आयुर्वेद से सभी समस्याओ का समाधान

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14/05/2025

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01/02/2025

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❤️महिलाएं एक से अधिक बार संभोग करने में सक्षम होती है।❤️(एक संभोग के बाद दूसरा संभोग आनंद की अविरल धारा में बहता है) और ...
29/01/2025

❤️महिलाएं एक से अधिक बार संभोग करने में सक्षम होती है।❤️
(एक संभोग के बाद दूसरा संभोग आनंद की अविरल धारा में बहता है) और साथ ही श्रृंखलाबद्ध संभोग(बीच में थोड़े अंतराल के साथ एक संभोग के बाद दूसरा संभोग) भी कर सकती हैं।

· एक महिला की योनि तब तक बहुत संवेदनशील नहीं होती जब तक कि वह अत्यधिक उत्तेजित न हो। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह जन्म नहर है, और अगर यह भगशेफ और भगशेफ बल्ब की तरह संवेदनशील होती, तो जन्म देना बहुत कष्टदायक होता।

· जब स्त्री अत्यधिक उत्तेजित होती है, तो योनि लंबी और फैल जाती है, जिससे उसके प्रेमी द्वारा प्रवेश किये जाने की लालसा पैदा होती है।

· योनि बहुमुखी होने के कारण, अपने आप को लिंगम के आकार के अनुसार ढाल लेती है जो उसमें प्रवेश कर रहा है (दोनों भागीदारों के शारीरिक अनुपात के अनुसार)।

· एक महिला जिस तरह से यौन उत्तेजित होना चाहती है, या खुद को उत्तेजित करना चाहती है, वह इस बात पर निर्भर करता है कि उसने यौन सुख का अनुभव कैसे करना सीखा है। ज़्यादातर मामलों में, उसका यौन सशक्तिकरण इस बात पर निर्भर करता है कि उसने हस्तमैथुन के दौरान यौन प्रतिक्रिया करने के लिए खुद को कैसे प्रशिक्षित किया है।

· एक महिला 90 वर्ष की उम्र तक और उसके बाद भी कई बार संभोग सुख प्राप्त करने में सक्षम रहती है।

मैंने समूहों और व्यक्तिगत सत्रों में अनगिनत महिलाओं के साथ काम किया है और पाया है कि आम तौर पर, महिलाओं में संभोग के विषय के बारे में बहुत सी गलत धारणाएँ होती हैं। इस वजह से, महिलाएँ शर्म और गुप्त पीड़ा के साथ घूमती हैं जिसे वे अपने प्रेमियों से भी छिपा सकती हैं। इसका एक उदाहरण यह है कि 50% महिलाएँ संभोग का नाटक करती हैं।

इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। एक महत्वपूर्ण कारक यह है कि फ्रायड ने एक गलत बयान दिया, जिसका वैज्ञानिक तथ्य में कोई आधार नहीं था। उन्होंने देखा कि दो प्रकार की महिलाएं होती हैं, 'शिशु' और 'परिपक्व।' उन्होंने कहा कि 'शिशु महिला' को संभोग के लिए क्लिटोरल उत्तेजना की आवश्यकता होती है, जबकि 'परिपक्व महिला' केवल प्रवेश से ही संभोग करती है। आज भी, यह गलत बयान लाखों महिलाओं के जीवन को अनावश्यक पीड़ा से भर देता है।❤️

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29/01/2025

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29/01/2025

जय श्री राम

18/12/2024

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27/11/2024

प्रेम और सेक्स!

जब तक पुरुष के लिंग में तनाव है...तब तक वो प्रेम नहीं दे सकता...अगर किसी स्त्री के पास पुरुष जाता भी है और ये कहता है कि मैं तेरे करीब इस कारण हु की मैं प्यार करता हूँ....तो ये धोखा है...गलत है....सेक्स शरीर की जरूरत है तो ये गलत नहीं है...पर सेक्स को प्यार कहने की भूल से बचें...ईमानदार होकर रहें...अगर सेक्स करना है तो सामने वाले को साफ शब्दों में कहें...और साथी से पहले खुद को स्पष्ठ कर लें कि मैं प्यार में हूँ या वासना में...औरत फूल की तरह कोमल होती है...और फूल को रगड़कर...नोचकर, उसके शरीर पर निशान बनाकर, या बाहर भीतर घिसकर, प्यार नहीं किया जाता...स्त्री का शरीर और उसकी योनि की नसें बेहद संवेदनशील होती हैं...बहुत ज्यादा बारीक होती हैं...आज जो महिलाएं अपनी डॉक्टर के पास जा रही हैं, उसका एक कारण ये भी है कि उनके शारीरिक सम्बन्धों में हिंसा है...वासना के वेग के चलते न तो पुरुष को होश रहता और न स्त्री इतनी हिम्मत कर पाती की पुरुष को न कह सके....और फिर बच्चादानी में हजारो बीमारी लग जाती हैं...महावारी में भयानक दर्द, ocd, pocd और पता नहीं क्या क्या सहन करना पड़ता है..!!

पुरुष एक्टिव है स्वभाव से और स्त्री पैसिव...इसलिए यहां पुरुष को समझना चाहिए कि पल भर की वासना के लिए किसी स्त्री का शरीर खराब न करें...वैसे भी अगर सेक्स को भी धैर्य और तरीके से किया जाए! और एक ठहराव हो भीतर तो उसके परिणाम दोनों व्यक्तियों के लिए सुखद होते हैं...और सन्तुष्टि भी मिलती है....लेकिन जोश में आकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने वाले पुरुष, कभी भी सन्तुष्टि को उपलब्ध नहीं होते...जो व्यक्ति विवाहित है...उन्होंने अनुभव किया होगा कि सालों तक सेक्स करने पर भी उनके भीतर सेक्स इच्छा ज्यों की तँयो है...इसका कारण यही है कि उन्हें गहराई ही नहीं जानी कभी इस चीज की...45 मिनेट से पहले तो स्त्री का शरीर खुलता ही नहीं कि वो तुम्हें अपनी बाहों में भरे...या तुम्हें अनुमति दे कि तुम उसके भीतर प्रवेश करो...इसलिए फोरप्ले का इतना महत्व है....और ठीक उसी तरह आफ्टरप्ले भी अर्थ रखता है कि...तुम्हारी वजह से मैं जीवन ऊर्जा का आनंद ले पाया...केवल पेनिट्रेशन को सेक्स समझने वाले बलात्कारी हैं...अपने ही साथी का बल पूर्वक हरण करना...बलात्कार ही होता है....आज जो 70 फीसदी महिला ऑर्गेज़्म से अनजान हैं...उसका कारण सेक्स की अज्ञानता है....इस बात को अहंकार पर चोट न समझें बल्कि अपने आपको बेहतर बनाने का प्रयास करें....अपनी महिला मित्र के पैर छुएं...उससे अनुमति लें...उसके प्रति श्रद्धा भाव रखें...और इस बात का ध्यान रखें कि उसे दर्द न दें आनंद दें..!!

भले तुम दस मिनट! आधे घंटे का सेक्स कर लो...पर औरत अछूती ही रह जाती है तुम्हारे स्पर्श से...और तुम भी अधूरे ही लौटकर आते हो....बहुत धीरे धीरे शरीर तैयार होता है...बहुत धीरे धीरे वो द्वार खुलते हैं जब तुम्हें अनुमति मिले...और ये सब समझने के लिए भीतर स्थिरता चाहिए...और बिना मेडिटेशन के ये सम्भव नहीं....बिना मेडिटेशन जीवन उथला ही रहता है...अगर गहराई चाहिए जीवन में तो ध्यान बहुत जरूरी है....होश, ठहराव, स्थिरता, धीरज, प्रेम, श्रद्धा, ये सारे शब्द केवल ध्यान करने से ही जीवन में उतरेंग...किताबे पढ़ने या ज्ञान सुनने से कुछ नहीं होगा...बाकी फिर कभी...!!

दोस्तों....प्यार और सेक्स दोनों अलग अलग चीजें होती हैं....दोनों को एक ना समझें....धीरे धीरे कोई चीज तैयार होती है...आदमी सोचता है सब जल्दी हो जाए, मर्द जल्दी तैयार होता है मगर औरत धीरे धीरे तैयार होती है...और ये सब काम जल्दी करने की चीज नहीं है...जब तक दोनों का दिल ना हो नहीं करना चाहिए...जब तक अनुमति ना मिले ना करें...!!

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22/11/2024

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18/11/2024

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30/09/2024

👉 अनेक पुरुषों को यह भ्रम बना रहता है कि उनके समान ही स्त्रियां भी स्खलित होती हैं। यह धारणा भ्रामक, निराधार और मजाक भी है। पुरुषों के समान स्त्रियों में चरमसुख की स्थिति बिल्कुल अलग है। भारत में ऐसी बहुत स्त्री हैं जो
जीवन में कभी भी चरम सुख को प्राप्त ही नहीं कर पाती हैं इसका मुख्य कारण है सैक्स एजुकेशन की कमी और लोगों का सेक्स के विषय पर खुलकर बात न करना
नारी की पूर्ण संतुष्टि के लिए आवश्यक है कि फॉर प्ले अर्थात सेक्स करने से पहले की क्रिया जैसे होंठो की किस महिला के स्तन दबाना और पूरे बदन पर किस करना महिला की योनि में उंगली डालकर उसे सेक्स के लिए उत्तेजित करना आदि ये सभी क्रियाएं ही अंग्रेजी में फोर प्ले कहलाती हैं।
महिला साथी को कलात्मक फोर प्ले द्वारा इतना कामोत्तेजित कर दिया जाये कि वह सेक्स संबंध बनाने के लिए स्वयं आतुर हो उठे एवं चंद घर्षणों के पश्चात ही आनन्द के चरम शिखर पर पहुंच जाएं।

नारी को उत्तेजित करने के लिए केवल आलिंगन, चुम्बन एवं स्तन मर्दन ही पर्याप्त नहीं होता। यूं तो नारी का सम्पूर्ण शरीर कामोत्तेजक होता है, पर उसके शरीर में कुछ ऐसे संवेदनशील स्थान अथवा बिन्दु हैं जिन्हें छेड़ने, सहलाने एवं उद्वेलित करने में अंग-प्रत्यंग में कामोत्तेजना प्रवाहित होने लगती है। नारी के शरीर में कामोत्तेजना के निम्नलिखित स्थान संवेदनशील होते हैं-

महिला की योनि (सर्वाधिक संवेदनशील), भगोष्ठः बाह्य एवं आंतरिक, जांघें, नाभि क्षेत्र, स्तन (चूचक अति संवेदनशील), गर्दन का पिछला भाग, होंठ एवं जीभ, कानों का निचला भाग जहां आभूषण धारण किए जाते हैं, कांख, रीढ़, नितम्ब, घुटनों का पृष्ठ मुलायम भाग, पिंडलियां तथा तलवे।

इन अंगों को कोमलतापूर्वक हाथों से सहलाने से नारी शीघ्र ही द्रवित होकर पुरुष से लिपटने लगती है हाथों एवं उंगलियों द्वारा इन अंगों को उत्तेजित करने के साथ ही यदि इन्हें चुम्बन आदि भी किया जाए तो नारी की कामाग्नि तेजी से भड़क उठती है एवं फोर प्ले (फोर प्ले को हिन्दी में रति क्रीड़ा भी बोलते हैं) के आनन्द में अकल्पित वृद्धि होती है। यह आवश्यक नहीं कि सभी अंगों को होंठ अथवा जिव्हा से आनंदित किया जाए यह प्रेमी और प्रिया की परस्पर सहमति एवं रुचि पर निर्भर करता है कि प्रणय-क्रीड़ा के समय किन स्थानों पर होठ एवं जीभ का प्रयोग किया जाए। उद्देश केवल यही है कि प्रत्येक रति-क्रीड़ा में नर और नारी को रोमांचक आनन्द की उपलब्धि समान रूप से होनी चाहिए।

नारी की चित्तवृत्ति सदा एक समान नहीं रहती। किसी दिन यदि वह मानसिक अथवा शारीरिक रूप से क्षुब्ध हो, रति-क्रीड़ा के लिए अनिच्छा जाहिर करे तो किसी भी प्रकार की मनमानी नहीं करनी चाहिए। सामान्य स्थिति में भी प्रिया को पूर्णतः सेक्स के लिए उत्तेजित कर लेने के पश्चात् ही यौन-क्रीड़ा(संभोग) में संलग्न होना चाहिए।

*संभोग के लिए प्रवृत्ति या इच्छा-*

स्त्री भले ही सम्भोग के लिए जल्दी मान जाए, परन्तु यह जरूरी नहीं है कि वह इस क्रिया में भी जल्द अपना मन बना ले। पुरुषों के लिए यह बात समझना थोड़ी मुश्किल है। स्त्री को शायद सम्भोग में इतना आनन्द नहीं आता जितना कि सम्भोग से पूर्व काम-क्रीड़ा, अलिंगन, चुम्बन और प्रेम भरी बातें करने में आता है। जब तक पति-पत्नी दोनों सम्भोग के लिए व्याकुल न हो उठें तब तक सम्भोग नहीं करना चाहिए।
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लिवर के रोगो के लिए सम्पर्क सूत्र 7042098646
07/09/2024

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