Bhavy Sanadhya

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Profession:
Agriculture, Bio-Research Expert
& Pharmaceutical Manufacturing Unit Owner
-Owner of a Running Manufacturing Unit of Pharmaceuticals, Medicinal Chemicals &
Botanical Products (21-Manufacture Category)

15/08/2025
15/08/2025

Little Krishna Arya

01/08/2025

राज्यवार अनुमानित कैंसर मामले और मृत्यु (2022):

राज्य नए मामले (2022 अनुमान) मौतें (2022 अनुमान)

राजस्थान लगभग 74,725 लगभग 41,167
महाराष्ट्र लगभग 1,21,717 लगभग 66,879
पंजाब लगभग 40,435 लगभग 23,301

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🔍 विवरण एवं प्रमुख तथ्य:

राजस्थान में 2022 में अनुमानित 74,725 कैंसर मरीज और 41,167 मौतें हुईं।

महाराष्ट्र में लगभग 1.21 लाख नए मामले तथा 66,879 मौतें हुईं। यह राज्य कुल भारत में सबसे अधिक कैंसर बोझ वाले राज्यों में से एक है।

पंजाब में अनुमानतः 40,435 कैस दर्ज किए गए और 23,301 मौतें हुईं।

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⚠️ अन्य प्रासंगिक जानकारी:

देशव्यापी, कुल नए कैंसर मामलों की संख्या 2022 में लगभग 14.61 लाख और कुल मौतें लगभग 8.08 लाख अनुमानित थीं।

इन तीनों राज्यों में मृत्यु‑मामला अनुपात (mortality-to-incidence ratio) करीब 55–60% अनुमानित है—अर्थात लगभग हर दो में से एक रोगी मौत की राह देखता है।

पिछले दो दशकों में महाराष्ट्र और पंजाब में कैंसर मामलों की दर में क्रमशः 17.4% और 15–18% की वृद्धि हुई है।

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✅ सारांश:

राजस्थान (2022): 74,725 नए केस → 41,167 मौतें

महाराष्ट्र (2022): 1,21,717 नए केस → 66,879 मौतें

पंजाब (2022): 40,435 नए केस → 23,301 मौतें

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01/08/2025

भारत में कैंसर से होने वाली वार्षिक मौतों की संख्या पर सबसे हाल की और भरोसेमंद जानकारी यह बताती है कि:

2022 में भारत में अनुमानित 9.1 लाख मौतें कैंसर के कारण हुईं थीं, जैसा कि WHO/IARC की GLOBOCAN रिपोर्ट ने बताया है ।

इसी रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में कैंसर के नए मामले लगभग 14.13 लाख थे ।

इसके अलावा:

GLOBOCON 2022 डेटा के आधार पर ICMR की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में कैंसर के निदान के लगभग तीन में से दो मरीज (लगभग 60%) की मृत्यु होती है ।

2019 के Lancet अध्ययन के अनुसार, भारत में उस वर्ष लगभग 9.3 लाख मौतें कैंसर के चलते हुईं थी, जो एशिया में दूसरी सबसे अधिक थी ।

📌 निष्कर्ष: वर्तमान में उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के अनुसार (2022 तक), भारत में कैंसर से годाना लगभग 9 से 9.3 लाख मौतें होती हैं।

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कुछ अतिरिक्त महत्वपूर्ण जानकारी:

1. कैंसर मृत्यु अनुपात (Mortality-to-incidence ratio) भारत में सबसे अधिक है—लगभग 64–65% यानी जितने लोग कैंसर से ग्रस्त होते हैं, उनमें से तीन में से दो की मृत्यु हो जाती है ।

2. ट्रेंड: अक्टूबर 2022 तक, कैंसर के मामले और मृत्यु दर दोनों में लगातार वृद्धि देखी गई है—नए मामलों में लगभग 36% और मृत्यु में लगभग 30% की वृद्धि (2012–2022 तक) ।

3. रोकथाम योग्य कारणों से होने वाली मौतें:

2020 में अनुमानित 2.25 लाख मौतें शायद टंबेको, HPV, शराब, मोटापा जैसे पर्यावरणीय‑जीवनशैली कारकों से संबंधित थीं ।

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सारांश (2022 तक के हाल):

विवरण अनुमानित संख्या (2022)

कैंसर से होने वाली मौतें लगभग 9.1 लाख
कैंसर के नए मामलों की संख्या लगभग 14.1 लाख
मृत्यु‑संख्या अनुपात लगभग 64 %

26/07/2025

🌳 गुलाब बाग की दुर्दशा: क्या यही है हमारे शहर की शान? 🌳

📍 उदयपुर का गुलाब बाग — एक ऐतिहासिक धरोहर, हरियाली और शांति का प्रतीक — आज दर्द में है।

❌ पेड़ों की अंधाधुंध कटाई
❌ अनावश्यक रूप से बहता हुआ पानी
❌ चारों ओर फैली गंदगी और कचरा
❌ प्रशासन की लापरवाही और मिसमैनेजमेंट

🌿 जहाँ कभी पक्षियों की चहचहाहट गूंजती थी, आज वहाँ मशीनों की गूंज है।

📢 प्रश्न उठता है:
क्या हम सिर्फ देखने वाले बनकर रह जाएँगे?
क्या आने वाली पीढ़ियाँ गुलाब बाग को किताबों में ही देखेगी?

🙏 हम सबकी ज़िम्मेदारी है इस धरोहर को बचाना।

👉 आवाज़ उठाइए, शेयर कीजिए, प्रशासन को जगाइए।
#उदयपुर_की_शान

🌿 ORGANIC PRODUCTION SYSTEMHow It Works & How to Educate PeopleBy: Lauras Biotech---✅ Step-by-Step: How Organic Producti...
22/07/2025

🌿 ORGANIC PRODUCTION SYSTEM

How It Works & How to Educate People

By: Lauras Biotech

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✅ Step-by-Step: How Organic Production Works

1. Soil Preparation

Use cow dung compost, vermicompost, and bio-fertilizers.

Avoid chemicals or synthetic inputs.

2. Seed Selection

Use only desi (indigenous) or untreated non-GMO seeds.

Prefer local climate-suitable varieties.

3. Natural Crop Protection

Use neem oil, cow urine spray (Gomutra), garlic-ginger solution.

Avoid pesticides and herbicides.

4. Water Management

Use drip irrigation, rainwater harvesting, and mulching.

No chemical water solubles.

5. Harvest & Post-Harvest

Manual or low-impact harvesting.

Natural drying and storage – no chemical preservatives.

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📣 How to Show It to People (Awareness Ideas)

✅ Organize field demonstrations on organic farms.

✅ Share before–after visuals of chemical vs organic fields.

✅ Use WhatsApp, Instagram, reels, and posters to explain step-by-step methods.

✅ Give small samples of organic produce or medicine.

✅ Distribute simple booklets/pamphlets in Hindi/local language.

आज नाथद्वारा के माननीय विधायक श्री विश्वराज सिंह जी मेवाड़ से सौजन्य भेंट हुई।इस मुलाकात में हमने न केवल आधुनिक कृषि, औष...
20/07/2025

आज नाथद्वारा के माननीय विधायक श्री विश्वराज सिंह जी मेवाड़ से सौजन्य भेंट हुई।

इस मुलाकात में हमने न केवल आधुनिक कृषि, औषधीय मेडिसिन मैन्युफैक्चरिंग, और कृषि के भविष्य को लेकर चर्चा की, बल्कि भूतकाल में किए गए हमारे प्रोजेक्ट्स जैसे:

✅ कृषि नवाचार
✅ ग्रामीण किसानों के उत्थान हेतु प्रयास
✅ सोशल वर्क व महिला सशक्तिकरण
✅ फार्मर्स ट्रेनिंग व डेवलपमेंट कार्यक्रम

इन सभी महत्वपूर्ण पहलों पर भी विस्तार से चर्चा हुई।

हमारा निरंतर प्रयास है कि भारत की पारंपरिक जैविक ताकत को आधुनिक टेक्नोलॉजी से जोड़कर, एक स्वस्थ, आत्मनिर्भर और जैविक भारत का निर्माण किया जाए।

🌸 गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं 🌸🙏 सबसे पहले नमन उन गुरुजनों को, जिन्होंने हमें इस जीवन में आने का अवसर दिया — हमा...
10/07/2025

🌸 गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं 🌸

🙏 सबसे पहले नमन उन गुरुजनों को, जिन्होंने हमें इस जीवन में आने का अवसर दिया — हमारे माता-पिता। 🙏

माता-पिता ही हमारे पहले गुरु होते हैं।
इन्हीं ने हमें संस्कार दिए, अच्छी सोच सिखाई, और जीवन में तरक्की का रास्ता दिखाया।

🌺 गुरु पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर सबसे पहले अपने माता-पिता को प्रणाम करें, क्योंकि इन्हीं की छाया और सिखाए हुए रास्ते ने हमें जिंदगी के हर मोड़ पर संभाला है।

✨ गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं! ✨

जय माता-पिता गुरु 🙏❤️

🚨 शंकर नस्लों का बढ़ता खतरा — मानव, पशु और पादप के अस्तित्व पर संकट! 🚨आज दुनिया में आधुनिकता की होड़ में हम जिस Hybrid (...
09/07/2025

🚨 शंकर नस्लों का बढ़ता खतरा — मानव, पशु और पादप के अस्तित्व पर संकट! 🚨

आज दुनिया में आधुनिकता की होड़ में हम जिस Hybrid (शंकर नस्ल) संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं, वह हमें हमारी मूल जड़ों और शुद्धता से दूर कर रही है।

⚠️ क्या हो रहा है?

👉 मानव में कृत्रिम जीन-संयोजन।
👉 पशुओं में उत्पादकता के नाम पर शुद्ध नस्लों का विनाश।
👉 पादपों में हाइब्रिड बीजों का कब्ज़ा।

🌿 परिणाम क्या होंगे?

❌ शरीर में अनुवांशिक रोगों की बढ़ोतरी।
❌ औषधीय और पोषक गुणों का लोप।
❌ जैव विविधता की समाप्ति।
❌ पर्यावरणीय असंतुलन और नई बीमारियों का जन्म।

🔥 भविष्य की भयावह कल्पना

👉 आने वाले वर्षों में

शुद्ध घी, दूध और दवा मिलना दुर्लभ हो जाएगा।

किसान अपने खेतों में बीज बोने के लिए कंपनियों पर निर्भर हो जाएगा।

मानव शरीर रोगों का घर बन जाएगा।

पर्यावरण में असंतुलन से भयंकर आपदाएँ आएंगी।

🌸 समाधान क्या है?

✅ शुद्ध नस्लों का संरक्षण करें।
✅ देसी बीज, देसी गाय और पारंपरिक खेती को अपनाएँ।
✅ जैव विविधता बचाने के लिए एकजुट हों।
✅ पीढ़ियों तक सुरक्षित जीवनशैली छोड़ें।

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🌼 याद रखें!

"प्रकृति की शुद्धता ही जीवन की सुरक्षा है।
और शुद्ध नस्लें ही भविष्य की असली पूंजी।"

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📢 अगर हम आज नहीं जागे, तो आने वाला कल हमें माफ़ नहीं करेगा।

07/07/2025

🌿 नस्ल, वंश और गुणवत्ता का संबंध 🌿

चाहे पशु हों, मानव हों या पादप (पेड़-पौधे) — मैं पूर्ण आत्मविश्वास के साथ कह सकता हूँ कि
इनमें नस्ल और वंश वर्ग के आधार पर ही उनकी गुणवत्ता, प्रभाव और परिणाम तय होते हैं।

👉 अगर इनका संतुलन और अच्छा कॉम्बिनेशन तैयार किया जाए,
तो मानव स्वास्थ्य हो, पशुपालन हो या कृषि उत्पादन,
हर क्षेत्र में हम हमेशा श्रेष्ठ और उत्तम परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

✅ इसलिए हमेशा ध्यान रखें —
सुधरित नस्ल,
संतुलित वंश,
और अच्छे गुणसूत्र ही
उत्कृष्ट स्वास्थ्य, अधिक उत्पादन और उत्तम जीवनशैली का आधार होते हैं।

*🌹।।जनेऊ।।🌹*जनेऊ का नाम सुनते ही सबसे पहले जो चीज़ मन मे आती है वो है धागा दूसरी चीज है ब्राम्हण।जनेऊ का संबंध क्या सिर्फ...
06/03/2025

*🌹।।जनेऊ।।🌹*

जनेऊ का नाम सुनते ही सबसे पहले जो चीज़ मन मे आती है वो है धागा दूसरी चीज है ब्राम्हण।

जनेऊ का संबंध क्या सिर्फ ब्राम्हण से है, ये जनेऊ पहनाए क्यों है, क्या इसका कोई लाभ है,
जनेऊ क्या, क्यों, कैसे आज आपका परिचय इससे ही करवाते हैं।

जनेऊ को उपवीत, यज्ञसूत्र,
व्रतबन्ध, बलबन्ध, मोनीबन्ध और ब्रह्मसूत्र के नाम से भी जाना जाता है।

हिन्दू धर्म के 24 संस्कारों है। आप सभी को 16 संस्कार पता होंगे लेकिन वो प्रधान संस्कार है। 8 उप संस्कार है। जिनके विषय मे आगे आप
को जानकारी दूँगा। 24 संस्कारों में से एक
‘उपनयन संस्कार’ के अंतर्गत ही जनेऊ पहनी जाती है। जिसे
‘यज्ञोपवीतधारण करने वाले व्यक्ति को सभी नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है।

उपनयन का शाब्दिक अर्थ है "सन्निकट ले जाना" और उपनयन संस्कार का अर्थ है-"ब्रह्म (ईश्वर) और ज्ञान के पास ले जाना"।

हिन्दू धर्म में प्रत्येक हिन्दू
का कर्तव्य है जनेऊ पहनना और उसके नियमों का पालन करना।

हर हिन्दू जनेऊ पहन सकता है बशर्ते कि वह उसके नियमों का
पालन करे।

ब्राह्मण ही नहीं समाज का हर वर्ग जनेऊ धारण कर सकता है।

जनेऊ धारण करने के बाद ही द्विज बालक को यज्ञ तथा स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त होता है।

द्विज का अर्थ होता है दूसरा जन्म।

मतलब सीधा है जनेऊ संस्कार के बाद ही शिक्षा का अधिकार मिलता
था और जो शिक्षा नही ग्रहण करता था उसे शूद्र की श्रेणी में रखा जाता
था (वर्ण व्यवस्था)।

लड़की जिसे आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करना हो, वह जनेऊ धारण
कर सकती है।

ब्रह्मचारी तीन और विवाहित छह धागों की जनेऊ पहनता है।

यज्ञोपवीत के छह धागों में से तीन धागे स्वयं के और तीन धागे पत्नी के बतलाए गए हैं।

जनेऊ का आध्यात्मिक महत्व:-

जनेऊ में तीन सूत्र,
त्रिमूर्ति ब्रह्मा विष्णु
और महेश के प्रतीक है।

देवऋण पितृऋण और
ऋषिऋण के प्रतीक है।

सत्व, रज और तम के
प्रतीक होते है।

साथ ही ये तीन सूत्र गायत्री मंत्र के तीन चरणों के प्रतीक है। तो तीन आश्रमों के प्रतीक भी।

जनेऊ के एक-एक तार
में तीन-तीन तार होते हैं।

अत: कुल तारों की
संख्‍या नौ होती है।

इनमे एक मुख, दो नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र के दो द्वारा मिलाकर कुल नौ होते हैं।

इनका मतलब है की हम मुख से अच्छा बोले और खाएं, आंखों से अच्छा देंखे और कानों से अच्छा सुने।

जनेऊ में पांच गांठ लगाई जाती है। जो ब्रह्म, धर्म, अर्ध, काम और
मोक्ष का प्रतीक है।

ये पांच यज्ञों, पांच ज्ञानेद्रियों और पंच कर्मों के भी प्रतीक है।

जनेऊ की लंबाई:-
जनेऊ की लंबाई 96 अंगुल होती है क्यूंकि जनेऊ धारण करने वाले
को 64 कलाओं और 32 विद्याओं को सीखने का प्रयास करना चाहिए।

32 विद्याएं चार वेद, चार उपवेद, छह अंग, छह दर्शन, तीन सूत्रग्रंथ,
नौ अरण्यक मिलाकर होती है।

64 कलाओं में वास्तु निर्माण, व्यंजन कला, चित्रकारी, साहित्य
कला, दस्तकारी, भाषा, यंत्र निर्माण,
सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, दस्तकारी, आभूषण निर्माण, कृषि ज्ञान
आदि आती हैं।

जनेऊ के लाभ:-

प्रत्यक्ष लाभ जो आज
के लोग समझते है:-

जनेऊ बाएं कंधे से दाये
कमर पर पहनना चाहिये।

जनेऊ में नियम है कि मल - मूत्र विसर्जन के दौरान
जनेऊ को दाहिने कान पर
चढ़ा लेना चाहिए और हाथ
स्वच्छ करके ही उतारना चाहिए।

इसका मूल भाव यह है कि
जनेऊ कमर से ऊंचा हो जाए और अपवित्र न हो।
यह बेहद जरूरी होता है।
मतलब साफ है कि जनेऊ पहनने वाला व्यक्ति ये ध्यान रखता है कि मलमूत्र करने के बाद खुद को साफ करना है इससे उसको इंफेक्शन का
खतरा कम से कम हो जाता है।

वो लाभ जो अप्रत्यक्ष है
जिसे कम लोग जानते है।

शरीर में कुल 365 एनर्जी
पॉइंट होते हैं। अलग - अलग बीमारी में
अलग - अलग पॉइंट असर करते हैं। कुछ पॉइंट कॉमन भी होते हैं।

एक्युप्रेशर में हर पॉइंट को
दो - तीन मिनट दबाना होता है और जनेऊ से हम यही काम करते है। उस point को हम एक्युप्रेश करते है।

कैसे आइये समझते है:-

कान के नीचे वाले हिस्से
(इयर लोब) की रोजाना पांच मिनट मसाज करने से याददाश्त बेहतर होती है।

यह टिप पढ़नेवाले बच्चों
के लिए बहुत उपयोगी है।

अगर भूख कम करनी है तो खाने से आधा घंटा पहले कान के बाहर
छोटेवाले हिस्से (ट्राइगस) को दो मिनट उंगली से दबाएं। भूख कम लगेगी।

यहीं पर प्यास का भी पॉइंट होता है।

निर्जला व्रत में लोग इसे दबाएं तो प्यास कम लगेगी।

एक्युप्रेशर की शब्दवली में इसे point जीवी 20 या डीयू 20- इसका लाभ आप देखे-

जीबी 20 - कहां:-
कान के पीछे के झुकाव में।
उपयोग:-
डिप्रेशन, सिरदर्द, चक्कर और सेंस ऑर्गन यानी नाक, कान और आंख से जुड़ी बीमारियों में राहत।

दिमागी असंतुलन, लकवा और यूटरस की बीमारियों में असरदार।

इसके अलावा इसके कुछ अन्य लाभ जो क्लीनिकली प्रूव है:-

1. बार - बार बुरे स्वप्न आने की स्थिति में जनेऊ धारण करने से ऐसे स्वप्न नहीं आते।

2. जनेऊ के हृदय के पास से गुजरने से यह हृदय रोग की संभावना को कम करता है, क्योंकि इससे रक्त संचार सुचारू रूप से संचालित होने लगता है।

3. जनेऊ पहनने वाला व्यक्ति सफाई नियमों में बंधा होता है। यह सफाई उसे दांत, मुंह, पेट, कृमि, जीवाणुओं के रोगों से बचाती है।

4. जनेऊ को दायें कान पर धारण करने से कान की वह नस दबती है, जिससे मस्तिष्क की कोई सोई हुई तंद्रा कार्य करती है।

5. दाएं कान की नस अंडकोष और गुप्तेन्द्रियों से जुड़ी होती है। मूत्र विसर्जन के समय दाएं कान पर जनेऊ लपेटने से शुक्राणुओं की रक्षा होती है।

6. कान में जनेऊ लपेटने से मनुष्य में सूर्य नाड़ी का जागरण होता है।

7. कान पर ये जनेऊ लपेटने से पेट संबंधी रोग एवं रक्तचाप की समस्या से भी बचाव होता है।

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