
30/08/2025
बच्चों को चूमने का मज़ा, और ही कुछ है।
गालों को चूमने का मज़ा, और ही कुछ है।।
इस दौर के आशिक ने कहा,, दोस्तों में ये।
होंठों को चूमने का मज़ा, और ही कुछ है।।
तितली ने मेरे कान में,,, धीरे से कहा कि।
फूलों को चूमने का मज़ा और ही कुछ है।।
कर्बल' में हुसैन इब्ने-अली ने, ये कहा था। (कर्बला)
नेज़ों को चूमने का मज़ा, और ही कुछ है।।
पेड़ो के तनों पर,,, जो लिखे इस्म तुम्हारे।
नामों को चूमने का मज़ा और ही कुछ है।।
हक़ राह पे चलते हुए,,, पांवों में चुभे इन।
कांटों को चूमने का मज़ा और ही कुछ है।।
तस्वीर है दीवार पे,,,,,, मां बाप की लगी।
यादों को चूमने का मज़ा और ही कुछ है।।
#डॉ_आफ़ताब_आलम_सिवानी