताकि गला जल्दी ठीक हो सके।

18/08/2019

दाद-खाज हो जाएगा जड़ से साफ

स्कीन से जुड़ी बीमारियां भी कई बार गंभीर समस्या बन जाती है। ऐसी ही एक समस्या है एक्जीमा या दाद पर होने वाली खुजली और जलन दाद से पीडि़त व्यक्ति का जीना मुश्किल कर देती है। अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही है

- दाद पर अनार के पत्तों को पीसकर लगाने से लाभ होता है।

- दाद को खुजला कर दिन में चार बार नींबू का रस लगाने से दाद ठीक हो जाते हैं।

- केले के गुदे में नींबू का रस लगाने से दाद ठीक हो जाता है।

- चर्म रोग में रोज बथुआ उबालकर निचोड़कर इसका रस पीएं और सब्जी खाएं।

- गाजर का बुरादा बारीक टुकड़े कर लें। इसमें सेंधा नमक डालकर सेंके और फिर गर्म-गर्म दाद पर डाल दें।

- कच्चे आलू का रस पीएं इससे दाद ठीक हो जाते हैं।

- नींबू के रस में सूखे सिंघाड़े को घिस कर लगाएं। पहले तो कुछ जलन होगी फिर ठंडक मिल जाएगी, कुछ दिन बाद इसे लगाने से दाद ठीक हो जाता है।

- हल्दी तीन बार दिन में एक बार रात को सोते समय हल्दी का लेप करते रहने से दाद ठीक हो जाता है।

- दाद होने पर गर्म पानी में अजवाइन पीसकर लेप करें। एक सप्ताह में ठीक हो जाएगा।

- अजवाइन को पानी में मिलाकर दाद धोएं।

- दाद में नीम के पत्तों का १२ ग्राम रोज पीना चाहिए।

- दाद होने पर गुलकंद और दूध पीने से फायदा होगा।

- नीम के पत्ती को दही के साथ पीसकर लगाने से दाद जड़ से साफ हो जाते है।

18/08/2019

*सांस फूलने की परेशानी से राहत देगे घरेलू इलाज*

*परिचय-बहुत से लोग गलतफहमी के चलते डिसप्निया (सांस फूलना रोग को दमा रोग ही समझ लेते हैं। लेकिन डिसप्निया (सांस फूलना) और दमा (एस्थमा) रोग में थोड़ा सा फर्क होता है।कई लोगों को गलतफहमी होती है कि मोटा होने की वजह से ही सांस फूलती है पर ऐसा कुछ नही है,पतले लोगो की भी ऐसे ही सांस फूलती है और इसका कारण हमारे शरीर में नही अपितु पर्यावरण में बढ़ रहे प्रदूषण,अस्वच्छ हवा में सांस लेना और गलत कार्यशैली हो सकती है।*

*कारण-सांस फूलने का रोग 2 प्रमुख कारणों से हो सकता है :1- ज्यादा उम्र के लोगों को बारिश के मौसम में सांस की नली के पुराने जुकाम आदि रोगों के कारण 2- दिल की धड़कन का काफी तेज चलने के कारण*

*सांस फूलने का प्रभावी और घरेलू इलाज़ :*

*अंजीर :जिन लोगो की सांस फूलती है, उनके लिए अंजीर अमृत के समान है क्योंकि अंजीर छाती में जमी बलगम और सारी गंदगी को बाहर निकाल देती है। जिससे सांस नली साफ़ हो जाती है और सुचारू रूप से कार्य करती है। इसके लिए आप तीन अंजीर गरम पानी से धोकर रात को एक बर्तन में भिगोकर रख दीजिये और सुबह खाली पेट नाश्ते से पहले उन अंजीरों को खूब चबाकर खा लीजिये। उसके बाद वह पानी भी पी लें | इस का प्रयोग लगातार एक महीने तक कीजिये। इसके प्रयोग से फर्क आपको खुद ही महसूस होने लगेगा।*

*तुलसी ( Basil )और सौंठ (dry ginger) का काढ़ा :तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाती है और श्वसन तंत्र पर बाहरी प्रदूषण और एलर्जी के हमले से रक्षा करने में समर्थ है। इसलिए जिनको भी सांस फूलने की या दमा की शिकायत हो उन लोगो को तुलसी से बने इस काढ़े का इस्तेमाल अवश्य ही करना चाहिए। इसके लिए आधा कप पानी में 5 तुलसी की पत्ती,एक चुटकी सौंठ पाउडर,काला नमक और काली मिर्च डालकर उबाल ले। ठंडा करके जब यह काढ़ा गुनगुना सा रह जाए तब इसका सेवन करे। नित्य प्रति इस काढ़े के सेवन से आपके सांस फूलने की समस्या जड़ से समाप्त हो जाएगी।*

*अजवायन (Thymes):सांस फूलने की समस्या अक्सर श्वास नली में सूजन या श्वास नली में कचरा आ जाने की वजह से ही उत्पन्न होती है। श्वास नली को साफ़ करने का सबसे प्रभावी तरीका होता है– स्टीम या भाप लेना। भाप लेने से यदि श्वास नली में सूजन है तो उसमे आराम हो जाता है और कचरा भी निकल जाता है तो इसके लिए आपको अजवायन पीसकर पानी में उबलनी है। फिर इस अजवायन वाले पानी की भाप लेनी है व इसे गुनगुना पी भी लें। क्योंकि अजवायन की भाप सूजन को खत्म और दमे और सांस फूलने की समस्या में राहत दिलाती है।*

*तिल का तेल (Sesame oil) :यदि ठंड की वजह से छाती जाम हो जाए या रात के समय दमे का प्रकोप बढ़ जाए और सांस ज्यादा फूलने लगे तो तिल के तेल को हल्का गर्म करके छाती और कमर पर गरम तेल की सेक करे। इस प्रकार आपकी छाती खुल जायेगी और आपको सांस फूलने की समस्या में राहत मिलेगी।*

*अंगूर (grapes):सांस फूलने व दमा की समस्या में अंगूर बहुत लाभदायक होता हैं | इस समस्या में आप अंगूर भी खा सकते है या अंगूर का रस का भी सेवन कर सकते हैं | कुछ चिकित्सकों का तो यह दावा है कि दमे के रोगी को अगर अंगूरों के बाग में रखा जाए तो दमा,सांस फूलने या कोई भी श्वसन सम्बन्धी समस्या में शीघ्र लाभ पहुंचता है*

*चौलाई (Amaranth) के पत्तों का रस :सांस फूलने की या श्वसन सम्बन्धी कोई भी समस्या हो यदि चौलाई के पत्तों का ताजा रस निकालकर और उसमे थोड़ा शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन किया जाए तो अतिशीघ्र लाभ पहुंचता है | चौलाई के पत्तो का प्रयोग आप किसी भी रूप में कर सकते है। चाहे तो चोलाई के पत्तो का साग भी खा सकते है। चोलाई के पत्ते इस समस्या में रामबाण औषधि है।*

*लहसुन (Garlic) :लहसुन भी सांस फूलने की समस्या में अत्यंत लाभकारी औषधि का कार्य करता है। इसके लिए लहसुन की 3 कलियों को दूध में उबालना है और फिर उस दूध को छानकर सोने से पूर्व पीना है। याद रहे इसके बाद कुछ भी न खाये या पिए। कुछ ही दिनों के निरन्तर प्रयोग से आपको इसके चमत्कारी परिणाम देखने को मिलेंगे।*

*सौंफ (Fennel) :सांस फूलने की या श्वसन सम्बन्धी कोई भी समस्या हो यदि सौंफ का प्रयोग दैनिक दिनचर्या में हर रोज किया जाए तो आपको कभी सांस फूलने की समस्या आएगी ही नही। क्योंकि सौंफ में बलगम को साफ करने के गुण विद्यमान होते हैं | यदि दमे के रोगी और सांस फूलने वाले रोगी नियमित रूप से इसका काढ़ा इस्तेमाल करते रहें तो निश्चित रूप इस समस्या से निजात मिल जाएगी |*

*लौंग (Cloves)और शहद(Honey) :लौंग और शहद का काढ़ा पीने से श्वास नली की रुकावट दूर हो जाती है और श्वसन तंत्र मजबूत बनता है। इसके लिए चार-छः लौंग को एक कप पानी में उबाल ले और फिर उसमे शहद मिलाकर दिन में तीन बार थोड़ा-थोड़ा पीने से सांस फूलने की समस्या एकदम ठीक हो जाती है |*

*दालचीनी और शहद(Honey) : एक चम्मच दालचीनी एक चम्मच शहद मिक्स कर सुबह शाम ले इसे लेने के बाद गुनगुना पानी जरूर पिये*

*गौमुत्र:- गौमुत्र या गौर्क का सेवन सुबह शाम करें*

*हींग (Asafoetida):सांस फूलने की या श्वसन सम्बन्धी कोई भी समस्या हो यदि हींग का प्रयोग दैनिक दिनचर्या में हर रोज किया जाए तो आपको कभी सांस फूलने की समस्या आएगी ही नही।बाजरे के दाने जितनी हींग को दो चम्मच शहद में मिला ले। इसको दिन में तीन बार थोड़ा-थोड़ा पीने से सांस फूलने की समस्या एकदम ठीक हो जाती है |*

*नीबू (lemon)का रस :सांस फूलने या दमा की समस्या में नीबू का रस गरम जल में मिलाकर पीते रहने से यह समस्या धीरे धीरे जड़ से खत्म हो जाती है | सांस फूलने की समस्या में केला अधिक मात्रा में नही खाना चाहिए | पानी हल्का गरम पीना चाहिए |पानी उबालकर और थोड़ा हल्का गरम पीना ही लाभकारी होता है |*

*सरसो तेल व पुराना गुड़ :- 10 ग्राम सरसो तेल में 10 ग्राम पुराना गुड़ मर्दन(मिक्स) कर सेवन करें*

*गुनगुना पानी :- हर रोग की सस्ती दवा है गुनगुना पानी नियमित सेवन करें*

*एसिड बनाने वाले पदार्थ न ले :दमा या सांस फूलने की समस्या होने पर भोजन में कार्बोहाइड्रेट, चिकनाई एवं प्रोटीन जैसे एसिड बनाने वाले पदार्थ कम मात्रा में ही लें क्योंकि इनसे शरीर में एसिड बनता है जिससे श्वसन में बाधा उत्पन्न होती है इसलिए ताज़े फल, हरी सब्जियां तथा अंकुरित चने जैसे क्षारीय खाद्य पदार्थों का सेवन भरपूर मात्रा में करें।*

*जो भी उपयोग करे नियमित करें 2 से 3 माह अद्भुत परिणाम मिलेगा*

18/08/2019

*_(डॉयबिटीज) मधुमेह की प्रमाणिक व स्वानुभूत चिकित्सा विधि से आप स्वास्थ्य प्राप्त कर रोगमुक्त होंगे-_*

वसन्त कुसुमाकर रस - 2 ग्राम
अभ्रक भस्म - 5 ग्राम
दिव्य स्वर्णमाक्षिक भस्म - 5 ग्राम
गिलोय घन सत्व ,अमृतासत् - 20 ग्राम
प्रवाल पंचामृत - 10 ग्राम
मोती पिष्ठी - 4 ग्राम
इन सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़ियां बनाएं - प्रातः नाश्ते एवं रात्रि-भोजन से आधा घण्टा पहले मलाई से सेवन करें।

मधुनाशिनी वटी - 120 गोली
2-2 गोली प्रातः सायं खाली पेट चबाकर जल से सेवन करें।

आरोग्यवर्धिनी वटी- 40 ग्राम
गिलोय घनवटी- 40 ग्राम
1-1 गोली दिन में दो बार भोजन के आधे घण्टे बाद गुनगुने जल से सेवन करें।

चन्द्रप्रभा वटी - 60 ग्राम
दिव्य मधुकल्प वटी - 60 ग्राम
2-2 गोली दिन में दो बार भोजन के आधे घण्टे बाद गुनगुने जल से सेवन करें।

शिलाजित सत् - 60 ग्राम, 1-1 बूँद दूध से लें ।

नोट :- करञ्ज बीज चूर्ण को आधा-आधा चम्मच की मात्र में प्रातः सायं भोजन से पहले सेवन करने से विशेष लाभ होता है, रोगियों से प्रार्थना है की तीव्रता व जीर्णता की स्थिति में चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार ही औषध सेवन करें
*

18/08/2019

संग्रहणी रोग (IBS)

संग्रहणी रोग अथवा ग्रहणी (IBS) पेट का एक ऐसा रोग है, जो जनसख्या के एक बड़े तबके को परेशान करता है.

जितना व्यापक यह रोग है उतने ही व्यापक इसके लिये नुस्खे भी बताये जाते हैं, जो फौरी तौर पर राहत दे सकते हैं.
आईये जानते हैं संग्रहणी रोग (IBS) के 14 घरेलू उपाय जो संग्रहणी रोग के विभिन्न पहलुओं में उपयोग किये जाते हैं…
1. हींग, अजवायन और सोंठ
हींग, अजवायन और सोंठ बराबर मात्रा में लेकर पीस लें|
इसमें से एक-एक चम्मच चूर्ण सुबह-शाम गरम पानी के साथ भोजन के बाद लें|
2. छाछ और हींग
छाछ में चुटकी भर हींग व जीरा मिलाकर सेवन करें| संग्रहणी की गैस में लाभ मिलेगा.
3. कालीमिर्च और काला नमक
कालीमिर्च और काला नमक – दोनों 3-3 ग्राम मट्ठे के साथ लें|
4. पिप्पली, नीबू और सेंधा नमक
4 ग्राम पिप्पली का सेवन नीबू के रस तथा सेंधा नमक के साथ करें| भूख जगाने का उत्तम उपाय है.
5. हरड़और काला नमक
हरड़ का चूर्ण और थोड़ा-सा काला नमक पानी में अच्छी तरह घोलें|
फिर इसे सुबह-शाम पिएं|
इस योग से कब्जकारी संग्रहणी में लाभ मिलता है.
6. मौलसिरी
2 ग्राम मौलसिरी के पत्तों का चूर्ण दिन में दो बार सेवन करें| यह अतिसार की संग्रहणी में लाभकारी रहता है.
7. अदरक, तुलसी, कालीमिर्च और लौंग
अदरक, तुलसी, कालीमिर्च तथा लौंग का काढ़ा पीने से वातज संग्रहणी के उपद्रव जैसे पेट की गैस, तनाव में लाभ मिलता है|
8. सोंठ और मिश्री
आधा चम्मच सोंठ के चूर्ण में जरा-सी मिश्री मिलाकर सेवन करें|यह संग्रहणी में भूख को जगाने का कार्य करता है.
9. बेलगिरी, सेंधा नमक और मट्ठा
बेलगिरी और सेंधा नमक मिलाकर चूर्ण बना लें| इस सुबह-शाम मट्ठे के साथ प्रयोग करें|
10. जीरा, हींग और अजवायन
जीरा, हींग और अजवायन का चूर्ण सब्जियों में डालकर खाने से संग्रहणी रोग के अपचन में आराम मिल जाता है|
11. सोंठ, गुरुच, नागरमोथा और अतीस
सोंठ, गुरुच, नागरमोथा और अतीस-सबको समान मात्रा में लेकर मोटा-मोटा पीस लें|
इसमें से दो चम्मच का जौकुट काढ़ा बनाकर 15 दिनों तक सेवन करने से संग्रहणी के रोगियों को काफी आराम मिलता है|
12. सोंठ, पीपल, नमक, अजमोद और गंघक
शोधित गंधक 2 ग्राम, सोंठ 10 ग्राम, पीपल 5 ग्राम, पांचों नमक 5 ग्राम तथा भुना हुआ अजमोद 5 ग्राम.
इन सबको बारीक पीसकर एक शीशी में भर लें|
इसमें से दो चुटकी दवा पानी के साथ सेवन करें|
13. हरड़, पीपल, सोंठ, मट्ठा और काला नमक
हरड़ की छाल, पीपल, सोंठ और काला नमक-सबको 10-10 ग्राम की मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें|
इसमें से आधा चम्मच चूर्ण मट्ठे के साथ सेवन करें|
15 दिनों तक चूर्ण खाने से वातज संग्रहणी में लाभ मिलने लग जाता है|
14. अनारदाना, सोंठ, कालीमिर्च और मिश्री
10 ग्राम अनारदाना, 2 ग्राम सोंठ, 2 ग्राम कालीमिर्च और 10 ग्राम मिश्री को कूटकर चूर्ण बना लें|

🌾चंद्रप्रभा वटी के 10 जबरदस्त फायदे🍂★ चंद्रप्रभा वटी, को 37 पदार्थों के योग से बनाया गया है। यह एक बहुत ही लोकप्रिय और प...
27/07/2019

🌾चंद्रप्रभा वटी के 10 जबरदस्त फायदे
🍂★ चंद्रप्रभा वटी, को 37 पदार्थों के योग से बनाया गया है। यह एक बहुत ही लोकप्रिय और प्रभावी दवा है जो की बहुत से रोगों में दी जाती है। 'चंद्र' का मतलब है चंद्रमा और 'प्रभा' का मतलब है चमक। तो इसका शाब्दिक अर्थ है वो दवा या टेबलेट जो शरीर में चमक लाए। ये दवा कई नामी आयुर्वेदिक कंपनियों द्वारा निर्मित की जाती है।
★💐 चंद्रप्रभा वटी को मधुमेह और मूत्र रोगों में प्रयोग किया जाता है। यह मूत्रेंद्रिय और वीर्य-विकारों की सुप्रसिद्ध औषधी है। इसका उपयोग शरीर में चमक लाता है और बल, ताकत और शक्ति बढती है।
🌻★ यह दवा बलवर्धक, पोषक, कांतिवर्धक, और मूत्रल है।
🌻★ चंद्रप्रभा वटी सूजाक के कारण होने वाली दिक्कतों को नष्ट करती है। पुराने सूजाक में इसका उपयोग होता है। सूजाक के कारण होने वाले फोड़े, फुंसी, खुजली आदि में इस दवा को चन्दनासव या सारिवाद्यासव के साथ दिया जाता है।
🌻★ यह दवा शरीर से विष को निकालती है और धातुओं का शोधन करती है।
★🌻 किसी कारण से जब शुक्रवाहिनी और वातवाहिनी नाड़ियाँ कमज़ोर हो जाती हैं तब इस स्थिति में वीर्य अपने आप ही निकल जाता है जैसे की स्वप्नदोष (night fall) पेशाब के साथ वीर्य जाना (discharge of semen with urine ) ऐसे में इस दवा को गिलोय के काढ़े के साथ दिया जाना चाहिए। यह दवा पुरुष जननेंद्रिय विकारों में अच्छा प्रभाव दिखाती है।
🌻★ इस का प्रयोग स्त्री रोगों gynecological problems में भी होता है। यह गर्भाशय को शक्ति देती है और उसकी वकृति को दूर करती है।
★🌻 सुजाक, उपदंश आदि में यह प्रभावी है।
🌻★ स्त्रियों में होने वाले अन्य समस्यों जैसे की पूरे शरीर में दर्द (full body pain), मासिक में दर्द , १०-१२ दिनों का मासिक धर्म आदि में यह दवा अशोक घृत के साथ दी जाती है।
🌻★ मूत्र रोगों में जैसे की बहुमूत्र, मूत्रकृच्छ, मूत्राघात , मूत्राशय में किसी तरह की विकृति, पेशाब में जलन (burning sensation while urination), पेशाब का लाल रंग, पेशाब में दुर्गन्ध, पेशाबी में चीनी (sugar in urine), श्वेत प्रदर, किडनी की पथरी (kidney stones ), पेशाब में एल्ब्यूमिन, रुक रुक के पेशाब आना, मूत्राशय की सूजन (inflammation of urinary bladder), आदि में ये बहुत ही अच्छा प्रभाव दिखाती है।

★ 🌻जब मूत्र कम मात्रा में बने और मूत्राघात हो तो इसका प्रयोग पुनर्नवासव या लोध्रासव के साथ किया जाता है।
🌻★ वात के अधिक होने पर कब्ज़ और मन्दाग्नि हो जाती है जो ज्यादा दिन रहने पर भूख न लगना, अपच, ज्यादा प्यास, कमजोरी आदि दिक्कतें पैदा करती हैं। इसमें में भी इस दवा का प्रयोग अच्छा असर दिखाता है।
🍁चिकित्सीय उपयोग :
•🌼 विबंध (Constipation), शूल (Colicky Pain)
•🌼 अरुचि (Tastelessness), मन्दाग्नि (Impaired digestive fire)
🌼• ग्रंथि (Cyst), पांडू (Anemia), कमाला (Jaundice), प्लीहोदर (Disorder of Spleen, Ascites associated with splenomegaly)
🌼• अर्बुद (Tumor), कटी शूल (Lower backache)
•🌼 कुष्ठ (Diseases of skin), कंडू (Itching)
🌼• आंत्र वृद्धि (Hernia), अंड वृद्धि (prostate)
•🌼 दांत रोग (Dental disease), नेत्र रोग (Eye disorder)
•🌼 मूत्र रोग, अनाह (Distension of abdomen due to obstruction to passage of urine and stools), मुत्रक्रिछा (Dysuria), प्रमेह (Urinary disorders), अश्मरी (Calculus), मूत्रघात (Urinary obstruction)
• 🌼अर्श (Haemorrhoids), भगंदर (Fistula-in-ano),
•🌼 स्त्रीरोग (Gynaecological disorders), आर्तव रज (Dysmenorrhoea)
• 🌼वीर्य सम्बन्धी दोष, शुक्र दोष (Vitiation of semen), दुर्बल्य (Weakness)
🌼• Natural safe effective diuretic मूत्रल
सेवनविधि और मात्रा : How to take and dosage
🌼1-2 tablets/250mg to 500mg, पानी/दूध/गिलोय काढ़ा/दारुहल्दी रस/बेल की पत्ती का रस/ गोखरू काढ़ा या केवल शहद के साथ लें।

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